RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--15
गाटांक से आगे..............
मैने कहा के कणिका देखो अब जब हम दोस्त बन गये हैं तो शरमाना छोड़ो और खुल कर बात करो. बताओ के क्या क्या चाहती हो. वो बोली के मैं चाहती हूँ के मुझे भी अरषि की तरह प्यार से चुदाई का मज़ा दो और फिर से शर्मा के नज़रें झुका लीं. मैने नाटकिया अंदाज़ में कहा के हाए राम क्या अदा है शरमाने की. फिर मैं आगे हुआ और उसको अपनी बाहों में लेकर उसका चेहरा ऊपेर उठाया और कहा के मैं बहुत प्यार से अपना लंड तुम्हारी चूत में डालूँगा पर क्या है के तुम्हारी पहली बार है ना तो थोड़ा सा दर्द होगा पर मैं पूरा ध्यान रखूँगा और ज़्यादा दर्द नही होने दूँगा. उसके बाद तुम्हें बहुत मज़ा आएगा और अगली बार से तुम्हें दर्द भी नही होगा. और तुम मेरी दोस्त बन गयी हो तो मैं तुम्हारा पूरा ख़याल रखूँगा और जब भी तुम्हें कोई भी परेशानी या कोई भी ज़रूरत हो तो तुम बेजीझक मुझे कह सकती हो मैं तुम्हें कुच्छ नही होने दूँगा. वो बोली ठीक है मुझे मंज़ूर है आपकी बात और अब आप देर ना करो मुझे घर भी जाना है 5 बजे से पहले पहुँचना है. मैने घड़ी देखी 2-30 हुए थे, बहुत टाइम था. मैने कहा के चलो फिर अपने सारे कपड़े उतार दो जल्दी से और तैयार हो जाओ.
मैं अपने कपड़े उतारते हुए उन्हे देखने लगा. दोनो ने अपने कपड़े उतारे और अरषि के कहने पर उसने भी अरषि के साथ कपड़े सलीके से फोल्ड करके रख दिए. मैं उसका जिस्म देख कर बहुत खुश हुआ. वैसे यह उमर ही ऐसी होती है के 18-22 साल तक अगर थोड़ा सा भी ख़याल रखे तो लड़की का जिस्म बहुत शानदार रहता है. दोनो ने टॉप्स के नीचे कुच्छ नही पहना था. कणिका के मम्मे देख कर मेरी आँखें चौंधिया गयीं, ऐसे लग रहे तहे उसके मम्मे जैसे एक गोल नारियल आधा काटकर उसकी छाती पर चिपका दिया हो. बस इतना फ़र्क था के नारियलकाला होता है और यह गोरे थे और उनपर हल्के भूरे रंग के चूचकों पर मटर के छ्होटे दाने जैसे निपल ग़ज़ब ढा रहे थे. निपल पूरी तरह से कड़क हो चुके थे, शायद आगे जो होना है की सोच ने कणिका को उत्तेजित किया हुआ था.
मैने आगे बढ़कर उसके मम्मों को हाथों में लेकर हल्का सा दबाया पर वो दबाने में नही आए इतने टाइट और चिकने थे के मेरा हाथ फिसल गया और उसके निपल्स मेरी उंगलियों में फँस गये. मैने उनको ही हल्के से दबाया तो कणिका की सिसकारी निकल गयी. मैने कहा के कणिका तेरे ये मम्मे तो बहुत ज़बरदस्त हैं और तुम बहुत ही सुन्दर हो. वो मेरी आँखों में देख रही थी और मेरी बात सुनकर थोड़ा सा मुस्कुरा दी. मैने उसको अपने साथ चिपका लिया. एक तेज़ उत्तेजना की लहर दोनो के शरीर में दौड़ गयी. कणिका का शरीर था ही इतना मस्त. उसकी चूत भी कम नही थी. बिना बालों की चूत और फिर उसकी चिपकी हुई फाँकें, ऐसे लगा रहा था जैसे एक लकीर खींच दी हो. एक हाथ से मैने उसकी चूत को सहलाया और उंगली उसकी दरार में रगडी तो दोनो फाँकें थोड़ा सा अलग हुईं और मैने देखा की उसकी पंखुड़ियाँ लाली लिए हुए गुलाब की कलियों जैसी दिख रही थीं और उनपर कणिका की उत्तेजना से निकला पानी ओस की बूँदों की तरह चमक रहा था. मैने अरषि को भी इशारा किया और उसने हम दोनो को अपनी बाहों में भींच लिया. तुम क्यों परे खड़ी हो, हमारी मदद नही करोगी, मैने पूछा. वो बोली के क्यों नही पूरी मदद करूँगी पर मुझे क्या मिलेगा. मैने कहा के तुझे वही मिलेगा जो हमें मिलेगा, घबराती क्यों है? है चाहे मेरे उसूल के खिलाफ इतनी जल्दी किसी लड़की को दुबारा चोदना, पर आज की स्पेशल ट्रीट के बदले में तू डिज़र्व करती है के तुझे भी मज़ा दिया जाए.
कणिका को कुच्छ समझ नही आई हमारी बात तो मैने उसको बताया के देखो चुदाई ज़्यादा करने से चूत थोड़ी ढीली पड़ जाती है और आगे चलकर तुम्हारी शादी होनी है और तुम्हारा पति जब तुम्हारे साथ सुहागरात मनाएगा तो उसको तुम्हारी चूत में लंड डालने से पता लग जाएगा के तुम बहुत ज़्यादा चुदाई करवा चुकी हो. इसलिए मैं अपनी क़िस्सी भी दोस्त लड़की को महीने में एक बार से ज़्यादा नही चोदता हूँ. और अरषि को अभी 3 दिन पहले ही चोदा है और आज फिर चोदना है, इसीलिए कहा. वो सर हिला के बोली यह सब मैं नही जानती अब तुम ही बताना कि क्या और कैसे करना है, मैं वैसे ही करूँगी. मैने कहा के बहुत अच्छी बात है.
फिर मैं उन दोनो को बेड पर ले के आया और शुरू हो गया वही चिर परिचित खेल जिस्मों का, स्पर्श का, स्पर्श के सुख का, स्पर्श सच से उत्पन्न होने वाली उत्तेजना का, और उत्तेजना से भरे दिलों की तेज़ होती धड़कानों का. कहाँ तक कहूँ वो सब बातें, बस इतना ही कह सकता हूँ के हर बार यह स्पर्श सुख एक नयी ऊर्जा को जन्मा देता था और एक कुँवारी लड़की औरत बन जाती थी अपनी चूत को मेरे लंड की भेंट चढ़ाकर. अभी कुच्छ देर में यही होने वाला था. मेरी और अरषि की मिली जुली मेहनत से कणिका बहुत जल्दी उत्तेजित हो गयी और आहें भरने लगी. मैने अरषि को इशारा किया के वो उसके मम्मों से खेलती रहे और मैं उठकर उसकी टाँगों के बीच में आ गया. उसकी टाँगें उठाकर मैने अपने कंधों पर रख लीं और उसकी बिना बालों वाली छूत पर अपना मुँह चिपका के चूसने लगा. एक हाथ उसकी गांद की गोलाईयों को सहला रहा था और दूसरे हाथ का अंगूठा उसके भज्नासे पर दस्तक दे रहा था. कणिका की साँसें अटाकनी शुरू हो गयीं. उत्तेजना के मारे वो बोल भी नही पा रही थी. आ….आ….आ….न, उ….उ….उ….न ही कर रही थी. मैने अपनी जीभ कड़ी कर के उसकी चूत में डाल दी और जीभ से ही उसे चोदने लगा. थोड़ी ही देर में वो ज़ोर से उच्छली और झाड़ गयी. मैने उसकी टाँगें नीचे की और उसकी बगल में लेट कर उसको बाहों में कस लिया. वो भी मुझसे लिपट गयी और बोली ऐसे ही इतना मज़ा आया है जब मुझे चोदोगे तो कितना मज़ा आएगा? मैने कहा के इस मज़े से भी बहुत ज़्यादा मज़ा आएगा, तुम बस देखती रहो.
मैं और अरषि शुरू हो गये कणिका को उत्तेजित करने में और कुच्छ ही देर में हमारी मेहनत रंग लाई और कणिका की साँसें भारी हो गयीं और आँखें आधी मूंद गयीं. अरषि उसका एक मम्मा अपने मुँह में भर के चुभला रही थी और दूसरे को अपने हाथ से सहला रही थी और मैं कणिका को प्यार से चूम रहा था और उसके बदन पर अपना हाथ बहुत कोमलता से चला रहा था. फिर मैं थोड़ा नीचे आया और उसके पेट पर छ्होटे छोटे चुंबन देने लगा और उसके बाद मैने उसकी नाभि पर अपना मुँह रख दिया और जीभ की नोक से उसकी नाभि को चाटने लगा. अब जो उसकी उत्तेजना बढ़ी तो वो बोल उठी के जल्द चोदो ना मुझे मैं देखना चाहती हूँ की चुदाई का मज़ा क्या होता है. मैने कहा के अभी लो मेरी जान.
मैं उसकी टाँगों के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी गीली चूत के मुँह पर रख दिया. गीली होने के बाद भी इतनी गरम थी उसकी चूत जैसे भट्टी हो और मेरा लंड अंदर जाते ही भून देगी. मैने क्रीम की ट्यूब उठाकर उसकी चूत पर क्रीम लगाई और उंगली से थोड़ी अंदर भी कर दी. साथ ही मैने अपने लंड के सुपारे पर भी क्रीम अच्छी तरह से लगा दी और फिर से अपना लंड हाथ में लेकर उसकी चूत के मुहाने पर रगड़ते हुए दबाव डाला. लंड तो इतनी देर से आकड़ा हुआ था के दबाव डालते ही झट से सुपरा कणिका की चूत में घुस गया और कणिका के मुँह से एक लंबी आ……….आ……….ह निकली, मैने उसको पूछा के क्या हुआ? वो बोली के कुच्छ नही बड़ा गरम और टाइट लग रहा है. मैने कहा के कोई बात नही, डरो नही और हिम्मत रखना क्योंकि अब मैं लंड को अंदर घुसाने जा रहा हूँ और तुम्हे थोड़ा दर्द होगा और फिर जब दर्द कम हो जाएगा तब मैं चुदाई शुरू करूँगा. यह दर्द तुम सह लोगि तो तुमको मज़ा आना शुरू होगा और आज के बाद तुम्हें कभी ऐसा दर्द नही होगा. वो बोली के ठीक है मैं यह दर्द सह लूँगी.
इतना सुनते ही मैने एक ज़ोरदार लेकिन छ्होटा धक्का मारा और मेरा लंड उसकी चूत में आधे से थोड़ा ज़्यादा घुस गया उसकी चूत को फाड़ कर. वो बहुत ज़ोर से नही चीख सकी क्योंकि अरषि ने उसके मुँह पर अपना मुँह लगा दिया था और उसको किस कर रही थी. मैने उसकी जंघें पकड़ कर उसको हिलने भी नही दिया. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे. मैने कहा के बस हो गया थोड़ा सा लंड बाहर है और वो मैं इतनी आहिस्ता आहिस्ता अंदर घुसा दूँगा के तुम्हें पता भी नही चलेगा. अब मैं आगे तभी चलूँगा जब तुम्हारा दर्द कम हो जाएगा. मैने उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया और साथ ही उसके भज्नसे को भी प्यार से रगड़ना शुरू किया. थोड़ी सी देर में कणिका के चेहरे के भाव बदलने शुरू हो गये तो मैने पूछा के क्यों कणिका अब दर्द कम हो गया है ना? उसने कहा के कम तो हो गया है पर हुआ बहुत था. मैने उसको पचकारा कि होता है लेकिन अब आगे से तुमको कभी दर्द नही होगा. वो बोली के ठीक है. मैने आधा इंच लंड बाहर निकाला और बड़े प्यार से उसको अंदर घुसा दिया लेकिन अंदर घुसाया पौना इंच. इसी तरह आधा इंच बाहर निकालने के बाद पौना इंच अंदर घुसाते हुए मैने 10-15 धक्कों में अपना लंड पूरा का पूरा कणिका की चूत में घुसा दिया. आख़िरी धक्के से जब लंड उसकी बछेदानि के मुँह से टकराया तो उसको गुदगुदाहट सी हुई और वो मुस्कुरा दी. मैने कहा के मज़ा आना शुरू हुआ के नही? वो बोली के ज़्यादा तो नही पर अब अच्छा लग रह है करते रहो. मैने कहा के ठीक है. बहुत प्यार से लंड को अंदर बाहर करते हुए मैने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ानी शुरू की.
कणिका ने भी अपनी गांद उठाकर मेरा साथ देना शुरू कर दिया तो मैने अरषि से कहा की वो अपनी चूत कणिका के मुँह पर रख्दे और कणिका को बोला के अरषि की चूत को अपने जीभ से वैसे ही चोदे जैसे मैने उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदा था. जैसे ही अरषि ने अपनी चूत कणिका के मुँह पर रखी कणिका ने उसकी चूत को पहले चटा और फिर अपनी जीभ उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगी. मैने उसकामम्मा अपने मुँह में भर लिया और प्यार से चूसने लगा और दूसरे मम्मे को अपने हाथ में लेकर कभी सहलाता, कभी दबाता तो कभी उसके निपल को प्यार से मसल देता. अब दोनो बहुत तेज़ी से अपने चरम की ओर बढ़ रही थी. कणिका की आवाज़ें आनी शुरू हो गयीं, ह……ओ……ओ……न, ह……ओ……ओ……न, ग……ओ……ओ……न और मैने अपने गति और बढ़ा दी साथ ही अपना लंड भी पूरा बाहर निकाल कर अंदर घुसाने लगा.
उधर अरषि आज जल्दी झाड़ गयी और निढाल होकर लेट गयी पर एक समझ दारी उसने क़ी और वो यह कि उसने कणिका के मम्मे दबाने शुरू कर दिए और उसके निपल भी मसल्ने लगी. मैने अपने दोनो हाथ कणिका की पुष्ट गांद के नीचे करके दोनो गोलाईयों को अपने हाथों में मज़बूती से पकड़ लिया और थोड़ा सा ऊपेर उठाकर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. मेरा लंड अब एक पिस्टन की तरह कणिका की चूत में अंदर बाहर हो रहा था और उसका चेहरा बता रहा था के वो असीम आनंद में डूबी हुई है. मुझे भी अत्यधिक मज़ा आ रहा था जैसा हर बार किसी कुँवारी लड़की की पहली चुदाई में आता है. कसी हुई चूत की मेरे लंड पे इतनी ज़बरदस्त पकड़ थी के अगर क्रीम और कणिका के स्राव की मिली जुली चिकनाई ना होती तो मुझे अपना लंड अंदर बाहर करना मुश्किल हो जाता. उसकी चूत लगातार हल्का हल्का पानी छ्चोड़ रही थी जिसके कारण मुझे उसको चोदने में कोई परेशानी नही हो रही थी बल्कि बहुत ही मज़ा आ रहा था. तभी कणिका के शरीर ने एक ज़ोरदार झटका खाया और वो ज़ोर से कांप उठी. साथ ही उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया. वो झाड़ गयी और मैं भी उसके बाद 8-10 धक्के मार के झाड़ गया. जैसे ही मेरे वीर्य की गरम बौच्चरें उसकी चूत में पड़ीं वो एक बार फिर झाड़ गयी. मैं अपने लंड को पूरा चूत के अंदर घुसा के उसके ऊपेर ही लेट गया. थोड़ी देर में मैं उसकी साइड में आ गया और उसको अपनी बाहों में भींच कर पूछा, कैसी लगी पहली चुदाई?
वो मुझे अपनी अधकुली आँखों से देखते हुए बोली के फॅंटॅस्टिक. इतना मज़ा आया जिसकी मैने कल्पना भी नही की थी. अरषि ने मुझे बताया तो था के बहुत ज़्यादा मज़ा आता है, पर इतना ज़्यादा मज़ा आता है मैं सोच भी नही सकती थी पर अब जान गयी हूँ.
क्रमशः......
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