RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
मैं तो दीवाना हो गया उसकी चूत का. मैने अपनी जीभ बाहर निकाल कर गुलाब के फूल को चाटना शुरू कर दिया. अरषि उच्छल पड़ी पर मेरे हाथों की मज़बूत पकड़ ने उसको ज़्यादा नही उच्छलने दिया. पर उसके उछलने से मेरी जीभ उसकी चूत में थोड़ा और अंदर चली गयी और उसको और आनंदित कर गयी. उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ फूटने लगीं. मैने अपना मुँह उठाकर अरषि की चूत को देखा. चूत का छ्होटा सा सुराख चमक रहा था गीला होकर और बहुत ही मोहक अंदाज़ में खुलकर बंद हो रहा था. मैं देखता रहा और कुच्छ देर बाद मैने फिर से उसकी चूत पर अपना मुँह पूरा खोल कर लगा दिया और चूस्ते हुए अपनी जीभ कभी उसपर फिरा देता तो कभी उसके अंदर घुसा रहा था. अरषि की उत्तेजना बढ़ने लगी और वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी. मेरे चाटने से उसकी चूत में गीलापन आ गया था और उत्तेजना की अधिकता को सहन ना कर पाने की वजह से वो बहुत ज़्यादा हिलने की कोशिश कर रही थी, जिसके फलस्वरूप मेरा मुँह भीकाफ़ी गीला हो गया था. फिर मैने अपना एक हाथ पूरा खोलकर उसके पेट पर रख दिया और अपने अंगूठे को नीचे लाकर उसके भज्नासे के आस पास फेरने लगा. उसकी उत्तेंजना और बढ़ गयी पर अब वो ज़्यादा हिल नही सकी क्योंकि मेरे हाथ ने उसके पेट पर दबाव बनाया हुआ था. मैं अरषि को ऊँचा करते हुए उसके नीचे आ गया और उसको अपने ऊपेर पीठ के बल ले लिया और फिर सीधा होते हुए बैठ गया. मैने अपने हाथ को उसकी चूत पर रखा और अपनी बीच की उंगली से उसकी चूत के छेद को रगड़ने लगा.
मेरी उंगली गीली होते ही मैने उसकी चूत में डालने की कोशिश की. थोड़ी सी अंदर करके मैं उसकी चूत में उंगली को इस तरह हिलाने लगा के उसकी चूत का मुँह थोड़ा खुल जाए. मेरी उंगली अब आधे से थोड़ी कम उसकी चूत में घुस गयी थी. मैने उंगली को अरषि की चूत में हिलाना शुरू कर दिया तो वो उत्तेजना से उच्छल पड़ी और मैं हैरान हो गया. मेरी उंगली पूरी की पूरी उसकी चूत में घुस गयी थी और अरषि ने मेरे हाथ के ऊपेर अपने हाथ रखकर दबा दिया था और बोली के ऐसे ही करो बहुत मज़ा आ रहा है. फिर मुझे यह ध्यान आया कि साइकलिंग अधिक करने के कारण उसकी कुमारी झिल्ली फॅट चुकी होगी और इसीलिए मेरी उंगली बिना किसी रुकावट के उसकी चूत में घुस गयी थी. उसकी चूत का मेरी उंगली पर दबाव और थोड़ी-थोड़ी देर में संकुचन होने से दबाव का बढ़ाना मुझे आनंदित किए दे रहा था. मैं अंदर ही अंदर अरषि की चूत में अपनी उंगली को हिलाने लगा और थोड़ी ही देर में वो झाड़ गयी. उसके मुँह से एक आनंद की सीत्कार निकली और वो निढाल हो गयी. कुच्छ देर हम ऐसे ही बिना हिले पड़े रहे और थोड़ी देर में ही अरषि की साँसें संयत हो गयीं.
मैने अरषि को उठाया और उसको अपने ऊपर लिटा लिया. उसकी टाँगें मेरे दोनो तरफ थीं और पूरी तरह से फैली हुई थीं. उसके मम्मे मेरे छाती पे थोड़ा नीचे मुझ पर एक आनंद-दायक दबाव बनाए हुए थे. मेरे हाथों की आवारगी बढ़ने लगी और वो अरषि की नंगी मखमली पीठ को नाप रहे थे. मेरा लंड हम दोनो के बीच में दबा हुआ था. मैने उसकी गांद पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा के नीचे से थोड़ा ऊपेर उठे. उसने मुझे पूछा के क्या करना है. मैने कहा के अब तुम्हें चोदने की बारी है और क्योंकि मैं 2-2 चुदाईयाँ करने के कारण थका हुआ हूँ इसलिए उसको थोड़ी मेहनत करनी होगी. उसने अपना शरीर थोड़ा ऊपेर उठा लिया और मैने अपने लंड को हाथ में लेकर उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया. क्या गरमी थी चूत में, मेरा लंड गर्मी पा कर और अधिक मचलने लगा उसकी चूत में अंदर तक घुस कर उसकी पूरी तलाशी लेने के लिए. मैने अरषि से कहा के अब वो इसको अपनी चूत के अंदर लेने का प्रयास करे.
अरषि ने अपना भार मेरे लंड पर डालते हुए उसको अपनी चूत के अंदर लेने का प्रयत्न किया और उसको सफलता भी मिली. चूत अभी-अभी झड़ने के फलस्वरूप एक दम स्लिपरी थी और पहली ही बार में मेरा लंड आधे से थोड़ा सा ही कम लील गयी. चूत की दोनो पंखुरियों ने मेरे लंड को एक अद्भुत घर्षण का आनंद दिया. मैने अरषि को वहीं रोक दिया और कहा के अब बाकी का काम मुझ पर छ्चोड़ दे. वो रुक गयी और मैने फिर उसकी पीठ और गांद को सहलाना शुरू कर दिया. मैने अरषि से पूछा के कोई तकलीफ़ तो नही हो रही. वो बोली के तकलीफ़ तो नही हो रही पर थोड़ा टाइट अंदर गया है तो अजीब सा लग रहा है. मैने कहा के पहली बार अंदर घुसा है ना इसलिए उसको ऐसा लग रहा है थोड़ी देर में ही मज़ा आने लगेगा और बहुत अच्छा लगने लगेगा. वो बोली के अभी तक जितना मज़ा मैने उसको दिया है उससे पहले कभी नही आया, इसलिए मैं जैसा चाहूं उसके साथ कर सकता हूँ और वो पूरी तरह से मुझे समर्पित है. मैने उसको कहा के मेरी जान मेरी भी ऐसी ही हालत है और अब देखो तुम्हे पहले से भी अधिक मज़ा आने वाला है. मैने नीचे से हल्की-हल्की थाप देनी शुरू की. उसकी मस्त गांद को मैने अपने दोनो हाथों में कस कर पकड़ लिया और नीचे से प्यार से धक्के मारने शुरू कर दिए. थोड़ा-थोड़ा लंड को और अंदर करते हुए मैने अपने लंड को पूरा अरषि की चूत में पेल दिया. लंड ने जैसे ही उसकी बच्चेदानी पर चोट की वो गुदगुदाहट से भर गयी और खुशी से चिल्ला पड़ी के यह क्या हुआ है, मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा बड़ी ज़ोर की गुदगुदी जैसी हो रही है.
मैने नीचे से धक्के मारने चालू रखते हुए उसको समझाया के क्या हुआ है और यही तो मज़ा है चुदाई में, बोलो मज़ा आ रहा है ना? वो खुशी भरे स्वर में बोली के जी थोड़ा नही बहुत आ रहा है. मैने कहा के लूटो, जी भर के मज़ा लूटो और बाकी सब कुच्छ थोड़ी देर के लिए भूल जाओ और चुदाई का भरपूर मज़ा लूटो. फिर मैने छ्होटे-छ्होटे धक्कों से शुरू किया अरषि को चोदना नीचे से. कुछ देर के बाद मैने कहा के अरषि अब तुम खुद ही ऊपेर नीचे होकर लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करो और मज़ा लो. अरषि ने ऐसा ही किया पर वो 2-3 गहरे धक्के लगाने के बाद लंड को पूरा अंदर कर लेती और अपनी चूत को गोल गोल घुमा के लंड की जड़ पर रगड़ती और फिर धक्के मारना शुरू कर देती. क्या सुंदर और कामुक नज़ारा था दोस्तो अब आप भी अपने हाथो सॉफ कर लो
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