College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
08-25-2018, 04:22 PM,
#30
RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--12 
गतान्क से आगे.............. 
मैने कुच्छ देर सोचा फिर पूच्छा के वो मिलकर चाहती क्या है? वो नज़रें झुका के बोली के वो भी सब कुच्छ करना चाहती है. मैने फिर उसको पूच्छा के तुम क्या चाहती हो? उसने कहा के मुझे कोई भी ऐतराज़ नही है अगर आप उसके साथ भी यह सब करो पर मैं इतना चाहती हूँ के सब मेरे सामने करो ताकि मैं सब कुच्छ लाइव होते देख सकूँ. मेरी हँसी निकल गयी और मैने उठकर डोर लॉक किया और उसको खींच कर एक ज़ोर की झप्पी डाली, पप्पी ली और कहा के अँधा क्या चाहे, 2 आँखें, जल्दी ले के आओ उसको. तुमको भी एक स्पेशल ट्रीट मिलेगी. वो बहुत खुश हुई और बोली के मैं भी तुम्हे एक ट्रीट दूँगी, मेरी सारी चिंता जो ख़तम कर दी है. मैने कहा के जब दोस्त बनाया है तो तुम्हारी सारी चिंताएँ और परेशानियाँ मेरी भी तो हैं. अब देर ना करो अदिति को जल्दी ले के आओ. पर उसको अभी बताना कुच्छ नही, कोई भी बहाना करके ले आना. वो बोली के ठीक है उसको इंटरनेट पर कुछ देखना है मैं उसी बहाने उसको लेके आती हूँ. और यहाँ दरवाज़े पर आकर उसको बता देना और अंदर ले आना, मैने कहा. वो हंस पड़ी और बोली के हां यह ठीक रहेगा. वो अदिति को लाने चली गयी और मैं भगवान को याद करके उनका धन्यवाद करने लगा के क्या किस्मेत बनाई है मेरी. 

थोड़ी देर में ही मुझे दरवाज़े के पास हल्की-हल्की आवाज़ें सुनाई पड़ीं और मैं उधर ही देखने लगा. पहले अरषि नज़र आई और वो एक हाथ अपने हाथ में पकड़े किसी को खींच रही थी और कह रही थी कि आ भी जा अब क्या हो गया है? यह शायद अदिति ही थी जो अब या तो शर्मा रही थी या घबरा रही थी. फिर अरषि उसे थोड़ा खींचने में सफल हो गयी. अब अदिति भी दरवाज़े के सामने थी. मैं चेर से खड़ा हो गया और बोला के अदिति डरो नही अंदर आ जाओ. मेरी आवाज़ सुन कर वो एक दम ढीली पड़ गयी और धीरे धीरे नज़रें झुकाकर चलकर अंदर आ गयी. अरषि दरवाज़े पर ही थी. मेरी आँख के इशारे पर दरवाज़ा लॉक करके वो भी अंदर आ गयी. फिर उसने अदिति की पीठ पर हाथ रखकर उसको मेरी ओर धकेलते हुए बिल्कुल मेरे निकट कर दिया. 

अदिति को देख कर मैं सोचने लगा के इसको तो भगवान ने बहुत ही फ़ुर्सत में बैठ के बनाया होगा. वो थी ही इतनी सुंदर. उसने हल्के गुलाबी रंग का पतला सा टॉप पहना हुआ था जिसमे से उसके निपल्स तने हुए दिख रहे थे जो शायद डर और एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से एकदम कड़क हो गये थे. उसके उभार अरषि से थोड़े से बड़े थे और सर उठाए खड़े थे. उसकी कमर बहुत पतली थी और गांद भारी थी. थी वो भी अरषि की तरह ही पर अरषि से 2 इंच लंबी थी यानी के 5 फुट लंबी थी. स्किन अरषि की तरह ही चिकनी और चमकदार. मेरा लंड उसको देखकर करवट बदलने लगा. 

मैं चेर से उठकर खड़ा हो गया और एक हाथ उसके कंधे पर रखके दूसरा हाथ उसकी ठुड्डी पर रखके उसका चेहरा ऊपेर किया और बहुत प्यार से उसकी आँखों में देखते हुए पूछा के मुझसे दोस्ती करोगी? वो कुच्छ नही बोली पर उसकी आँखों से डर के भाव जा चुके थे. मैने आगे उसको तसल्ली दी के देखो अगर तुम मेरी दोस्त बनोगी तो भी केवल तुम्हारे ऊपेर ही रहेगा के तुम कितना आगे बढ़ना चाहती हो. मेरी ओर से कभी भी कोई भी ज़बरदस्ती नही होगी. तुम मेरा मतलब समझ रही हो ना. उसने हां में सर को हिला दिया. मैने फिर पूछा के अब बताओ के क्या चाहती हो? उसने फिर नज़रें झुका लीं और आगे हो कर अपनी बाहें मेरे गिर्द लपेट कर धीरे से बोली के सब कुच्छ और मुझको ज़ोर से अपनी बाहों में कस लिया. उसके मम्मे मेरे शरीर में ऐसे चुभने लगे जैसे दो कच्चे अमरूद हों. मैने प्यार से उसकी पीठ सहलाई और अपना हाथ घुमा कर उसके मम्मे पर ले आया और उसका भार तोलने लगा. अदिति ने एक झुरजुरी ली और ज़ोर से मेरे साथ चिपक गयी. मैं उसकी अपने साथ चिपकाए हुए ही बेडरूम की ओर बढ़ गया और साथ ही अरषि को भी इशारा किया के वो भी कंप्यूटर रूम को लॉक करके आ जाए. बेडरूम में पहुँच कर मैने अरषि को कहा के आज तो अलग ही मज़ा आएगा तो वो बोली क्या, तो मैने कहा के आज 2-2 जवान और सुंदर लड़कियों को मैं चोदुन्गा और उनको भरपूर मज़ा देते हुए खुद भी मज़ा लूँगा. 

आदित इस पर शर्मा गयी और बोली के धात्ट ऐसे क्यों बोलते हो. मैने कहा के शरमाने की क्या बात है इसको और भी कुच्छ कहते हैं तो बताओ. पर एक बात है और कुच्छ कहने से चुदाई कहना कितना मज़ेदार लगता है. फिर हम ऐसा आपस में ही तो कह रहे हैं और किसी के सामने थोड़ा ही कह रह हूँ. यह कहते हुए मैं बेड पर बैठ गया और अदिति को अपनी एक जाँघ पर बिठा लिया. फिर उसके टॉप को दोनो हाथों से पकड़ कर ऊपेर किया, उसके हाथ अपने आप ही ऊपेर हो गये और मैने उसका टॉप उतार कर चेर पर रख दिया. उसके तमतमाए हुए मम्मे मेरी आँखों के सामने थे और तन कर मानो चुनौती सी दे रहे थे के देखो हम कैसे सर उठा के खड़े हैं. मैने एक मम्मे को अपने मुँह में लेकर चुभलना शुरू किया तो अदिति की सिसकारियाँ निकल गयीं. मैने उसके मम्मे को आज़ाद किया और खड़ा होकर अपने कपड़े उतारने लगा और उनको भी कहा के अपने कपड़े उतार दो. थोड़ी ही देर में हम तीनो नंगे हो गये और कपड़े फोल्ड करके चेर पर रख दिए. 

फिर मैने दोनो को अपनी बाहों में लिया और कहा के आज अदिति का पहला दिन है तो हम अदिति को पहले मज़ा देंगे. अरषि ने कहा के बिल्कुल ठीक है. फिर मैने अदिति से पूछा के बोलो क्या दिल कर रहा है, हम वैसा ही करेंगे. वो बोली के अभी आपने मेरे मम्मे को मुँह में लेकर जो प्यार किया था वो मुझे बहुत अच्छा लगा था. अरषि हंस पड़ी और बोली लाडो अभी तूने चुदाई का मज़ा नही देखा है, एक बार चुदवा लेगी ना तो सब मम्मे शममे भूल जाएगी. मेरी ज़ोर की हँसी निकल गयी और मैने अरषि से कहा के तुम ठीक कह रही हो पर ये तो अभी जानती नही ना जब जान लेगी फिर मान भी लेगी. फिर एकदम तो चुदाई नही शुरू की जाती, पहले प्यार करते हैं, उस से उत्तेजना बढ़ती है और चुदवाने का दिल करने लगता है और जब दिल करने लगता है तभी चोदा जाता है क्योंकि मज़ा भी तभी आता है. ऐसे ही अगर चोदना शुरू कर दूं तो अभी तुम्हारे भी आँसू निकल जाएँगे. प्यार करने से जो उत्तेजना होती है उसके साथ साथ चूत में गीलापन आ जाता है और तभी चोदना ठीक होता है. दोनो ने बड़े ध्यान से मेरी बात सुनी और अपने सर हिलाए. 

फिर मैने अरषि से कहा के अब देखो जैसे जैसे मैं करूँ वैसा ही तुम कॉपी करना तो अदिति को बहुत मज़ा आएगा और फिर तुमको भी मज़ा आएगा. मैने अदिति को बेड पर चित्त करके लिटा दिया और उसकी एक साइड पर मैं लेट गया और इशारे से अरषि को दूसरी साइड पर लेटने को कहा. फिर मैने अपनी एक टाँग उठाकर अदिति की जाँघ पर रखकर उसे रगड़ना शुरू किया बहुत प्यार से. अरषि ने भी मेरा अनुसरण करते हुए वैसे ही किया. थोड़ी ही देर में अदिति की मादक सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं. वो कोशिश कर के भी अधिक हिल-डुल नही पा रही थी क्योंकि एक तरफ से मैने और दूसरी तरफ से अरषि ने उसकी छाती और जंघें दबा रखी थीं. मैने उसके मम्मे का चूसना जारी रखते हुए अपना हाथ वहाँ से हटा कर उसकी बिना बॉल की चिकनी चूत पर रखा और उसके भज्नासे के आसपास अपनी उंगली चलाने लगा. वो बहुत ज़ोर से गंगना गयी और उसकी चूत की दरार में उसके पानी की बूंदे चमकने लगीं. उसकी चूत गीली हो गयी थी उत्तेजना के फलस्वरूप. 

मैने महसूस किया के उसकी साँसें भी धौंकनी की तरह चल रही थीं और उसका सीना तेज़ी से ऊपेर नीचे हो रहा था. बहुत कठिनाई से उसके मुँह से बोल फूटे के ह…….आ…….य…….ए……. र……..आ…….म…… य……..ए……. क……..य…….आ……. ह……..ओ…….. र…….आ…….ह…….आ……. ह…….आ……ई……. म…….ए…….र…….ए……. स……..आ…….आ…….त…….ह. मैने उसके मम्मे से मुँह उठाकर कहा यह ना सोचो के क्या हो रहा है, मज़ा आ रहा है, मज़ा लेती रहो. आगे अभी और भी ज़्यादा मज़ा आएगा. आनंद ही आनंद है लूट लो जितना जी चाहे. इसके साथ ही मैने उसके मम्मे को मुँह में लेकर ज़ोर से चुभलना शुरू कर दिया और उसके भज्नासे से लेकर उसकी गांद के छेद तक अपनी बीच की उंगली हौले-हौले फेरनी शुरू कर दी. अदिति की चूत के स्राव से भीगी उसकी दरार पर मेरी उंगली फिसलने लगी और उसकी उत्तेजना में वृद्धि स्पष्ट देखी जा सकती थी. और फिर मैने अपना दूसरा हाथ अदिति की गर्दन के नीचे से लेजाकार अरषि के मम्मे पर जमा दिया और उसका माप-तोल करने लगा. अरषि अपने मम्मे पर मेरे हाथ के खिलवाड़ से बहुत खुश हुई और नखरे से बोली के मेरी याद आ गयी आपको. मैने कहा के मेरी जान तुम्हे भूले ही कहाँ हैं जो याद करें, तुम तो हो ही इतनी अनूठी के तुमको भूलना नामुमकिन है. और तुम्हारी तरह ही तुम्हारी यह छ्होटी बहन भी अपनी तरह की एक ही है. तुम दोनो बहनें मिलकर मुझे इतना सुख देने वाली हो के मैं तो यह सोच सोच कर ही बावरा हो रहा हूँ. 

अब मैने दोनो को हाथ ऊपेर करके सीधा बिल्कुल चिपका कर लिटा दिया और मैं दोनो की टाँगों के बीच अपनी एक-एक टांग देकर लेट गया. दोनो की साइड्स में अपनी कोहनियाँ टीका कर मैं ऊपेर को हुआ और मेरे हाथ उनके एक-एक मम्मे को पकड़ कर खेलने लगे. बीच वाले दोनो मम्मे जो आपस में एक दूसरे को छ्छू रहे थे, मैने अपने मुँह में ले भर लिए और उनके निपल्स अपने दांतो में प्यार से दबाने और जीभ से चाटने लगा. दोनो की मस्त सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं. कभी मैं अपना मुँह उठाकर उनके मुँह इकट्ठे ही किस करने लगता. 

मैं उठा और अरषि को भी उठा दिया और अदिति के मुँह पर उसकी चूत लगा दी और अदिति से कहा के वो अरषि की चूत को वैसे ही चाते जैसे मैं उसकी चूत को चाटने जा रहा हूँ. साथ ही मैं अदिति की चूत पर अपना मुँह लगा कर उसकी चूत को चूसने लगा और अपनी जीभ से छेड़ने लगा. आदित की साँसें गहरा गयीं और उसके मुँह से ह…..उ…..उ…..न….., ह…..उ…..उ…..न….., की आवाज़े निकलनी शुरू हो गयीं. मैने एक हाथ बढ़ाकर उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए. मैने देखा की अरषि की तरह अदिति के मम्मे भी बहुत संवेदनशील थे और उनको छ्छूने पर वो तेज़ी से उत्तेजित हो जाती थी. मेरा हाथ अदिति के दोनो मम्मो से खेल रहा था और मेरी जीभ उसकी चूत में खलबली मचा रही थी. फलस्वरूप उसकी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी के वो करहने लगी और काँपते स्वर में बोली के यह क्या हो रहा है मुझको, ऐसा लगा रहा है के मेरे अंदर कुछ उबल रहा है और बाहर आने वाला है. अरषि ने कहा के मेरी लाडो तू पहली बार झड़ने वाली है अपने आप को रोक मत और जो हो रहा है उसको हो जाने दे और उसका मज़ा ले. जैसे वो यही जानना चाहती थी, इतना सुनते ही वो बड़ी ज़ोर से काम्पि और झाड़ गयी. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसे मैं चाट गया. फिर मैं अपना मुँह उठाकर अरषि के एक मम्मे को मुँह में लेकर चुभलाने लगा और दूसरे को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिया. नीचे से अदिति उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रही थी. थोड़ी ही देर में अरषि भी झाड़ गयी और अदिति के साथ ही ढेर हो गयी. 

मैं दोनो के बीच में बैठ गया और उनको उठाकर अपनी जांघों पर बिठा लिया और दोनो को अपनी बाहों में भींच लिया. दोनो ने भी अपनी बाहें फैलाकर मुझे और एक-दूजे को कस्स लिया. उनके मम्मे मेरे शरीर में गाढ़ने लगे और तीनों के मुँह इकट्ठे हो गये. हम तीनों ने अपनी-अपनी जीभें बाहर निकालीं और आपस में जीभों को चाटने लगे. अरषि ने अपना एक हाथ नीचे लाकर मेरे आकड़े हुए लंड को पकड़ लिया और अदिति से बोली लाडो देख यह कैसे अकड़ रहा है तेरी चूत में जाने के लिए. अदिति ने मेरे लंड को देखा और बोली इतना लंबा मेरी चूत में कैसे जाएगा? अरषि बोली जैसे मेरी चूत में गया था और साची बोलूं स्वर्ग के झूले दिए थे इसने मुझे. इस पर अदिति तुनक कर बोली के मुझे भी दो ना स्वर्ग के झूले. मैने कहा के थोड़ा सा सबर करो तुमको भी स्वर्ग के झूले दूँगा और इतना मज़ा दूँगा के कभी भूल नही सकोगी अपनी पहली चुदाई . दोस्तो कहानी अभी बाकी है फिर मिलेंगे आपका दोस्त राज शर्मा 

क्रमशः. 
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