RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
प्रिया बैठ गयी और बोली के उसको बाथरूम जाना है. मैने कहा के जाओ. वो बेड से उतरने को हुई और जैसे ही खड़े होने की कोशिश की उसकी टाँगों ने जवाब दे दिया और वो वापिस बेड पर बैठ गयी. पहली चुदाई के बाद ऐसा ही होता है, ख़ासकर जब लंड सॉलिड चुदाई करे तब. मैं उठा और पहले टवल उठा कर उसकी चूत और टाँगों से अपना वीर्य सॉफ किया और टवल को बाथरूम में धोने डाल दिया. फिर एक बाल्टी में गरम पानी और एक फ्रेश टवल लेकर आया. मैने टवल फोल्ड करके गरम पानी में डाला और फिर पानी निचोड़ कर टवल से प्रिया की चूत की सिकाई करने लगा. 5-6 बार ऐसा करने पर वो बोली अब मुझे ठीक लग रहा है, अब मैं खड़ी हो सकती हूँ.
प्रिया फिर खड़ी हुई, अब वो वापिस तो नही बैठी पर उसके चेहरे पर अभी भी परेशानी के भाव थे. मैने उसको सहारा दिया और बाथरूम में ले गया. दरवाज़े पर ही वो बोली के ठीक है. वो अंदर चली गयी कुच्छ देर बाद उसने मुझे अंदर आने को कहा और मैं अंदर चला गया. वो वॉश बेसिन को पकड़ कर खड़ी थी और बोली के इस हालत में मैं घर कैसे जाऊंगी. मैने कहा के चिंता मत करो मैं तुम्हे थोड़ी देर में ही ठीक कर दूँगा.
मैने एक चौड़ा टब लिया और उसमे ठंडा और गरम पानी मिक्स करके पानी आधा भर दिया, इतना गरम के शरीर उसको सह सके. फिर मैने कपबोर्ड से एक आंट्रिनजेंट लोशन की शीशी निकाली और टब में थोड़ी सी मिक्स करदी. फिर मैने प्रिया को उस टब में बिठा दिया. पानी उसकी चूत को ढक रहा था और उसके अंदर भी जा रहा था और प्रिया की चूत की सिकाई भी कर रहा था. मैं एक छ्होटा स्टूल लेकर प्रिया के पीछे बैठ गया और उसकी पीठ अपने साथ लगा ली.
खाली तो बैठा नही जा सकता था, इसलिए मैने उसके दोनो मम्मे अपने दोनो हाथों में ले लिए और उनके साथ खेलने लगा. वही पुराना खेल, कभी मेरे हाथ उनकी गोलाई नापते, कभी उन्हे पूरा ढक लेते, कभी उन्हे प्यार से भींच लेते और कभी निपल्स को मसल्ने लगते. प्रिया तिर्छि नज़र से मेरी तरफ देखते हुए बोली के क्या अभी दिल नही भरा? मैने कहा के इतने प्यारे मम्मे मेरे सामने हों तो दिल कैसे काबू में रह सकता है, फिर ऐसे सुंदर मम्मे ही तो मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी हेँ. मेरा बस चले तो मैं ऐसे प्यारे मम्मों से खेलते हुए सारी उमर बिता दूँ. वो एक उन्मुक्त हँसी हंस दी और उसके हँसने से उसका शरीर हिलने लगा और मेरे अंदर एक गुदगुदी सी भर गया.
10 मिनट के करीब ऐसे ही बीत गये. मैने प्रिया को पूछा के अब कैसा लग रहा है? तो वो बोली के ऐसे तो ठीक ही लग रहा है पर खड़ी होने पर ही पता लगेगा. मैने कहा के कोशिश करो. उसने खड़े होने की कोशिश की और कामयाब भी हुई. गरम पानी की सिकाई ने उसको काफ़ी आराम दिया था और मेरी कामयाब तरकीब अपना काम एक बार फिर कर गयी थी. प्रिया आराम से बाहर आ गयी और बिना किसी सहारे के रूम में पहुँच गयी.
मैने घड़ी देखी, हमारे चलने का टाइम हो चला था. मैने कपबोर्ड में से प्रिया की ड्रेस निकाली और खोल कर बेड पर फैला दी और उसको कहा के जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो जाए अब देर करना उचित नही होगा. वो समझ गयी और फुर्ती से रेडी हो गयी. मैं भी तैयार हो चुका था. फिर हम दोनो ने अपना अपना डियो उठाया और हल्का हल्का स्प्रे करके बाहर को चल दिए. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.
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