RE: non veg story प्यासे दिन और प्यासी रातें
राज के धक्के तो तेज नहीं लग पा रहे थे पर मैंने अपनी रफ़्तार राजधानी एक्सप्रेस जैसी कर दी। दो मिनट के बाद मेरा होने को आया तो मैंने पायल से पूछा- जानू क्या मैं तुम्हारे मुँह में आ जाऊँ या मम्मों पर?
पायल बोली- जहाँ तुम्हारा मन आये वहीं आ जाओ, मैं तो अब तुम दोनों की हूँ!
मैंने अपना लंड निकालकर उसके मुँह में कर दिया, मेरा फव्वारा छूटा तो उसने अपने हाथों से मेरा लंड पकड़ लिया और लोलीपॉप की तरह चूस कर चाट कर साफ़ कर दिया।
उधर राज ने भी अपना माल उसकी चूत में खाली कर दिया।
मैंने पायल को दोबारा होंठों से चिपका लिया और उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी।
उसके मुँह में मेरे वीर्य का स्वाद था।
अब वक़्त हो चुका था मेरे घर जाने का!
अब मेरे और पायल को कोई रोकने वाला नहीं था!
और कोई यानि राज रोकता भी क्यों और कैसे… उसको यह अहसास हो चुका था कि वो अपने खेल में फँस चुका है। अब केवल एक ही रास्ता है कि वो इसे एन्जॉय करे
और अब वो यह कर भी रहा था।
हम लोगों ने यह तय किया कि अब हम लोग हफ्ते में एक बार जरूर मिलेंगे और जोरदार मस्ती होगी।
एक दिन पायल ने मुझे बताया कि अगले दिन उसकी चचेरी बहन कोमल आ रही है और इस बार पायल को कोमल की सेटिंग राज से करनी है तो अगले चार पाँच दिन वो बिजी रहेगी।
कोमल और पायल खूब खुली हुई हैं… दोनों हम उम्र हैं… दोनों सेक्सी हैं… दोनों शादी से पहले लेस्बीयन सेक्स करते हुए हमबिस्तर हो चुकी हैं और आज भी व्हाट्सएप पर एडल्ट्स जोक्स और फोटोज शेयर करती हैं।
पायल का उद्देश्य है कोमल की सेटिंग अपने पति से करवाना जिससे पायल रंगीला से बेधड़क और खुलमखुल्ला प्यार कर सके और उसके पति की भी दूसरी औरत की ख्वाहिश पूरी हो जाए।
सच तो यह था कि व्हाट्सएप पर और मोबाइल पर बातचीत में पायल और कोमल दोनों ही इतनी खुल चुकी थीं कि दोनों एक बार लेस्बियन होकर एक दूसरे से मजे लेना चाहती थीं।
मायके में एकांत ज्यादा नहीं मिल पाता था क्योंकि दिन रात सब लोग साथ होते थे और कोमल की ससुराल मैं संयुक्त परिवार होने से पायल वहाँ नहीं जाना चाहती थी और राज उसे छोड़ता भी नहीं था।
खैर दोनों ने यह तय किया कि कोमल ही पायल के पास आये!
आखिर वो दिन आ ही गया, आज सुबह कोमल को लेने राज और पायल स्टेशन आये हैं।
अब यह कहानी आपको पायल ही सुनाएगी।
आज कोमल को लेने स्टेशन जाना है। ट्रेन सुबह सात बजे आती है तो मै और राज बिना नहाये ही स्टेशन चले आये।
ट्रेन पंद्रह मिनट लेट थी तो हम दोनों ने चाय पी।
राज की बेताबी देखने लायक थी, वो मुझसे कोमल के बारे में इतना सुन चुका था और एक बार मैंने उसे कोमल की शॉर्ट्स में फोटो भी उसे दिखा दी थी तो अब राज अपनी आँखों से देखना चाहता था।
मैंने उसकी बेकरारी देख कर उससे कहा- जानू तुम कोई भी हरकत ऐसी मत कर देना या जल्दीबाजी मत करना जिससे कोमल को शक हो जाए! तुम बस एक शरीफ जीजा बन कर रहना, बाकी मैं कोशिश करुँगी।
ट्रेन आ गई और सेकंड ए सी से कोमल उतरी। कोमल बिल्कुल बदल गई थी, गोरी चिट्टी लम्बी तो वो थी ही!
उसने ट्रैक सूट पहना हुआ था… आते ही उसने मुझे चिपटा लिया और गाल पर चुम्बन किया, राज से उसने हाथ मिलाया और हाय बोला…
मुझे मालूम है राज अब आज तो हाथ धोएगा नहीं!
राज से सब्र नहीं हुआ और वो कह ही बैठा कि हमारा किस कहाँ है?
तो कोमल ने हंस कर कहा- आपके हिस्से का भी पायल को दे दिया… और अलग से चाहिए तो घर पर दे दूँगी।
मैंने राज को आँख दिखाई।
हम घर आ गए। कोमल नीचे माँ बाबूजी के पास बैठ गई और वहीं पर चाय पीने लगी।
मैंने राज को बोला- मैं नाश्ता बनाती हूँ, तुम नहा लो, दुकान के लिए लेट हो जाओगे।
कोमल भी मेरे पास आ गई, मैंने उससे कहा- तुम ऊपर रूम में जाओ, फ्रेश हो लो या कुछ देर सो लो!
तो वो बोली- जीजू को नाश्ता देकर विदा कर… तब ही एक साथ ऊपर चलेंगे।
राज नाश्ता करके दुकान चले गए, मैं रामू से अपना और पायल का नाश्ता ऊपर लाने को बोल कर कोमल का हाथ पकड़कर ऊपर आ गई।
रामू नाश्ता रख कर चला गया।
हालाँकि कमरे मैं ए सी चल रहा था पर कोमल को ट्रैक सूट मैं गर्मी लग रही थी, रामू के जाते ही उसने किवाड़ बंद किये और अपना सूट का टॉप उतार दिया, अन्दर उसने स्पोर्ट्स ब्रा पहनी थी।
मैं उसे देखकर हंस पड़ी कि क्यों गर्मी क्या सिर्फ ऊपर लग रही है?
कोमल पूरी बेशर्म है, उसने लोअर भी उतार दिया अब वो हुस्न की मलिका केवल ब्रा पैंटी मैं थी।
उसने मुझसे पूछा- क्यों, तुझे क्या शर्म आ रही है?
और यह कहते ही वो मुझ पर झपट पड़ी और मुझे भी ब्रा पैंटी में कर दिया।
हम लोगों ने नाश्ता निबटाया, मैं और कोमल ऊपर बिस्तर पर लेट गए।
कोमल मुझसे चिपक गई और दो मिनट बाद ही हम दोनों नंगे चिपकी हुई थी।
आधा घंटा लेटने के बाद मैंने कोमल को चूमते हुए कहा- जा नहा ले!
वो बोली- चल साथ ही नहायेंगे!
इससे पहले हम दोनों ने एक दूसरे की चूत के बाल वीट लगा कर साफ़ किये, फिर हम दोनों बाथरूम में शावर लेने लगी।
मुझे पता नहीं क्या सूझा मैंने कोमल की चूत में उंगली कर दी।
अब तो कोमल की आग भड़क गई, उसने एक खुराफात की, बाथरूम के स्टूल पर खड़ी होकर शावर आगे से खोल लिया।
अब शावर से झरने की बजाय पानी की मोटी धार निकल रही थी।
कोमल अब नीचे फर्श पर लेट गई और अपनी चूत उस पानी की धार के नीचे कर ली। एक मिनट बाद ही उसे पता नहीं क्या हुआ वो कामाग्नि से उछलने लगी और अपने दोनों हाथों से उसने अपनी चूत को पूरा फैला लिया।
उसने अपनी टांगे ऊपर उठा रखी थी, पानी की मोटी धार उसकी चूत में गिर रही थी।
मैं भी ऐसा करना चाहती थी, मैंने कोमल को उठाया और खुद वैसे ही करने लगी।
…ओह माय गॉड… क्या मजा आया… ऐसा लगा कि किसी का मोटा लंड मेरी चूत में टक्कर मार रहा है। मेरे मुख से तो आवाज निकलने लगी।
कोमल ने अपनी चूत मेरे मुख पर रख दी, मैं उसकी चूत चूसने लगी और नीचे मेरी चूत को पानी की मोटी धारा चोद रही थी।
पांच दस मिनट की मस्ती के बाद हम लोग बाथरूम से बाहर आईं, हम दोनों बहुत खुश थी, आज हमारी एक पुरानी इच्छा पूरी हुई थी।
कपड़े पहन कर कोमल नीचे माँ बाबूजी के पास चली गई और मैं रामू को बुलाकर कमरा ठीक करवाने लगी।
इस बीच राज का दो तीन बार फ़ोन आया, मैं उससे गुस्सा हुई कि ज्यादा जल्दबाजी करोगे तो कुछ भी नहीं होगा।
एक फ़ोन रंगीला का भी आया… मेरा मन तो था रंगीला को बुला कर एक बार चुद लूँ… पर अब तो कोमल जब तक है तब तक रंगीला को बुलाना ठीक नहीं!
दोपहर का खाना हम लोगों ने नीचे ही खाया और सोने के लिए हम दोनों ऊपर आ गई, मैं थक रही थी इसलिए लेटते ही सो गई कोमल भी मुझसे चिपक कर सो गई।
लगभग चार बजे हमारी आँख रामू की आवाज से खुली कि माताजी चाय के लिए बुला रहीं हैं।
बाबूजी ने समोसे मंगाए थे।
चाय पीकर कोमल माँ को कह कर मुझे ऊपर ले आई- चल तुझे दिखाऊँ क्या क्या लाई हूँ।
ऊपर उसने अपनी अटैची खोली और नीचे से भानुमती का पिटारा निकालना शुरु किया।
वो मेरे लिए दो नाईट ड्रेस लाई थी, पांच छह ड्रेस वो अपनी भी लाई थी। इसके अलावा भी वो शॉर्ट्स, बरमूडा और पता नहीं क्या क्या ले आई थी जिन्हें केवल कमरे में ही पहना जा सकता था।
उसके पास एक छोटा सा लम्बा पैकेट था, जिसे उसने नहीं खोला और हंस कर बोली- बाद में दिखाऊँगी।
मैंने रामू को आवाज़ देकर कहा कि वो सब्जी काट ले, मैं अभी आती हूँ।
तो माँ ने कहा- तू खाने की चिंता न कर, वो आज रामू बना लेगा, तू आज कोमल के साथ बैठ ले।
कोमल मेरी गोदी में सर रख कर लेट गई और बोली- जीजू कब तक आयेंगे?
मैंने कहा- अभी तो ढाई घंटे हैं।
यह सुन कर कोमल मुझसे बोली- फिर ठीक है, ला मैं तेरी वैक्सिंग कर दूँ।
मुझे याद आया कि कोमल ने ब्यूटिशियन का कोर्स किया है।
कोमल अपने साथ वेक्सिंग स्ट्रिप्स लाई थी, उसने मुझसे कपड़े उतारने को कहा, इस वक्त मुझे झिझक हो रही थी, मैंने बात बदलते हुए कहा- ला आज मैं तेरी वेक्सिंग कर देती हूँ, तू उतर कपड़े।
कोमल बोली- मोटी बदमाशी कर रही है, चल हम दोनों ही उतार देते हैं।
हम दोनों ही ब्रा पैंटी में आ गई।
एक घंटा लग गया हम दोनों को चिकना होने में, इस बीच में ब्रा पैंटी भी उतर चुकी थी और हम दोनों बिल्कुल नंगी थीं। पर शरीर ऐसा हो गया कि अपनी ही नीयत ख़राब होने लगी और वही हुआ।
कोमल मुझे खींच कर मेरी चूत चूसने लगी, मेरी तो हालत खराब होने लगी, मैंने उससे कहा- मुझे भी तेरी चूत चाहिए।
अब हम दोनों 69 पोजीशन में आ गई, एक दूसरे की चूत को चाट रही थी।
दोनों की ही चूत ने पानी छोड़ दिया। हम ऐसे ही पड़ी रहीं।
छह बज गए थे, मैंने कहा- चल नहा लें? थोड़ी देर में राज भी आते होंगे… मुझे मालूम था कि आज ये जल्दी आ जायेंगे।
कोमल मुझ से चिपक गई और बोली- नीतू, वादा कर, तू जीजू को ये सब नहीं बताएगी।
मैंने हंस कर कहा- पागल थोड़े ही हूँ, नहीं बताऊँगी। पर राज है बहुत सेक्सी, उसे सेक्स का बहुत शौक है। और आज उसे मैं नहीं मिलूंगी तो वो परेशान रहेगा, बड़ा मजा आएगा।
कोमल बोली- कोई बात नहीं, आज जीजू हाथ से काम चला लेंगे।
मुझे यह सुन कर हंसी आ गई, मैंने कोमल से पूछा- तुझे ये कैसे मालूम?
तो वो बोली कि जब वो पीरियड्स से होती है तो नीरज तो उसके सामने ही मुठ मार लेते हैं। इसीलिए तीन चार दिन के लिए बड़ी मुश्किल से भेजा है।
मैंने उससे नाराज होकर कहा कि एक हफ्ते से पहले मैं नहीं जाने दूँगी तुझे।
कोमल बोली- एक हफ्ते में तो नीरज किसी न किसी पर चढ़ ही जायेगा।
मैंने कहा- परवाह नहीं, मैं तुझे यहाँ किसी न किसी पर चढ़वा दूँगी।
कोमल बहुत बदमाश हो गई थी, मेरे निप्पल दबा कर बोली- क्यों कुछ सेटिंग है क्या?
अब उससे क्या कहती…. मुझे तो खुद रंगीला से चुदने की पड़ी थी और राज के लिए उसे पटाना था।
मैंने भी हंस कर कह दिया कि कोई सेटिंग वेटइंग नहीं है तेरे जीजू से ही तेरी आग बुझवा दूँगी।
कोमल बोली- धत्त…
पर यह पक्का हो गया था कि कोमल मान जाएगी।
अब कोमल वो पैकेट निकल लाई.. उसमें एक लंड की शेप का रबर का पीस था जिसमें लंड जैसा सुपारा दोनों ओर बना था।
मैंने आँख फाड़ते हुए कहा- कोमल, तू तो न बस अब हाथ से निकल गई है…ये क्या ले आई?
हम दोनों की चूतें चिकनी हो ही रहीं थी।
कोमल ने मुझे धक्का देकर लिटा दिया और उस वाइब्रेटर लंड को मेरी चूत में कर दिया।
बता नहीं सकती कैसा मजा आया… लंड पूरा दीवारों से रगड़ता हुआ अन्दर गया।
कोमल ने अपने हाथ से उसे तेजी से अन्दर बाहर कर के मुझे चोदना शुरू कर दिया। मुझे ऐसा लगा जैसे रंगीला या कोई और मुझे चोद रहा है।
अब कोमल ने मुझे बिठा कर उस लंड का दूसरा सिरा अपनी चूत में कर लिया और अब हम दोनों एक दूसरे को लंड से धक्का देकर चोदने लगी।
बड़ा मजा आ रहा था, हम दोनों ही पागल हो रहे थे और आवाजें निकल रही थी, वो तो ए सी की वजह से रूम बंद था वर्ना आवाज नीचे चली जाती।
अचानक मुझे राज के आने का होश आया और मैं लंड निकलकर बाथरूम में भागी।
मेरे नहाने के बाद कोमल भी नहा ली और हम लोग सूट पहन कर नीचे आ गई।
कोमल और मैं समलिंगी सेक्स का मज़ा लेकर नीचे आई ही थी कि हमारे आने के पांच मिनट बाद ही राज भी आ गए।
वो चाट पकोड़ी लाये थे, हम सबने माँ बाबूजी के पास बैठ कर चाट खाई।
राज ने बाबूजी से पूछ कर पिक्चर का प्रोग्राम बना लिया।
कोमल तो बहुत खुश हो गई।
हम सब ऊपर आ गए तैयार होने के लिए। राज के लिए पहला अवसर था कि उसके कमरे में कोई और लड़की हो… वो कुछ असहज हो रहा था या घबरा रहा था कि कहीं उससे फिर कोई जल्दबाजी न हो जाये।
कोमल यह ताड़ गई… वो बोली- जीजू आप घबराइए नहीं, मैं आपको खा नहीं जाऊँगी, हाँ चख सकती हूँ। और अब तो आप मुझे पिक्चर ले जा रहें हैं तो लाइए आपको चख कर थैंक्स बोल दूँ।
ऐसा कह कर उसने राज को चूम कर के थैंक्स बोल दिया।
राज तो मानो जन्नत में आ गया… अब वो भी खुलने लग गया।
मैंने राज से कहा- हम तो अभी नहाई हैं, तुम नहा कर आओ।
राज के अन्दर जाते ही हम दोनों तैयार होने लगी, हम दोनों ने ही जीन्स और टॉप पहने… हाँ कोमल का टॉप उसके मम्मों पर ज्यादा ही टाइट था।
पिक्चर हॉल मैं हमारी कोने की सीट थीं तो कोमल बोली- जीजू के पास मैं बैठूंगी।
वो राज की बाँहों में बाहें डाल कर बैठ गई…
मुझे लगा कि यहाँ तो मामला अपने आप ही सेट हो रहा है। मैंने एक आध रोमांटिक सीन पर राज के लंड पर हाथ रखना चाहा तो कोमल बदतमीज ने मेरा हाथ हटा दिया कि ठीक से बैठो।
मैं हंस पड़ी।
हम लोग 11 बजे करीब वापिस आये, खाना बना रखा था इसलिए बाहर नहीं खाया था।
कोमल बोली- एक ही थाली लगा कर ऊपर ही ले आओ, तब तक मैं कपड़े बदल लूँ।
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