Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
07-17-2018, 12:26 PM,
#25
RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
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अब आगे
*********** आज नदी पर ज़्यादा भीड़ नही थी..शायद वो लोग ही लेट पहुँचे थे...गंगू तो अभी तक कल के नशे से सही तरह से उभर भी नही पाया था, और आज सुबह -2 उसको अपनी जिंदगी की सबसे हसीन और कुँवारी चूत भी मिल चुकी थी, इसलिए वो तो सांतवे आसमान पर था..आज तो वो मर भी जाए तो भी उसको अपनी जिंदगी से कोई गम नही होता..

पिछले दो दीनो मे किस्मत ने जिस तरह से उसका साथ दिया था, वो अपने आपको किस्मतवाला समझने लगा था, वो तो बस यही सोच रहा था की अब उसकी जिंदगी मे कुछ भी बुरा हो ही नही सकता..

पर बेचारा ये नही जानता था की उपर वाले ने सब कुछ नाप तोल कर ही लिखा है सबकी किस्मत मे..

पर आज के लिए तो उसकी जिंदगी खुशहाल ही थी.

वो अपने कपड़े उतार कर नदी के अंदर आ गया..सिर्फ़ एक अंडरवीयर ही पहना हुआ था.

नेहा भी अंदर आ गयी, और अंदर आते ही उसके कपड़े उसके बदन से ऐसे चिपक गये जैसे फेविकोल लगी हो उसके बदन पर...और उसका संगमरमरी बदन अपने जलवे बिखेरने लगा..

गंगू मस्ती मे डूबा हुआ उसकी तरफ आया और उसके लगभग नंगे बदन से बुरी तरह से लिपट कर उसे चूमने लगा.

दूर खड़ी लक्ष्मी ये सब देखकर मुस्कुरा रही थी...वो थी केशव हलवाई की लड़की, जिसकी उम्र थी ** और वो वही सरकारी स्कूल मे 12th में पड़ती थी, पर आज उसकी छुट्टी थी,शायद कोई सरकारी होलिडे था..इसलिए नदी मे आकर वो मल-मलकर नहा रही थी..उसके उभार अभी आने शुरू ही हुए थे,पर वो उनकी परवाह किए बिना उपर से नंगी होकर ही नहाती थी, सिर्फ़ कच्छी पहन कर..जैसा ज्यादातर झुग्गी में रहने वाली लड़कियां नहाती थी

सब उसको लच्छो कहते थे,वो थी एकदम साँवले रंग की पर उसके नैन नक्श काफ़ी अच्छे थे, हमेशा सब से अलग ही रहती थी, पर ऐसे जवान होते बच्चे ही सबसे ज़्यादा सेक्स के प्रति रूचि रखते हैं...

आज भी लच्छो ने जब गंगू और नेहा को एक दूसरे को चूमते हुए देखा तो वो झट से उसी चट्टान की औट मे जाकर खड़ी हो गयी ,जहाँ उस दिन गंगू ने रज्जो को चोदा था..

गंगू ने नेहा के मुम्मे पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए ...और उसके होंठों पर होंठ रखकर ज़ोर से चूसने लगा..

साथ ही नहा रही दो औरतें भी उन्हे देख कर हँसने लगी..

पहली : "हाए दैया, देख तो इस गंगू को, अपनी ही जोरू को खुले मे ऐसे चूम रहा है जैसे घर पर मौका ही नही मिलता...''

दूसरी : "ही ही .... ये मर्द साले होते ही ऐसे हैं, जहाँ मौका मिल जाए, अपना हथियार उठा कर चले आते हैं, मीटिंग करने को... हा हा''

फिर दोनो ज़ोर-2 से हँसने लगी..

पर उनकी बातों और हँसी से गंगू को कोई फ़र्क नही पड़ता था, वो उसकी असली बीबी तो थी नही, जो इतना पोस्सेसिव होता, वो हर उस तरीके से नेहा के साथ मज़े लेना चाहता था जो उसने सोचे हुए थे..

आज भी वो अपनी अधूरी इच्छा लेकर ही आया था नदी मे नहाने के लिए...पिछली बार तो नेहा ने काफ़ी तरसाया था उसके लंड को...पर आज चुदने के बाद वो पूरी तरह से खुल चुकी थी और उसका पूरा साथ भी दे रही थी...अब तो उसकी खुले मे चुदाई करने मे काफी मजा आएगा.

गंगू ने अपना हाथ नीचे किया और अपने लंड को बाहर निकाल लिया..और नेहा का हाथ पकड़कर उसके उपर लगा दिया.

ठंडे पानी मे गर्म रोड पकड़कर नेहा एकदम से सिहर उठी..हालाँकि अभी कुछ देर पहले ही उसकी जिंदगी की पहली चुदाई हुई थी, पर गंगू के लंड मे ना जाने क्या जादू था, वो फिर से गर्म होने लगी..शायद दूसरी चुदाई के ख़याल से उसकी बुर ने फिर से पानी देना शुरू कर दिया था.

उसकी आँखों मे नशीलापन तैरने लगा..और वो भी पूरी तरह से मदहोश सी होने लगी.

ये एक ऐसी परिस्थिति होती है जब औरत को मज़े के आगे कुछ भी नही दिखता, वो कहाँ पर है और क्या कर रही है, उससे ज़्यादा सेक्स का मज़ा मेटर करता है..

नेहा को अपने शरीर के कपड़े बोझ से लगने लगे...उसका तो मन कर रहा था की अभी के अभी सारे कपड़े फाड़ डाले और पूरी नंगी होकर गंगू की शक्तिशाली बुझाओं से लिपट जाए...उसको छोड़े ही नही,....उसकी गोद मे चड़कर उसको चूस डाले...

ये ख़याल आते ही उसने अपने गाउन के बटन खोलकर अपने मुम्मे बाहर निकाल लिए और ज़बरदस्ती गंगू के मुँह मे पूरा का पूरा मुम्मा ठूस दिया...

''खा इसको........चबा जा....मिटा दे इनकी खुजली......दाँत से काट इन्हे....'' वो बड़बडाए जा रही थी..

और उन्हे ऐसा करता देखकर वो दोनो औरतें तो शर्म से पानी-2 होकर वहाँ से निकल गयी..पर चट्टान की औट मे खड़ी हुई लच्छो का बदन जल उठा...वो अपने नन्हे-2 उभारों को सहलाते हुए खुद ही बड़बड़ाने लगी

"हाँ ....काट इन्हे गंगू....खा जा....चबा जा ....ज़ोर से दबा....और ज़ोर से ....''

वो खड़ी -2 अपने निप्पल को खींच कर ऐसा महसूस कर रही थी जैसे वो गंगू के मुँह मे हो और वो ही उन्हे चूस रहा हो..

अपनी पतली उंगलियों से वो अपने छोटे-2 अमरूदों को दबा रही थी...ऐसा उसने कई बार किया था, पर आज जो मज़ा उसे मिल रहा था, वैसा उसने कभी भी फील नही किया था.

उसने जो कच्छी पहनी हुई थी, वो भी उसने नीचे खिसका दी..उसकी चूत पर अभी बाल आने शुरू ही हुए थे , पर वो जानती नही थी की वहाँ क्या करना है, पर अंदर से ही उसे पता नही क्यों ये फील हो रहा था की वहाँ हाथ लगाया जाए..उसने अपनी अनछुई चूत को अपने पंजे मे दबोच लिया..पर वहाँ से उठ रही खुजली कम हो ही नही रही थी.

वो लगातार गंगू और नेहा को ही देख रही थी..गंगू तो मदमस्त सांड की तरह खुले मे ही नेहा को चोदने की फिराक मे था..पर उसके दिमाग मे भी ख़याल आया की ऐसे ही अगर उसने नेहा को खुले मे चोद दिया तो कोई भी आकर नेहा को चोद देगा, कुछ परदा तो होना ही चाहिए..

उसे फिर से उसी चट्टान की याद आ गयी, जहाँ उसने पहले भी कई बार चुदाई की थी..और जहाँ इस वक़्त लच्छो लगभग नंगी होकर उन्हे ही देख रही थी.

गंगू ने नेहा का हाथ पकड़ा और उसे दूसरी तरफ ले जाने लगा, चट्टान के पीछे..उन दोनो को अपनी तरफ आता हुआ देखकर लच्छो तो एकदम से सकपका गयी..वहाँ से भागने का कोई और रास्ता भी नही था..पीछे की तरफ उँची दीवार थी और बाँयी तरफ दूर तक नदी का पानी...इसलिए वो वहीं खड़ी रही..उसने जल्दी से अपनी कच्छी उपर कर ली.

वहाँ पहूचकर गंगू ने देखा की लच्छो वहाँ खड़ी हुई है...उसका चेहरा लाल सुर्ख था, वो समझ गया की या तो वो उन्हे छुप कर देख रही थी या फिर खुद ही छुपकर अपनी चूत मल रही थी..

गंगू : "आए लच्छो , तू यहाँ क्या कर रही है...चल भाग यहाँ से...''

लच्छो पर भी अपनी उभरती जवानी का नशा चड़ा हुआ था, वो बोली : "क्यो, ये नदी क्या तेरे बाप की है...तू जा ना बाहर...मैं तो यहीं नहाऊँगी ..तू बाहर जाकर चाट इसके दूध ...जैसा अभी कर रहा था..''

गंगू समझ गया की वो वहाँ छुपकर उन्हे ही देख रही थी..वैसे तो उसने आज से पहले भी कई बार उसको नहाते हुए देखा था, पर एक छोटी बच्ची समझकर उसकी तरफ ख़ास ध्यान नही दिया था...उसकी अर्धविक्सित छातियाँ आम लड़कियों की तरह ही थी जो वहाँ नदी मे नहाने के लिए आती थी..पर उसकी आँखों मे एक अजीब सी कसक थी..जल्दी जवान होने की...गंदे काम करने की...किसी का लंड लेने की..

गंगू ने भी घाट-2 का पानी पिया था..ऐसी चिड़िया को अपने हाथों से कैसे जाने देता वो..इसलिए अगले ही पल उसने वो किया जिसकी लच्छो ने कल्पना भी नही की थी..उसने एक ही झटके मे अपना अंडरवीयर उतार कर चट्टान पर रख दिया..और पूरा नंगा होकर खड़ा हो गया..

नेहा को तो ऐसी बातों से कोई फ़र्क नही पड़ता था, पर लच्छो ने आज पहली बार किसी का पूरा लंड देखा था और वो भी इतना बड़ा..उसे तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नही हुआ..उसके साथ की लड़कियों के साथ उसने कई बार लंड के बारे मे बात की थी..पर किसी के पास भी कोई ब्योरा नही था..उन्होने तो सिर्फ़ झुग्गी के बच्चो की लुल्लिया ही देखी थी आज तक..पर आज लच्छो ने साक्षात काला लंड देख लिया था..और वो उसे देखकर पलकें झपकना भी भूल गई...उसकी छाती की घुंडीयां उत्तेजना मे भरकर पूरी तरह से बाहर निकल आई.
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