Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
07-19-2018, 01:19 PM,
RE: Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
जिस्म की प्यास--28

गतान्क से आगे……………………………………

उधर दिल्ली में कुच्छ 12 बजे चेतन अभी भी शन्नो के साथ बिस्तर पर चिपक कर लेटे हुआ था.... शन्नो ने चेतन का हाथ अपने पेट से हटाना चाहा मगर चेतन नहीं माना और अपनी मा को जकड़े रखा..... फिर शन्नो ने कहा "हटो ना मुझे नहाने जाना है... फिर बुआ के घर भी जाना है आज"

चेतन अपनी नींद में बोलता"अब उनके घर क्यूँ जाना" शन्नो अपने आपको छुड़ा बिस्तर से उठ गयी...

उसने चेतन से पूछा "तुम चलोगे ना मेरे साथ?? मैं अकेले बोर हो जाती हूँ" चेतन ने जाने से इनकार कर दिया

और शन्नो मायूस होकर अपने कपड़े निकालने लगी.... अपना तौलिया लेकर जब वो टाय्लेट में गयी तभी चेतन भी

अपने बिस्तर से उठ कर शन्नो के साथ टाय्लेट में घुस गया.... टाय्लेट की ट्यूब लाइट ऑन करके चेतन को शन्नो अपनी

बाँहों में भरके उसको शवर के नीचे ले गया और पानी ऑन कर दिया... दोनो के बदन कपड़ो के समैत भीग रहे थे... चेतन शन्नो को चूमे जा रहा था और शन्नो को काफ़ी माज़ा आने लगा था.... चेतन ने शन्नो के होंठो को

चूम लिया और उसके दोनो हाथ शन्नो के नितंबो पर चाँते बरसाने लगे.... शन्नो को अपने बदन में मीठा दर्द

महसूस होने लगा.... शन्नो ने चेतन के निकर में हाथ डालकर उसके लंड को पकड़ लिया और चेतन को समझ

में आ गया कि उसकी मा क्या चाहती है... शन्नो के सिर पे हाथ रख के चेतन ने उसे फर्श पे बिठाया और अपनी

निकर को नीचे कर के उसके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया.... शन्नो की गरम पीठ पर ठंडा ठंडा

पानी बरस रहा था और उसके हाथ में गरम जागा हुआ लंड था..... अपने बेटे के लंड को उसने चूसना शुरू

करा और चेतन अपनी पैर की उंगलिओ से उसकी चूत को रगड़ने लगा.... शन्नो की चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी और चेतन

उसे और तडपा रहा था..... शन्नो का दूसरा हाथ चेतन के आंडो से खेल रहा था और उसका मुँह

रॅंडियो की तरह चले जा रहा था..... शन्नो नहीं चाहती कि उसके बेटे का लंड ऐसे ही झाड़ जाए और उसने लंड को

छोड़ दिया और अपनी पैंटी उतारके वो चेतन के लंड की दुआ करने लगी.... चेतन ने उसकी चूत के अंदर झट से दो

उंगलिया डाल दी और शन्नो की चीख निकल गयी.... चेतन बोला "अब ये लंड सिर्फ़ इनाम में ही मिलेगा..."

ये कहकर चेतन ने शन्नो के नितंब पर एक और चाँटा लगाया और टाय्लेट से चला गया.....

पूरे समय नहाते हुए शन्नो अपनी गीली चूत को तसल्ली देती रही.... वो सोचने लगी कि कैसे चेतन के लंड को जीत सकु.... नाहकार जब वो तौलिया अपने मम्मो पर लपेट कर बाहर निकली तब चेतन बिस्तर पे तैयार बैठा था....

शन्नो उसको तैयार देख बहुत खुश हो गयी और अपने बदन को वहीं तौलिए से आज़ाद कर दिया....

उस तौलिए से वो अपने गीले बालो को सुखाने लगी... सफेद रंग की ब्रा और पैंटी को पहनने के बाद उसने अपनी टाँगो

को थोड़ा थोड़ा उठाकर उसने पेटिकोट पहना और नाडे को कस्के बाँध दिया.... उसके जोड़ी दार आधे बाजू वाला

सफेद ब्लाउस को भी पहेन लिया जिसके सामने की तरफ हुक्स थे....... फिर वो हरे रंग की सिल्क की सारी जिसपर

सफेद रंग के फूल पत्ते थे वो बाँधने लगी और बाँधने के बाद उसने पिन से पल्लू को ब्लाउस के साथ जोड़ दिया....

अपने बालो को कंघी करके और एक हरी रंग की गोल बिंदी को लगाके वो तैयार हो गयी....

चेतन की नज़रे पूरी वक़्त उसके मा पर जमी थी और जब वो पूरी तरह से तैयार हो गयी तब उसे देख कर चेतन

के पसीने छूट गये.... घर के कपड़ो में भले ही वो बात ना आती हो मगर सारी में उसकी मम्मी एक दम

बॉम्ब लग रही थी.... सॅंडल पहनते वक़्त चेतन उसकी मम्मी को बड़ी हील वाली सॅंडल पहनने को बोला तो शन्नो ने एक काली बड़ी हील वाली सॅंडल पहेन ली.... घर को ताला लगाकर दोनो मा बेटे बुआ के घर जाने के लिए रवाना हो गये...

शन्नो ने चेतन की वजह आज ऑटो में जाने का सोचा और तकरीबन 10 मिनट के इंतजार के बाद एक ऑटोवाला रुका....

जब शन्नो उसमें बैठने लगी तब चेतन ने उस ऑटो वाले की तरफ देखा जिसकी नज़रे शन्नो की बड़ी गान्ड को घूरे

जा रही रही थी.... पूरी दुनिया ही थर्कि है ये सोचके चेतन मुस्कुराता हुआ ऑटो में बैठा.....

सब कुच्छ साधारण तरीके से बीतता रहा और वो दोनो बुआ के घर पे उतर गये.... ऑटो वाले को पैसे देके

उन्होने कुच्छ घंटे बुआ के घर पे बिताए और चेतन अच्छे बच्चे की तरह अपनी मम्मी से शराफ़त से पेश आ रहा था....

जब बुआ उन दोनो के सामने भी नहीं होती तब भी चेतन के दिमाग़ में कोई गंदी बात नहीं आई...

ये देख कर शन्नो को खुशी हुई कि उसके बेटे को किस जगह कैसे बर्ताव करना चाहिए इसकी समझ है और फिर सुबह

के बारे में सोचने लगी जब उसने दूधवाले के साथ इतनी गंदी हरकत करी थी.... खैर कुच्छ शाम के 6:00 बजे तक

शन्नो और चेतन बुआ के घर से निकले और हल्का अंधेरा आसमान में छाने लगा था...

दोनो मा बेटा साथ में चलने लगे और मैं रोड पे खड़े होकर वो ऑटो का इंतजार करने लगे....

काफ़ी देर तक कोई ऑटो नहीं रुका और फिर चेतन ने कहा "ऐसा करते हैं बस में ही चल लेते है पैसे भी कम जाएँगे"

उसकी मा ये सुनके बहुत खुश हो गयी और दोनो अगली ही बस में धक्के खाते हुए घुसे....

ये बात बताने की नहीं है कि दिल्ली की बसो में कितनी भीड़ होती है तो बैठना तो दोनो के नसीब में नहीं था.....

बस में हल्की रोशनी थी क्यूंकी सिर्फ़ दो ही लाइट जल रही थी जोकि एक सबसे आगे की तरफ थी और एक सबसे पीछे की तरफ.....

चेतन जोकि शन्नो के ठीक पीछे ही खड़ा था अपना मुँह शन्नो के कान के पास लाते हुए बोला

"मैने कहा था ना मेरा लंड अब सिर्फ़ इनाम में ही मिलेगा... अब खेल शुरू होता है"

ये कहते ही चेतन ने अपनी मा की सारी के अंदर हाथ घुसाते हुए शन्नो के गरम पेट को महसूस करने लगा....

हाथ को फेरते हुए हुए फिर वो शन्नो के हल्के बाहर निकले हुए पेट को लगातार नौचने लगा और शन्नो चुप चाप वही

खड़ी रही.... जब भी बस हिलती तो चेतन शन्नो की कमर को कस के जाकड़ लेता और शन्नो शर्मिंदा होकर अपनी सीधी तरफ की सीट को कस्के पकड़ लेती... उसकी उंगलिओ के निशान भी शन्नो की कमर पे छप चुके थे....

चेतन की उंगलिओ की हर अदा पे शन्नो का जिस्म मचले जा रहा था... चेतन की गहरी गरम साँसें शन्नो अपनी गरदन

पे महसूस कर रही थी और उसका उगता हुआ लंड कयि बारी उसकी गान्ड को छुए जा रहा था....

शन्नो की सीधे कान की तरफ चेतन कयि बारी धीरे धीरे पुच्छे जा रहा "मज़ा आ रहा है... मज़ा आ रहा है.

." जिसका जवाब शन्नो अपने बदन के कप कपाहट से दे रही थी.... मगर फिर चेतन के हाथ चलने बंद हो गये और

शन्नो ने अपनी नज़रो को पीछे करते हुए उसकी तरफ लाचार होकर देखा.... उसकी आँखों से सॉफ झलक

रहा था कि वो अपने बेटे से भीग माँग रही थी कि वो उसके बदन को छुए उसकी जिस्म की प्यास को संतुष्ट करें....

फिर चेतन ने शन्नो के हाथ को प्यार से पकड़ा... अपनी उंगलिओ को उसकी उंगलिओ पर चलता हुआ वो शन्नो के हाथ को

अपनी तरफ ले गया और शन्नो समझ गयी कि वो क्या चाहता है... शन्नो अपने बेटे को खुश करने के लिए अपना सीधा

उसके लंड की तरफ ले गयी और हल्के से उसपे रख दिया... आहिस्ते आहिस्ते उसकी जीन्स पर हाथ उपर नीचे उपर नीचे करती रही....

अब शन्नो के नितंब चेतन के लंड को पूरी तरह महसूस कर रहे थे क्यूंकी दोनो के बदन में कोई अंतर नहीं रह गया था... शन्नो को अगले ही जीन्स की ज़िप खुली मिली और बिना झिझक के उसने अपना हाथ अपने बेटे की जीन्स के अंदर डाल दिया...

शन्नो के लंबे नाख़ून चेतन के लंड पे जब भी चुभते वो बुर्री तरह पागल हुए जा रहा....

अब शन्नो की कमर चेतन के हाथो का जादू फिर से महसूस करने लगी.... शन्नो की गोरी चमड़ी को वो बेदर्दी से

मसले जा रहा और शन्नो अपने मन में सिसकियाँ लिए जा रही थी..... चेतन अपने शन्नो के मोटे मम्मो की तरफ ले

गया और ब्लाउस के उपर से दबाने लगा....
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