RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
ओ……………. म……..आ……..आ करके निशा की एक ज़ोरदार चीख निकली जिसे प्रिया ने अपनी चूत उसके मुँह पर दबाते हुए रोकने की असफल कोशिश की. निशा की जांघों पर हमारी मज़बूत पकड़ के कारण वो बिल्कुल हिल नही पा रही थी. मैने अपने लंड को वहीं जाम कर दिया था जो अब खूँटे की तरह उसकी चूत में गढ़ा हुआ था. निशा बहुत ज़ोर से बोली के बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़ इसको निकाल लो मैं मर रही हूँ. मैने कहा के पहली बार चुदवाने में हर लड़की को दर्द होता है और चुदाई का मज़ा लेने के लिए उसको सहना भी पड़ता है. प्रिया ने भी सहा और तुमने आज अपनी आँखो से देखा के तुम्हारे सामने अभी उसने कितना अधिक मज़ा लिया था. साथ ही मैने अपने हाथो से उसकी दोनो बगलें सहलाते हुए ऊपेर जाकर उसके मम्मे पकड़ लिए और उनको प्यार से सहलाने और मसल्ने लगा और उसके निपल्स को रगड़ कर उसकी उत्तेजना बढ़ाने की कोशिश करने लगा. इतनी देर में उसका दर्द तो कम होना ही था. मैने उसको कहा के बस अब एक धक्का और बाकी है और इस बार उसे पहले से कम दर्द होगा और फिर वो आनंद का झूला झूलने में सक्षम हो जाएगी, और अभी थोड़ी देर के बाद मैं उसे इतना मज़ा दूँगा जिसकी कभी उसने कल्पना भी नही की होगी.
इसके बाद मैने अपनी ताक़त समेट कर एक भरपूर धक्का लगाया और अपना लंड पूरा निशा की चूत में घुसा दिया. लंड ने अंदर उसकी बच्चेदानी के मुँह से टकराकर निशा को गुदगुदाहट से भर दिया. दर्द और गुगुडाहट के सम्मिश्रण से निशा चिहुनक गयी और उसके मुँह पर प्रिया की चूत का दबाव होने के कारण उसस्के मुँह से ग…ओ…ओ…न, ग…ओ…ओ…न की आवाज़ें निकलने लगीं. उसकी चूत ने मेरे लंड को ऐसे जाकड़ रखा था की जैसे कोई शिकंजा हो और अगर यह शिकंजा ज़रा सा भी और कॅसा हुआ होता तो मेरा लंड दर्द करने लगता. इतनी टाइट थी निशा की चूत. मैं अपने लंड से मन ही मन कह रहा था के थोड़ी देर और रुक फिर आज तुझे घर्षण का वो मज़ा आनेवाला है जो तुझे बहुत ही कम बार मिला है.
मैने कुच्छ क्षण रुक कर अपने लंड को प्यार से एक इंच बाहर निकाला और फिर उतने ही प्यार से वापिस अंदर घुसा दिया. और फिर थोड़ी-थोड़ी देर में यही दोहराने लगा. साथ ही हर बार मैं अपने लंड को ज़रा सा अधिक बाहर निकाल लेता. इस तरह करते-करते मेरा लंड निशा की चूत में आधा अंदर बाहर होने लगा. अब निशा को भी मज़ा आने लगा था और इसका प्रमाण वो अपनी गांद को थोड़ा सा उठा कर दे रही थी. मेरे आनंद की कोई सीमा ही नही थी. प्रिया जो अब काफ़ी जानकार हो चुकी थी, मुझसे लिपटी हुई अपनी जीभ को मेरी जीभ से लड़ा रही थी और उसके सख़्त मम्मे मानो मेरी छाती में गड्ढे करने को आतुर थे. उसका शरीर एक कमान की भाँति तना हुआ था जिस कारण उसके सख़्त मम्मे और भी सख़्त हो गये थे.
नीचे निशा की चूत का कसाव मेरे लंड पर बहुत अधिक बना हुआ था. यह तो प्रिया की चूत से भी अधिक टाइट थी और अत्यधिक घर्षण आनंद दे रही थी. इसका कारण था निशा का मांसल और भरा हुआ शरीर जो प्रिया के मुक़ाबले अधिक गुदाज था. मैने अपने दिमाग़ को शाबाशी दी के पहले प्रिया की चूत में एक बार झरने की जो सोच उसमे आई थी उसके कारण मैं अपने पर कंट्रोल बनाए रखने में सफल हुआ था नही तो मैं निशा की सफल चुदाई कर ही नही पाता. मेरे नीचे आने वाली चूतो में वो सबसे टाइट चूतो में से एक थी. मेरा लंड निशा की चूत में अंदर बाहर होने में केवल इसलिए सफल हो पा रहा था के उसकी चूत में हल्का-हल्का रिसाव लगातार हो रह था जो गीलापन पैदा कर रह था और उस के कारण मुझे कोई परेशानी नही हो रही थी. मेरे धक्कों की लंबाई तो बढ़ गयी थी पर रफ़्तार अभी मैने नही बढ़ाई थी. अब मेरा तीन चौथाई लंड निशा की चूत को घिस्स रहा था. प्रिया ने अचानक एक ज़ोर का झटका लिया और पहले वो झाड़ गयी. उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. निशा ने उसकी चूत को चाट कर सॉफ कर दिया और वो एक साइड में लूड़क गयी.
कुच्छ ही देर में प्रिया उठकर निशा के ऊपेर च्छा गयी और उसका मुँह वहाँ से चाट कर साफ कर दिया जहाँ उसका स्राव निशा के मुँह पर लगा था.
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