RE: non veg story प्यासे दिन और प्यासी रातें
एक दिन रंगीला ने घर आकर रेखा को बताया कि उसका एक बचपन का दोस्त जय यहाँ एक इंश्योरेंस कंपनी में ब्रांच हेड बन कर आया है और वो आज उसकी फैक्ट्री आया था।
जय बड़ा जिंदादिल और स्मार्ट बंदा है और रंगीला और जय की स्कूल और बाद में कॉलेज में खूब पटती थी। जय की शादी को भी पांच साल हो गए हैं और उनकी एक बेटी है जो जय की पत्नी प्रीति की मां के पास ही रहती और पढ़ती है।
रेखा ने कहा कि अगर रंगीला चाहे तो जय और प्रीति को खाने पर बुला ले।
रंगीला ने बताया कि अभी ट्रान्सफर के बाद प्रीति आगरा में ही अपनी माँ के पास ही रह रही है… एक महीने बाद आएगी।
आज रंगीला बेड पर मस्त मूड में था… टॉपिक आज सिर्फ जय और उसकी और रंगीला की बदमाशियाँ थीं।
रंगीला ने बताया कि वो और जय साथ साथ पढ़ते समय एक दूसरे का लंड पकड़ लिया करते थे… पॉकेट मनी से डेबोनेयर या प्लेबॉय मैगजीन खरीदते और फोटो देखकर मुठ मारते… वगैरा वगैरा…
जय की एक बात पर रंगीला ने बहुत जोर दिया और रेखा को भी सुन कर अच्छा लगा कि जय का लंड मोटा और लम्बा है।
बताते बताते रंगीला का भी खड़ा हो गया और रेखा भी उत्तेजित हो गई थी।
चुदाई के दौरान रेखा ने रंगीला से कहा कि आज उसका लंड कुछ बदला बदला सा लग रहा है, कहीं उसने अपना लंड जय से बदल तो नहीं लिया।
यह सुन कर रंगीला को और जोश आ गया… वो अपनी स्पीड बढाते हुए बोला- ले आज तू जय से ही चुद ले… वो आज तेरी फाड़ ही देगा…
रेखा ने भी कह दिया- चलो, आज मैं भी टेस्ट बदल कर देख ही लेती हूँ, पायल भाभी तो रोज ही कहती है कि एक से रोज रोज क्या चुदना!
घमासान चुदाई के बाद दोनों एक दूसरे की बाँहों में सो गए।
पर एक सपना जग गया… ग्रुप सेक्स के खेल के नए जोड़ीदारों की लिस्ट में एक नया नाम जुड़ने की तैयारी हो रही थी।
अगले दिन रंगीला का फोन आया कि आज शाम को जय खाने पर आएगा, कुछ अच्छा बना लेना और अच्छा सा कुछ पहन लेना।
रेखा ने पूछा- अच्छा क्या पहनूँ?
तो रंगीला बोला- कुछ मत पहनना…
रेखा बोली- ज्यादा पागलपन मत सोचा करो, हो सकता है जय अब बदल गया हो…
खैर यह तो मजाक था, ऐसे कौन पहली बार में ही कुछ होने जा रहा था।
शाम को रंगीला ने तो नहाकर लुंगी और कुरता पहन लिया, रेखा ने एक लॉन्ग टाइट मिडी पहनी।
रेखा ने देखा कि उसके बूब्स और बम्प्स खूब शेप में दिख रहे हैं।
हाँ एक चीज जो रंगीला ने दिखाई कि उसकी पैंटी लाइन दिख रही थी… रंगीला ने जोर दिया तो रेखा ने पैंटी उतार दी, अब उसके चूतड की गोलाई गजब ढा रही थी।
घंटी बजी, रंगीला ने गेट खोला, जय था… गोरा, लम्बा और हंसमुख… बड़ी बेबाकी से उसने रंगीला को गले लगाया और रेखा से हाथ मिलाया और उसे एक बड़ी चॉकलेट गिफ्ट दी।
क्या जादू था जय में… रेखा को तो शब्द ही नहीं मिल रहे थे, फिर वो संभल कर बोली- बैठिये भाई साहब… बताईये क्या लेंगे… हार्ड ड्रिंक या सॉफ्ट?
जय बैठते हुए बोला- मैंने आपको गले नहीं लगाया, इसका मतलब यह नहीं कि आप मुझे भाई साहब बोलें… मैं और रंगीला कितने खुले हैं, यह मैं समझता हूँ कि आपको रंगीला ने बता दिया होगा अब तक?
रेखा ने कहा- आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि रंगीला ने मुझे क्या क्या बताया होगा। भला कोई अपनी बदमाशियाँ दूसरे को बताता है?
जय बोला- आप भोली न बनें… मैं रंगीला को बहुत अच्छे से जानता हूँ… अगर यह लड़का नहीं होता तो मैं इससे ही शादी करता।
मैंने भी कह दिया- बिना शादी किये ही आप लोगों ने क्या कम मस्ती की थी…
जय हंस पड़ा, बोला- देखिये पकड़ा गया न चोर… अब आप कैसे कह सकती हैं कि रंगीला ने आपको सब कुछ नहीं बताया और रंगीला ने ही क्या कल फोन पर मैंने भी प्रीति को सब कुछ बताया तो वो तो कह रही थी कि चलो अब मेरी जगह रंगीला से ही काम चला लेना जब तक मैं न आऊँ…हम सब हंस पड़े…
आगे की कहानी आप रेखा से ही सुनिए…
मैंने फिर पूछा- बियर लाऊँ या व्हिस्की?
जय बोला- जिसमें आप साथ दें, वो ले आयें।
मैं बियर में ही कम्फर्ट फील कर रही थी तो वही लाई…
इन दोनों ने लार्ज गिलास बनाया और मैंने स्माल!
बियर स्ट्रोंग थी, कुछ तो नशा उसका था और कुछ माहौल बन गया था।
जय और रंगीला के नॉन-वेज जोक्स शुरू हो गए।
जय तो एक बार बोला- रंगीला तुझे नहीं लगता कि अगर रेखा मेरी और तेरी शादी से पहले एक साथ हमें दिखी होती तो हम दोनों ही इससे शादी कर लेते और एक साथ रह लेते…
ऐसे ही हंसी मजाक में खाना खाकर जय जाने को हुआ तो रंगीला बोला- अभी दस ही तो बजे हैं तुझे घर जाकर क्या करना है, रूक कॉफी पीकर जाना।
मैं जब कॉफी बना रही थी तो रंगीला किचन में आया और बोला- कॉफ़ी लेकर तुम जय के पास बैठना।
मैंने पूछा- क्यों?
तो रंगीला बोला- उसका लंड देखना, बाहर आने को तैयार है।
खैर में कॉफ़ी लेकर बाहर आई और अलग ही बैठी।
रंगीला ने मुंह बनाया, मैंने कहा- यहाँ से अच्छा दिखेगा।
जय बोला- क्या अच्छा दिखेगा?
मैंने कहा- आपका नूरानी चेहरा!
जय हंस कर बोला- रंगीला, आज तक जितनी लड़कियों की फोटो देखकर हमने अपने हाथों को तकलीफ दी है, उनमें रेखा सबसे खूबसूरत है।
मैं शरमा गई।
जय ने कहा- अच्छा, अब थोड़ी सीरियस होकर मेरी बात सुनो, मुझे अपनी कंपनी के लिए एक एजेंट चाहिए जो फोन पर ही या कभी कभी मेरे साथ गाड़ी में जाकर क्लाइंट्स से मिले और पालिसी बेचे, इसमें अच्छी कमाई है।
जय चाहता था कि रंगीला या मैं इस काम को कर लें।
रंगीला को प्रपोजल अच्छा लगा, अपने लिए नहीं पर मेरे लिए… क्योंकि बेटे के स्कूल के समय सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक मैं बिल्कुल खाली थी।
यह तय हुआ कि मैं एक दो हफ्ते करके देखती हूँ अगर अच्छा लगा और कर सकी तो करूंगी।
अगले दिन में दस बजे जय के ऑफिस गई।
जय ने मुझे दोपहर तक अपनी पॉलिसीस के बारे में बताया और चलते समय कुछ ब्रोशर्स दिये और कहा कि मैं इन्हें पढूँ।
अगले दिन के लिए यह तय हुआ कि जय मुझे घर से नौ बजे ले लेगा और हम एक क्लाइंट के ऑफिस में मिलेंगे।
रंगीला से पूछा तो उसे कोई एतराज नहीं था।
अगले दिन मैं जीन्स और टॉप मैं जय के साथ गई।
मेरा जाना इतना शुभ हुआ कि हमें दस लाख का बिज़नस मिल गया… जय तो लौटते समय ख़ुशी से पागल था। मैं भी बहुत खुश थी… बहुत अच्छा पैसा कमीशन में मिलेगा मुझे!
जय ने मुझे घर ड्राप किया… वो जाने लगा, मैंने कहा- रुक कर जाना…
मैं और वो लॉक खोल कर अंदर आ गए।
जय ने मेरे हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- तुम बहुत भाग्यशाली हो मेरे लिए!
मैं पता नहीं किन सपनों में खोई थी… कब उससे लिपट गई, कब हमारे होंठ मिल गए… कोई होश नहीं…
होश आया तो अलग हुई।
जय सॉरी बोलते ही बाहर जाने लगा, मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा- सॉरी क्यों? क्या कुछ गलत हो गया… क्या रंगीला की बीवी तुम्हारी दोस्त नहीं हो सकती।
अब तो जय ने मुझे पागलों की तरह लिपट कर चूमना शुरू कर दिया और हमारा यह चूमने का कार्यक्रम सोफे पर बैठते ही ख़त्म हुआ और अब जय के हाथ मेरे टॉप के अंदर थे या यूं कहें कि मेरा टॉप उतार रहे थे… मुझे भी कोई एतराज नहीं था।
जय ने मेरी ब्रा खोल कर मेरे मम्मे चूसने शुरू कर दिये।
हम ज्यादा आगे बढ़ते, तभी रंगीला का फोन आ गया।
मैं संभल कर रंगीला को अपने बिज़नेस के बारे में बताने लगी। और यह भी बता दिया कि जय मुझे छोड़ने घर आये हैं।
रंगीला को बिल्कुल बुरा नहीं लगा, उसने जय को भी मुबारकबाद दी और तय हुआ कि शाम को डिनर बाहर करेंगे।
मगर जो अब चल रहा था वो तूफ़ान इस फोन से थम सा गया, जय कपड़े ठीक करके जाने लगा।
गेट तक पहुंचा ही था कि अचानक मैंने उसे आवाज दी…
वो पलटा तो मैं अपनी जीन्स उतारकर सिर्फ पैंटी में खड़ी थी।
मुझे इस हालत मैं देखकर जय पगलों सा पलटा और अपना ब्रीफकेस सोफे पर पटककर मुझे बेतहाशा चूमने लगा और फिर मुझे गोदी में उठाकर बेड रूम में ले गया।
पांच मिनट बाद हम दोनों बिना कपड़ों के एक दूसरे की बाँहों में थे, मैं उसके लंड को कस के पकड़े थी।
वो नीचे हुआ और मेरी चूत को चूसने लगा।
उसने मेरी टांगों को ऊपर उठाकर अपनी जीभ पूरी मेरी चूत के अंदर कर दी और चूसने लगा।
वो बार बार अपना थोड़ा सा थूक भी मेरी चूत में डाल देता, जिससे मेरी चूत और आस पास का इलाका गीला और चिकना हो गया।
अब उसने अपनी एक उंगली भी मेरी चूत में करनी शुरू कर दी।
मेरा मजा बढ़ रहा था, मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को चौड़ा किया हुआ था और मैं चाह रही थी कि वो और जोर से मेरी चूत की मालिश करे।
मैंने सोचा और उधर अब जय ने अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में अंदर बाहर करनी शुरू कर दी।
मेरे मुल्ह से सीत्कार निकल रही थी, मेरी चूत उसके थूक से लबलबा रही थी।
अब उसने अपनी उंगली से थोडा सा थूक मेरी चूत से खिसका कर मेरी गांड में कर दिया और अपनी एक उंगली से गांड के ऊपर मसलने लगा।
मुझे लगा कि वो गांड को चिकना कर रहा है, मैंने कभी गांड मरवाई नहीं थी, मुझे मालूम भी नहीं था कि गांड भी मरवाई जाती है।
जय ने अचानक मेरे मुंह को अपने होठों से बंद करके मेरी गांड में उंगली कर दी।
मैं दर्द से छटपटाई तो तुरंत जय ने उंगली बाहर कर दी और अब अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रख दिया।
|