RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--16
गतान्क से आगे
मैने दोनो के बीच में आकर दोनो को अपने साथ चिपका लिया. दोनो मुझे बहुत प्यार से मस्ती भरी आँखों से मुझे देख रही थी. मैने अरषि से कहा के मेरी जान अब आगे की तैयारी करो. वो उठी और बाथरूम में चली गयी हॉट वॉटर ट्रीटमेंट के तैयारी करने और मैने कणिका को कहा के देखो मज़ा तो लेती रहो पर इसमे इतना ज़्यादा ध्यान मत देना कि पढ़ाई में ध्यान ना रहे. क्योंकि अभी तो तुम्हारी पहली ज़रूरत पढ़ाई है और ये मज़े तो आते रहेंगे. अब तुमने जान लिया है की यह मज़ा क्या है तो यही याद रखना के जैसे भूख लगने पर खाना खाते हैं लेकिन खाते उतना ही हैं के पेट भर जाए. ज़्यादा खाने से पेट खराब हो जाता है. वैसे ही बहुत ज़्यादा मज़े करने से पढ़ाई नही हो पाती और नुकसान हो जाता है. इस बात का ध्यान रखना और पढ़ाई के बाद ही इसके बारे में सोचना. वो बोली के ठीक है मैं पूरा ध्यान रखूँगी के पढ़ाई का कोई नुकसान ना हो.
अरषि ने कहा के सब तैयार है. मैने कणिका को उठाया और कहा के आओ बाथरूम में चलें. कणिका ने खड़े होने की कोशिश की पर उसकी टाँगों ने उसका साथ नही दिया. मैने उसको उठा लिया और लेकर बाथरूम में आ गया और उसे गरम पानी के टब में बिठा दिया. टाँगें बाहर लटका दीं और हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरू किया ताकि उसकी चूत की सिकाई हो जाए और उसको कुच्छ आराम मिले. फिर मैने उसको किस करके उसके मम्मे भी सहलाए और कहा के अपनी चूत की सिकाई तब तक होने दो जब तक यह पानी ठंडा नही हो जाता और तब तक मैं ज़रा अरषि की गर्मी झाड़ दूं. वो मुस्कुराई और बोली के ठीक है.
बेडरूम में वापिस आकर मैने अरषि को अपने साथ चिपका लिया अपनी ओर पीठ करके और उसके मम्मे सहलाने लगा. उसके मम्मों से मेरा दिल भरता ही नही था. फिर मैने उससे पूछा के अरषि एक बात कहूँ? वो बोली के कहो. तो मैने कहा के अभी परसों तुम्हारी डबल चुदाई की है अगर आज दूसरी तरहा करें तो ठीक नही रहेगा? वो बोली के जैसे ठीक समझो. मैं उसको उसी पोज़िशन में उठा के बेड पर आ गया और उसको नीचे कर दिया. अब वो उल्टी हो कर बेड पे लेटी हुई थी. मैं उसके ऊपेर लेट गया अपनी कोहनियों पर अपना भार डाल के और नीचे से उसके मम्मे पकड़ के सहलाने लगा. उसकी साँसें तेज़ होने लगीं तो मैने उसको सीधा लिटा दिया और उसके एक मम्मे को मुँह में भर के चुभलने लगा और दूजे को हाथ से प्यार से मसल्ने लगा. वो मस्ती में उच्छलने लगी और बोली के हाए राम मुझे तो इसमे ही इतना मज़ा आ रहा है. फिर मैने उसको अपनी गोद में बिठा लिया और उसका एक हाथ अपने गर्देन के पीछे से अपने कंधे पर रख दिया और उसके मम्मे को मुँह में ले लिया. मेरा एक हाथ उसके दूसरे मम्मे पर था और दूसरे हाथ से मैने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. अपनी बीच की उंगली उसकी चूत की दरार पर फेरते हुए मैने थोड़ी सी उसकी चूत में घुसा दी और अंगूठे से उसके भज्नासे को रगड़ने लगा. वो ह….आ….आ….न, ह….आ….आ….न, आ….ई….स….ए ह….ई क….आ….र….ऊऊऊऊ. थोड़ी देर में ही वो झाड़ गयी और मैने उसको घुमा के अपने सीने में दबा लिया. वो भी मुझसे चिपक गयी और थोड़ा संयत होने के बाद बोली के तुम तो पूरे जादूगर हो ज़रा सी देर में इतना मज़ा दे दिया है के पूच्छो मत. मैने कहा के चुदाई के अलावा भी बहुत सारे तरीके हैं मज़ा लेने और देने के.
थोरी देर में ही कणिका भी उठकर बाहर आ गयी और बोली के अब तो बहुत ठीक लग रहा है पर अभी भी पूरी तरह आराम नही आया. मैने कहा के अभी आ जाएगा और उसको एक मसल रिलाक्सॅंट पेन किल्लर टॅबलेट खिला दी. मैं और अरषि बाथरूम में गये और एक गीले टवल से अपने को सॉफ कर के बाहर आ गये. फिर हमने कपड़े पहने और मैं उनको लेकर कंप्यूटर रूम में आ गया. कणिका को मैने आंटी प्रेग्नेन्सी टॅबलेट भी दी और कहा के इसको कल सुबह नाश्ते के बाद खा ले. उसके कुच्छ भी बोलने से पहले ही अरषि ने उसको समझा दिया के यह क्या है और क्यों ज़रूरी है. कणिका ने प्रशंसा भरी नज़रों से मुझे देखा और मुस्कुरा दी. थोड़ी देर के बाद मैने कणिका को पूछा की अब कैसा लग रहा है? वो बोली के ठीक ही हूँ अब तो. मैने कहा के घर पहुँचते तक बिल्कुल ठीक हो जाओगी और कुच्छ पता नही लगेगा किसी को. वो हंस दी. मैने कहा के तुम्हें अपना आप बदला हुआ लग रहा है. कोई और देखे तो उसको कुच्छ नही पता लगेगा. पर तुम्हे बिल्कुल नॉर्मल रहना है जैसे पहले रहती थी. अगर तुम नॉर्मल नही रहोगी तो क़िस्सी को शक हो सकता है. वो बोली के ठीक है मैं बिल्कुल वैसे ही बिहेव करूँगी जैसे हमेशा करती हूँ. फिर वो दोनो चली गयीं.
मैने आज की रेकॉर्डिंग की डVड बर्न करके लॉकर में रखी और कंप्यूटर से डेलीट करके बाहर आ गया. गेट पर राम सिंग से हमेशा की तरह दो बातें करके मैं घर आ गया.
वो पेरेंट टीचर मीटिंग का दिन था और स्कूल में क्लासस नही हो रही थीं. पेरेंट्स आकर टीचर्स से मिलकर अपने बच्चो के बारे मे बात करके जा रहे थे. पीयान ने अंदर आकर मुझे कहा के कोई नीरू मेडम आपसे मिलना चाहती हैं और उनके साथ उनकी बेटी भी है जो हमारे स्कूल की 12थ की स्टूडेंट है. मैने कहा के अंदर भेज दो. नीरू अंदर आई और उसके पीछे उसकी बेटी भी थी जिसका नाम था आँचल. मैं नीरू को देखता ही रह गया. वो हंसते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाकर मेरी ओर आई और बोली क्यों पहचाना नही क्या या भूल ही गये हो हमको? मैने खड़े होकर उसका हाथ पकड़ा और हंसते हुए बोला के तुम्हे कोई भूल सकता है भला, मैं तो यह सोच रहा था के क्या हम इतने बड़े हो गये हैं या हमारे बच्चे बड़े हो गये हैं? वो भी हंस दी और बोली के कुच्छ भी कह लो बच्चे तो बड़े हो ही गये हैं. और यही बताने मैं आई हूँ के मेरी बेटी का18थ बर्तडे है और पार्टी में तुमको ज़रूर आना है मैं कोई बहाना नही सुनूँगी आंड दट ईज़ फाइनल. मैने कहा के ठीक है अब तुम इतना ज़ोर देकर कह रही हो तो आ जाएँगे पर यह तो बताओ के कब और कहाँ? वो बोली के सॅटर्डे ईव्निंग 7-30 शार्प मेरे घर पे आना है और कहाँ? हां हो सके तो तोड़ा जल्दी आने की कोशिश करना तुमसे कुच्छ बात भी करनी है मुझे. मैने कहा के ठीक है मैं कोशिश करूँगा के 7 बजे ही पहुँच जाऊँगा. फिर वो बाइ करके चली गयी. उसके जाने के बाद मैने घड़ी देखी, छुट्टी का टाइम हो गया था तो मैने भी अपना समान समेटा और चलने को तैयार हो गया. इतने में बेल भी हो गयी और मैं उठकर बाहर आ गया.
घर पहुँच कर मैने खाना खाया और अपने कमरे में आराम करने के लिए लेट गया. रह रह कर मन में एक ख़याल आ रहा था के नीरू को मुझसे क्या बात करनी हो सकती है और वो भी इतने सालों के बाद. सोचते हुए मैं पुरानी यादों में खो गया, अपने कॉलेज के दिन याद आ गये, जब नीरू ने पहली बार मुझसे बात की थी. हालाँकि वो हमारे स्कूल में ही पढ़ी थी पर वो मुझसे 3 साल जूनियर थी. जी हां में कॉलेज में M.एससी. 1स्ट्रीट एअर में था जब हम एक दूसरे के बहुत करीब आ गये थे. उसका यह कॉलेज का 1स्ट्रीट एअर था.
हुआ यूँ के एक दिन मैं कॉलेज पहुँचा ही था और मैन गेट से अंदर जा रहा था के सामने से 4-5 लड़कियाँ आती दिखाई पड़ीं. उनमें दो लड़कियाँ मेरी क्लास की ही थीं तो मैने उनको पूछा के क्या बात है क्लास में नही जाना? वो बोलीं के नही हम सब घूमने जा रही हैं क्लासस बंक करके. मैने कंधे उच्काये और आगे बढ़ने लगा. उनमें से एक लड़की ने मुझे रोक कर पूछा के क्या बात है मुझे जानते नही या पहचाना नही? मैने देखा के वो नीरू थी.
मैने उसको पूछा तुम नीरू हो ना तुम यहाँ क्या कर रही हो? वो बोली के यह मेरी कज़िन्स हैं और मेरे ही बुलाने पर यह मेरे साथ घूमने जा रही हैं. मैने ऐसे ही पूछा के तुम कौन्से कॉलेज में हो. तो वो बोली के मिरंडा में. मैने कहा के बढ़िया है मिलती रहा करो. वो बोली के अब तो मिलते ही रहेंगे क्योंकि हम कोंसिंस का आपस में बहुत प्यार है और मैं आती रहूंगी इनको मिलने तो तुमसे भी कभी कभी मुलाकात हो ही जाएगी. मैने फिर चुटकी ली के कभी कभी क्यों हर बार क्यों नही. वो हंस के बोली ठीक है बाबा जब भी आऊँगी पहले तुमको मिलूँगी फिर इनको. मैने भी हंस कर कह दिया के यह हुई ना बात. फिर वो चली गयीं.
मैं उनको जाते हुए देखता ही रह गया और सोचने लगा के यह नीरू को क्या हो गया है स्कूल में तो कभी मेरी ओर देखती भी नही थी और आज कैसे खुल कर बातें कर रही थी जैसे बहुत पुरानी दोस्ती हो. फिर मैने सोचा के छ्चोड़ो लड़की सुंदर है, बात कर रही है तो अच्छा ही है. कुच्छ दिन बाद मैं कॉलेज से निकल रहा था तो नीरू बाहर ही मिल गयी और कहने लगी के मैं वेट ही कर रही थी तुम सब की. मैने कहा के सब कौन मैं तो अकेला ही हूँ. वो बोली के अभी मेरी कज़िन्स भी आ रही हैं, उनकी भी तो क्लासस ख़तम हो गयी हैं ना. मैने उसको बताया के वो डीप डिस्कशन में बिज़ी हैं फ्रेंड्स के साथ, 5-7 मिनट लग सकते हैं उनको आने में.
वो बड़ी प्यारी स्माइल देके बोली के कोई बात नही इसी बहाने तुम से बातें कर लूँगी, नही तो तुम कहाँ हमसे बात करते हो. मैने कहा मैं तो स्कूल में भी तुमसे बात करना चाहता था पर तुम कभी मेरी तरफ देखती भी नही थी और ऐसे बिहेव करती थी जैसे मैं हूँ ही नही. वो बोली के तब मैं तुमसे डरती थी के प्रिन्सिपल का बेटा है इतनी लड़कियाँ इसकी दोस्त हैं और मुझसे सीनियर है, मैं किस गिनती में आती हूँ. मैने कहा के नही ऐसी तो कोई भी बात नही थी तुमको ऐसा क्यों लगा मैं नही जानता, मैने कभी ऐसा बिहेव भी नही किया. कभी कोई आटिट्यूड भी नही दिखाया किसी को. वो बोली हां लेकिन पता नही क्यों मुझे तुमसे डर ही लगता था और मैं जानबूझ कर तुम्हारे सामने भी नही आती थी. पर चलो कोई बात नही और शोखी से बोली के अब कसर निकाल लेंगे. मैने कहा के वो कैसे? वो हंस दी और बोली की यह क्या क्वेस्चन अवर शुरू कर दिया है? यह बताओ के मुझे पिक्चर कब दिखा रहे हो? और हां ना नही बोलना, अगर दिखानी नही है तो टाइम बोलो मैं दिखा दूँगी. मैने कहा के जब कहो तब दिखा दूँगा और तुम क्यों दिखओगि मैं ही दिखा दूँगा जो भी कहोगी वो दिखा दूँगा तुम बोलो तो सही. वो बोली के ऐसे चॅलेंज ना करो मुश्किल में पड़ जाओगे. अब बात इज़्ज़त की बन गयी थी तो मैने कहा के तुम आवाज़ करो और फिर देखो. वो बोली के ठीक है बॉब्बी का प्रिमियर शो दिखा सकते हो तो दिखा दो. मैने भी जोश में कह दिया के ठीक है तैयार रहना ये ना हो के बाद में कहो के ईव्निंग शो है मैं नही जा सकती मैं तो ऐसे ही मज़ाक कर रही थी.
वो हंस दी और हाथ आगे बढ़के बोली नही पक्का प्रॉमिस, मैं हर हाल में चालूंगी. मैने भी उसका हाथ पकड़ के हल्के से दबाया और कहा ठीक है फिर मिलते हैं. वो बोली के हां ठीक है. तब तक उसकी कज़िन्स भी आ गयीं और वो सब बाइ बाइ करती हुई चली गयीं. अब मुझे प्रिमियर शो की 2 टिकेट्स का इंटेज़ाम करना था और यह कोई मामूली काम नही था.
मैं सोचता रहा फिर याद आया के मेरे एक स्कूल के दोस्त का फॅमिली बिज़्नेस है फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन का और वो काई फिल्म्स फाइनान्स भी कर चुके हैं. वो शायद मेरी हेल्प कर सके. मैने तुरंत उसको फोन किया तो वो बोला की राज शर्मा जी आज कैसे याद आ गयी हमारी? मैने उसको कहा के दोस्त एक बहुत ज़रूरी काम है और वो तुम्हारे सिवा कोई नही कर सकता. वो बोला चलो काम से ही सही पर याद तो आई. बोलो क्या काम है. अगर मेरे से हो सका तो ज़रूर कर दूँगा. मैने उसको कहा के देख यार हो सका तो नही ज़रूर करना है यह काम, तुम मेरी आखरी उम्मीद हो. वो बोला ऐसी क्या बात है यार तुम बताओ तो सही. मैने उसको कहा के यार बॉब्बी के प्रिमियर की 2 टिकेट्स चाहियें और मैं प्रॉमिस कर चुक्का हूँ, अगर नही मिली तो मेरी बहुत इन्सल्ट हो जाएगी. वो बोला के हमारे होते हुए तुम्हारी इन्सल्ट कौन कर सकता है? समझ लो कि तुम्हारा काम हो गया. मैने कहा के सच? वो बोला दोस्त तेरा यार उस फिल्म का डिसट्रिब्युटर है और अगर तेरा यह काम ही नही कर सका तो क्या फायडा. मैं सुनकर खुश हो गया और उसको बोला की यार तूने तो मेरी सारी मुश्किल हल कर दी. उसने कहा के शाम तक मेरे पास टिकेट्स भिजवा देगा और फोन रख दिया.
मैने एक ठंडी साँस भरी और भगवान को धन्यवाद किया. शाम को एक पीयान टाइप का आदमी आया जो मुझे पूछ रहा था. नौकर ने आ कर मुझे बताया और मैं उसके पास आया और पूछा के क्या बात है. उसने एक छ्होटा सा लिफ़ाफ़ा मेरी तरफ बढ़ा दिया और मैं देखते ही समझ गया के इसमे टिकेट्स हैं. मैने उसको टिप देनी चाही तो वो बोला के नही सर मैं नही ले सकता. मैने ज़बरदस्ती उसकी जेब में पैसे डाले और कहा के कोई बात नही रख लो. वो चला गया. मैने जल्दी से अंदर आकर लिफ़ाफ़ा खोला तो देखा उसमे एक कॉंप्लिमेंटरी पास फॉर टू था बॉब्बी के प्रिमियर शो का आज़ स्पेशल इन्वाइटी. मैं तो हैरान रह गया. मैने अपने दोस्त को फोन किया और पूछा के यह क्या है तो वो बोला यार आम खाओ गुठलियाँ मत गिनो. तुमने हमें इतनी ऐश करवाई है आज मैं तुम्हारे लिए इतना भी नही कर सकता क्या? मैं चुप रह गया. फिर उसने बताया कि वो भी वहीं होगा और हमें प्रिमियर के फंक्षन में भी शामिल करवाएगा और फिल्मी लोगों से भी मिलवा देगा. मैने कहा के ठीक है भाई तुमने तो मुझे थॅंक यू कहने लायक भी नही छोड़ा. वो बोला के कहना भी मत, अपना ही डाइलॉग याद कर लो के दोस्ती में थॅंक यू और सॉरी नही होता. मैने कहा के हां याद है इसीलिए तो कहा है. फिर वो बोला के आ जाना टाइम पे नही तो मैन गेट्स लॉक कर दिए जाएँगे और फिर फिल्मी लोगों के जाने के बाद ही खुलेंगे. मैने कहा के ठीक है दोस्त और फोन रख दिया.
अब मैं बहुत खुश था और मुझे इंतेज़ार था प्रिमियर शो का और नीरू को वहाँ लेजाकार अचंभित करने का. फिर वो दिन भी आ गया. मैने नीरू को फोन किया और पूछा के उसको कहाँ से पिक करना है? वो बोली के घर से और कहाँ से? मैने कहा अच्छी तरह सज धज के तैयार हो जाए. वो बोली के ऐसा क्या एक पिक्चर देखने ही तो जाना है तो मैने कहा के मत भूलो के ये प्रिमियर शो है इसलिए क्या पता फिल्मी लोगों से मिलने का मौका भी मिल जाए तो क्या ऑर्डिनरी कपड़ों में उनको मिलेंगे. वो हंस दी और बोली के अपनी ऐसी किस्मेत कहाँ. मैने कहा के देखो कोई पता नही होता के कब क्या हो जाए. वो बोली के चलो ठीक है बहुत ज़्यादा तो नही फिर भी वो अच्छे से तैयार हो जाएगी.
मैं टाइम से पहले ही तैयार होकर घर से निकल पड़ा कार लेकर. नीरू भी तैयार मिली और हम टाइम से 10 मिनट पहले ही पहुँच गये. वहाँ पहुँच कर नीरू हैरान रह गयी, इतनी सारी भीड़ देखकर. वो बोली की हाए राम इतनी भीड़ हम कैसे अंदर जाएँगे और कार कहाँ पार्क करेंगे? मैने कहा के चिंता ना करो मैं हूँ ना तुम्हारे साथ. मैने कार का हॉर्न बजाकर थोड़ा रास्ता बनाया और कार आगे को बढ़ा दी. आगे सेक्यूरिटी गार्ड ने हमें हाथ देकर रोका तो मैने शीशा नीचे करके उसको स्पेशल इन्वाइटी का कार्ड दिखाया तो एकदम अटेन्षन मुद्रा में सल्यूट करके बोला आप सीधे अंदर ले जाएँ गाड़ी को और अंदर ही पार्क कर दें. मैं कार अंदर ले गया और आगे एक और सेक्यूरिटी गार्ड मिला उसने हमें रोका और बड़े अदब से उतरने को कहा. हम दोनो उतरे और उसने कार की चाबी मेरे से ले लीं और एक टोकन मुझे थमा दिया और बोला के साहिब मैं कार पार्क कर दूँगा आप वापिस आके टोकन दे के अपनी कार ले जा सकते हैं. फिर उसने हमें कहा के आप लिफ्ट से सीधे ऊपेर चले जायें यह ऊपेर स्पेशल इन्वाइटी एरिया में ही रुकेगी. नीरू यह सब देखकर हैरान हो रही थी.
क्रमशः......
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