RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--14
गाटांक से आयेज..............
मैने अरषि से पूछा के बोलो कैसे और कितना मज़ा लेना चाहती हो. वो मुस्कुराई और बोली के यह सब तो आपके ऊपेर है जैसे आप चाहें वैसे मज़ा लीजिए, क्योंकि मैं जानती हूँ के आप अपने मज़े से ज़्यादा मेरे मज़े का ध्यान रखेंगे. मैने उसको प्यार से अपनी ओर खींचा और अपने साथ चिपका लिया और उसको कहा के ज़रूर मेरी जान मैं हमेशा यही चाहता हूँ के मेरे से चुदवाने वाली हर लड़की को इतना मज़ा आए के वो मज़े में पूरी तरह डूब जाए और मुझे तो लंड अंदर बाहर करने में मज़ा आ ही जाना है. चुदाई तो वही है के लड़की को भरपूर मज़ा आए. यह क्या हुआ के 15-20 धक्के लगा के आदमी तो मज़ा लेके अपना पानी निकाल दे और औरत अपनी चूत मरवाने के बाद भी प्यासी रह जाए.
वो मुझ से लिपट गयी और बोली फिर आज कैसे करेंगे? मैने कहा के क्या? वो बोली मेरी चुदाई. मैने उसको ज़ोर से भींच लिया और कहा के मज़ा आ गया तुम्हारे मुँह से यह सुनकर और कोई प्लान बनाकर नही चोदा जाता के आज ऐसे चोदना है. जैसे भी जो कुछ अपने आप होता है हो जाता है और उसमे मज़ा भी बहुत आता है. मैने उसको उठा लिया और बेड पर आ गया. उसको सीधा लिटा कर पहले उसके मम्मों को दबाया और एक को दबाते हुए दूसरे को पूरा मुँह में भर लिया. उसके कड़क मम्मे को मुँह में लेकर मैने अपनी जीभ चलानी शुरू की. उसके खड़े निपल को जीभ से छेड़ना चालू किया तो वो आ……ह, ह…..आ…..आ…..न, करने लगी. एक हाथ मैने उसकी जांघों पर फेरना आरंभ कर दिया. जांघों से घूम कर वो हाथ उसकी चिकनी बिना बालों वाली चूत पर आया तो अरषि ने एक झुरजुरी ली. उसकी चूत की दरार पर पानी की बूँदें चमकने लगीं. मैने अपनी बीच की उंगली उसकी दरार पर फेरी और वो भीग गयी. मैने उसकी दरार पर थोड़ा सा दबाव डाल और उंगली को उसकी चूत के सुराख पर रगड़ा. उसने उत्तेजना के वशीभूत एक दम पलटी खाई और मेरे ऊपेर आ गयी. उसका चेहरा तमतमा कर लाल टमाटर हो गया था. मैने उसके होंठ चूमे और उसको घुमा दिया और कहा के मेरे लंड को थोड़ा अपने मुँह में लेकर चूसे और मैं तब तक अपनी जीभ से उसकी चूत की तलाशी लेता हूँ.
अरषि ने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया पर केवल आधा लंड ही उसके मुँह में गया और आधा बाहर ही रह गया. पर उसने लंड के बेस पर अपने दोनो हाथ लगा दिए और मुँह को ऊपेर नीचे करने लगी. मैने उसकी चूत की दोनो फाँकें अलग कर के अपने जीभ उसमे घुसा दी और जीभ से धीरे धीरे चोदने लगा. एक उंगली से उसके भज्नासे को छेड़ना शुरू किया. उसकी ग..ओ..ओ..न, ग..ओ..ओ..न की आवाज़ें सुनकर मेरी उत्तेजना में भी थोड़ी वृद्धि हुई और मेरे लंड ने पूरी तरह अकड़ना शुरू कर दिया. फिर जब उसके चाटने और चूसने से मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया तो मैने उसको कहा के आ जाओ अब सीधी हो के लेट जाओ. वो मेरे नीचे लेट गयी और मैने अपने लंड को हाथ में लेकर उसकी चूत पर लगा के रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी चूत की दोनो गुलाबी पंखुड़ीयाँ अलग हो गयीं और मैने अपने लंड को चूत में घुस्सा दिया. मेरे लंड का सुपरा ही अभी अंदर गया था और अरषि ने एक गहरी साँस ली. मैने कहा के क्या हुआ? वो बोली के करते जाओ बहुत मज़ा आ रहा है. मैने 5-6 हल्के-हल्के धक्के मारे और अपना लंड आधा अरषि की चूत में घुसा दिया. अरषि की यह दूसरी चुदाई थी. उसकी चूत बहुत टाइट थी और मेरा लंड उसमे बहुत फस कर घुस रहा था. चूत की कसावट ने मेरे लंड को और भी टाइट कर दिया और वो एकदम लोहे की रोड की तरह हो गया. मैने आधे लंड की 8-10 चोटें उसकी चूत पर मारी और अरषि की साँसें भारी हो गयीं और उत्तेजना में उसकी आँखें मूंदनी शुरू हो गयीं.
उसने बोलना आरंभ कर दिया के इतने दिन बाद चुद रही हूँ हाए राम इतना मज़ा आ रहा है. आप जल्दी जल्दी क्यों नही चोद्ते हो. चुदाई कामज़ा लिए बिना नही रहा जाता. मैने कहा के मेरी गुड़िया मैं भी चाहता हूँ के रोज़ तुमको चोदू पर तुम्हारा ख्याल रखना भी तो मेरा फ़र्ज़ है. अगर तुम्हारी चूत को ज़्यादा चोदा तो यह जो अभी इतनी टाइट है ना यह एकदम खुल्ली हो जाएगी और तुम्हारे पति को यकीन हो जाएगा के तुम पहले ही बहुत अच्छी तरह से चूड़ी हुई हो तो वो तुमको इतना प्यार नही करेगा. फिर मैने अपने धक्कों की रफ़्तार और लंबाई दोनो बढ़ानी शुरू की और थोरी देर में ही मेरा पूरा लंड बाहर आ रहा था टोपे को छ्चोड़कर और फिर अंदर जा रहा था. अरषि की चूत अब अच्छी तरह से पनिया गयी थी, इस लिए लंड को अंदर बाहर करने में इतनी कठिनाई नही हो रही थी. थोरी देर में ही अरषि की साँसें फूलने लगीं. उसने अपने मम्मे अपने हाथों से भींचने शुरू कर दिए और मैने महसूस किया के वो झड़ने ही वाली है तो मैने उसकी दोनो टाँगें उठा कर ऊपर कर दीं और उसके घुटनों के पास से उसकी जंघें पकड़ कर 8-10 करारे शॉट लगाए. फिर क्या था वो हा…………, हा……… करती हुई झाड़ गयी.
उसके शरीर ने 4-5 झटके खाए और वो आँखे मूंद के ढेर हो गयी. मैं कुछ सेकेंड रुकने के बाद बहुत धीरे धीरे प्यार से अपना लंड पूरा अंदर बाहर करता रहा. थोरी देर में अरषि ने अपनी मस्ती में लाल हुई आँखें खोलीं और बहुत धीरे से बोली के अभी और भी चोदोगे? मैने कहा के हाए मेरी जान अभी क्या है के तुमको बहुत दिन के बाद और उसपे इतना ज़्यादा तरसा के चोदना शुरू किया है तो इतने पर ही थोड़ा ना छोड़ दूँगा. अभी तो तुमको ढेर सारा मज़ा और देना है. और अभी तो मेरा लंड इतनी जल्दी झदेगा भी नही क्योंकि एक बार झड़ने के बाद जब ये दोबारा खड़ा होता है तो जल्दी नही झाड़ता. वो मुस्कुराई और बोली मेरी तरफ से तो कोई रोक नही है जितना जी चाहे चोदो मुझे तो मज़ा आ रहा है और यह मज़ा मैं कभी नही भूल सकूँगी.
कितना मज़ा आ रहा है? यह अदिति की आवाज़ थी वो बाथरूम से आ गयी थी और उसकी हालत भी अब ठीक थी और शायद दर्द भी ऑलमोस्ट ख़तम हो गया था इसीलिए चाहक रही थी. मैने कहा के अदिति आओ और अपनी बहन को वैसे ही उत्तेजित करो जैसे इसने तुमको किया था. वो बोली के अभी लो इसने बहुत इंतेज़ार किया है अब तो इसको भी मज़ा मिलना चाहिए. और वो लग गयी अरषि के मम्मे चूसने और दबाने में. साथ ही वो उसके शरीर पर भी हाथ फेरती जा रही थी. थोड़ी देर में ही अरषि की उत्तेजना बढ़ गयी और वो बोली तेज़ी से चोदो ना इतनी आहिस्ता क्यों कर रहे हो. मैने कहा के आपकी अग्या का इंतेज़ार था अब देखिए के कितनी तेज़ और ज़ोर से चोद्ता हूँ मेरी गुड़िया. फिर मैने अपनी रफ़्तार इतनी तेज़ करदी 15-20 धक्कों में के वो हर धक्के पर चिहुनक जाती और हमारे शरीर टकराने की आवाज़ कासंगीत भी कमरे में गूँज जाता. फिर मैने कहा के अदिति तुम अपनी चूत अरषि के मुँह पर रख कर चुस्वाओ और चटवाओ और अपने मम्मे मुझे दो चूसने और मसल्ने के लिए. अदिति ने तुरंत अपनी चूत अरषि के मुँह पर रख दी और वो चाटने लगी. मेरे सामने अदिति के मम्मे आ गये जिनको मैने पहले प्यार से सहलाना शुरू किया और फिर उनको दबाना और एक को दबाते हुए दूसरे को चूसना और चाटना शुरू कर दिया.
अब मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी और उधर अरषि भी उत्तेजित हो चुकी थी. मैने अदिति का एक मम्मा चूस्ते हुए अपने दोनो हाथ अरषि की गांद के नीचे देकर उसको ऊँचा कर लिया और ज़ोर ज़ोर से थाप देने लगा. मुझे लगा के मैं बस झड़ने ही वाला हूँ. मैने अपनी रफ़्तार थोड़ी सी कम करदी. क्योंकि मैं अरषि के साथ ही झड़ना चाहता था, उस से पहले नही. 8-10 धक्कों के बाद ही अरषि का शरीर अकड़ने लगा और वो बोलने लगी के ह….आ…आ…न ऐसे ही करो ना थोड़ा और ज़ोर से तो मैने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और फिर तो अरषि को संभालना मुश्किल हो गया. वो बहुत ज़ोर से उच्छली और झड़ने लगी. साथ ही मैं भी उसकी चूत के झटके ना सह सका और झाड़ गया. मेरे लंड ने अपना गरम गरम लावा उसकी चूत में छोड़ दिया और फिर हम तीनों बेड पर ढेर हो गये. मैने देखा के अदिति भी अपनी चूत चाते जाने से और मेरे द्वारा मम्मे दबाए और चूसे जाने से एक बार और झाड़ गयी थी.
हम तीनो निढाल होकर बेड पर गिर गये और थोड़ी देर के बाद जब मेरी साँसें संयत हुई तो मैं बैठ गया और दोनो को अपने आजू बाजू ले लिया और अपने साथ चिपका के पूछा की बताओ कैसा रहा आज का चुदाई अभियान? दोनो हंस पड़ीं और एक साथ बोलीं के जी बहुत अच्छा. मैने कहा की अब जल्दी से कपड़े पहन लो और कंप्यूटर रूम में चलो कहीं किसी को कोई शॅक ना होने पाए. हम तीनों ने अपने अपने कपड़े पहने. फिर मैने ज़रूरी काम किया के अदिति को एक मसल रिलाक्सॅंट पेन किल्लर टॅबलेट खिला दी और दोनो को एक-एक गोली आंटी-प्रेग्नेन्सी की दे दी और कहा के सुबह नाश्ते के बाद खा लेना. अदिति के पूछने से पहले ही अरषि ने उसको समझा दिया के ये क्या गोली है और वो सर हिला के बोली अर्रे यह तो सोचा ही नही था. मैने हंसते हुए कहा के मैं हूँ ना सोचने के लिए. तुम तो मज़े लूटो और फिकर मत करो मैं कोई भी गड़बड़ नही होने दूँगा.
कंप्यूटर रूम में आते हुए मैने अरषि को बोला के उसने मुझे ट्रीट देने का प्रॉमिस किया था तो वो बोली के बिल्कुल किया था और मैं तुम्हें ट्रीट दूँगी भी पर आज नही फोन करके बता दूँगी के कब. मैने पूछा के क्या ट्रीट दोगि तो वो हंस के बोली के वो तो एक सर्प्राइज़ है, उसके लिए तो इंतेज़ार करना पड़ेगा. मैने कहा के ठीक है मेरी जान हम इंतेज़ार करेंगे तेरा कयामत तक तो वो हंसते हुए बोली के इतना लंबा इंतेज़ार भी नही करना पड़ेगा बस एक-दो दिन में ही फोन करके मुझे बता देगी.
हम कंप्यूटर रूम में आ गये और वहाँ पर थोड़ी देर रुकने के बाद वो दोनो चली गयीं और मैने उनकी रेकॉर्डिंग की डVड बर्न करके सेफ में रख दी और कम्यूटर से सब कुछ डेलीट करके बाहर आ गया और वापिस चल पड़ा. गेट पर राम सिंग को बोला के तुम्हारी दोनो बेटियाँ बहुत समझदार और तेज़ दिमाग़ हैं और बहुत जल्दी सब समझ लेती हैं ना टाइम खराब होता ना बार बार समझाने में दिमाग़. राम सिंग बोला साहिब आप इतने बड़े अध्यापक हैं तो आपका पढ़ाने का तरीका ही इतना अच्छा होता होगा के कोई भी दोबारा नही पूछ्ता होगा. मैं हंस पड़ा और वहाँ से चल दिया.
तीसरे दिन मैं अभी घर पहुँचा ही था के अरषि का फोन आया शायद कॉलेज से. मैने हेलो किया तो वो बोली के मैं अरषि बोल रही हूँ क्या आज आ सकते हो? मैने पूछा के अब क्या हो गया? तो वो बोली के तुम्हारी सर्प्राइज़ ट्रीट देनी है ना तो आ जाओ. मैने कहा के ठीक है मैं 45 मिनट में पहुँचता हूँ पर अब तो बता दो क्या ट्रीट देने वाली हो तो वो हंसते हुए बोली के सबर कीजिए श्रीमान और यहाँ चले आइए और अपनी ट्रीट लीजिए जो हम पर उधार है क्योंकि हम किसी का उधार नही रखते चाहते वो आप जैसा प्यारा दोस्त ही क्यों ना हो. मैने हंसते हुए ओके कहा और फोन काट दिया. मैने फटाफट ल्यूक किया और फार्म हाउस के लिए निकल पड़ा.
ठीक 45थ मिनट पर मेरी कार मैन डोर पर पहुँच चुकी थी. मैं कार से उतरा और अंदर आकर मैने डोर लॉक किया और अभी सोच ही रहा था के कंप्यूटर रूम में जाउ या बेडरूम में के मेरी नज़र कंप्यूटर रूम के डोर के नीचे से नज़र आ रही रोशनी की लकीर पर पड़ी और मैं उसी ओर चल पड़ा. कंप्यूटर रूम का दरवाज़ा खोला तो अंदर अरषि अकेली बैठी कंप्यूटर पर कुच्छ काम कर रही थी. मुझे देखकर वो तेज़ी से मेरी ओर आई और मुझसे लिपट गयी और शोखी से बोली की ट्रीट लेने की बहुत जल्दी है जो इतने टाइम पे आ गये हो. मैने कहा के जानेमन तुम्हारे बुलावे पर तो मैं हमेशा टाइम पे ही पहुँचता हूँ फिर आज तो स्पेशल इन्सेंटिव भी साथ में था उस से तो कोई इनकार है ही नही. अब बताओ के क्या ट्रीट देने वाली हो. उसने कहा के उधर कमरे में तुम्हारी ट्रीट बिल्कुल तैयार है आओ. और वो मुझे लेकर बेडरूम की ओर चल पड़ी. कप्यूटर रूम लॉक किया और बेडरूम खोल कर पहले वो अंदर गयी फिर मैं अंदर आया. अंदर आते हुए मैने देखा के बेडरूम तो बिल्कुल खाली है तो मैने कहा के ट्रीट कहाँ है और क्या है तो हँसती हुई बोली के अंदर तो आइए श्रीमान आपकी ट्रीट भी यहीं है और आप जान लीजिए के आपकी सबसे फॅवुरेट आइटम है और यह कहते हुए उसने मुझे दरवाज़े से हटाया और दरवाज़ा लॉक कर दिया.
उसके हट ते ही मैं चौंक गया. दरवाज़े के पीछे एक लड़की खड़ी थी, बहुत ही सुंदर गोल चेहरा, लंबी गर्दन, सुतवान नाक, पतले गुलाबी होंठ, 5’-5” लंबी, कंधे तक कटे हुए बॉल, प्रिंटेड सिल्क की खुले गले के कुरती टाइप टॉप और जीन्स में, जैसे कोई अप्सरा हो. मैं चौंक गया और उसको पूछा के यह कौन है और यह सब क्या है. वो बोली के यह है आपकी सर्प्राइज़ ट्रीट, आपकी सबसे फॅवुरेट, एक कुँवारी कन्या जो चाहती है के आप उसको प्यार से एक लड़की से औरत बना दें. जबसे इसको पता चला है की मैं लड़की से औरत बन चुकी हूँ, यह मेरे पीछे पड़ी है के प्लीज़ इसकी भी प्यास बुझवा दूं. इसलिए सविनय निवेदन है के इस कुँवारी कन्या, जिसका नाम है कणिका, को भी लड़की से औरत बनानेका शुभ कार्य शीघ्रा संपन्न करें.
मैं कणिका को देख रहा था और सोच रहा था के क्या करूँ. कोई गड़बड़ ना हो जाए. फिर मैने सोचा के चलो बात करते हैं फिर देखो क्या होता है. मैने उसको अपने पास बुलाया. वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आकर खड़ी हो गयी. मैने उसको पूछा के क्या वो अपनी मर्ज़ी से यहाँ आई है. उसने कहा के हां. मैने कहा के क्या वो भी अरषि की तरह मेरी दोस्त बनाना चाहती है. उसने कहा के हां. मैने फिर उसको पूछा के वो और क्या चाहती है. उसने कहा के अरषि ने बता दो दिया है. मैने कहा के वो खुद बोले और बताए के वो क्या चाहती है. वो बोली के वो भी चाहती है के मैं उसको प्यार करूँ और उसके साथ वो सब करूँ जो अरषि के साथ किया है. मैने कहा के सॉफ सॉफ खुल कर बताओ. अब जब तुम मेरी दोस्त बन गयी हो तो शरमाओ नही और खुल कर सॉफ शब्दों में बताओ के क्या चाहती हो. वो शर्मा गयी और नज़रें झुका के खड़ी रही. अरषि ने आगे बढ़कर उसकी कमर में हाथ डाल कर कहा के शर्मा क्यों रही है बोल ना मेरे साथ भी तो बोलती है तो अब क्या है फिर उसके कान में कुच्छ कहा तो वो मुस्कुरा दी. क्या कातिल मुस्कान थी, मैं तो घायल ही हो गया. सीधी दिल में लगी.
क्रमशः......
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