Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
07-26-2018, 02:18 PM,
#7
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--6

"सुमित ये अब कौन सी नई शर्त रखना चाहते हो?" मेने खीजते हुए

पूछा.

"हमारी शर्त सिर्फ़ इतनी सी है कि जिस तरह जीजू और जीजाजी ने तुम

दोनो को चोदा है, वैसे ही में और सुमित भी तुम दोनो को चोदना

चाहेंगे." अमित ने मुस्कुराते हुए कहा.

मेने पहले अमित की ओर देखा वो मंद मंद मुस्कुरा रहा था, फिर

मेने अनु की ओर देखा की शायद वो कुछ कहना चाहती हो लेकिन उसके

चेहरे से तो ऐसा लग रहा था जैसे की उसे मन माँगी मुराद मिल गयी

हो, फिर में कौन होती थी मना करने वाली, "ठीक है मुझे मंजूर

है," ये तो कभी ना कभी होना ही था, मेने सोचते हुए कहा.

"ओह्ह्ह अनु, में हमेशा सोचा करता था कि क्या में अपने दोनो हाथो

से भी तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चुचियों को पकड़ पाउन्गा कि नही,"

सुमित ये कहते हुए अनु की ओर बढ़ा, "आज में ज़रूर पकड़ कर

देखना चाहूँगा."

"मेने कब मना किया है, पहले कहते तो पहले पकड़ा देती..." कहकर

अनु ने अपनी नाइटी उतार दी, और सुमित उसकी चुचियों को हाथो मे

पकड़ मसल्ने लगा.

"ओह्ह सुमित ज़रा " अनु सिसक पड़ी.

सुमित ने अपना पयज़ामा उतार दिया और अनु को बिस्तर पर धकेलते हुए

बोला, "ओह्ह क्या मस्त चुचियाँ है... चलो चुदाई करते है.'

"हां सुमित में भी कब से तरस रही थी आज के दिन के लिए," अनु

ने कहा.

अमित चुप चाप बैठा उन दोनो को देख रहा था, में इनसे पीछे

नही रहना चाहती थी.

"अमित मेरी चुचियाँ अनु जितनी बड़ी और भारी नही है, लेकिन फिर

भी अच्छी है तुम्हे मज़ा आएगा.' मेने अपनी नाइटी उतार उसकी ओर

बढ़ते हुए कहा.

"हां सूमी में भी तुम्हारी इन चुचियों से खेलना चाहता था," अमित

ने अपना पयज़ामा उतारते हुए कहा. उसका लंड पूरी तरह तन कर खड़ा

था.

उस रात अमित ने मुझे कई बार चोदा और सोने से पहले तो उसने मेरी

गंद भी मारी.

हमेशा की तरह मोना सुबह की चाइ लेकर कमरे मे आई तो हम

चारों को एक साथ बिस्तर मे देख जोरों से हँसने लगी और ज़ोर से

चिल्लाई, "रीमा चाइ यहीं ले आओ ये चारों यहीं इस कमरे मे है."

रीमा चाइ की ट्रे लिए कमरे मे आई और हमे देख झेंप गयी. वो

दोनो चाइ की ट्रे रख कर जाने लगी, "तुम दोनो कहाँ जा रही हो?"

मेने पूछा.

दोनो रुक कर मेरी तरफ देखने लगी, "कल रात तुम्हारे छोटे मालिक

ने कहा था कि तुम दोनो की चूत बहोत प्यारी है, हम देखना चाहते

है तुम्हारी प्यारी चूत को, अपने कपड़े उतारो?" मेने कहा.

दोनो चुप चाप खड़ी रही, उनकी समझ मे नही आ रहा था कि क्या

करें.

"तुम दोनो ने सुना नही दीदी क्या कह रही है, चलो कपड़े उतार कर

नंगी हो जाओ." अनु ने कहा.

जब दोनो कपड़े उतार कर नंगी हो गयी तो मेने अनु से कहा, "अनु

क्या ख़याल है अगर हमारी चूत को सुबह का नाश्ता मिल जाए?"

"हां सूमी मज़ा आ जाएगा," कहकर वो बिस्तर पर अपनी टाँगे फैलाते

हुए लेट गयी.

"चलो लड़कियों शुरू हो जाओ.... आज से पहले तुम दोनो ने मलाई से

भरी चूत नही चूसी होगी," मैने अपनी टाँगे फैला चूत को

खोलते हुए कहा.

"मोना आज तुम मेरी चूत चूसो," अनु अपनी चूत की ओर इशारा करते

हुए बोली.

किसी अग्यकारी बच्चो की तरह दोनो हमारी टांगो के बीच आ गयी

और अपने चूतड़ हवा मे उठाते हुए हमारी चूत चूसने लगी.

"ओह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है...." सिसकते हुए मेने अपने बगल

में देखा कि अमित और सुमित आँख फाडे मोना और रीमा को हम दोनो

को चूत चूस्ते हुए देख रहे थे.

"तुम दोनो कल रात मोना और रीमा की चूत चोदना चाहते थे ना तो

इससे बेहतर मौका कहाँ मिलेगा. क्यों ना तुम दोनो अपने लंड को पीछे

से इनकी चूत मे डाल दो? मेने कहा.

"हां अभी लो," खुशी से उछलते हुए दोनो मोना और रीमा की पीछे

आ गये. सुमित ने नीचे से रीमा की चुचियों को पकड़ा और एक ही

धक्के मे अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया. अमित भी पीछे नही

रहा और उसने अपना लंड मोना की चूत मे डाल उसे चोदने लगा.

अमित और सुमित इस तरह रीमा और मोना की चूत मारने लगे जैसे कि

उन्हे फिर कभी उनकी चूत मारने का मौका ही नही मिलेगा.

"ऑश..आआहह" जैसे ही सुमित का लंड रीमा की चूत मे घूसा वो

सिसक पड़ी," ऑश कितना अक्चा लग रहा है"

"तो लड़कियों मज़ा आ रहा है ना?" अनु ने पूछा.

"हां दीदी बहुत मज़ा आ रहा है.... बहुत दीनो के बाद लंड मिला

है ना.......ओह्ह्ह हेयेयन" दोनो सिसकते हुए बोली.

दस मिनिट के बाद हम चारों झाड़ गये. मोना और रीमा ने अपनी

जगह बदल ली, और फिर से चुदाई करने लगी.

"अमित क्या कहते हो फिर से तीन तक गिनती हो जाय?" सुमित ने कहा.

"हां भाई क्यों नही.... ये लो एक.. दो.... तीन."अमित ने गिनती शुरू

की और तीन की गीनती पर दोनो लड़कियाँ चिल्ला उठी.

"अरे क्या हुआ? क्या ये दोनो तुम्हे तकलीफ़ दे रहे है,?" मेने मोना के

बालो मे हाथ फिराते हुए पूछा.

"नही दीदी, सुमित सर ने अपना लंड मेरी गंद मे घुसेड दिया था..."

मोना ने बताया.

"अमित सर भी मेरी गंद मार रहे है," रीमा ने भी कहा.

"लॉडा गंद मे अंदर बाहर होता है तो बहोत अच्छा लगता है हैं

ना?" अनु ने हंसते हुए कहा.

दोनो ने अपनी गर्दन हिलाते हुए हम दोनो की चूत चूसने लगी.

जब हम चारों एक बार फिर झाड़ गये तो अमित ने कहा, "भाई में तो

थक गया हूँ, क्यों ना कुछ चाइ नाश्ता हो जाए"

मोना और रीमा किचन मे जाकर चाइ और नाश्ता ले आए.

"चलो एक बार और हो जाए," अनु ने कहा, "लेकिन इस बार में रीमा की

चूत चूसोंगी और सूमी मोना की......."

"सॉरी देवियों, आभी नही, अभी हमारी एक ज़रूरी मीटिंग है 10.00

बजे," सुमित अनु की चुचियों को मसल्ते हुए बोला, "रात को फिर

यहीं से शुरुआत करेंगे."

"कोई बात नही चलो साथ मे सब स्नान करते है." अनु ने कहा.

लेकिन हमारे कमरे का शवर इतना बड़ा नही था कि हम छः जने

साथ मे नहा सकते इसलिए दो टीम बनी, सुमित में और मोना एक टीम

मे और अमित अनु और रीमा दूसरी टीम मे.

जब हम तीनो साथ साथ नहा चुके तो मोना बोली, "सर में आपका

लंड चूस्ति हूँ, कितने दिन हो गये लंड चूसे हुए?"

"शौक से मेरी जान," कहकर सुमित ने अपना लंड मोना के मुँह मे दे

दिया.

मोना को तो जैसे मन की मुराद मिल गयी वो जोरों से सुमित के लंड को

अपने मुँह मे ले चूसने लगी.

"ओह्ह्ह हा चूसो और ज़ोर से चूसो," सुमित बड़बड़ाने लगा,

फिर मेरे हाथों को उसकी चूत पर रखते हुए बोला, "इसकी चूत मे

उंगल करो."

मेने अपनी उंगली मोना की चूत मे डाल उसे चोदने लगी तभी सुमित ने

अपनी दो उंगली मेरी गंद मे डाल दी.

'ओह्ह्ह सुमित अयाया हाआँ और अंदर तक डाल दो ओह्ह.' मे भी

सिसक पड़ी.

* * * * * * * * * * * *

उसी दिन सुबह 11.00 बजे के करीब मेने अपनी बेहन सीमा को फोन

किया. थोड़ी देर हाल चाल पूछने के बाद मेने कहा, " दीदी, क्या

माला दीदी आपके साथ है?"

"नही बोलो क्या बात है?" सीमा दीदी ने कहा.

"हमे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है, क्या आप उन्हे बुला सकती

है... में बाद मे फोन करूँगी." मेने कहा.

"हां मे बुला सकती हूँ, लेकिन बात क्या है वो तो बताओ? सीमा दीदी

ज़ोर देते हुए बोली.

"नही, जब आप दोनो साथ मे होंगी तभी बताउन्गि." मेने कहा.

सीमा दीदी ने काफ़ी ज़िद की लेकिन में भी अपनी बात पर आडी रही,

आख़िर उन्होने कहा, "ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी. एक घंटे के बाद

फोन करना तब तक में उसे बुला कर रखती हूँ."

एक घंटे के बाद मेने फोन लगाया, "माला दीदी है," मेने पूछा.

"हां सूमी में माला ही बोल रही हूँ," माला दीदी ने जवाब दिया, "अब

जल्दी से बताओ क्या बात हैहम काफ़ी परेशान है."

"ख़ास बात ये है कि अमित और सुमित हम दोनो को तलाक़ देना चाहते

है." मैने कहा.

"क्या कहा....." दोनो चिल्ला उठी... "पर क्यों?

"उन्हे पता चल गया कि शादी के वक़्त हम दोनो कुँवारी नही थी."

मेने कहा.

"पर शादी के एक महीने बाद क्यों? माला दीदी ने पूछा, उन्हे अब भी

विश्वास नही हो रहा था.

"जैसा हमने बताया था तुम दोनो को सब बातों से इनकार कर देना

चाहिए था." सीमा दीदी ने माला दीदी से फोन लेकर कहा.

"हमने सब वैसे ही किया था लेकिन फिर भी उन्हे पता चल गया."

मेने कहा.

तभी अनु मुझसे फोन माँगने लगी,, लेकिन में जानती थी कि वो क्या

कहेगी इसलिए मेने उसे फोन नही दिया.

"सवाल ही नही उठता कि उन्हे पता चल जाए, ज़रूर तुम दोनो ने

कबूल कर लिया होगा." सीमा दीदी ने कहा

"क्या तुम दोनो ने कबूल किया?" माला दीदी ने पूछा.

इसके पहले कि में कोई जवाब देती अनु ने मेरे हाथों से फोन छीन

लिया और ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली, "हां दीदी मेने सब बता दिया...

मेरा दिमाग़ खराब हो गया था ...." और वो रोने लगी.

"अनु प्लीज़ मत रोव.... इसमे तुम्हारी क्या ग़लती थी.." मेने उसे चुप

करने की कोशिश की.

"अनुराधा अब रोना बंद करो..." माला दीदी ने कहा, "ये कोई रोने का

समय नही है... जो होना था सो हो गया.." माला दीदी ने कहा.

"हां माला सही कह रही है.." सीमा दीदी ने कहा, "अब तो हमे ये

सोचना है कि इस समस्या का हल कैसे निकाला जाए."

"तलाक़ की करवाही वो दोनो कब शुरू करना चाहते है? माला दीदी ने

पूछा.

"दीदी में कुछ और भी कहना चाहती हूँ आप दोनो से?" मेने थोड़ा

डरते हुए कहा.

"सूमी ये पहेलियाँ मत बुझाओ." माला दीदी थोड़ा झल्लाते हुए

बोली, "जो कुछ कहना है साथ मे कहो ये टुकड़ों मे बाँट कर मत

कहो?"

"उन्होने दो शर्तें रखी है, " मेने कहा, "अगर ये दोनो शर्तें

पूरी हो गयी तो वो हमे तलाक़ नही देंगे."

"ठीक है, और वो शर्तें क्या है? माला दीदी ने शांत रहते हुए

पूछा.

"पहली शर्त तो ये है को वो दोनो आप दोनो को चोदना चाहते है,"

मुझे तो लगा था कि मेरी ये बात सुनकर वो चिल्ला पड़ेंगी लेकिन

ऐसा कुछ नही हुआ और दीदी ने पूछा, "और दूसरी शर्त क्या है?

"वो चाहते है कि जीजू और जीजाजी उनके लिए दो कुँवारी चूत का

इंतेज़ाम करें हमारी चूत के बदले मे जो इनका हक़ था लेकिन उन्होने

ले ली," मेने हिक्किचाते हुए कहा.

थोड़ी देर दूसरे तरफ फोन पर शांति रही.

"पहली शर्त मे तो कोई परेशानी नही है हां लेकिन दूसरी मे

थोड़ी तकलीफ़ हो सकती है." सीमा दीदी ने कहा.

"थोड़ी तकलीफ़ हो सकती है लेकिन नामुमकिन नही है." माला दीदी ने

बीच मे बोली.

"हाई दीदी क्या आप उन दोनो से चुद-वाउन्गि?" अनु लगभग चौंकते हुए

बोली.

"भाई, इसमे बुराई भी क्या है? क़ायदे से जब हमारे पति उनकी बीवियों

को चोद सकते है तो वो उनकी बीवियों को क्यों नही चोद सकते? सीमा

दीदी ने कहा.

"दीदी पता है जब हमने उनकी बात का विरोध किया था तो उन्होने भी

हमे यही कहा था." अनु ने कहा.

"समाझधार बच्चे है." माला दीदी हंस दी.

"अब तुम दोनो चुप रहो," सीमा दीदी ने कहा, "मेरे पास एक उपाय है,

उन्हे कुँवारी चूत चोदने के लिए चाहिए ना. तो ठीक है तुम दोनो

उनसे अपनी नौकरानियों मोना और रीमा को चुदवा दो."

"हमने भी यही सोचा था और जब हमने उनसे ये बात कही तो वो

हमारे मुँह पर हँसने लगे." मेने कहा, वो तो उन दोनो की कुँवारी

चूत कई महीने पहले ही चोद चुके है, अब तो और कोई रास्ता ही

निकालना पड़ेगा."

"अभी तो हमारी समझ मे कुछ भी नही आ रहा और हमारा दिमाग़

भी काम नही कर रहा," सीमा दीदी ने कहा, "लेकिन तुम दोनो हिम्मत

मत हारना हम दोनो कुछ ना कुछ करेंगे उनकी दूसरी शर्त पूरी करने

के लिए."

"तुम दोनो घबराना मत, पहले हमे अजय और विजय से बात कर लेने

दो," माला दीदी ने कहा, "हो सकता है कुछ समय लग जाए शायद

महीना भर भी पर हम हल निकाल कर रहेंगे इसलिए परेशान मत

होना."

"थॅंक यू दीदी," मैने कहा, "मुझे पता था कि आप हमारी मदद

ज़रूर करेंगी." कह कर मेने फोन रख दिया.

"ओह्ह्ह सूमी में बहोत खुश हूँ कि हमारी बहने हमारा साथ दे रही

है." अनु मुझसे गले लगाते हुए बोली.

हर रोज़ की तरह शाम को सात बजे अमित और सुमित ऑफीस से घर

आए. चाइ पीते हुए मेने उन्हे अपनी बहनो से हुई बात के बारे मे

बताया."

"हम जानते हैं कि दूसरी शर्त पूरा करना इतना आसान नही है,"

अमित ने कहा, "अगर उन्हे समय चाहये तो ले सकती है लेकिन एक हद

तक."

थोड़ी देर बाद हम खाने के लिए तय्यार थे, "मोना टेबल पर चार

लोगों का खाना लगा दो." मेने मोना को आवाज़ देते हुए कहा.

"हां दीदी" उसने जवाब दिया.

"चार लोगों का खाना समझ ने नही आया?" सुमित ने पूछा.

"क्यों क्या हुआ," मेने कहा, "अगर वो दोनो हमारे साथ बिस्तर मे सो

सकती है, हमारे पति से चुदवा सकती हैं तो क्या साथ बैठ कर

खाना नही खा सकती."

"तुम सही कहती हो, मेने माफी माँगता हूँ." सुमित ने कहा.

"दीदी खाना लग गया है," थोड़ी देर बाद मोना की आवाज़ आई.

"तुम दोनो आगे चलो हम थोड़ी देर मे आते हैं." मेने अमित और

सुमित से कहा.

करीब डूस मिनिट के बाद हम दोनो पूरी तरह नंगी उनके सामने खाने

के टेबल पर थे.

"वुव क्या बात है?" अमित और सुमित दोनो साथ साथ कह उठे.

"अनु तुम यहाँ मेरे पास बैठो." सुमित ने अपनी पास की कुर्सी की

इसरा करते हुए अनु से कहा, जहाँ मे रोज़ बैठा करती थी.

थोड़ी देर मे मोना और रीमा भी बिल्कुल नंगी खाना लेकर आ गयी.

"ओह्ह आज तो लगता है कि ये सब हम पर मेहरबान है," अमित ने मोना

को अपनी और खींचते हुए कहा.

"अमित लगता है कि हमे भी इनके जैसे हो जाना चाहिए." सुमित ने

खड़े हो अपने कपड़े उतारते हुए कहा. थोड़ी देर मे दोनो हमारी तरह

पूरी तरह नंगे हो गये.

"अब हुई मर्दों वाली बात," कहकर मेने अमित का खड़ा लंड अपने हाथ

मे पकड़ लिया.

"इससे अच्छा खाना हमने पहले कभी नही खाया," अमित ने कहा, "अब

खाने के बाद की हमारी मिठाई कहाँ है?'

"मिठाई मे तुम हमारी चूत चूस सकते हो" अनु ने हंसते हुए

कहा. "तुम्हारे सामने चार चार फ्लेवर की चूत है, उनमे से तुम

कोई भी फ्लेवर पसंद कर सकते हो.

"वो तो हम बाद मे भी खा सकते है, फिलहाल मीठे मे क्या है?"

सुमित ने पूछा.

मोना और रीमा उठी और किचन से दो कटोरे लेकर लौटी, "अभी के

लिए खीर है" मेने कहा.

"वाउ खीर तो मुझे बहो पसंद है." सुमित ने खुश होते हुए कहा.

"सर मेने उसी तरह बनाई है जैसे कि आपको पसंद है." मोना ने

कहा.

"बहुत अच्छा." सुमित ने कहा.

"भाई क्यों इन लड़कियों को भी आज खीर एक शाही अंदाज़ मे खिला दी

जाए." अमित ने अपनी कुर्सी पीछे करते हुए कहा.

"हां ये ठीक रहेगा," कहकर सुमित ने भी अपनी कुर्सी पीछे कर

दी, "अनु और मोना तुम दोनो मेरी टाँगो के बीच घुटनो के बल बैठ

जाओ और सूमी और रीमा तुम दोनो अमित की टाँगों के बीच."

फिर वो अपने लंड को खीर के कटोरे मे डुबोते और हमे चूसने के

लिए दे देते. हम चारों खीर मे डूबे उनके लड को चूसने लगे.

थोड़ी देर बाद उनके लंड ने पानी छोड़ दिया जिसे हम चारों पी गये.

"अब हमारी बारी है खीर खाने की" अमित ने खीर के कटोरे उठाते

हुए कहा, "लेकिन हम बेडरूम मे खाएँगे."

जब हम सब बेडरूम मे आ गये तो अमित ने मुझे और मोना को बिस्तर

पर लेटने को कहा, जब में और मोना लेट गये तो बिस्तर की दूसरे

कौने पर अनु और रीमा भी लेट गयी.

फिर अमित और सुमित ने ठंडी खीर की एक चमच भर हम सभी की

चूत के अंदर डाल अपनी जीब निकाल उसे चाटने लगे.

"ओह अनु ठंडी खीर का स्पर्श और उपर से इनकी जीएब, ऑश

कितना अक्चा लग रहा है...." में उन्माद मे सिसक पड़ी.

कमरे मे हम चारों की सिसकियाँ गूँज रही थी.

"ऑश अमित अब नही सहा जाता अपना मुँह हटा लो नही तो इस खीर के

साथ मे कुछ और भी मिला दूँगी," मेने सिसकते हुए कहा.

"मना किसने किया है, मिला दो अछा है एक नई खीर खाने को मिल

जाएगी," कहकर अमित और जोरों से मेरी चूत चूसने लगा.

कटोरे मे खीर ख़तम होने तक हम चारों की चूत कई बार पानी

छोड़ चुकी थी.

"अब हम क्या करें?" सुमित ने अपने होठों को सॉफ करते हुए पूछा.

"वही जो सुबह कर रहे थे," अनु ने कहा, "लेकिन इस बार हमारी बारी

बीच मे होने की."

क्या रात गुज़री हम लोगों की. शायद इस कदर हमने कभी चुदाई नही

की थी. पहले तो में और अनु, मोना और रीमा की चूत चूस्ते रहे

और दोनो अमित और सुमित हमारी गंद और चूत पीछे से मारते रहे.

फिर पार्ट्नर बदल बदल सारी रात यही चलता रहा.

में और अनु काफ़ी खुश थे. सब कुछ पहले की जैसे ही हो रहा था.

हमारे. कहीं कोई गड़बड़ नही थी. जब हमारे पति ऑफीस चले जाते

तो दिन मोना और रीमा थी हमारे साथ और रात मे हमारे पति हमारी

जमकर चुदाई करते.

हमारी हर रात हर दिन पहले से आक्ची गुज़रती. हम कई आसन से

चुदाई करते. यहाँ तक अमित और सुमित खाम्सुत्र की कीताब भी ले

आए थे जिन्हे देख कर हम सभी आसनो का प्रयोग करते. हमारी

चुदाई मे मोना और रीमा भी शर्ीएक रहती थी.

एक दिन खाना खाने के बाद हम सोने की तय्यरी कर रहे थे तो अमित

ने पूछा, "क्या तुम दोनो मे से किसी ने कभी दो लंड से एक साथ

चुडवाया है?"

"कई बार लिया है," अनु हंसते हुए बोली.

"तो तुम्हे मज़ा आता है?" सुमित मुस्कुराते हुए बोला.

"हां मुझे तो बहोत अक्चा लगता है, जब एक लंड मेरी चूत मे

घुसा हुआ होता है और दूसरे लंड को जब में चूस रही होती हूँ."

अनु ने जवाब दिया.

"अनु डार्लिंग, अमित का कहने का मतलब कुछ और है," सुमित ने

कहा, "इसका मतलब है कि एक लंड चूत मे और एक लंड गंद मे कभी

साथ मे लिया है?"

"तुम्हारा मतलब है दोनो साथ मे वो कैसे हो सकता है?" अनु ने

पूछा.

"हां मेरी जान आज में एक कहानी पढ़ रहा था, जिसमे एक लड़की दो

मर्दों से साथ साथ चुदवाति है और तीनो को बहोत मज़ा आता है."

अमित ने हंसते हुए कहा.

"क्या ऐसा हो सकता है?" मेने पूछा.

"कहानी के हिसाब से हो सकता है, हमने भी फेले कभी ऐसा किया

नही है पर हां करना ज़रूर चाहेंगे," सुमित ने कहा, "अनु क्या

तुम भी इसका मज़ा लेना चाहोगी?"

"एक मिनिट मुझे सोचने दो," अनु ने कहा, फिर मोना रीमा और मेरी

तरफ देख बोली, "में तो सबसे छोटी हूँ तो क्यँ ना किसी बड़े से

शुरआत की जाए और वो मुझे बताए कि दो लंड से चुदवाने मे कैसा

लगता है."

"हम तो तय्यार है," मोना और रीमा साथ साथ बोली.

"सूमी तुम तीनो मे से तुम्हे चूना जाता है." सुमित ने हंसते हुए

कहा.

"अनु तू सही मे छिनाल है, लेकिन चिंता मत कर अगर एक दिन मेने

भी तुझे नही फँसाया तो कहना," मेने कहा, "ठीक है अब बोला तुम

दोनो मुझसे क्या चाहते हो?

"तुम बताओ किसका लंड कहाँ लेना चाहोगी?" सुमित ने पूछा.

"मुझे कोई फरक नही पड़ता जिसका लंड चाहे जहाँ घुसे," मेने

जवाब दिया. "तुम कहो?"

"में इसकी गंद मारूँगा," अमित ने कहा.

"ठीक है," सुमित बिस्तर पर लेटते हुए बोला. फिर उसने मुझे मेरी

टाँगो को उसके बगल मे रख कर उपर आने को कहा. में उसके कहे

अनुसार उसपर लेट गयी, मेरी गंद हवा मे उठ गयी थी.

फिर सुमित ने अपने लंड को नीचे से मेरी चूत पर लगाया और अमित

ने पीछे से अपने लंड को मेरी गंद के छेद पर रख दिया. अब दोनो

अपने लंड को अंदर घुसने लगे.

"आराम से अमित दर्द हो रहा है," मेने कहा.

क्रमशः...............
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