RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
अब भूरे ने उसकी दोनो टाँगो को हवा मे पकड़ा और ज़ोर -2 से धक्के लगाने लगा...और वो लगभग 20 मिनट तक ऐसे ही धक्के मारता रहा...जैसे ही उसका निकलने वाला होता तो वो रुक जाता और फिर से धक्के मारता....
ऐसा करके वो अपना झड़ना तो रोक लेता,पर नेहा हर बार झड़ जाती , उसे भी पता नही चला की वो कितनी बार झड़ी
और अंत मे जब भूरे से और रोका नही गया तो वो नीचे झुक गया और नेहा के होंठों को अपने मुँह मे दबोच कर अपना सारा का सारा रस उसकी चूत में ही निकाल दिया...
''अहह ,.,.,...........ये ले साली..................इतने दिनों तक जो तूने तड़पाया है...उसका इनाम है ये...................''
और उसके उपर से लुढ़क कर वो नीचे उसकी बगल में ही गिर गया..
और गहरी साँसे लेने लगा.
तभी उसका मोबाइल बज उठा...वो भूरे का फोन था.
उसने टाइम देखा... 7:30 हो रहे थे.... यानी पिछले डेढ़ घंटे से वो नेहा की चुदाई कर रहा था.
उसने फोन उठाया
गंगू : "हम निकल रहे हैं.....बस इक़बाल भाई आ ही रहे हैं बाहर...तू तैयार रहना..''
इतना कहकर ही उसने फोन रख दिया.
भूरे ने नेहा को जल्दी से अपने कपड़े ठीक करने के लिए कहा...क्योंकि अब उनके पास ज़्यादा वक़्त नही था..
पर वो तो अपनी ही मस्ती मे डूबी पड़ी थी....जैसे कोई सुहाना सपना देख रही हो..उसकी आँखो की खुमारी अभी तक नही उतरी थी...
भूरे ने उसे उपर से नीचे तक देखा...काम की मूरत लग रही थी वो ....आधी नंगी ज़मीन पर लेटी हुई ... उसके दोनों स्तन उपर की तरफ मुँह करके जैसे अभी भी उसे बुला रहे थे..
मन तो भूरे का भी नही भरा था..पर अभी कुछ और करने का टाइम नही था..
उसने जल्दी से नेहा को अपनी बाहों मे उठाया..और उसे लेकर एक कोने मे चला गया..जहाँ से नीचे का मैन गेट भी दिख रहा था..और वो छुपकर भी बैठे हुए थे..
भूरे ने नेहा को एक चट्टान पर बिठा दिया..और उसके कपड़े झाड़कर साफ़ करने लगा..उसके ब्लाउस के बटन सही से लगाए..उसके मुम्मों को बड़ी मुश्किल से वापिस अंदर ठूसा ...और फिर उसकी साड़ी को सही ढंग से उसके शरीर पर लपेटा..
नेहा बस बुत सी बनकर उसे निहार रही थी...और फिर अचानक वो किसी बिल्ली की तरह भूरे पर झपट पड़ी और उसे ज़ोर-2 से स्मूच करने लगी.
भूरे भी सोचने लगा की कितनी गरम औरत है ये....अभी-2 कई बार झड़ी है पर फिर भी चुदाई का ख़याल आ रहा है...वो तो नही जानती थी की आगे क्या होने वाला है...पर भूरे आने वाले ख़तरे को अच्छी तरह से जानता था.
जैसा की उसने और गंगू ने प्लान बनाया था की वो किसी भी तरह इक़बाल को अकेले उस जगह पर लाएँगे..और फिर दोनों मिलकर उसे वहीं गोली मार देंगे...और अभी तक सब कुछ प्लान के हिसाब से ही चल रहा था.
भूरे ने बड़ी मुश्किल से नेहा को शांत करवाया...क्योंकि उसे दूर से इक़बाल की गाड़ी आती हुई दिख गयी थी...गंगू और इक़बाल नीचे उतरे और अंदर की तरफ आ गये...थोड़ी सी सीडियां चड़ने के बाद वो उपर के हिस्से में आ गये जहाँ भूरे पहले से छुप कर बैठा था...उसने अपनी जेब से अपनी गन निकाल ली..एक गन तो पहले से ही गंगू के पास थी...बस अब इक़बाल को ठोकने की देर थी.
उपर आते ही इक़बाल बोला : "ये कैसी जगह है गंगू...और कहाँ है वो औरत...जो शनाया को लाने वाली थी..''
इक़बाल के हाथ मे एक ब्रीफ़कसे भी था...शायद वो उसमे 20 लाख रूपए लेकर आया था.
गंगू थोड़ी देर तक चुप रहा और बोला : "अभी बुलाता हूँ ..''
और उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई : "बाहर आ जाओ...मेहमान आ गया है...''
भूरे ने नेहा को वहीं छिपे रहने के लिए कहा....और अपनी गन लोड करता हुआ बाहर निकल आया.
भूरे को देखते ही इक़बाल चोंक गया : "भूरे.......तू ......तू यहाँ क्या कर रहा है.... ??"
भूरे ने अपनी गन उसकी तरफ तान दी...और बोला : "तेरा इंतजार....''
और उसी पल गंगू ने भी अपनी गन निकाल ली और इक़बाल के हाथ से उसका ब्रीफ़सेस छीनकर और गन को उसकी तरफ तानता हुआ वो भी भूरे के साथ आकर खड़ा हो गया..
इक़बाल ने दोनों के हाथ मे चमक रही गन को देखा और घबरा गया....पर अगले ही पल वो ज़ोर-2 से ठहाका लगाकर हँसने लगा...
गंगू और भूरे एक दूसरे को प्रश्न भरी नज़रों से देखने लगे..
इक़बाल : "सालों ....मेरी ही आस्तीन मे रहकर मुझे ही काटने चले हो...इक़बाल नाम है मेरा...इक़बाल...मुझे मारना तुम जैसे चूहों का काम नहीं है...''
और अगले ही पल पता नही कहाँ से दो फायर हुए और दोनो की गन उनके हाथ से छिटककर दूर जा गिरी...
गंगू तो ठीक था पर भूरे का हाथ बुरी तरह से ज़ख्मी हो गया और उसके हाथ से काफ़ी खून भी निकल रहा था.
उन्होने गोली चलने वाली दिशा की तरफ देखा तो वहाँ से नेहाल अपने 5 आदमियो के साथ आता हुआ दिखाई दिया..
नेहाल : "हरामजादो ..... जिसका नमक खाया उसके साथ गद्दारी कर रहे हो...''
और इतना कहकर उसने फिर से वो गन उनकी तरफ तान दी...उन्हे जान से मारने के लिए..
इक़बाल चीखा : "नही नेहाल .... ऐसे नही मारना इन कुत्तों को .... ऐसे नही ... इन्होने तुझे ही नही इक़बाल को भी धोखा दिया है.... मुझे तो आज सुबह ही इनपर शक हो गया था, इसलिए तुझे मेरे पहुँचने के दस मिनट बाद आने को कहा था, मुझे आज तक पूरी दुनिया की पुलिस छू भी नही सकी और तुम दोनो मुझे मारने चले थे... बोल ...ऐसा क्यों किया ....बोल, नही तो तेरी खाल खींचकर बाहर निकाल दूँगा...और दोनो को तडपा-2 कर मारूँगा...मेरा काम तो किया नही, उपर से मुझे ही मारने चले हो ...''
पर दोनों में से कोई नही बोला....नेहाल ने अपने साथ आए आदमियों को इशारा किया और वो सब एक साथ गंगू और भूरे पर टूट पड़े...लाते-घूँसे खा-खाकर दोनो लहू लुहान से हो गये..
तभी नेहा चीखती हुई बाहर आई : "छोड़ दो इन्हे ..... मैं कहती हूँ छोड़ दो ....''
और वो भागती हुई आई और गंगू से लिपट गयी..
उसे देखते ही इक़बाल और नेहाल की आँखे फटी रह गयी
इक़बाल : "शनाया ...... ये यहाँ कैसे ....यानी इस कुत्ते को ये सच में मिल गयी थी....पर ये इसके लिए मुझसे क्यो दुश्मनी ले रहा था....''
तब तक नेहा यानी शनाया ने लहू लुहान गंगू को उपर उठाया और नेहाल के गुण्डो के सामने हाथ जोड़कर बोली : "भगवान के लिए इन्हे छोड़ दो ...मेरे पति को मत मारो ...''
इक़बाल और नेहाल उसकी बात सुनकर एक बार फिर से चोंक गये...और उपर से ये देखकर भी की शनाया उन्हे क्यो नही पहचान पा रही है ...
नेहल : "क्या बोली तू ...तेरा पति ....ये गंगू ... ये साला भिखारी ...साली हमें भूल गयी और इसे अपना पति बोल रही है ...''
नेहा सुबकति हुई सी बोली : "हाँ ....ये मेरे पति है ..... इन्हे छोड़ दो प्लीज़ ....मुझे नही पता की आप लोग कौन है ...पर ये मेरे पति है...इन्हे छोड़ दो....''
दोनो अपना सिर खुजलाने लगे...उनकी समझ मे नही आ रहा था की जिस लड़की को ढूँढने के लिए उन्होने 2 दिन पहले ही गंगू को बोला है, वो कैसे उसे अपना पति बोल रही है...
इक़बाल ने अपने आदमी के हाथ से गन ली और सीधा लेजाकर गंगू के सिर पर लगा दी : "बोल साले .... ये क्या कह रही है .....तुझे अपना पति क्यों बोल रही है ये....बोल ...नही तो मैं तेरा भेजा उड़ा दूँगा ...''
गंगू कुछ नही बोला
इक़बाल ने एकदम से वो गन नेहा की कनपटी पर लगा दी तो गंगू एकदम से चिल्ला उठा : "नही ....इसे कुछ मत कहो.....इसे कुछ नही पता ....''
और फिर गंगू ने उस दिन से लेकर अभी तक की सारी कहानी उनके सामने रख दी...
इक़बाल का तो खून खोल उठा सब कुछ सुनकर
इक़बाल : "भेन के लोडे......तो उस दिन तू था वहाँ रोड पर...जिसने मुझे मारा था...और तेरी ही वजह से ये मेरे हाथों से निकल गयी थी...''
और इतना कहते ही उसने एक जोरदार लात गंगू के पेट मे मारी...और वो दर्द से दोहरा होकर ज़मीन पर लेट गया..
भूरे तो पहले से ज़मीन पर पड़ा हुआ अपने घाव गिन रहा था.
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