RE: Adult kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
सोनिया मेरे रूम में चली गयी…….में वही उसके रूम में बैठी सोचने लगी कि, क्या जो में कर रही हूँ , वो सही है या ग़लत….पर इन सब सवालों के जवाब मेरे पास भी ना थे….सोनिया करीब 15 मिनिट तक अमित से फोन पर बात करती रही थी…..और जब वो मेरे रूम में आई तो, उसका चेहरा उतरा हुआ था…..उसके आँखें आँसू से भरी हुई थी…..
वो मेरे पास आई, और फिर मेरे गले लग कर रोने लगी…..में उसे चुप कराने की कॉसिश कर रही थी…….पर वो बेसूध रोए जा रही थी….”आख़िर हुआ क्या है बता तो सही….”
सोनिया: (रोते हुए) माँ तुमने तुमने ऐसा क्यों किया मेरे साथ ?
में: क्या हुआ मेने क्या क्या बता तो सही…..
सोनिया: माँ मुझे अमित ने सब बता दिया है…..तुम उससे मिलने जाती थी ना…
सोनिया की बात सुन कर मेरे होश उड़ गये…….मुझे यकीन नही हो रहा था कि, उसने सब सोनिया को बता दिया था….”अर्रे में तो वैसे ही गयी थी उससे मिलने के लिए सच”
सोनिया: (मुझे अपने दूर धकेलते हुए) झूट मत बोलो…..तुम बहुत गंदी हो….अपनी बेटी की उम्र के लड़के के साथ छि…..तुमने मेरा सब कुछ लूट लिया माँ……
में: (में सोनिया के सामने एक दम शर्मिंदा हो गयी) पर उसने कहा क्या ?
सोनिया: अब मुझे सब बताना पड़ेगा क्या….
में कुछ ना बोल पाई, और उसके रूम से बाहर आकर अपने रूम में आ गयी…गुस्से से मेरे हाथ पैर काँपने लगे…..मेने अमित को फोन लगाया.
अमित: हेलो…..
में: हरामजादे आख़िर दिखा ही दी ना तूने अपनी औकात…..
अमित: हेलो तमीज़ से बोलो…….
में: अब तू मुझे तमीज़ सिखाएगा……मेने सोचा था कि, अगर तुम्हारी शादी सोनिया के साथ कर दूं, तो तू शायद सुधर जाए…..पर कुत्ते के पूंछ कभी सीधी नही होती…..में ये भूल गयी थी…क्या कहा तूने सोनिया को…
अमित: मेने क्या कहा..मेने तो सिर्फ़ इतना कहा था कि, हम सुहगरात तीनो साथ मिल कर मनाएँगे…….
में: घिन आती है मुझे तुम्हारी सोच पर……..तुमने एक बार भी सोनिया के बारे में नही सोचा……वो पागलो की तरह तुमसे प्यार करती है…भूखी रह कर जान देने पर तुली हुई थी…….और तू छि……तू तो आदमी के नाम पर भी कलंक है……..
अमित: तो में कॉन सा सोनिया से प्यार नही करता……..में भी तो उससे प्यार करता हूँ…….बस फरक ये है कि, में तुम दोनो से एक जैसा प्यार करता हूँ……अब जो मेरे दिल में है मेने उससे कह दिया…..बाकी तुम लोग सोचो क्या करना है क्या नही करना है…….
में: सही हुआ जो वक़्त रहते तूने अपनी औकात दिखा दी….
अमित: मेरे पास जयदा टाइम नही है तुम सोचो क्या करना है…..
ये कहते हुए उसने फोन रख दिया…..में वही बैठे रोने लगी….पता नही कब दोपहर हुई कब शाम और कब रात…..में और सोनिया अपने अपने कमरो में रोती रही…..करीब 8 बजे मेरे रूम के डोर पर नॉक हुआ, मेने डोर खोला, तो देखा सामने सोनिया खड़ी थी…….उसके हाथ में खाने की प्लेट थी….
सोनिया: माँ खाना खा लो……
में: (अपने आँसू को सॉफ करते हुए) तुमने खा लाया….
सोनिया: नही थोड़ी देर बाद खा लूँगी….
में: अच्छा चल खाना अपने रूम में लेकर चल…साथ में खाना खाते है.
सोनिया प्लेट लेकर अपने रूम में चली गयी…….में बाथरूम में गयी…..और सोचने लगी कि, शायद सोनिया समझ चुकी है, कि अमित उसके लायक नही है…उसकी सच्चाई अब सोनिया की आँखों के सामने आ चुकी थी….मेरे मन का बोझ थोड़ा सा हल्का हुआ….में फ्रेश होकर बाहर आई, और सोनिया के रूम की तरफ जाने लगी. मेरे नज़र मेरे रूम में गयी…..सोनिया फोन पर किसी से बात कर रही थी. में सीधा सोनिया के रूम में चली गयी….
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