Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
07-26-2018, 02:16 PM,
#3
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--3


गतांक से आगे........................

थोड़ी देर उमा की चुचियों से खेलने के बाद चाचू ने उसे ज़मीन

पर कार्पेट पर लीटा दिया फिर उसकी टाँगो को उठा कर अपने कंधों

पर रख ली और खुद उस पर लेट गये. फिर उन्होने अपना हाथ दोनो के

शरीर के बीच कर दिया, वो क्या कर रहे थे ये हम नही देख पाए

लेकिन हन उमा अपनी आँख बंद किए वैसे ही लेटी रही.'

"देवर्जी देर मत करो, फाड़ दो इस हरामज़ादी की कोरी चूत."

चाचू ने उमा को बाहों मे लिया और ज़ोर से अपनी कमर हिलाई.

"ओह्ह मार गयी...." हमने उमा की दर्द भरी चीख सुनी, कछु ने

फिर ज़ोर से अपनी कमर हिलाई. हम सोच रहे थे कि उमा इतनी ज़ोर से

चिल्लाई क्यों? चाचू फिर अपनी कमर हिलाने लगे लेकिन इस बार थोड़ा

ज़ोर ज़ोर से.

मम्मी पापा और शामऊ की नज़रें चाचू की हिलती गंद पर टिकी हुई

थी. हमने पहले कभी ऐसा कुछ देखा नही था इसलिए हम अपनी सांस

रोके सब चुप चाप देखते रहे कि आगे क्या होने वाला है? इतने मे

चाचू ने ज़ोर से अपनी कमर का झटका मारा और एक हुंकार भर उमा के

शरीर पर लेट गये. उमा की आँखे तो बंद थी पर उसका मुँह खुला

था.

हम सोच ही रहे थे कि क्या हुआ कि हमने देखा की चाचू एक बार फिर

अपनी गंद हिला रहे थे. वो ज़ोर ज़ोर से हिला रहे थे कि तभी हम

चौंक पड़े, उमा भी अपनी कमर नीचे से हिला चाचू का साथ दे

रही थी. थोड़ी देर बाद फिर दोनो शांत हो गये, दोनो की साँसे उखड़ी

हुई थी.

"देवर्जी बहोत हो गया अब छोड दो इसे." मम्मी ने कहा.

"भाभी बस एक बार एक बस एक बार और चोदने दो इसे."चाचू ने कहा.

"नही अभी नही, जब ये रात मे तुम्हारे कमरे मे आए तो जितना जी

चाहे इसे चोद लेना." मम्मी ने कहा.

चाचू खड़े हो गये लेकिन उमा उसी तरह अपनी आँख बंद किए कार्पेट

पर लेटी रही.

"तुम्हे क्या लगता है, वो रुक क्यों गये," मेने पूछा.

"मुझे लगता है कि चाचू को चोट लग गयी है, तुमने उनकी नूनी

पर लगे खून को नही देखा." सुमित ने कहा.

"भाभी मज़ा आ गया क्या कसी कसी चूत थी इसकी." चाचू अपनी

नूनी को नॅपकिन से पोंछते हुए बोले.

"मुझे खुशी है कि तुम्हे मज़ा आया देवर्जी," कहकर मम्मी ने अपने

पर्स से एक छोटी से कैंची निकाल ली और उमा की ओर बढ़ी जो

कार्पेट पर लेटी थी.

"अब इसे सज़ा भी तो मिलनी चाहिए?" मम्मी ने कहा.

"अमित और सुमित की मम्मी क्या तुम्हे नही लगता कि तुम इसे पहले ही

काफ़ी सज़ा दे चुकी हो?" पापा ने कहा.

"आप इसे सज़ा कहते हैं? ये तो मज़ा था. अपने देखा नहीं कैसे

अपने चूतड़ उछाल उछाल कर देवर्जी से चुदवा रही थी.

"उमा उठ कर खड़ी हो जाओ?" मम्मी ने आदेश दिया.

उमा ने अपनी आँखे खोली और मम्मी की हाथों मे कैइची देख उनके

पैरों मे गिर पड़ी और माफी माँगने लगी, "मालिकिन मुझे माफ़ कर

दीजिए, आज के बाद आपका हर हुकुम मानूँगी."

"उमा उठ कर खड़ी हो जाओ," मम्मी ने फिर ज़ोर से कहा, लेकिन उमा थी

कि रोए जा रही थी और बार बार मम्मी से माफी माँग रही थी.

"उमा एक तरफ तो तुम मुझसे कह रही हो कि तुम मेरा हर आदेश

मनोगी, और में इतनी देर से तुम्हे खड़ा होने को कह रही हू और

तुम हो कि अभी तक ज़मीन पर ही बैठी हो." मम्मी ने कहा.

मम्मी की बात सुनकर उमा झट से उठ कर खड़ी हो गयी.

"शाबाश, अब ये बताओ तुम्हारे शरीर का कौन सा हिस्सा सुन्दर है

जिसे मैं काट कर ले लेती हूँ, मन तो कर रहा है कि तुम्हारी चूत

की पंखुड़ियों को ही काट दूं, नही तुम्हारी चुचि बहोत बड़ी और

सुन्दर है उसे काट देती हूँ."

मम्मी ने उसके निपल को अपने हाथों मे पकड़ा ही था कि चाचू ज़ोर से

चिल्ला पड़े, "नही भाभी इसकी चुचि नही मुझे बहुत पसंद है

इसकी चुचिया."

"उमा शुक्रिया अदा कर देवर्जी का जो तेरी चुचि बच गयी, पर तुम्हे सज़ा

तो मिलनी ही चाहिए ना. मेने तुम्हारे कान काट देती हूँ."

उमा मम्मी की बात सुनकर चीखने चिल्लाने लगी, लेकिन मम्मी ने उसकी

चीखों पर कोई ध्यान नही दियाया और उसके कान काट कर ही मानी.

हम दोनो से तो देखा ही नही गया, उमा रोए और चिल्लाए जा रही

थी. उसके कानसे काफ़ी खून बह रहा था.

"अब आज से मेरा हुकुम मनोगी कि नही?" मम्मी ने उमा से पूछा.

उमा इस स्थिति मे नही थी कि वो मम्मी की बात का कोई जवाब दे पाती,

वो तो बस दर्द के मारे चिल्ला रहा थी और रोए जा रही थी.

"उमा मेने तुमसे कुछ पूछा है, जवाब दो?" मम्मी ने कहा.

उमा ने धीरे से कहा, "मुझे सुनाई नही दे रहा ज़रा ज़ोर से बोलो.'

मम्मी चिल्लाई.

"हाआँ मालकिन आज के बाद में आपका हर हुकुम मानूँगी..." उमा ने

रोते हुए कहा.

"और अगर इस घर के किसी सदस्य ने तुम्हे अपने कमरे मे बुलाया तो

क्या करोगी?" मम्मी ने पूछा.

"मालकिन में उसके कमरे मे जाउन्गि और उसे वो सब करने दूँगी वो

करना चाहता है." उमा ने जवाब दिया.

"बहुत अच्छा!" मम्मी ने कहा, "ये सबक है सबके लिए जो मेरा हुकुम

नही मानेंगे, खास तौर पर उन दोनो हरामियो के लिए जो खिड़की से

चुप कर सब देख रहे है." मम्मी ने ज़ोर से कहा.

मम्मी की बात सुनकर तो हमारा पेशाब निकलते निकलते बचा. में तो

वहाँ से अपने कमरे मे भाग जाना चाहता था लेकिन सुमित ने मुझे

रोक दिया, "अब सज़ा तो मिलने ही वाली है तो क्यो ना पूरी बात देख

कर जाएँ." सुमित ने कहा.

"शामऊ इसके पहले कि यह मर जाए, इसे डॉक्टर के पास लेजाकर इसकी

दवा करा दो और हां इस कार्पेट को जला दो, सारा कार्पेट इसके खून

से भर गया है." मम्मी ने शामऊ से कहा.

जब शामऊ उमा को लेकर चला गया तो मम्मी ने कहा, "देवर्जी आज

रात जब उमा आपके पास आए तो सबसे पहले इसकी गांद मारना. इसके

चूतड़ बड़े सख़्त हैं आपको बहोत मज़ा आएगा."

"जैसे आप बोले भाभी." चाचू खुश होते हुए बोले. थोड़ी ही देर मे

सब वहाँ से चले गये.

"मुझे लगता है कि मम्मी चाचू का कुछ ज़्यादा ही पक्ष लेती है?"

मेने कहा.

"क्या ऐसा हो सकता है कि मम्मी भी चाचू से चुदवाती हो?" अनु ने

हिचकिचाते पूछा.

"हां हमे भी यही लगता है कि मम्मी और चाचू और का ज़रूर

आपस मे रिश्ता है." सुमित ने कहा.

'तुम्हे ऐसा क्यों लगता है?" मेने पूछा.

"हम इसे साबित तो नही कर सकते है, क्यों कि किसी की हिम्मत नही

है कुछ कहने की लेकिन हमने सुना है कि आधी रात को मम्मी बराबर

चाचू के कमरे मे जाती है." अमित ने कहा.

"क्या पापा को पता है इस बारे मे?" अनु ने पूछा.

"हमे ऐसा लगता है कि पापा को सब कुछ पता है लेकिन वो कहते

कुछ नही.... वैसे भी चोदने के लिए उनके पास चूतो की कमी है

क्या?" सुमित ने कहा.

"क्या तुम्हे लगता है कि जो कुछ चाचू ने किया वो सब सही था, सिर्फ़

अपनी जिमनी खुशी की लिए उन्होने मीना और उमा का कौमार्य छीन

लिया? मैने पूछा.

"नही वो सिर्फ़ जिस्मानी खुशी नही थी चाचू के लिए, चाचू सही मे

उन्दोनो को पसंद करते है. आज बीस साल बाद भी चाचू उन्हे अपने

कमरे मे बूलाते रहते है." सुमित ने कहा.

"उमा की कहानी का एक हिस्सा तो अभी बाकी है." अमित ने कहा. उसकी

सज़ा की खबर चारों तरफ आग की तरह फैल गयी एक हफ्ते बाद एक

आदमी मम्मी से मिलने के लिए आया.

"कौन हो तुम?" मम्मी ने उस आदमी से पूछा.

"मालिकिन मेरा नाम रामू है, में उमा का बाप हूँ." उसने झुकते

हुए कहा था.

"क्या चाहिए तुम्हे?" मम्मी ने पूछा.

"में एक विनांती लेकर आपके पास आया हूँ. उमा की सगाई हमारे

गाओं के एक नौजवान के साथ पक्की हुई थी. जब उसे ये पता चला कि

उमा अब कुँवारी नही रही तो उसने उससे शादी करने से इनकार कर

दिया." रामू ने बताया.

"तो इस विषय मे तुम मुझसे क्या चाहते हो?" मम्मी थोड़ा नर्मी से

बोली.

"मालिकिन में चाहता हूँ कि आप उस नौजवान को हुकुम दें कि वो उमा

से शादी कर ले नही तो गाओं का कोई भी नौजवान उससे शादी नही

करेगा." रामू ने हाथ जोड़ते हुए कहा. मम्मी सोचने लगी.

"उस लड़के को भूल जाओ, वो बेवकूफ़ है जो ऐसे हीरे को ठुकरा रहा

है." मम्मी ने जवाब दिया, "आज से उमा की ज़िम्मेदारी हमारी है. हम

उसकी शादी कराएँगे, साथ मे शादी का हर खर्चा भी करेंगे और

उसके ससुराल वालों को दहेज भी देंगे. जब सब कुछ तय हो जाएगा

हम तुम्हे सूचित कर देंगे, अब तुम जा सकते हो."

"एक महीने के बाद मम्मी ने उमा की शादी शामऊ से करवा दी. शामऊ

भी खुश था कारण उसकी बीवी का देहांत छः महीने पहले ही हुआ

था. उमा भी काफ़ी खुश थी कारण शामऊ ही एक इंसान था जिसने उस

दिन सब कुछ अपनी आँखो से देखा था." अमित ने कहा.

"मुझे तो लगता है कि इस परिवार मे सबको चुदाई का बहोत शौक

है." मेने हंसते हुए कहा.

"हां भगवान ने सेक्स चीज़ ही इतनी सुन्दर बनाई है और हम सब

उसका पूरा मज़ा उठाते है, लेकिन खून के रिश्ते छोड़ कर," सुमित

ने कहा.

"आदि और सूमी अब हमे चलना चाहिए, काफ़ी देर हो चुकी है." अमित

ने कहा.

"अरे अभी थोड़ी देर रूको, तुम दोनो की कहानी तो बाकी है, तुम दोनो

के साथ क्या हुआ?" मेने पूछा.

"घर के लिए चलते है, ये कहानी में तुम दोनो को कार के अंदर

सुनाउन्गा." सुमित ने कहा.

जब हम गाड़ी मे बैठ चुके तो सुमित ने कहना शुरू किया, "जब सब

चले गये तो हम भाग कर अपने कमरे मे आ गये. खाने के समय तक

हम वहीं अपने बिस्तर मे दुब्के रहे. खाने के समय भी मम्मी ने भी

कुछ नही कहा तो हमारी थोड़ी जान मे जान आई."

"शाम के समय हम हमारे कमरे मे थेतो शकुंतला हमारी पुरानी

नौकरानी हमारे कमरे मे आई, "मालकिन आ रही है."

हम घबरा कर पलंग के नीचे छिप गये तभी मम्मी कमरे मे आ

गयी, "तुम दोनो मेरे पास आओ."

फिर उन्होने हमे अपनी गोद मे बिठा लिया और हमारे बालों मे हाथ

फिराते हुए कहा, "मैने तुम दोनो को कमरे मे रहने के लिए कहा था

ना."

हम दोनो ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.

"फिर तुम दोनो ने हमारा कहना क्यों नही माना?" मम्मी ने हमारे

कान ऐन्थ्ते हुए पूछा.

"क्या आप हमारे भी कान काट देंगी," मेने रोते हुए पूछा.

"नही इस बार तो नही लेकिन में जानना चाहूँगी कि तुमने हमारा

कहना क्यों नही माना? मम्मी ने कहा.

अब जबकि हमारे कान काटने वाले नही थे हमारी थोड़ी हिम्मत बढ़

गयी, "वो क्या है ना मम्मी हम वो देखना चाहते थे जो आप नही

चाहती थी क़ी हम देखें." अमित मुस्कुराते हुए बोला.

मम्मी भी ज़ोर से हंस दी.

"शकुंतला इन बदमाशों को आज खाना मत देना," मम्मी ने कहा "इस

बार तो में तुम दोनो को छोड़ रही हूँ हां अगर अगली बार मेरा कहना

नही माना तो याद रखना में तुम्हारी छोटी मुनिया काट दूँगी

समझे." मम्मी ने डाँटते हुए कहा.

"जी मम्मीजी." हमने कहा.

"क्या तुम दोनो ने ऐसी ग़लती की भविष्य मे," मैने सहेजता से पूछा.

"अमित ने नही की, इसकी मुनिया सही सलामत है," अनु बोल पड़ी.

"और मेने भी नही की, " सुमित हंसते हुए बोला, "और इस बात की

गवाह सूमी है."

हम चारों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे, मेने तो शरम के मारे अपना

चेहरा हाथों मे छुपा लिया.

जब दूसरे दिन में और अनु अकेले थे तो मेने कहा, "अनु क्या

ससुराल पाई है हमने, यहाँ तो सब एक दूसरे को चोद्ते है."

"क्या पापा और चाचू भी हमे चोदेन्गे?"अनु ने पूछा.

"ऐसा होगा मुझे लगता तो नही, दोनो हमे बेटियों की तरह मानते

है, फिर सुमित ने कहा भी तो वो कि वो खून के रिश्तों को मानते

है." मेने कहा.

"काश ऐसा हो जाए.... में तो चाचू का बड़ा और मोटा लंड देखना

चाहूँगी." अनु ने कहा.

"में खुद ऐसा चाहती हूँ पर हम कर भी क्या सकते है?" मेने

जवाब दिया.

एक हफ़्ता और फार्म हाउस पर बीतने के बाद, पापा ने दोनो जुड़वा

भाइयों को सहर जाकर बिज़्नेस संभालने को कहा..

मोना और रीमा हमारे साथ सहर जाएँगी ऐसा मम्मी ने कहा था.

दूसरे दिन हमने अपना सामान बाँध लिया और जाने के लिए तय्यार हो

गये.

"मेरी बच्चियो, मुझे तुम दोनो की बहोत याद आएगी.' मम्मी ने हमे

गले लगाते हुए कहा. "पर शादी का सबसे बड़ा सुख यहीहै कि अपने

पति की बात मानना और उनकी सेवा करना."

"हां मम्मीजी" हमने धीरे से कहा.

फिर मम्मी ने दोनो नौकरानियों को अपने पास बुलाया, "में तुम दोनो

को कोई सहर घूमने के लिए नही भेज रही हूँ, मेहनत और मन

लगाकर अपनी मालकिन की सेवा करना, और इन्हे कोई भी शिकायत का

मौका नही देना."

हम सब सहर की ओर रवाना हो गये. शाम को तीन बजे हम हम

सहर के हमारे बंग्लॉ मे पहुँच गये. फार्म हाउस के मकान की तरहये

मकान भी पूर तरह से बना हुआ था और काफ़ी बड़ा और सुन्दर भी था.

मकान पर भानु मोना का बाप हमारा फूलों के हार लेकर इंतेज़ार

कर रहा था. वो इतना खुश था कि उसे समझ मे ही नही आ रहा था

कि वो क्या करे.

"मालिकिन आप यहाँ बैठिए... नही यहाँ बैठिए... में आपके

लिए चाइ लाउ नही में शरबत लाता हूँ आप थक गयी होंगी... " वो

इसी तरह पूछता रहा.

आख़िर अमित ने कहा, "भानु हम सब ने रास्ते मे खाना खा लिया है

तुम सिर्फ़ स्ट्रॉंग कोफ़ी बना के ले आओ."

"जी अभी लाया मालिक." कहकर वो रसोई घर मे चला गया.

दस मिनिट बाद वो एक ट्रे मे कोफ़ी और कुछ बुस्कुत लेकर लौटा.

"भानु कोफ़ी हम ले लेंगे तुम अपना समान बांधो तुम्हे मम्मी के पास

जाना है." सुमित ने कहा.

"में फार्म हाउस चला जाउ," भानु ने चौंकते हुए कहा, "फिर आप

सबका ख़याल कौन रखेगा?"

"मोना और रीमा, वो दोनो पीछे समान के साथ आ रही है." अमित ने

कहा.

"वो दोनो यहीं रहेंगी," भानु ने पूछा, "क्या मालकिन जानती है."

"हां और उन्होने ही तो भेजा है उन्हे हमारी देखभाल के लिए,"

मेने कहा.

भानु बड़बड़ाते हुए वहाँ से चला गया, "मालिकिन पागल हो गयी है

जो दोनो को यहाँ भेज दिया.. पहले तो मुझे शक़ था कि वो बुढ़िया

पागल है लेकिन आज यकीन हो गया."

वो इतनी ज़ोर से बड़बड़ाया था कि हम सभी ने उसकी बड़बड़ाहट सुन ली

थी. मेने अमित और सुमित की ओर देखा, "ये बुड्ढे और पुराने लोग भी

कभी कभी एक बोझ होते हैं, लेकिन झेलना पड़ता है...." अमित ने

अपने कंधे उचकाते हुए कहा.

जब तक हम कोफ़ी ख़तम करते दोनो नौकरानिया समान के साथ आ

गयी. हम सब स्मान अंदर कमरे मे ले जाने लगे, "भानु ड्राइवर को

कुछ चाइ नाश्ता दे दो. अमित ने कहा.

जब भानु जाने के लिए तय्यार हो गया तो बोला, "मालिक क्या में दोनो

लड़कियों से बात कर सकता हूँ."

"अरे इसमे पूछने की क्या बात है हां कर लो." सुमित ने कहा.

थोड़ी देर बाद मेने मोना से पूछा, "वो भानु तुम पर गुस्सा क्यों हो

रहा था? मेने पूछा.

"नही दीदी वो गुस्सा नही हो रहे थे." मोना ने जवाब दिया.

"लेकिन मेने उसे तुम पर चिल्लाते हुए सुना था," मैने कहा.

"दीदी वो क्या है ना हर बाप अपनी लड़की को छोड़ कर जाते समय

थोड़ा भावक हो जाता है, जाने दीजिए ना अगर उसकी किसी बात से

तकलीफ़ हुई हो तो में आपसे माफी मांगती हूँ." मोना ने कहा.

वैसे मेने और अनु ने कभी अकेले घर नही संभाला था लेकिन

दोनो नौकरानियों की वजह से हमे कोई तकलीफ़ नही हुई.

दो हफ्ते बाद एक दिन सुबह जब हमारे पति ऑफीस जाने के लिए

तयार थे कि अमित बोला, "आप दोनो ज़रा स्टडी रूम मे आइए हम दोनो

को आप दोनो से कुछ कहना है."

जब हम सब कुर्सियों पर बैठ गये तो अनु ने पूछा, "ऐसी क्या

ज़रूरी बात है कि आप दोनो शाम तक भी नही रुक सके?"

"हम दोनो ने आप दोनो को तलाक़ देने का फ़ैसला किया है," दोनो साथ

साथ बोले तो में और अनु चौंक पड़े.

क्या?" अनु ज़ोर से चिल्लई.

"क्या में जान सकती हूँ क्यों?" मेने धीरे से पूछा.

"इसलिए कि जब हम दोनो की तुम दोनो से शादी हुई थी तब तुम दोनो

कुँवारी नही थी." अमित ने कहा.

"हां तुम दोनो की चूत मे झिल्ली का नामो निशान भी नही था, तुम

दोनो ने काफ़ी चुदवाया है शादी के पहले." सुमित ने कहा.

क्या अमित और सुमित ने अनु और सूमी को तलाक़ दिया अगर नही तो फिर

उन दोनो के साथ क्या किया........ ये सब जानने के लिए पढ़िए मर्दों

की दुनिया
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया - by sexstories - 07-26-2018, 02:16 PM

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