RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
मैं प्रिया को लेकर बाहर की तरफ बढ़ा. जैसे ही मैं अपना बॅग उठाने के लिए झुका प्रिया ने मुझे अपनी दोनो बाहों में लेकर जाकड़ लिया और बोली के थॅंक यू वेरी मच, आप बहुत अच्छे हैं. मैने कहा के मेरी जान मैं कोई अच्छा नहीं हूँ, अपनी बेटी से भी छ्होटी उमर की लड़की के साथ रंगरेलियाँ मना रहा हूँ, अच्छा कहाँ से हूँ. प्रिया बोली के आपने मेरी मर्ज़ी के साथ ही सब कुच्छ किया है कोई भी ज़बरदस्ती नहीं की है इस लिए आप अच्छे ही हैं.
प्रिया आगे बोली के मैं तो चाहती थी के आप काम पूरा करते पर शरम के मारे कुच्छ नही बोली. मैने चौंकने का नाटक किया और कहा क्या मतलब? वो बोली के आपने असली काम तो नहीं किया ना. मैने पूछा के तुम जानती हो? उसने कहा के हां उसकी एक फ्रेंड ने उसे एक वीडियो क्लिप दिखाया था इस लिए उसे सब कुच्छ पता है. फिर वो नज़रें झुका के बोली के अगली बार वो सब कुच्छ करना चाहती है. मैं नकली हैरानी दर्शाता हुआ बोला कि अगली बार का क्या मतलब. तो वो बोली के आप सब जानते हो बस ये बताओ के अगली बार आप कब मुझे प्यार करने वाले हो.
मैने कहा के आज तो हम बड़ा रिस्क उठाकर आए हैं और मैं इतना रिस्क नही उठा सकता. उसने कहा के वो आप मेरे पर रहने दो मैं सब कुच्छ संभाल लूँगी और कोई रिस्क नही रहेगा. मैने कहा के इस मे जितना गॅप रहे उतनी प्यास बढ़ती है और जितनी प्यास बढ़ती है उतना ही अधिक मज़ा आता है. इस पर प्रिया हंस दी और बोली के ठीक है मैं नेक्स्ट टू नेक्स्ट वीक कोई तरकीब करके आपको बता दूँगी.
फिर प्रिया ने कहा के आप मुझे अपना नंबर दे दीजिए मैं आपको फोन कर दूँगी. मैने उसे एक नंबर दे दिया जो प्रीपेड सिम था और मेरे नाम पर नही था और ऐसे ही कामों में यूज़ करने के लिए मैने रखा हुआ था. उसी फोन में मैने प्रिया का नंबर सेव कर लिया ताकि मुझे पता रहे के वो कॉल कर रही है.
हम बाहर निकले और पहले मैने निकल कर कार का दरवाज़ा खोला और अपना बॅग अंदर रखा और मेरे बाद प्रिया भी अंदर घुस गयी. मैं घूम कर ड्राइविंग सीट पर बैठा और देखा के प्रिया सीट के नीचे दुबक चुकी थी. मैं कार को मेन गेट तक लाया और हॉर्न दिया, गार्ड ने तुरंत सल्यूट करते हुए गेट पूरा खोल दिया.
मैने कार रोक कर उससे पूछा के ठीक तो हो ना राम सिंग. उसने जवाब दिया के आपकी किरपा है सरकार. मैने कहा के ध्यान रखना और उसने कहा के मेरे रहते आपको चिंता नही करनी चाहिए. मैने हंसकर कहा के राम सिंग के होते मैं क्यों चिंता करूँ और कार आगे को बढ़ा दी. ये हमारा हमेशा का रुटीन था. मेरी और उसकी इतनी ही बात होती थी.
दोस्तो इससे आगे की कहानी फिर कभी बतावंगा आपका दोस्त राज शर्मा
kramashah.
|