RE: Gandi Kahaniya सहेली के पापा
मैं उसकी चूचियों को दबा रही थी. वह बोली,
"हाए ज़ोर-ज़ोर से दबाओ. मज़ा आ रहा है तुमको दबाने मे?"
"हां."
"एक काम करो. जब तक पापा नही आते आपस मे ही मज़ा लेते हैं."
"ठीक है रीता."
"तो तुम भी चड्डी उतार कर मेरी तरह नंगी हो जाओ." सहेली के पास
आकर मुझे नया मज़ा मिल रहा था. उसके कहने पर मैं भी चड्डी
उतार एकदम नंगी हो गयी. एक दूसरे की चूचियों को दबाने मे बड़ा
मज़ा मिला था इसलिए नंगे होकर मज़ा लेने जा रहे थे. मेरी चूत
चड्डी उतरते ही गुदगुदाने लगी. रीता नंगी होकर अपना जवान बदन
दिखाने मे ज़रा भी नही शर्मा रही थी जबकि मुझे शरम लग रही
थी. रीता इस खेल को अपने पापा के साथ खेलकर सीनियर हो गयी थी.
चुदवाकर अपनी चूत को खुलवा चुकी थी. मेरी अभी कुँवारी थी..
चूचियों के निपल खड़े थे. रीता आँख मारती मस्ती के साथ बेड
पर बुलाती बोली,
"तुम तो ऐसे शर्मा रही हो जैसे मेरे पास नही हैं." मैं रीता के
पास गयी. रीता तकिये के सहारे दोनो टाँगो को फैला चूचियों को
उचका मुझे अपनी चूत के ऊपर बैठने को बोली. मैं तो एक वासना केनशे मैं
थी. अब हम दोनो की चूचियाँ एक दूसरे के सामने थी. मेरी
चूचियों को पकड़ रीता बोली,
"लो तुम मेरी दबाओ, मैं तुम्हारी दबाती हूँ. जो मैं करूँ वही तुम
भी करना. देखना कितना मज़ा आता है. यार सच ही तूने कभी डबवाया
नही किसी से." और वह मेरी चूचियों को धीरे- धीरे दबाने लगि. उसके
हाथ लगाने से पूरे बदन की मस्ती तेज़ हुई. चूत की दरार मे
खुजली होने लगी और फाँक फूलने लगी. मैं उसकी दोनो चूचियों को
दबाते हुवे मज़ा लेते बोली,
"नही रीता कभी नही डबवाया. आज तुम पहली बार.....हाए बड़ा मज़ा
आ रहा है."
क्रमशः...............
|