RE: non veg story प्यासे दिन और प्यासी रातें
मैंने खूब सोचकर रंगीला को कहा कि जय दस बजे करीब आएगा, कोई नई पॉलिसी है उन को बताने आ रहा है।
रंगीला ने चाय पीते हुए मुस्कुराकर मुझ से कहा- बुरा न मानो तो एक बात कहूँ?
मैंने कहा- रंगीला कैसी बात करते हो, भला तुम्हारी बात का बुरा क्यों मानूंगी।
रंगीला बोला- जय, तुमसे आकर्षित हो रहा है, लोहा गर्म है, चोट कर दो। थोड़ी सी लिफ्ट ज्यादा दे दो, अगले हफ्ते प्रीति भी आ रही है, अगर ये दोनों भी हमारे ग्रुप में आ जायें तो मजा आ जायेगा।
रंगीला ने प्रीति की फोटो देख रखी है, इसलिए वो प्रीति में ज्यादा इंटरस्टेड था।
मैं मुस्कुरा दी, अब उसे क्या बताती कि मैं और जय तो गंगा नहा चुके हैं।
हाँ यह मुझे यकीन था कि जय मेरे को पाने की चाहत में प्रीति को रंगीला से चुदवा देगा।
रंगीला के जाने के कुछ देर में ही जय आ गया, अंदर आते ही हम दोनों के होंठ मिल गए।
आज मैं जान बूझकर जय को चुदाई से दूर रखना चाहती थी।
जय ने जैसे ही मेरे ट्रैक सूट में हाथ डालना चाहा, मैंने कहा- जान आज नहीं, आज मैं छुट्टी पर हूँ।
जय मुस्कुरा दिया। वो सोफे पर बैठ कर नई पॉलिसी निकालने लगा, मैं चाय नाश्ता ले आई…
मुझे मालूम था कि जय कुछ खा के नहीं आया होगा।
जय का मनपसंद नाश्ता था… मैंने जय को एक लम्बा किस दिया और नाश्ता शुरू करने को कहा।
वो बहुत खुश होकर नाश्ता करने लगा।
उसने बताया की उसे मकान मिल गया है और वो आज शाम को आगरा जायेगा प्रीति को लाने, परसों आ जायेगा।
जय मुझे कुछ फोन नंबर और पते दे गया कि मैं इन लोगों से ऑफिस के एक स्टाफ के साथ जाकर मिल लूं और नई पॉलिसीज उन्हें समझा दूं।
जाते समय मैंने जय को हग किया और वादा किया कि मैं उसके लिए हमेशा एक अच्छी दोस्त रहूंगी और उनके संबंधों से प्रीति और जय के संबंधों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
जय ने एक प्रेमी की तरह मुझे जोर से चिपकाते हुए लम्बा किस दिया।
तीसरे दिन सुबह मैंने ही फोन करके जय से पूछा कि आ गए क्या।
उसने बताया कि आधे घंटे में पहुँच जाऊँगा।
मैंने साउथ इंडियन डिश बनाई थी, वो और चाय लेकर मैं और रंगीला जय के घर पहुंचे।
वो लोग अभी आये ही थे।
प्रीति पतली लम्बी सी और बहुत मिलनसार लड़की थी, वो मुझ से गले लगी और बोली- भाभी थैंक्स! आपने जय का बहुत ध्यान रखा… जय तो आपकी और भैया की तारीफ करते रहते हैं।
मैंने कहा- आज के बाद भैया और भाभी मत बोलना… हम सब दोस्त हैं, तुम हमारे नाम ले सकती हो…
हम सबने चाय नाश्ता किया।
रंगीला तो फैक्ट्री चला गया और जय को पीछे के काम की जानकारी दी। फ़िर वो भी ऑफिस चला गया।
अब घर पर मैं और प्रीति थे।
हमने फटाफट उनका सामान अनपैक किया और लगा दिया।
सामान काफी था… लगाते लगाते दोपहर हो गई।
तभी डोर बेल बजी, जय ने बर्गर और कोल्ड ड्रिंक भिजवाए थे।
इस बीच मैं और प्रीति खूब खुल चुके थे।
मेरी और प्रीति की सलवार धुलाई और पोंछा लगाने में गीली हो गई थी।
मैंने प्रीति से कहा- तू कपड़े बदल ले, मेरे तो अभी सूख जायेंगे।
प्रीति ने अपना सूटकेस खोल कर दो नाईट सूट्स निकाल दिये… हम कपड़े चेंज करके बेड पर बैठ कर ही खाने लगी और खाकर वहीं लेट कर गप्पें लगाने लगी।
मेरा मन था कि प्रीति के ज्यादा नजदीक आऊँ, पर फिर मैंने सोचा कि आज नहीं।
चार बजे करीब मैं वापस आने लगी और कपड़े बदल लिए।
मैंने प्रीति को आँख मारकर कहा- आज तो सुहागरात मनेगी!
प्रीति बोली- क्यों?
मैंने कहा- नया मकान, नया बेड… और तुम दोनों इतनी दिनों से मिले भी कहाँ हो…
प्रीति शर्मा के हंस पड़ी… मैंने मौका देखकर प्रीति को होठों पर चूम लिया…
हम दोनों को ही एक सिहरन सी हुई… प्रीति की आवाज थरथरा रही थी… वो हॉट फील कर रही थी… वो बोली- वादा करो हम हमेशा बहुत अच्छे दोस्त रहेंगे।
मैंने उसे अपने से चिपका कर कहा- वादा…
अब उसने अपने होंठ मेरे होठों से चिपका लिए और अपनी जीभ से मेरी जीभ को चाटने लगी।
दो मिनट बाद हम अलग हुए और मैं घर आ गई… प्रीति बहुत अच्छी लगी मुझे और सब कुछ वैसे ही हुआ जैसे मैं चाहती थी…
मुझे भी अब प्रीति को अपना ऐसे ही बनाना है जैसे पायल ने मुझे अपना बनाया। चाहे पायल को मैंने रंगीला दिया, पर पायल का एहसान तो मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूंगी।
अगले दिन सुबह मैंने 10 बजे करीब प्रीति को फोन किया- सुहागरात कैसी रही?
तो वो बोली- अब फोन पर क्या बताऊँ, यहाँ आ जा, कर के बता दूँगी…
प्रीति, जितना मैंने सोचा था, उससे ज्यादा मस्त थी।
मैंने कहा- आज तू आ और अभी आ जा, खाना यहीं खायेंगे…
वो बोली- अभी तो मैं नहाई भी नहीं हूँ!
मैंने कहा- मैं कौन सी नहाई हूँ, आ जा साथ साथ नहायेंगे।
वो बोली- बड़ी बेशर्म है तू?
मैंने कहा- नहाने में क्या बेशर्मी… जो तुझ पर है वही मुझ पर भी है…
वो हंस पड़ी, बोली- आ रही हूँ, पता लिखा…
मैंने उसे अपना पता बताया और फटाफट पाव भाजी बना ली और एक कोल्ड कॉफ़ी की कैन फ्रीजर में रख दी।
मैंने दो फ्रॉक भी निकाल कर रख ली।
बाथरूम को भी साफ़ करके दो फ्रेश टॉवल टांग दिये।
प्रीति आ चुकी थी, आते ही लिपट कर बोली- पहले तो चाय पिला, फिर गप्पें लगायेंगे।
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