RE: Adult kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
विशाल भी दिल का बहुत अच्छा था…….सोनिया के हर मज़ाक और बात का मुस्करा कर जवाब देता….हम रात के 1 बजे तक यूँ ही बातें करते रहे……उसके बाद जब तक नींद ने अपना पूरा असर नही दिखाई तब तक बैठे रहे….लेटते ही नींद आ गयी…..कब सुबह हुई पता ही नही चला…..सुबह नाश्ते के वक़्त अमित भी आ गया…..फिर मेने उसे भी अपने साथ नाश्ते के लिए कहा…….थोड़ी झिझक के साथ वो भी मान गया…….
नाश्ते के बाद विशाल ने कहा “मम्मी अब हमें चलना चाहये”
मेने कहा एक दो दिन रुक जाते तो”
विशाल: नही मम्मी जी काम बहुत है. ……ऊपेर से पापा अकेले है काम संभाल नही पाएँगे…….अगली बार लंबी छुट्टी लेकर आएँगे……पर पहले आप को और सोनिया को हमारे घर आना होगा”
थोड़ी देर और हँसी मज़ाल चलता रहा…….फिर रामा और विशाल अपने घर के लिए चले गये……..
दिन इससे तरह कट रहे थे……सब कुछ नॉर्मल चल रहा था…..अब में अमित पर पूरा यकीन करने लगी थी……और उसने भी कभी मुझे शिकायत मोका नही दिया था………जब उसकी नाइट ड्यूटी होती, तो में कभी बाज़ार कुछ खरीदने के लिए जाती तो सोनिया और अमित दोनो घर पर अकेले होते….पर अक्सर अमित सो रहा होता क्योंकि रात भर जाग कर काम करता था……… मेरे विश्वास भी उस पर बढ़ता जा रहा था…..हर दुख सुख में उसने मेरी बहुत मदद की थी. वो मुझे बहुत ही नेक दिल बच्चा लगता था. वो तो उसे नीता ने अपने चुंगल में फँसा लिया……….नही तो वो ऐसी हरकत भी ना करता…
एक दिन में किसी काम से बाज़ार गये हुई थी, लौटने में बहुत देर हो चुकी थी….जब मेने घर के बाहर पहुँच कर डोरबेल बजाई तो, काफ़ी देर तक गेट नही खुला……..मेने फिर से डोर बेल बजाई पर गेट नही खुला…..जब में तीसरी बार डोर बेल बजाने वाली थी…….तब जाकर गेट खुला……..गेट अमित ने खोला था….
वो मेरे से नज़रे नही मिला रहा था…..गेट खोलने के बाद वो अपने रूम में चला गया……मेने गेट बंद किया, और अपने रूम की तरफ जाने लगी…..जब में उसके रूम के सामने से गुज़री तो, उसके रूम का डोर बंद था…..मेने सोनिया के रूम में देखा तो, सोनिया सो रही थी………मुझे कुछ अजीब सा लगा…..पर मेने ज़्यादा ध्यान नही दिया……
मेने अपने रूम में आ गयी……और बेड पर लेट गयी…..लेटते ही थके होने के कारण मुझे नींद आ गयी….शाम को जब उठी, तो चाइ बना कर किचन से सोनिया और अमित को आवाज़ दी……में चाइ लेकर बरामदे में आ गयी….सोनिया तो उठ कर बाहर आ गयी……..पर अमित शायद अभी तक सो रहा था…….ये सोच कर में उसके रूम के तरफ गयी……….पर अमित रूम में नही था…में जैसे ही पलट कर वापिस जाने लगी तो, मेरा ध्यान बेड के नीचे पड़े ब्लॅक कलर के कपड़े पर गया…..वो क्या चीज़ थी…..जैसे ही मुझे इसका अहसास हुआ……..
मेरे हाथ पैर काँपने लगे……”नही ये नही हो सकता…ये मेरी आँखों का धोका भी हो सकता है” पर फिर भी मन नही माना…..और मेरे काँपते हुए पैर उस बेड की तरफ बढ़ने लगी…..बेड के पास जाकर में नीचे झुकी और उस कपड़े को अपने हाथों में उठा लाया…..मेरे दिल के धड़कने मानो जैसे बंद हो गयी हो…..मुझे यकीन नही हो रहा था…..वो एक ब्लॅक कलर की पैंटी थी..
जिसे पहचानने में मुझे एक पल ना लगा……”ये ये तो सोनिया की पैंटी है” मेरी तो जैसे साँसे ही थम गयी हो….सब कुछ मानो थम सा गया हो…ये ये यहाँ पर कैसे……दोपहर को भी अमित ने बहुत देर बाद डोर खोला था….कही अमित और सोनिया कुछ नही नही ये नही हो सकता…….अमित मेरे साथ ऐसा नही कर सकता…मेने उसे अपने बेटे जैसा माना है……
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