RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप
"मैने भी तो तेरी उपेक्षा की थी रेशू! मुझे अपने पति की आग्या का सम्मान करने के साथ अपने पुत्र की भावनाओ को भी समझने का प्रयास करना चाहिए था और जिसे मैने पूरी तरह से नज़र-अंदाज़ कर दिया था" कॅबिन में छाई शांति को भंग करते हुवे ममता बोली. अजीब सी स्थिति का निर्माण हो चुका था, मा थी जो अपने मात्रत्व पर ही दोषा-रोपण कर रही थी और उसका बेटा था जो उसे आज के परिवेश में ढल जाने की शिक्षा दे रहा था.
"तो क्या अब तुम अपनी उस छोटी सी भूल का इस तरह शोक मनाओगी ?" ऋषभ ने प्रत्युत्तर में पुछा.
"चाहे छोटी हो या बड़ी! भूल-भूल होती है रेशू" ममता ने आकस्मात पनपे उस नये वाद-विवाद को आगे बढ़ाया जो असल विषय से बिल्कुल भटक चुका था. उत्तेजना अपनी जगह और मान-मर्यादा, लिहाज, सभ्यता, संस्कार अपनी. हर मनुश्य के खुद के कुच्छ सिद्धांत होते हैं और बुद्धिजीवी वो अपने नियम, धरम के हिसाब से ही अपने जीवन का निर्वाह करता है. माना ममता की दुनिया शुरूवात से बहुत व्यापक रही थी, एक अच्छी ग्रहिणी होने के साथ-साथ वह कामयाब काम-काज़ी महिला भी थी. पति व पुत्र के अलावा ऐसे कयि मर्द रहे जिनके निर्देशन में उसे काम करना पड़ा था तो कभी मर्दो को अपने संरक्षण में रख कर उनसे काम लेना भी अनिवार्य था. वह यौवन से भरपूर अत्यंत सुंदर, कामुक नारी थी. कयि तरह के लोभ-लालच उसके बढ़ते परंतु बंधन-बढ़ते कदमो में खुलेपन की रफ़्तार देने को निरंतर अवतरित होते रहे थे मगर वह पहले से ही इतनी सक्षम, संपन्न व संतुष्ट थी कि किसी भी लालच की तरफ उसका झुकाव कभी नही हुवा था. हमेशा वस्त्रो से धकि रहना लेकिन पति संग सहवास के वक़्त उन्ही कपड़ो से दुश्मनी निकालना उसकी खूबी थी, चुदाई के लगभग हर आसान से वह भली भाँति परिचित थी. विवाह के पश्चात से अपने पति की इक्षा के विरुद्ध उसने कभी अपनी झांतो को पूर्न-रूप से सॉफ नही किया था बल्कि कैंची से उनकी एक निश्चित इकाई में काट-छांट कर लिया करती थी और तब से ले कर राजेश के बीमार होने तक हर रात उससे अपनी चूत चटवाना और स्खलन के उपरांत पुरूस्कार-स्वरूप उसे अपनी गाढ़ी रज पिलवाना उसके बेहद पसंदीदा कार्यों में प्रमुख था, चुदाई से पूर्व वह दो बार तो अवश्य ही अपने पति के मूँह के भीतर झड़ती थी क्यों कि उससे कम में उसकी कामोत्तेजना का अंत हो पाना कतयि संभव नही हो पाता था. कुर्सी पर अपनी पलकें मून्दे बैठी ममता की गहरी तंद्रा को तोड़ते ऋषभ के वे अगले लफ्ज़ शायद अब तक के उसके सम्पूर्न बीते जीवन के सबसे हृदय-विदारक अल्फ़ाज़ बन जाते हैं और खुद ब खुद उसकी बंद आँखें क्षण मात्र में खुल कर उसके पुत्र के चेहरे को निहारने लगती हैं.
"उस मामूली सी भूल का इतना कठोर पश्चाताप मत करो मा! मत करो! अगर तुम्हे सच में ऐसा लगता है कि तुमने मुझे अपने से दूर कर दिया था तो आज, अभी तुम अपनी उस अंजानी भूल में सुधार कर सकती हो! मेरा अनुभव मुझसे चीख-चीख कर कह रहा है, अब तक तो निश्चित ही तुम्हारी चूत की दुर्दशा हो गयी होगी और जो किसी स्त्री के शरीर का सबसे संवेदनशील अंग होता है, मानो या ना मानो मा लेकिन मैं उसकी तकलीफ़ को यहाँ! ठीक अपने दिल में महसूस कर रहा हूँ"
ममता स्तब्ध रह गयी, इसलिए नही कि ऋषभ ने साहित्यिक शब्द योनि को आम भाषा में प्रचिलित चूत शब्द की अश्लील संगया दी वरण इसलिए कि उसका पुत्र उसकी व्यथा को समझ रहा था.
"तेरा अनुभव सही कहता है रेशू! मेरी योनि में बहुत दर्द है, उसके होंठ बेहद ज़्यादा सूज चुके हैं. चौबीसो घंटे रिस्ति रहती है, अत्यधिक जलन के मारे मैं ठीक से पेशाब भी नही कर पाती. कभी भीड़ में कपड़े गंदे होने का डर सताता है तो कभी गंदे हो जाने के बाद शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है" ममता ने सहर्ष अपने रोग से संबंधित अन्य लक्षणो को सांझा किया मगर मुख्य लक्षण सांझा नही कर पाती. कैसे कह देती कि चुदास ही उसके रोग का एक मात्र कारण है, पल प्रति पल वह स्वयं तो ऋषभ की नज़रो में निर्लज्ज साबित होती जा रही थी मगर पति की नपुंसकता का बखान कर पाना नामुमकिन था.
"मैं सब जानता हूँ लेकिन तुमने खुद बताया! मुझे बहुत सूकून मिला, कम से कम तुम्हे मुझ पर विश्वास तो है" ऋषभ ने मुस्कुरा कर कहा. उसका सारा ध्यान केवल ममता के कप्कपाते होंठो पर केंद्रित था, जिनमें उसे उसके सम्पूर्न शरीर के लगातार, तीव्रता से बदलते हुवे सारे भाव का समावेश नज़र आ रहा था.
"मुझे! मुझे उसे देखना होगा मा" बोलते हुवे ऋषभ हकला जाता है, लगा जैसे कहने भर से उसका लंड झड़ने की कगार पर पहुँच गया हो. अपने डेढ़ साल के करियर में उसने अनगिनत चूतो को देखा था. अपने गूँध अनुभव, आकर्षित व्यक्तित्व और वाक-प्रभाव से कितने ही सभ्य घरो की पतिव्रता और औरतों को नंगी हो जाने पर मजबूर कर चुका था. कुच्छ रंडी प्रवित्ती की औरतें तो बिना कहे अपने कपड़े उतार फैंकती थी तो कुच्छ को उसने कॅबिन के भीतर ही बुरी तरह से चोदा था मगर कुदरत ने यह कैसा अजीब खेल रचा जो आज उसे अपनी सग़ी मा से उसकी चूत देखने ज़िद करनी पड़ रही थी.
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