College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
08-25-2018, 04:23 PM,
#36
RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--18 

गतान्क से आगे.............. 

क्या शानदार और जानदार मम्मे थे उसके. मैने उसको कहा के यार तुम्हारे मम्मे तो बहुत ज़बरदस्त हैं, एकदम तन कर खड़े हैं जैसे कोई छ्होटे छ्होटे पहाड़ी टीले हों. बहुत मस्त और सख़्त भी, बहुत ख़याल रखती हो इनका और शायद कभी इनको बेदर्दी से तंग नही किया गया है. मेरे किस करने से उसके निपल उभर कर बहुत ही आकर्षक मुद्रा में तन गये और मैने अपने दोनो हाथों में एक-एक मम्मे को पकड़ा और बहुत हल्के से उसके निपल्स को दबाया. वो तड़प उठी और बोली के मैने कभी किसी को इन्हें टच भी नही करने दिया और तुम पहले शख्स हो जिसने इनको च्छुआ है और किस किया है. मैने उसको कहा के तुम नही जानती के वॉट यू हॅव बीन मिस्सिंग. वो बोली के हां अब लग रहा है कि मैने बहुत कुच्छ मिस किया है बट इट ईज़ नेवेर टू लेट, जब आँख खुली तभी सवेरा समझो. अब मैं भरपूर मज़ा लेना चाहती हूँ और मुझे पता है के तुम मुझे बिल्कुल निराश नही करोगे. मैने कहा के मेरी पूरी कोशिश होती है के मेरे पास आने वाली किसी भी लड़की को चुदाईका पूरा आनंद मिले और कोई भी तकलीफ़ ना हो. पर यह तो तुम जानती हो ना के पहली बार लंड को चूत में डालने पर दर्द होता है. वो बोली के हां बाबा जानती हूँ के पहली बार में दर्द होता है और थोड़ी देर के बाद मज़ा भी खूब आता है. मैने कहा के मैं पूरी कोशिश करता हूँ के पहली चुदाई लड़की के लिए एक भयानक ख्वाब ना बने और बड़े प्यार से लंड को चूत में डालता हूँ. और दर्द के कम होने का इंतेज़ार भी करता हूँ. पर ऐसा कोई तरीका अभी तक नही बना के पहली बार में दर्द ना हो, क्योंकि जो तुम्हारी कुमारी झिल्ली है ना वो जब फटती है तो दर्द होना स्वाभाविक है पर उसके बाद तो मज़े ही मज़े हैं. वो बोली के ठीक है मैं तो मज़े लेना चाहती हूँ और ये जो थोड़ा सा टॅक्स देना पड़ेगा उसके लिए तैयार हूँ. 

फिर मैं खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतारने लगा. वो भी खड़ी हो गयी और उसने भी अपने जीन्स उतार दी. नीचे उसने एक पिंक कलर की पॅंटी पहनी हुई थी जिस पर गीलापन सॉफ नज़र आ रहा था. मैं मुस्कुरा दिया तो उसने पूच्छा के क्यों मुस्कुरा रहे हो तो मैने उसको बताया. वो हंस पड़ी और बोली के मैं इतनी एग्ज़ाइटेड हूँ के रह रह कर सिहर जाती हूँ यह सोच सोच कर के आज मैं पहली बार सेक्स करने, मेरा मतलब है के चुदवाने जा रही हूँ. और इसीलिए यह पॅंटी भी गीली हो रही है. मैने कहा के हां डियर अब तुम थोड़ा खुल गयी हो और तुम्हे यह शब्द भी अजीब नही लग रहे. फिर हम पूरी तरह से नंगे होकर एक दूसरे से लिपट गये और जैसे ही मैने उसको अपनी बाहों में लपेटा उसके मम्मो ने मेरे सीने पर मचलना शुरू कर दिया. उनके कोमल दबाव ने मेरे अंदर एक आग भर दी और मेरा खून बहुत तेज़ी से दौड़ने लगा मेरे शरीर में जैसे एक करेंट भर गया हो. दिल की धड़कनें तेज़ हो गयीं. मैने अपनी एक टाँग उसकी टाँगों में फँसा दी और उसकी टाँग जो मेरी टाँगों के बीच मैं आ गयी थी उसको ज़ोर से भींच लिया. उसने भी मेरा अनुसरण करते हुए अपनी टाँगों में मेरी टांग दबा ली. मेरे हाथ उसकी पीठ और उसकी गांद का निरीक्षण करने लगे. क्या चिकना और सख़्त जिस्म था उसका जैसे मेरे हाथ किसी मोम की गुड़िया पर फिर रहे हों. मैं उसको लिए हुए ही बेड पर इस तरह गिर गया के मैं नीचे और वो ऊपेर थी और फिर मैं थोड़ा ऊपेर होते हुए पूरी तरह बेड पर आ गया. नीरू की आँखों में अब लाल डोरे दिखाई दे रहे थे. मैने घूम कर उसको बेड पर लिटा दिया और खुद उसकी लेफ्ट साइड पर चिपक कर लेट गया. उसके सर के नीचे तकिया लगाया और अपना बयाँ हाथ उसस्की गर्दन के नीचे से लाकर उसके बायें मम्मे पर रख दिया. दाईं टाँग से उसकी जाँघ को रगड़ने लगा और दायें हाथ को आज़ाद रहने दिया उसके पूरे शरीर की नाप तोल करने के लिए. मेरा दायां हाथ उसकी बाईं जाँघ पर पहुँचा तो मैने उसको थोड़ा सा अपनी ओर घुमा लिया. केले के तने जैसी जाँघ पर कुच्छ देर घूमने के बाद मेरा हाथ आया उसकी गांद पर. बिल्कुल गोल किसी फुटबॉल की तरह लेकिन मुलायम. गंद को अच्छी तरह से प्यार करने के बाद हाथ ऊपेर की ओर आया ओर उसकी नाज़ुक कमर को सहलाते हुए उसकी पीठ पर गया और वहाँ से ऊपेर की ओर जाकर आगे आया और उसके बायें माम्मे को नीचे से ऊपेर की ओर दबाने लगा. ऊपेर मेरा दायां हाथ था और इसीलिए उसका तना हुआ मम्मा दोनो हाथों के दबाव में आकर और ज़्यादा तन गया तथा और ऊपेर सर उठा लिया उसने. मैने अपना मुँह उस पर लेजाकार उसको अपने मुँह में भरने की भरपूर कोशिश की. पर यह सिर्फ़ कोशिश ही रह गयी क्योंकि वो इतना छ्होटा नही था के मेरे मुँह में आ जाता. फिर भी जितना ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह में भर सकता था मैने भर लिया और अपनी जीभ उस पर चलाने लगा और जीभ से ही उसके निपल को छेड़ने लगा. नीरू की आहें निकलनी शुरू हो गयीं. वो उत्तेजित हो रही थी और शायद कंट्रोल नही कर पा रही थी. मैने अपनी टाँगों में उसकी जाँघ फसा ली और रगड़ने लगा. वो कांप रही थी और मुझसे अमर बेल की तरह लिपट रही थी. 

फिर मैं उसकी टाँगों के बीच में आ गया और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा कर अपनी जीभ उसकी चूत की दरार पर चलाने लगा. ऐसे ही करते करते मैने अपनी जीभ कड़ी करके उसकी चूत के मुहाने पर लगा दी. अपने दोनो हाथ लगाकर उसकी चूत की दोनो फाँकें अलग करी और जीभ से चाटने लगा. वो अब एक वाइब्रटर की तरह काँप रही थी और आ……आ……ह, उ……ह……ह की आवाज़ें भी निकाल रही थी. नीरू बैठ गयी और अपने हाथ बढ़ाकर मेरा सर अपनी चूत पर दबा दिया. फिर उसका शरीर बहुत ज़ोर से झटका खा कर कांपा और वो झाड़ गयी. 

मैने फुर्ती से उठकर उसकी चूत से निकलते पानी में अपने लंड को अच्छी तरह गीला कर लिया और उसकी चूत के मुहाने पर रख कर हल्कासा दबाया. मेरे लंड का सुपरा उसकी चूत के अंदर चला गया. इस वक़्त वो पूरी तरह से ढीली पड़ी हुई थी इसलिए कोई ज़ोर नही लगाना पड़ा. मेरा लंड भी इतना आकड़ा हुआ था के दीवार में भी घुस जाए. फिर मैने उसके मम्मे चुभलाने और दबाने शुरू कर दिए. वो बहुत जल्दी ही उत्तेजित होने लगी. मैं नीचे से अपने लंड को भी हिला रहा था. इतने कोमल धक्के थे कि मेरा लंड अंदर बाहर तो नही हो रहा था पर उसकी कसी हुई चूत का छल्ला जो मेरे लंड पर कसा हुआ था वो आगे पीछे हो रहा था और हल्का सा घर्षण उसकी चूत के अंदर हो रहा था. इसी तरह करते करते नीरू की उत्तेजना बढ़ती गयी और वो अपना सर इधर उधर झटकने लगी. थोरी देर और उसको उत्तेजित करने के बाद मैं सीधा हुआ और उसकी जंघें पकड़ कर पूरे ज़ोर से एक धक्का लगाया. मेरा लंड उसकी चूत में आधे से थोड़ा ज़्यादा घुस गया. नीरू की एक चीख निकली जो उसने बड़ी मुश्किल से दबाई. उसकी टाँगें बहुत ज़ोर से देर तक काँपति रहीं. मैने अपने आप को वहीं रोक लिया. उसकी सील टूट गयी थी और उसकी चूत से खून निकल कर नीचे टवल को लाल कर रहा था. नीरू के चेहरे पर दर्द के भाव थे और उसकी सारी उत्तेजना ख़तम हो चुकी थी, आँखों से आँसू बह रहे थे. मैने उसको पूछा के क्या बहुत दर्द हुआ डियर. तो वो बोली के बहुत हुआ पर तुम रुक गये हो तो ठीक है. हिलना मत मुझे अभी भी दर्द हो रहा है. मैने कहा के मैं रुका हूँ और जब तक तुम्हारा दर्द कम नही होगा मैं बिल्कुल नही हिलूँगा. 

उसकी चूत बहुत ही टाइट थी और मेरा लंड उसमे पूरी तरह से फसा हुआ था. मैं नीचे को झुका और उसके मम्मे को मुँह में लेकर फिर से चुभलना शुरू कर दिया और दूसरे मम्मे को हाथ में लेकर दबाया और प्यार से मसलता रहा. मैने अपना दूसरा हाथ नीचे लाकर उसके भज्नासे को रगड़ना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में वो फिर से उत्तेजित होने लगी. फिर मैं चौंक गया. नीरू की चूत अब मेरे लंड पर और अधिक कस गयी थी और फिर वो कसाव कम हो गया. मैं समझ गया के उसकी चूत मेरे लंड पर संकुचन से दबाव बढ़ा रही है और फिर खुल रही है. यह सही वक़्त था और मैने अपना लंड एक इंच के करीब बाहर निकाला और फिर अंदर कर दिया बहुत ही प्यार से. नीरू ने एक लंबी साँस ली और अपनी आँखें खोल कर मेरी ओर देखा और मुस्कुरा दी. 

मैने उसको पूछा के अब तो दर्द नही हो रहा ना? वो बोली के दर्द तो हो रहा है पर कम हो गया है, साथ ही मज़ा भी आना शुरू हो गया है. मज़े के साथ इस दर्द को तो मैं सह लूँगी. मैने कहा के फिर ठीक है, मैं अभी बहुत प्यार से धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करूँगा और जब तुम कहोगी तब तेज़ी से भी और ज़ोर से भी तुमको चोदून्गा. उसने सर हिला दिया. मैं शुरू हो गया. अंदर करते हुए मैं थोड़ा सा दबाव और डाल देता और मेरा लंड थोड़ा सा और अंदर घुस जाता. करते करते मैने अपना पूरा लंड नीरू की चूत में घुसा दिया. उसकी चूत मेरे लंड पर अपना कसाव बढ़ा कर क़म करती थी तो मेरा घर्षण का आनंद काई गुना बढ़ गया था. मुझे लगा के मुझे जल्द ही कुच्छ करना पड़ेगा नही तो मैं नीरू से पहले ही झाड़ सकता हू जो मुझे बिल्कुल मंज़ूर नही था. यह नीरू की पहली चुदाई थी और अगर मैं पहले झाड़ गया तो बड़ी इन्सल्ट वाली बात होगी और वो क्या कहेगी. 

मैने वही किया जो ऐसे वक़्त में करना चाहिए. मैने अपना पूरा ध्यान अपनी उत्तेजना से हटा कर उसको उत्तेजित करने में लगा दिया और खुद एक मशीन की तरह अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. मेरे दोनो हाथ उसके शरीर से खेल रहे थे. यूँ कहो के उसके पूरे शरीर पर फिसल रहे थे. ज़्यादा से ज़्यादा स्पर्श सुख दे रहे थे उसको. मेरा मुँह लगा हुआ था उसके मम्मों को चुभलाने में. कभी एक मम्मा मेरे मुँह में जाता और मैं उसको चूसने लगता और कभी अपने दाँतों पर अपने होंठ चढ़ाकर उसके निपल तो दबा देता पूरे ज़ोर से और जीभ से चाट लेता. छ्होटी छ्होटी लव बाइट्स उसके मम्मों पर देता अपने दाँतों से. 

आख़िर मेरी सारी कोशिशें रंग लाईं और नीरू की उत्तेजना बढ़ने लगी. उसकी साँसें भारी हो गयीं और उसने अपनी टाँगें उठाकर मेरी पीठ पर बाँध लीं और बोली के अब दिखाओ अपना ज़ोर और तोड़ दो मुझे, फाड़ दो मेरी चूत को. इतना तडपाया है इसने मुझे के बता नही सकती. मैने कहा के कोई बात नही अब हम इसको तडपा देंगे. फुट तो गयी है यह और चुद रही है बड़े प्यार से. इसको और नही फाड़ेंगे पर इसको बहुत मारेंगे अपने लंड से. इतना मारेंगे इसको के यह अभी रो पड़ेगी. चिंता मत करो आज इसकी खून के आँसू रोने की बारी है. अब वो नीचे से अपनी गांद उठा कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी. नीरू ने बोलना शुरू कर दिया. मैं तो पागल थी जो इतना डरती रही. इतना मज़ा आता है चुदवाने में के पहले पता होता तो कब की चुद गयी होती. हाए राज तुम्हारा लंड तो बहुत शानदार है एक दम स्टील रोड की तरह है. मेरी चूत को फाड़ के चोद रहा है मुझे, इतना मज़ा आ रहा है के बता नही सकती. जी करता है के सारी उमर ऐसे ही चुदवाती रहूं और यह चुदाई कभी ख़तम ही ना हो. 

मैने अपना चिर परिचित वाक्य दोहराया के माइ डियर नीरू ऑल गुड थिंग्स ऑल्वेज़ कम टू आन एंड. लेकिन कोई बात नही हम फिर से तैयार होकर शुरू हो जाएँगे. आज मैं तुमको जी भर के चोदुन्गा और देखना तुम्हारा भी जी भर जाएगा कम से कम आज के लिए. वो बोली के यही तो वो चाहती है. मैं लगातार अपने धक्कों में वॅरीयेशन लाकर उसको चोद रहा था. नतीजा मेरे अनुकूल निकला और नीरू थोड़ी ही देर में ज़ोर से उछली और ह……आ……आ……य……ए करती हुई झाड़ गयी और उसकी चूत ने मेरे लंड पर अपना कसाव बढ़ाना और कम करना तेज़ कर दिया. मैं भी कुच्छ सेकेंड बाद ही 2-3 करारे धक्के मार के झाड़ गया. मैने अपना लंड पूरा उसकी चूत में घुसा दिया और उसकी चूत में ही अपने वीर्य की गरम बौच्चरें कर दीं. मेरा वीर्य इतनी ज़ोर से उसकी बcचेदानि से टकराया के वो सह नही सकी और दुबारा झाड़ गयी. नीरू ने मुझे अपने ऊपेर खींच लिया और ज़ोर से अपने साथ चिपका लिया. उसकी बाहें मेरी पीठ पर कस गयीं. फिर मैं साइड लेकर लेट गया और नीरू को अपनी बाहों में भींच लिया. 

हम थोड़ी देर तक बेसूध से पड़े रहे. फिर मैने प्यार से नीरू के एक मम्मे को अपने हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया और दूसरे को मुँह लगाकर चूसने और चाटने लगा. टाइम हमारे पास बहुत था अभी इसलिए मैं एक बार उसको और चोदना चाहता था और पूरे इतमीनान के साथ. नीरू बोली के क्या दिल भरा नही जो फिर शुरू हो गये हो? मैने कहा के दिल कभी नही भरता, यह तो शरीर थक जाता है और थोड़ी देर के लिए तसल्ली भी हो जाती है. तुम बताओ के तुम्हारा दिल क्या कह रहा है. बोली के अच्छा तो लग रहा है. तो मैने कहा के फिर टोका क्यों. वो कहने लगी के ऐसे ही. मैने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और कहा के ऐसे ही टोकना नही चाहिए. अगर दिल कर रहा है तो साथ देना चाहिए. वो तुनक कर बोली ठीक है जो तुम्हारा दिल चाहे वो करो, पता नही मैं इतना मज़ा झेल भी सकूँगी या नहीं. मैने उसको तसल्ली दी के तुम अभी बहुत ज़्यादा मज़ा भी ले लोगि तुम्हें कुच्छ नही होगा. देखेंगे कहते हुए उसने मुझे ज़ोर से भींच लिया, वो मेरी बाहों से निकल कर मेरे ऊपेर आई और मुझे चूमने लगी. मैने उसको तसल्ली से गरम किया और उसकी एक और भरपूर चुदाई की जिसमे वो कितनी बार झड़ी याद ही नही क्योंकि दोबारा तैयार होने के बाद मैं तो जल्दी झड़ने वाला नही था. इसके बाद भी हम काई बार अकेले में मिले और चुदाई काखेल खेलते रहे. फिर उसकी शादी हो गयी. उसकी शादी के बाद मेरी उसकी कोई मुलाकात नही हुई क्योंकि जिस घर में उसकी शादी हुई थी वो एक बहुत रिच और फाइ फ्लाइयर जेट-सेट टाइप की फॅमिली थी और हमारा उनसे कोई भी वास्ता नही था. 

मैं अपनी यादों के घेरे से बाहर आया और सोचने लगा की इतने अरसे के बाद नीरू को मुझसे क्या काम हो सकता है? फिर मैने इस ख़याल को अपने दिमाग़ से झटक दिया के जो भी होगा वो सॅटर्डे को पता लग ही जाएगा फिकर क्यों करें. 

क्रमशः...... 
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