RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
उसके बाद गंगू और भूरे शहर से थोड़ी दूर बने एक खंडहर की तरफ चल दिए...क्योंकि असली काम तो उन्हे वहीं करना था..
एक पुराना सा किला था ये...दिन के समय तो यहा युगल जोड़े घूमते रहते थे...चूमा चाटी , चुदाई के लिए...पर रात को कोई नही आता था...बिल्कुल सुनसान सा हो जाता था वो किला रात के समय..
अभी तो 12 ही बजे थे दिन के..इसलिए वहां कई जोड़े हर कोने मे दुबक कर एक दूसरे से मज़े लेने मे लगे थे.
वो पूरे किले मे घूमते रहे और आख़िर मे जाकर उन्होने एक शांत सी जगह देखी जो काफ़ी अंदर जाकर थी..और जो काम वो वहाँ करने वाले थे उसके लिए वो जगह बिल्कुल उपयुक्त भी थी..
सही जगह का चुनाव करने के बाद वो वहां से निकल आए.
अभी काफ़ी समय था उनके पास...किसी भी तरह उन्हे अंधेरा होने तक का वेट करना था..पर इससे पहले गंगू को ठीक वैसी ही एक औरत का घर ढूँढना था जैसी औरत के बारे मे उसने इक़बाल को जानकारी दी थी..
वो भूरे को समझा कर अपने काम के लिए निकल पड़ा..दो घंटे की मेहनत के बाद उसे पूछने पर एक औरत के बारे मे पता चल ही गया..जो समाज सेवा का काम करती थी..और बेसहारा लड़कियो की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती थी.
वो उसके घर पहुँचा और दरवाजा खड़काया , वो करीब 45 साल की सीधी साधी सी औरत थी, उसका नाम शांति था. गंगू ने मनघड़ंत कहानी बनाकर बताई की वो एक भिखारी है और उसने एक घर मे कई लड़कियो को बंदी बने हुए देखा है..और वहां रहने वाला एक गुंडे किस्म का आदमी उनसे जिस्म्फरोशी का धंधा करवाता है...पूछने पर गंगू ने बता दिया की किसी ने बताया था की आप ऐसी लड़कियो की मदद करती है इसलिए उसे ये सूचना देने के लिए चला आया..पुलिस भी उनके साथ मिली हुई है,इसलिए वो किसी समाजसेवक को ढूंढ रहा था,इसलिए उसके पास आया है
शान्ति को उसकी बातों पर विशवास हो गया , और गंगू से उसे वहां का पता माँगा
और गंगू ने जो पता उसे बताया वो था मुम्मेथ खान का, क्योंकि गंगू चाहता था की ऐसे समाज सेवको के डर से सही,मुम्मेथ को इस दलदल से निकालना जरुरी है, वरना इक़बाल के बाद वो किसी और की रखैल बनकर अपनी जिंदगी गुजार देगी, और उसकी अदाकारी उसके साथ ही दम तोड़ देगी
मुम्मेथ का घर काफी दूर था वहां से ...वहां जाकर आने मे ही रात हो जानी थी...गंगू की बात सुनते ही उसने फॉरन अपने घर पर ताला लगाया और अपनी संस्था के लोगो को लेकर वहां से निकल पड़ी..
अब गंगू ने फोन ऑन किया...और फोन चालू करते ही इक़बाल भाई का फोन आ गया
इक़बाल : "साले ...इतनी देर से फोन कर रहा हू...फोन क्यो बंद था तेरा...''
गंगू : "भाई..वो पुलिस वाले थे...उनके सामने एक भिखारी फोन पर बात करता तो कैसा लगता...वो तो मुझे उठा कर ही ले जाते ना..''
इक़बाल को उसकी बेवकूफी और नासमझी पर गुस्सा भी आ रहा था पर फिर ये सोचकर वो ज़्यादा बोला नही की एक भिखारी की अक्ल मे जो आया वही किया ना उसने...
इक़बाल : "चल छोड़ ये सब...अब जल्दी से पता बता..मेरे सभी आदमी तैयार बैठे है..''
गंगू ने उसे उसी समाजसेविका शान्ति का पता बता दिया, जहां वो थोड़ी देर पहले गया था ..
अब अगर इक़बाल के आदमी वहां पहुँच भी जाते तो उन्हें वहाँ ताला ही मिलता.
गंगू ने भूरे को फोन करके बोला की अभी तक सब कुछ उनके अनुसार ही चल रहा है....और फिर अगली बात जो गंगू ने भूरे को कही वो सुनकर तो भूरे खुशी से उछल पड़ा
गंगू : "अब ध्यान से सुन भूरे...कुछ भी गड़बड़ हुई तो वो लोग सबसे पहले मेरे घर पर ही जाएँगे..मुझे ढूँढने..तू एक काम कर, मेरे घर जा और नेहा को भी अपने साथ लेकर उसी किले मे पहुंच जहाँ हमने रात को मिलना है...समझा..''
भूरे ने कोई सवाल नही किया...ये भी नही बोला की नेहा को ले जाने मे तो काफ़ी ख़तरा है वहां ...उसे तो बस एक मौका चाहिए था उसके साथ अकेले मे...जो खुद गंगू ने उसे दे दिया था.
अभी 5 बजे थे...और गंगू की योजना के अनुसार वो खुद वहां 8 बजे पहुँचने वाला था..तीन घण्टे थे बीच में .. .जो भूरे के लिए बहुत थे..वो उसी वक़्त नेहा को लेने के लिए निकल पड़ा.
उधर 1 घंटे मे ही इक़बाल के आदमी उस एड्रेस पर पहुँच गये..और उन्हे वहां ताला मिला..आस पास पूछा पर किसी को भी कुछ पता नही था..उन्होने फ़ौरन इक़बाल को फोन किया..और फिर इक़बाल ने गंगू को..और इस बार इक़बाल का पारा पूरी तरह से चड़ा हुआ था..
इक़बाल (गुस्से मे) : "गंगू....वहां तो ताला लगा है साले ...तूने तो कहा था की वो औरत वहीं पर है...''
गंगू : "भाई...वो वहीं थी...मेरी उसके साथ बात भी हुई है...और उसका नंबर भी लिया है मैने...आप चाहो तो उससे बात करके पूछ लो...वो लड़की शनाया उसके पास ही है...पर शायद उसे शक हो गया है..मैने शायद जिस तरीके से पूछा था उस लड़की के बारे मे, वो समझ चुकी है की हमारा इरादा क्या है..और शायद इसलिए वो घर छोड़कर निकल गयी है...''
इक़बाल : "साले ...तुझे सिर्फ पता करने के लिए कहा था,अंदर जाकर जासूसी करने को नही ...तूने इतनी पूछताछ करी ही क्यों वहां जाकर...उसे बेकार का शक़ भी हो गया...अब पता नही कहां गयी होगी वो...चल तू मुझे उसका नंबर भेज जल्दी से...मैं बात करके देखता हू..''
गंगू ने उसे रज्जो का नंबर भेज दिया...और वो पहले से ही रज्जो को समझा कर आ चुका था कल की कोई भी फोन आए तो उसे क्या बोलना है..
इक़बाल ने फ़ौरन रज्जो को फोन मिलाया
रज्जो : "कौन बोल रहा है...''
इक़बाल : "ये तुझे जानने की कोई ज़रूरत नही है...तेरे पास जो वो लड़की है...मुझे वो चाहिए...शनाया ..''
रज्जो : "ओहो....तो वो तुम हो जो उसके पीछे पड़े हो....मुझे तो पहले से ही शक़ हो गया था ,इसलिए मैं वहां से निकल आई...''
इक़बाल : "इतना दिमाग़ चलता है तो ये भी बता तो की कितनी रकम सोचकर तू वहां से निकली है...बोल , कितना चाहिए तुझे..''
रज्जो : "अब आए ना रास्ते पर....ठीक है....तुम बीस लाख रुपय तैयार रखो...मैं उस भिखारी को फोन करके बता दूँगी की कहाँ आना है...''
और इतना कहकर रज्जो ने फोन रख दिया..
इक़बाल के लिए 20 लाक कोई बड़ी रकम नही थी...इसलिए वो खुशी से झूम उठा..क्योंकि उसकी इच्छा जो पूरी होने वाली थी...उसने उसी वक़्त गंगू को फोन मिलाया..पर उसका फोन बिज़ी था..
क्योंकि उसके फोन पर पहले से ही रज्जो का फोन आ चुका था...और वो उसे अभी तक की सारी बातें बता रही थी..
रज्जो :"गंगू..तूने जैसा कहा ,मैने कह दिया...पर ये मामला क्या है...किस लड़की की बात कर रहे है वो..कौन था वो आदमी..जो इतने पैसे देने के लिए तैयार हो गया...''
गंगू : "तू अपना दिमाग़ ज़्यादा मत चला...बस अब तेरा काम ख़त्म...अगर मुझे पैसे मिल गये तो तेरे भी 2 लाख पक्के...और अब इस फोन मे से सिम को निकाल कर फेंक दे...मैं तुझे जल्दी ही मिलूँगा..''
2 लाख की बात सुनकर रज्जो भी खुश हो गयी...सिर्फ़ इतने से काम के अगर इतने पैसे मिल रहे हैं तो उसे क्या प्राब्लम हो सकती है...उसने जल्दी से वो सिम निकाल कर फेंक दिया..
फिर गंगू ने देखा की उसके फोन पर 4 मिस कॉल्स थी,इक़बाल की...उसने इक़बाल को फोन किया
इक़बाल : "गंगू...तूने सही कहा था...ये वही लड़की है...और वो औरत भी बड़ी चालाक निकली, 20 लाख माँग रही है...मैने भी बोल दिया की दे दूँगा...वो अब तुझे कॉन्टेक्ट करेगी...समझा..''
गंगू उसकी बात सुनता रहा...योजना तो उसके अनुसार ही चल रही थी...और इक़बाल बेवजह ही खुश होकर उसे वो सब बता रहा था...
गंगू : "ठीक है भाई...मैं उससे बात करके अभी आपको बताता हूँ ..''
और उसने फोन रख दिया...
और फिर 10 मिनट के बाद दोबारा इक़बाल को फोन किया
गंगू : "भाई...मेरी बात हो गयी है उस औरत से...हमे आज रात को 8 बजे बुलाया है...पैसो के साथ...बिना किसी सुरक्षा के...सिर्फ़ हम दोनों को...''
इक़बाल : "ओके , पर...कहाँ पर...''
गंगू : "वो उसने अभी बताया नही...बड़ी शातिर औरत लग रही है...थोड़ी देर मे फोन करके बताएगी...''
इक़बाल : "तो तू एक काम कर...मेरे अड्डे पर आ जा..यहीं से दोनो निकल चलेंगे एक साथ...वैसे भी मेरे सारे आदमी उस औरत के घर की तरफ ही गये है...उन्हे मैं वहीं रुके रहने को बोल देता हू...अगर वो वापिस वहीँ आई तो उसे पकड़ कर ले आएँगे...वरना हमारे पास तो आ ही रही है वो ..''
गंगू के लिए इतना बहुत था...यही तो वो चाहता था...वो उसी वक़्त इक़बाल भाई के घर की तरफ निकल पड़ा...
अब तक अंधेरा होने लगा था...और भूरे भी नेहा को अपनी जीप मे लेकर उस किले मे पहुँच चुका था...
नेहा : "तुम बता क्यो नही रहे की बात क्या है.....और ये कहां ले आए तुम मुझे...यहां तो काफ़ी अंधेरा है ...और कोई है भी नही...''
भूरे : "अरे भाभी जी...अप चिंता क्यो कर रही हो...मैने कहा ना,गंगू ने ही कहा है आपको यहां लाने के लिए...आप चलिए,उसने आपके लिए एक सर्प्राइज़ रखा है यहां पर...''
और इतना कहकर उसने नेहा की कमर मे हाथ रखा और उसे अंदर की तरफ ले गया...उसने साड़ी पहनी हुई थी...और भूरे के कड़क हाथ अपनी नंगी कमर पर लगते ही उसका शरीर काँप उठा...भूरे ने पहले भी कई बार उसके करीब आने की कोशिश की थी...और नेहा ने उसके लंड को भी पकड़ा था एक बार...और वही सब एकदम से उसे याद आने लगा...मौसम भी नशीला सा हो रहा था...अंधेरा भी था...और उसकी चूत तो वैसे भी हर वक़्त कसकती रहती थी...इसलिए उसका हाथ लगते ही उसे अंदर से कुछ -2 होने लगा...
गंगू ने भी वो कंपन महसूस किया, जो नेहा के जिस्म से निकला था...अभी सिर्फ़ 6 बजे थे...पूरे 2 घंटे थे उसके पास....इस कंपन को एक भूचाल बनाने के लिए...
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