RE: Bhai Behen Sex Kahani साला बहन्चोद कहीं का
इन कुछ दिनो मे बहुत कुछ हुआ था दीपा उसके बहुत नज़दीक आ जाती थी या फिर उसकी थाइस उसको दिख जाती थी या फिर रॅक मे रखे हुए फाइल्स ढूँढते वक्त उसकी गान्ड का उभार दिख जाता था तो वो इग्नोर कर देता था.....
10-12 बाद वो किसी केस की फाइल ढूँढ रहा था रॅक मे ऑर फिर फाइल खोल के पढ़ने लगा ऑर अपनी डेस्क की तरफ जा रहा था.... बीच मे दीपा की भी डेस्क थी वो फाइल मे कुछ इंपॉर्टेंट पढ़ रहा था ऑर उसको डर था कि वो दीपा की चेयर से टकरा कर ना गिर जाए या फिर डेस्क से ना टकरा जाए तो वो डेस्क से कुछ दूर रुक गया ऑर वही खड़े खड़े पढ़ने लगा.... फिर वो फाइल पढ़ कर के आगे बढ़ा तो उसे पता चला कि दीपा अपनी चेयर को साइड मे कर के डेस्क के नीचे देख रही थी ऑर रतन लाल को तब एहसास होता है कि उसने आगे बढ़ क ग़लती कर दी.... उसका लंड अब दीपा की गान्ड से टच होने वाला ही था.... पर जैसे तेसे कर के वो साइड से निकल गया पर उसकी नरम नरम मुलायम गान्ड साइड से छु ली थी उसके लंड ने.......
एक अच्छा सेक्स कुछ दिन के लिए लंड ऑर चूत को शांत करा सकता है पर जीवन भर के लिए चुप नही करा सकता....
अब तो उसे जमके सेक्स किए हुए 15-20 दिन हो गये थे.....
वो आज के दिन तो अपने आपको गालियाँ देता है कि साला कुछ तो शरम करनी चाहिए मुझे.... वो मेरे भाई की बेटी है.......
जैसे जैसे दिन बीत रहे थे वैसे वैसे उसके अंदर सेक्स करने की इच्छा बढ़ रही थी........
जब नज़ारे देखने को मिल जाते तो वो देख लेता फिर घर पे जा कर अपने आपको गालियाँ देता ओर नेक्स्ट डे से वोही सब सुरू कर देता..... उसको देखने का कोई मोका नही छोड़ता ऑर घर पे पहुँचने के बाद अपने आपको कोस्ता.......
अब तो जैसे रतन लाल को आदत पड़ गयी थी दीपा के जिस्म को देखने की....
दीपा तो मानो उस वक्त 5 या 6 साल की बच्ची थी उसे कुछ पता ही नही था सेक्स के बारे मे.....
वो वक्त ही ऐसा था 1985 का जितना आज की 5 या 6 साल की बच्ची को दिमाग़ है उतना उस वक्त की 16 साल की लड़की का होता था......
काफ़ी दिन बीत जाने के बाद रतन लाल पूरे जोश मे आ गया था जब वो दीपा को वाइट कलर की सलवार मे देखा तो.....
उसकी सलवार थोड़ी सी ट्रॅन्स्परेंट थी उसके अंदर की ब्लॅक पैंटी ऑर थाइस बिल्कुल नज़र आ रही थी........
रतन लाल ने अपनी पॉकेट मे हाथ डाला तो उसे एक रुपये का नोट मिला.... उसने वो एक रुपया दीपा को दिया ऑर कहा...
रतन लाल- ये लो बेटा तुम्हारे लिए....
दीपा तो मानो बहुत खुश हो गयी क्यू कि उस वक्त 1रुपया की कीमत बहुत ज़्यादा थी.....
रतन लाल ने कहा... लेकिन बेटा तुम्हे एक काम करना पड़ेगा....
दीपा को 1रुपये के साइवा कुछ नही दिख रहा था.... वो तो हर काम करने को तैयार हो गयी थी......
फिर रतन लाल ने अपनी ज़िप खोलते हुए अपना लंड बाहर निकाला....
पहले तो दीपा को थोडा अजीब लगा पर 1र रुपये की लालच ने उसे अँधा कर दिया था......
अब रतन लाल अपना लंड को उसके मुँह के पास लाते हुए उसे मुँह खोलने को कहता है..... ऑर वो मुँह खोल देती है फिर रतन लाल अपना लंड उसके मुँह मे डाल देता है.........
पर दीपा को तो कुछ पता ही नही था कि बड़े पापा क्या कर रहे है ऑर मुझे क्या करना चाहिए.....
मुँह मे लंड लेने के बाद उसको कुछ समझ नही आता वो लंड को अपने मुँह मे पकड़े हुए उपर देखती है रतन लाल की आखो मे.... रतन लाल उसको कहता है....
रतन लाल- तुम्हे 1रुपया चाहिए ना...?
दीपा हाँ मे मुँह हिलाती है...
रतन लाल- तो फिर इसको मुँह मे लेकर चूसो........
दीपा किसी छोटे बच्ची की तरह लंड मुँह मे लेकर चूसने लगती है...... जैसे छोटी बच्ची दूध पी रही है... वो ठीक ठाक चूस तो रही थी उसका लंड पर उसके दाँत रतन लाल के लंड पे लग रहे थे..... उसे मज़ा नही आ रहा था.... उसने जोश मे लंड चूस रही दीपा का सर अपने दोनो हाथो से पकड़ा ऑर अपना लंड उसके मुँह से निकालना चाहा तो दीपा ने उसके लंड को अपने मुँह मे पकड़ रखा था ऑर उसका सुपाडा नीचे ऑर उपेर के दांतो के बीच मे अटक गया था....
उसने दीपा से कहा...
रतन लाल- नही बेटा.. ज़रा प्यार से ऑर ध्यान देके चूसो तुम्हारे दाँत लग रहे है मुझे.......
सिर्फ़ अपने होंठो ओर ज़ुबान से चूसो....
ऑर फिर रतन लाल उसके सर को अपने नज़दीक ला रहा था ऑर दीपा अपने बड़े पापा को देखती हुई अपना मुँह खोलती है ऑर लंड मुँह मे ले लेती है..... इस बार दीपा ने वोही किया जो बड़े पापा ने कहा था वो अपने होंठो ऑर जीब से उसका लंड चूसने लगी.....
कुछ देर रतन लाल को मज़ा आया पर उतना नही आया क्यू कि वो लंड तो चूस रही थी पर अंदर बाहर नही कर रही थी.......
रतन लाल ने फिर उसके मुँह से लंड निकाला ऑर उसको कहा...
रतन लाल- बेटे तुम कर तो ठीक रही हो पर तुम्हे थोड़ा ऑर भी कुछ करना पड़ेगा....
जैसे तुम कर रही थी वैसे ही करो ओर साथ ही साथ इसको अंदर तक लो जितना हो सके उतना ओर फिर थोड़ा बाहर निकालो ऑर वापिस इसे अपनी हलक तक घुसा लो.....
दीपा ने अपना मुँह ऑर खोल दिया ऑर लंड को अंदर तक लेने की कोशिश करने लगी...... ऑर रतन लाल उसके सर को बड़े प्यार से पूचकारता है... दीपा को बहुत अच्छा लगता है जब वो उसे पूचकार रहा था तो फिर वो उपर देखती है तो उसके बड़े पापा के चेहरे पर एक मदहोशी देख लेती है.....
अब वो चाहती थी कि ऑर कुछ करे पर बड़े पापा झट से उसके मुँह से लंड निकाल कर हाथ मे पकड़ के हिलाने लगे ऑर एक पिचकारी निकली ऑर फिर वो हाफने लगे.......
रतन लाल बहुत खुश था.... उसने दीपा को 1 की बजाए 2रुपये दे दिए.... दीपा की तो मानो लॉटरी लग गयी.... वो तो अपनी एग्ज़ाइट्मेंट छुपा ही नही पा रही थी... वो भी बहुत खुश हो गयी... उसने मन मे सोचा कि काश बड़े पापा मुझ से रोज ऐसा करवाए........
रतन लाल उसकी एग्ज़ाइट्मेंट देख के डर गया उसे लगा कि ये मेरी वॉट लगा देगी... तो उसने पैसे वापिस छीन लिए ऑर उसको डराया ऑर धमकाया कि अगर उसने इस पैसे के बारे मे या जो उसने किया उसके बारे मे किसिको बोला तो वो पैसे नही देगा.....
वो डर गयी उसको लगा अब पैसे नही मिलेगे.... उसने कहा कि वो किसी के सामने पैसे नही निकालेगी ऑर जो हुआ उसके बारे मे भी किसिको नही बताएगी.....
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