RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--10
गतान्क से आगे..............
मैने उसको कहा के देखो मुझे इन सबका एक्सपीरियेन्स है और मेरा कहना मान कर चलॉगी तो तुम्हे बहुत मज़ा भी आएगा और मुझे भी. उसने हां भरी और बोली के जैसा मैं कहूँगा वो वैसा ही करेगी. तो मैने कहा की उठो और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ. वो शर्मा गयी और बोली के आप ऐसे क्यों बोलते हैं. मैने कहा के ऐसे बोलने में ही तो मज़ा आता है, क्या तुम्हें नही आता. वो बोली के आता तो है पर अजीब भी लगता है. मैने कहा के धीरे-धीरे आदत हो जाएगी फिर अजीब नही लगेगा और ऐसे कोई सबके सामने थोड़ा ही बोलना है सबके सामने तो इतने फॉर्मल हो जाना है के किसी को कोई भी शक ना हो सके. वो बोली की ठीक है और इसके साथ ही खड़े होकर अपने कपड़ों को उतारना शुरू कर दिया. और जैसे-जैसे उसका एक-एक अंग मेरी आँखों के सामने आ रहा था मेरी हालत बड़ी अजीब सी होती जा रही थी. मैं अभी थोड़ी देर पहले ही 2-2 लड़कियों की पूर्ण चुदाई करके हटा था, जिनमें एक कुँवारी थी और उसकी सील मैने तोड़ी थी. फिर भी इस लड़कीका जिस्म सामने आते ही मेरे अंदर जैसे एक नयी ऊर्जा का संचार हो रहा था और मेरा लंड मेरे अंडरवेर में एक मादक अंगड़ाई लेकर पूरा कड़क तैयार हो चुक्का था.
क्या शानदार जिस्म था अरषि का. छ्होटे-छ्होटे सेब के आकार के मम्मे, उनपर अठन्नी के साइज़ के चूचक और उनपर भाले की नोक जैसे कड़क निपल ग़ज़ब ढा रहे थे. उसके निपल उसके मम्मों के अनुपात से कुच्छ बड़े लग रहे थे.अपनी टी-शर्ट उतार कर जैसे ही उसने अपने हाथ नीचे किए मैने उसे रोक दिया और कहा के रूको पहले मुझे अपनी आँखों की प्यास बुझा लेने दो. उसस्की आँखों में असमंजस के भाव उभरे. मैने उसको बताया के छ्छूना, देखना, चूमना, और चोदना सब मज़ा लेने के तरीके हैं. हम किसी भी सुंदर वस्तु को देखते हैं तो उससे छ्छूने की इच्छा पैदा होती है. ऐसे ही किसी सुंदर लड़की को देखकर उसको छ्छूने, चूमने और चोदने की इच्छा उत्पन्न होती है. और हम इसी क्रम में प्यार करेंगे. पहले मैं तुम्हें अच्छी तरह देखूँगा, फिर छ्छूना चाहूँगा, फिर चूमूंगा और सबसे आखीर में तुम्हें चोदून्गा.
इस बार उसको इतना अजीब नही लगा. मैने फुर्ती से अपने कपड़े उतारे और फोल्ड करके चेर पे रख दिए और बेड पर बैठ गया. फिर मैने उसको अपने पास आने का इशारा किया. वो मेरे पास आ गयी. मैने उसको घूम जाने का इशारा किया और वो घूम गयी. अब उसकी पीठ मेरी ओर थी. उफ्फ क्या मादक शरीर था उस का. मेरे दिल में एक हुक सी उठने लगी उसके शरीर की मादकता से. बिल्कुल ऐसा जैसे संग-ए-मरमर की मूरत हो. ऐसा चिकना और दमकता हुआ. जिस चिकनाई के लिए हमारी हाइ सोसाइटी की औरतें हज़ारों-लाखों रुपये खर्च कर देती हैं पर ऐसी चिकनाई नही पा सकतीं, वो उसके शरीर में नॅचुरल थी. मैं सन्न रह गया उसकी पीठ को छ्छूकर. मैने अपने दोनो हाथ पूरी हथेली खोलकर उसकी पीठ से चिपका दिए, एक तेज़ करेंट जैसे मेरे शरीर में दौड़ गया. वो भी सिहर उठी. मेरे हाथ जैसे फिसलते हुए उसकी पीठ से उसके सीने की तरफ बढ़ गये. उसके दोनो मम्मे मेरे हाथों की कोमल गिरफ़्त में आ गये. दोनो मम्मे मेरे हाथों में ऐसे फिट हो गये जैसे मेरे हाथों का माप लेके घड़े गये थे.
मेरे हाथों की पहली अँगुलियाँ हुक के रूप में उसके निपल्स के नीचे आ गयीं और मेरे दोनो अंगूठे उनके ऊपेर एक नरम सा दबाव डालने लगे. अरषि ने एक लंबी साँस छ्चोड़ी और उसने मेरे सीने से अपनी पीठ टीका दी. दोनो पूरी मस्ती में थे और हमें कोई होश नही था. जाने कितनी देर तक हम ऐसे ही रहे. फिर अचानक वो झूमने लगी. मैने उसको खींच कर अपने साथ चिपका लिया. उसके मम्मे मेरे हाथों में जैसे चुभ रहे थे. मैं अपना एक हाथ ऊपेर उठाकर उसके मुँह को घूमाकर चूमने लगा. उसने एक ज़ोर की झुरजुरी ली और तड़प कर मेरी ओर पलट गयी और अपनी बाहें फैलाकर मुझको उनमें क़ैद करने की कोशिश की और मेरी छाती से चिपक गयी. एक तेज़ झटका मेरे शरीर ने भी खाया. उसके टाइट मम्मे मेरी छाती में चुभने लगे और उसके निपल तो ऐसे गढ़े मेरी छाती में जैसे अभी सुराख कर देंगे उस में. मैने उसके कंधे पकड़ कर अपने से थोड़ा परे किया और उसकी आँखों में झाँकते हुए उसको कहा के उसकी सुंदरता मुझे पागल कर देगी. उसकी उत्तेजना इतनी अधिक बढ़ चुकी थी के वो बोल नही पाई और केवल मुस्कुरा कर रह गयी.
फिर मैने अपनी आँखों से उसके बाकी के कपड़ों की ओर इशारा किया और वो उन को भी उतारने लगी. था ही क्या एक ढीली ढाली हाफ पॅंट ही तो थी और उसके उतरते ही उसकी गोरी-गोरी जानलेवा टाँगें नंगी हो गयीं. मैं उनको बेसूध सा होकर देख रहा था. इतनी सुंदरता पहले कभी मैने नही देखी थी. देखना तो एक ओर, मैने कभी सपने में भी ऐसी सुंदरता का नज़ारा नही किया था. उसकी सुगठित टाँगें देख कर मुझसे रहा नही गया और मैने पूछा के क्या एक्सर्साइज़ इत्यादि बहुत करती हो जो इतनी सुगठित टाँगें हैं. तो उसने बताया के उसको बचपन से ही साइकलिंग का बहुत शौक है और वो साइकलिंग बहुत करती है. शायद इसीलिए उसकी टाँगें इतनी सुगठित लग रही हैं.
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