RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप
माँ का चैकअप--14
"रेशू" ममता का चेहरा खिल उठता है जब वह अपने पुत्र की एक-तक निगाहों को अपने चूतड़ो की खुली हुवी दरार के भीतर झाँकता हुआ पाती है, उसने हौले-हौले काई बार ऋषभ का नाम पुकारा मगर उसे उसकी जड़वत अवस्था से बाहर निकालने में पूर्णरूप से नाकाम रहती है. सहसा उस नयी नवेली निर्लज्ज मा के मन में संदेह का अंकुर फूट पड़ा और वह जानने को उत्सुक हो उठती है कि उसके पुत्र की वासनामयी आँखों का ठहराव उसकी गान्ड के गहरे कथ्थयि रंगत के छेद पर है या उसकी कामरस उगलती अत्यंत सूजी चूत पर. अपने पापी संदेह का उत्तर पाने हेतु शीघ्र ही ममता ने अपने पहले से फैले हुवे घुटने और अधिक फैला लिए और अपने बाएँ हाथ को मेज़ से हटा कर फॉरन अपनी उंगलियों के नुकीले नाखुनो से अपनी चूत के चिपके चीरे को खुजाने लगती है. वह खुद अपनी इस अश्लील हरक़त से हैरान थी, यक़ीनन भूल चुकी थी कि उसके उजागर वर्जित अंगो को घूर्ने वाला युवक उसका अपना सगा जवान बेटा है.
"अहह मा! हाथ .. हाथ हटाओ अपना" अपनी मा की चूड़ियों की खनक से ऋषभ की तंद्रा टूट गयी और वह क्रोधित स्वर में चीख उठता है. आवेश की प्रचूरता से सराबोर उसके थरथराते स्वर उसकी प्रबल उद्विग्न्ता को प्रदर्शित करते हैं जिसके नतीजन घबराकर तत्काल ममता अपने हाथ को अपनी चूत से हटाते हुए पुनः उसे मेज़ पर स्थापित कर लेने पर विवश हो जाती है.
"माफ़ करना मा जो मैने तुम्हे डांटा मगर मैं मजबूर हूँ! तुम्हारे सुंदर चेहरे समान ही तुम्हारे गुप्ताँग इतने अधिक लुभावने हैं, जिन्हे देखने के उपरांत मैं कतयि नही चाहता कि कोई भी बाधा मेरी आँखों को मेरी मा के मंत्रमुग्ध कर देने वाले वर्जित अंगो को देखने से रोकने का प्रयत्न करे. अब यदि मुझे मौत भी आ जाए तो भी मुझे कोई गम नही होगा" इस बार ऋषभ के स्वर में नर्मी थी, उसके अल्फ़ाज़ का उदगम भले ही उसके मूँह से हुआ था मगर बाहर निकलने से पूर्व उसका कतरा-कतरा उसके हृदय को छु कर गुज़रा था, जिसे सुनकर उसकी रमणीय नंगी मा अचानक से विह्वल हो उठती है और अमर्यादित प्रेम के बहाव में बहते हुवे अपने मांसल चूतड़ो को पहले से कहीं ज़्यादा हवा में तानने को प्रयासरत हो जाती है ताकि उसका पुत्र उसके गुप्तांगो को खुल कर निहार सके. स्वयं ममता की चढ़ि साँसों और उसके दिल की बेकाबू धड़कनो का कोई परवार नही था और निरंतर वह अपनी अशील हरक़तो के तेहेत बुरी तरह से काँपति जा रही थी. उसकी दयनीय स्थिति इस बात का सूचक थी कि उसके संस्कार! संकोची स्वाभाव! दान-धरम! नैतिक भावनाओं पर अब अनाचार के रोमांच का एक-छत्र साम्राज्य हो चुका था और जिसे सिवाय न्यायोचित ठहराने के अलावा कोई अन्य विकल्प शेष ना था.
"अपनी मा के समक्ष ही अपने मरने की बात से तू क्या साबित करना चाहता है रेशू ? क्या दुनिया की कोई भी मा इस बात को से सकेगी ? नही कभी नही" जहाँ अपने पुत्र की क्रोधित वाणी में प्रेम-रूपी बदलाव आया महसूस कर ममता को बहुत सुकून प्राप्त हुआ था वहीं उसके कथन के अंतिम शब्द उसके दिल को बुरी तरह भेद गये थे, उसने पुनः अपना चेहरा पिछे मोड़ कर ऋषभ की आँखों में देखते हुवे पुछा और खुद ही अपने प्रश्न का जवाब भी देती है. उसके पुत्र की चेतना वापस लौट आई थी और ज्यों ही मतमा ने अपने कथन की समाप्ति की, तत्काल ऋषभ मुस्कुराने लगता है.
"मेरा उद्देश्य तुम्हे ठेस पहुँचना नही था! क्या मुझे माफ़ नही करोगी ?" ऋषभ ने अपने कानो को पकड़ते हुवे कहा, कॅबिन में पसरे उस अनैतिक वातावरण को सहज बनाए हेतु यह उसकी नयी पहेल थी.
"अपना प्रेम हमेशा मुझ पर बरकरार रखना मा! पहले भी बता चुका हूँ, तुम्हारे प्रेम के लिए मैं बेहद तरसा हूँ" अपने मार्मिक संवाद के ज़रिए ऋषभ पुनः ममता पर एहसासो का दबाव बनाते हुवे बोला.
"कोशिश ज़रूर करूँगी रेशू! तू चाहता था ना कि तेरी मा बे-वजह शरमाना छोड़ दे, देख मैं घोड़ी बन गयी. बोल क्या मैं अब भी शर्मा रही हूँ ?" ममता ने हौले फुसफुसाते हुवे पुछा, अपने झुटे कथन से भले ही वह अपनी व्यथा को छुपाति है मगर कहाँ संभव था कि एक मा प्रथम बार अपने पुत्र के समक्ष नंगी विचरण कर रही हो और उसकी शर्माहट का अंत हो जाए. ऋषभ जवान था, अत्यधिक बलिष्ठ शरीर का स्वामी और उसके लंड की विशालता से भी वह पूरी तरह से परिचित हो चुकी थी, जो स्वयं उसकी ही नग्नता के कारण जाग्रत हुवा था.
"हां मा! तुम घोड़ी तो बन चुकी, अब तुम्हे अपने हाथो से अपने चूतड़ो की दरार को भी खोलना होगा और तभी मैं तुम्हारी गान्ड के छेद का बारीकी से निरीक्षण कर सकूँगा" कह कर ऋषभ ने सरसरी निगाहों से कामरस उगलती अपनी असल जन्मभूमि को देखा और मन ही मन उसे प्रणाम कर अपनी आँखों का जुड़ाव ममता के गुदा-द्वार से जोड़ देता है. वह अच्छे से जानता था कि उसकी मा की चूत उसके कठोर सैयम को फॉरन डगमगा देने में सक्षम है, चुस्त फ्रेंची के भीतर क़ैद उसके विशाल लंड की फड़फाहट इस बात की गवाह थी कि चन्द लम्हों के दीदार में ही उसकी मा की चूत ने उसकी वर्तमान उद्विग्न्ता को अखंड कामोत्तजना में परिवर्तित कर दिया था.
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