RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो पा रहा था. इतनी अनुपम सुंदर लड़की मेरे सामने थी और मैं उसके साथ अपनी मर्ज़ी करने को आज़ाद था और वो भी उसकी पूरी रज़ामंदी के साथ. मुझसे और धैर्या नही हो पा रहा था. मैने अपना अंडरवेर भी निकाल दिया और अरषि ने भी अपनी पॅंटी उतार दी. अब हम दोनो पूरी तरह नंगे थे. वो जैसे ही अपनी पॅंटी को रख कर मेरी तरफ घूमी मेरी आँखों में जैसे बिजली चमक गयी, मेरी साँस अटक गयी और मेरा दिल उच्छल कर बाहर आने को हो गया. जैसे धड़कना भूल गया हो.
कारण था उसकी चूत. उसकी चूत पर बालों का कोई नाम-ओ-निशान तक नही था. छ्होटी सी उसकी चूत बिल्कुल किसी 10-12 साल की बच्ची की चूत के समान दिख रही थी. बीचो-बीच एक पतली सी लकीर जैसे क़िस्सी छ्होटे से गुब्बारे के बीच में धागे का दबाव डाल दिया हो. ऐसी फूली हुई और गोलाई लिए हुए बिल्कुल मदहोश कर रही थी. मैं फटी-फटी आँखों से उसे देखता ही रह गया. अरषि ने जैसे मेरी हालत भाँप ली और बोली के क्या हुआ, आप ऐसे क्यों देख रहे हैं? कोई जवाब देते ना बना तो मैने उसे दोनो हाथ फैला कर अपने निकट आने काइशारा किया. वो धीमे कदमों से चलकर दो कदम आगे आई और मुझसे लिपट गयी. मैने उसके मम्मों की चुभन को एक बार फिर अपने सीने पर महसूस किया और अपने हाथ लेजाकर उसके कोमल नितंबों पर रख दिए. जैसे दो फुटबॉल मेरे हाथों में आ गये हों. लेकिन फुटबॉल से उलट था उनके स्पर्श का एहसास. मुलायम, नरम, गरम, थरथराते हुए. दोनो गोलाईयों के बीच में एक गहरी दरार. मैने हाथ ऊपेर उसकी पीठ पर रखे और प्यार से सहलाता हुआ नीचे की ओर आया. इतना चिकना अहसास पहले कभी नही पाया था मैने. उसका अंग प्रत्यंग इतना आकर्षक था के मुझे सूझ ही नही रहा था के कहाँ से शुरू करूँ उसको प्यार करना. वो तो मेरे हाथों में एक ऐसा नायाब खिलोना था के मुझे खेलते हुए भी डर लग रहा था के कहीं टूट ना जाए.
मैने उसको अपने से अलग करते हुए कहा के अरषि तुम्हारे जैसी सुंदर लड़की मैने आज तक नही देखी है, भोगना और चोदना तो बहुत दूर की बात है. वो मुस्कुराई और बोली के मैं तो एक साधारण सी लड़की हूँ जैसी सब लड़कियाँ होती हैं. मैने उसको रोकते हुए कहा के मोती अपनी कीमत नही जानता पर एक पारखी उसकी कीमत जानता है. तुम क्या जानो के तुम क्या हो, यह तो मेरे दिल से पूछो के उस पर क्या बीत रही है. ऐसा लग रहा है के वो धड़कना ही ना भूल जाए. उसने अपना कोमल हाथ मेरे मुँह पर रखते हुए कहा के ऐसा मत बोलिए मैं आपके सामने हूँ और पूरी तरह से आपको समर्पित हूँ, आप जैसे चाहें मुझे प्यार करें, प्यार से या सख्ती से निचोड़ दें पर जल्दी करें मेरी बेचैनी भी बढ़ती जा रही है.
फिर क्या था मैं शुरू हो गया और उसके चेहरे पर, आँखों पर, माथे पर चुंबनों की बारिश कर दी. मेरे होंठों और हाथों की आवारगी मेरे बस में नही रही और मैने उसके शरीर का कोई भी हिस्सा नही छोड़ा जिस पर अपने होंठों की छाप ना लगाई हो और अपने हाथों से ना सहलाया हो. सबसे आख़िर में मैं पहुँचा उसकी चूत पर. वो चूत जो एक छ्होटी सी डिबिया के समान दिख रही थी. ऐसी चिकनी के हाथ रखते ही फिसल जाए. मैने अरषि को बेड पर सीधा करके लिटा दिया और उसकी चूत का निरीक्षण करने लगा. उत्तेजना की अधिकता से उसकी चूत की लकीर पर ओस के कन जैसे बिंदु चमक रहे थे. चूत की दोनो साइड्स इस तरह आपस में चिपकी हुई थीं जैसे उन्हे किसी चीज़ से चिपका रखा हो. मैने अपने हाथ की बीच की उंगली ऊपेर से नीचे की ओर फेरी. चिकनाई पर चिकनाई लगी होने के कारण मेरी उंड़ली फिसलती चली गयी और उसकी गांद के च्छेद पर पहुँच गयी. मैने वहाँ अपनी उंगली को गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया. अरषि के शरीर में एक कंपन शुरू हो गया. फिर मैने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया और दोनो हाथों से उसकी जांघे फैला दीं और दोनों अंगूठों से उसकी चूत को खोलने का प्रयास किया. थोड़ा दबाव डालने पर दोनो फाँकें अलग हो गयीं और अंदर से उसकी चूत को देखकर मैं दंग रह गया. जैसे कोई भीगा हुआ गुलाब काफूल रखा हो ऐसी लग रही थी उसकी चूत. बाहर को दो छ्होटी-छ्होटी पुट्तियाँ और उनके बीच उसका सबसे संवेदनशील अंग. उसका फूला हुआ भज्नासा. एक दम मनोहारी छटा.
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