RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--11
गतान्क से आगे..............
यह मेरी आज की तीसरी चुदाई थी और ऐसा बहुत कम बार हुआ है के मैं एक ही दिन में तीन बार या तीन अलग-अलग लड़कियों की चुदाई की हो. अरषि की चूत भी और कुँवारियों की तरह बहुत टाइट थी और एक अनोखा आनंद प्रदान कर रही थी. लेकिन उसकी चूत में नॅचुरल ल्यूब्रिकेशन बहुत अच्छा था और मेरे लंड को अंदर बाहर होने में कोई कठिनाई नही हो रही थी. मैने अरषि के शरीर को आगे से भी ऊँचा कर दिया. वो घुटनों पर ऊपेर नीचे हो रही थी इसलिए मैने उसके घुटनों के नीचे तकिये लगा दिए ताकि उसको थोड़ा लीवरेज मिल जाए ऊपेर नीचे होने के लिए. उसने अपने हाथ मेरी छाती पर रख दिए और धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी. मैने हाथ बढ़ा कर उसके मम्मे अपने हाथों में ले लिए और उनको मसल्ने और दबाने लगा. कुच्छ ही देर में अरषि की साँसें भारी होने लगीं और उसकी रफ़्तार कुच्छ देर तो तेज़ रही पर फिर वो धीमी होने लगी. मैं उसे लिए हुए ही पकड़ कर घूम गया और धक्के मारने शुरू कर दिए. थोड़ी देर के बाद ही वो पूरी तरह गरमा गयी और नीचे से गांद को उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी.
मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस कर उसकी बच्चेड़ानी से टकरा रहा था और उसको गुदगुदा रहा था. उसने आँखें मूंद ली थीं और चुदाई काआनंद ले रही थी. उसके मुँह से आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयीं, आ…..आ…..आ…..आ…..न, ह…..आ…..आ…..आ…..न, ज़ोर-ज़ोर से करो, और ज़ोर से. मैने थोड़ा और ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए. मेरा लंड उसकी टाइट चूत में अंदर बाहर हो रहा था और घर्षण का बहुत ही मज़ा पा रहा था. जब पूरा लंड अंदर घुस जाता और हमारे शरीर आपस में टकराते तो फक-फक की आवाज़ें कानों में मधुर संगीत की तरह गूँज रही थीं. यह छ्होटी सी लड़की, मेरा मतलब है के शरीर से छ्होटी, चुदाई में ऐसे साथ दे रही थी के मेरा आनंद बहुत ही बढ़ गया और साथ ही साथ उसका भी. फिर वही हुआ जो हमेशा होता आया है, ऑल गुड थिंग्स कम टू आन एंड. पर यह अंत बहुत ही सुखद था. उसका शरीर ज़ोर से काँपने लगा जैसे जूडी के बुखार में काँपता है. उसस्के मुँह से हुंकारें निकालने लगीं. फिर एक चीख के साथ उसने बहुत ज़ोर से अपनी गांद को उछाला और झाड़ गयी. हर साँस के साथ उसके मम्मे तन कर उठ जाते और साँस छोड़ने पर थोड़ा नीचे हो जाते. यह देख कर मेरे अंदर भी उत्तेजना की एक तेज़ लहर उठी और मैने उसकी गांद के नीचे हाथ डाल कर दोनो गोलाईयों को कस्स के पकड़ लिया और ऊपेर उठा कर पूरी ताक़त से धक्के लगाने लगा.
हर धक्के के साथ उसका शरीर काँप जाता और उसस्की हुंकार निकलती. 8-10 करारे धक्कों के बाद मैं भी झाड़ गया और लंड को पूरा उसकी चूत में घुसाकर अपने वीर्य की फुहार चूत में छ्होर दी. अरषि की चूत मानो उस फुहार से आनंद विभोर हो गयी और उसने एक बार फिर पानी छ्होर दिया. मैने उसको जकड़े हुए ही एक पलटी ली और बेड पर सीधा हो के लेट गया. अरषि मेरे ऊपेर थी और उसने मुझे कस्स के अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था. धीरे-धीरे हमारी साँसें और दिलों की धड़कनें समान्य हो गयीं. इस तरह अरषि की पहली चुदाई संपन्न हुई.
चुदाई तो संपन्न हो गयी थी पर मेरा दिल अभी अरषि से भरा नही था. मैने मेनका को तो नही देखा पर सुना है उसने ऋषि विश्वामित्रा कातप भंग कर दिया था. मेरे विचार में अरषि भी मेनका से कम नही थी. मेनका भी इतनी ही सुंदर रही होगी ऐसा मेरा विश्वास है. मेरी साइड में लेटी हुई फूलों जैसी हल्की अरषि को मैने अपनी दोनो बाहों में उठाकर बेड साइड में बैठ गया और अरषि को खड़ा कर दिया अपनी टाँगों के बीच में. एक बार तो वो सीधी खड़ी ना हो सकी फिर मेरे कंधे पकड़ के सीधी हो गयी. मैने अपनी बाहें उसके गिर्द लपेटते हुए अरषि को अपने साथ चिपका लिया. उसके सख़्त मम्मे मेरी छाती में चुभने लगे. उसने अपने मम्मे मेरी छाती में रगड़ने शुरू कर दिए. आनंद के हिचकोले मेरे शरीर में दौड़ने लगे. मैने उसको हंसते हुए कहा कि क्या मेरी छाती में च्छेद करने का इरादा है अपने सख़्त मम्मों से. वो भी मेरी बात सुनकर खिलखिलाकर हंस पड़ी. मैने उसके खुले मुँह को अपने दोनो होंठ उसमे डालकर खुला रहने पर मजबूर कर दिया. उसने भी अपनी जीभ आगे लाकर मेरे होंठों पर दस्तक दी. मैने अपने होंठ खोलकर उसकी जीभ का स्वागत किया और फिर हमारी जीभों में एक फ्रेंड्ली मॅच शुरू हो गया जिसका आनंद मैं बयान नही कर सकता.
मैने अरषि को अपनी बाहों में कस लिया और खड़ा हो गया. अरषि ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं और अपनी टाँगें मेरी कमर में लपेट दीं. उसकी चूत की गर्मी मुझे अपने पेट पर महसूस हो रही थी. मैं इस तरह उसको लिए हुए बाथरूम में आ गया. वहाँ मैने बाथ टब में पानी भरा और उसमे बबल बाथ डाल कर उसमे घुस गया. इस सब के बीच अरषि मेरे गले में बाहें डाले और मुझे अपने टाँगों में कसे हुए थी और हमारे मुँह आपस में चिपके हुए थे. पानी मैने समान्य से थोड़ा गरम रखा था ताकि अरषि के मसल्स को आराम मिले और वो नॉर्मल हो जाए. मैं बाथ टब में अढ़लेटा हो गया और अरषि मेरी साथ मेरे ऊपेर लदी हुई थी. फिर मैने उसको अपने से अलग करते हुए पलट दिया अब उसकी पीठ मेरी छाती से चिपकी हुई थी और मेरे हाथ उसकी बगलों से होते हुए उसस्के जानलेवा मम्मों पर पहुँच गये और मैं उनसे खेलने लगा. हम ऐसे ही एक दूसरे से खेलते रहे जब तक पानी ठंडा नही हो गया. फिर हम बाथ टब से बाहर आ गये और मैने बहुत ही प्यार से अरषि काबदन पोंचा और उसने मेरा. हम बाहर बेडरूम में अपने कपड़ों के पास पहुँचे और कपड़े पहन कर चलने को रेडी हो गये.
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