RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप
"सम्हल कर मा! मेज़ छोटी है, कहीं गिर मत जाना" अपने मन में पाल रखी तमन्ना के सच होने की शुरूवात होते ही ऋषभ ने उसे टोका और बड़े गौर से ममता के चूतड़ो को ऊपर उठते हुवे देखने लगता है.
"हां रेशू! मैने हाथो से मेज़ पकड़ी हुवी है" कह कर ममता अपने सर को तेज़ी के साथ नीचे की दिशा में झुकाने लगी, साथ ही अपने घुटनो के इस्तेमाल से तत्काल उसने अपने चूतड़ो को हवा में इस कदर ताना जिसके नतीजन खुद ब खुद उसकी रीड की हड्डी धनुसाकार आकरती में ढल जाती है.
"उफफफ्फ़" ना चाहते हुवे भी ऋषभ सीत्कार उठता है, उसके टट्टो में अचानक से आए उबाल के आगे पहली बार उसका अडिग सैयम दम तोड़ता नाराज़ आया. अपने पुत्र की सिसकारी सुन कर ममता की चूत बुरी तरह पनिया गयी, जिसके प्रभाव से बाहर आती उसके गाढ़े कामरस की लिसलीसी बूँद तार बनाती हुवी मेज़ पर टपक पड़ती है.
"र .. रेशू! इतना ठीक है ना ?" ममता ने हक़लाते हुवे पुछा, अपने पुत्र की नीच माँग को स्वीकार कर वह उसके सामने घोड़ी बन चुकी थी. अति-शीघ्र उसने अपनी गर्दन को मोड़ कर ऋषभ के चेहरे के वास्तविक भाव को पढ़ना चाहा और उसके चेहरे को देखते ही उस चंचल नंगी मा के संपूर्ण बदन में उत्तेजना की कपकपि ल़हेर दौड़ जाती है. उसने प्रत्यक्षरूप से देखा कि ऋषभ की आँखें फॅट पड़ी थी! पुतलियाँ पथरा गयी थी! मूँह हैरत्वश खुला हुवा था! साँसों की गति की तीव्रता उसकी अनियंत्रित हांफ़हफी से प्रदर्शित हो रही थी! शरीर मानो मूर्छछित अवस्था को प्राप्त कर चुका था.
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