College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
08-25-2018, 04:23 PM,
#37
RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--19 

गतान्क से आगे.............. 

सॅटर्डे भी आ गया. मैने आँचल के लिए एक डिज़ाइनर ड्रेस खरीदी और उसको स्पेशल गिफ्ट रॅप करा के ले गया. मैं नीरू के घर पूरे 7-00 बजे पहुँच गया. नीरू को फोन कर ही दिया था इसलिए वो बाहर ही मिल गयी और मुझे साइड डोर से अंदर ले गयी. यह एक छ्होटा ड्रॉयिंग रूम था. आँचल भी वहाँ थी. मैने आँचल को वो ड्रेस दी और हॅपी बर्तडे विश किया. वो बड़ी उत्सुकता से उस पॅकेट को देख रही थी. उसने पूछा के ये ड्रेस है ना. नीरू ने उसको चुप करना चाहा तो मैने रोक दिया और कहा के हां आँचल ये ड्रेस ही है आंड आइ होप यू विल लाइक इट. उसने कहा के मा मैं ये देख सकती हूँ? नीरू के कुच्छ कहने से पहले ही मैने कहा के बिल्कुल देख सकती हो. तो उसने तेज़ी से रॅपिंग्स हटाईं और ड्रेस निकाल ली. ड्रेस को देखते ही वो बोली की वाउ, मा लुक इट ईज़ मॅग्निफिसेंट. मैं आज यही पहन लूँ. मैने नीरू का हाथ पकड़ के दबा दिया और सर को हल्का सा हिला दिया. वो समझ गयी मेरी बात को और झट से बोली के शुवर्ली यू कॅन आँचल. उसने कहा के थॅंक यू मा और ड्रेस हाथ में लेकर चली गयी. 

नीरू ने मेरी ओर देखा और बोली, भगवान जो करता है अच्छे के लिए ही करता है. मैं चाहती थी के आँचल तुमसे थोड़ा फ्रॅंक हो जाए और तुम ये ड्रेस ले आए हो उसके लिए जो उसको बहुत पसंद आई है और है भी बहुत अच्छी. अब वो तुमसे इतना फॉर्मल नही रहेगी. मैने कहा कि क्या बात है और तुम मुझसे क्या बात करना चाहती थीं. वो बोली के आँचल के बारे में ही बात करना चाहती थी. मुझे लगता है के वो ग़लत दिशा में जा रही है. उसको लड़के बिल्कुल पसंद नही हैं और मैने छन्बीन भी की है और मुझे अपने सर्कल की एक औरत पर शक़ है कि वो इको लेसबो (समलिंगी) बना रही है क्योंकि वो खुद भी कन्फर्म्ड लेसबो है. मैने कहा के मैं इसमे तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ. नीरू बोली के उसने आँचल से बात की थी और पता किया है कि आँचल अभी वर्जिन ही है. नीरू आगे बोली के मैं और किसी पर भरोसा नही कर सकती. तुम ही एक भरोसे के आदमी हो. मैं जानती हूँ के तुम आँचल को सही रास्ते पर ला सकते हो. तुम ही उसको एक आदमी का प्यार देके लड़की से एक पूरी औरत बना सकते हो. तुम एक्सपर्ट हो इस मामले में. 

मैने नीरू को कहा के तुम यह क्या कह रही हो मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ. नीरू ने कहा के देखो राज मैं अपने पति से भी इस बारे में बात कर चुकी हूँ और उन्होने मुझे सॉफ शब्दों में यह कहा है के जो भी हो जैसे भी हो आँचल को सही रास्ते पर लाना बहुत ज़रूरी है. अगर वो बाइसेक्षुयल होती तो भी हमें कोई शिकायत ना होती पर उसका लेसबो होना हमारे लिए बहुत बड़ी बदनामी होगी और वो औरत शायद इसलिए ऐसा कर रही है हमें नीचा दिखाने के लिए. क्या तुम मेरी मदद नही करोगे? मैने कहा की ठीक है मैं देखता हूँ क्या कर सकता हूँ. मुझे उसको अपने साथ अकेले में ले जाना होगा और क्या वो इसके लिए मान जाएगी? नीरू ने कहा के वो इस बात का इंटेज़ाम कर देगी पर इसके लिए मुझे उसके दूसरे बंग्लो में जाना होगा. मैने कहा के ठीक है. फिर नीरू ने कहा के वो मुझे फोन करके बता देगी. 

इतने में आँचल वो ड्रेस पहन कर आ गयी. बिल्कुल परी लग रही थी उस ड्रेस में. नीरू भी देख कर हैरान रह गयी. मैने आगे बढ़कर आँचलका हाथ पकड़ा और कहा के आज की महफ़िल में तुम सबसे सुंदर लगोगी. उसने बहुत गरम्जोशी से मेरा हाथ दबाया और बोली के थॅंक यू सर…… मैने उसकी बात काटी और कहा नो, नो, नो, अब तुम बड़ी हो गयी हो और अब हम दोस्त हैं और दोस्ती में कोई थॅंक यू और सॉरी नही होता. ठीक? वो बोली के हां अगर हम दोस्त हैं तो नो थॅंक्स नो सॉरी और उसने मेरे गाल पे हल्का सा किस किया और नीरू की ओर चल दी. मा देखो कितनी अच्छी लग रही है ये ड्रेस. नीरू ने भी कहा के हां राज ने तो तुमको बिल्कुल परी बना दिया. परी लग रही है मेरी गुड़िया. वो हंसते हुए बोली मा तुम्हारी गुड़िया आज बड़ी हो गयी है अब गुड़िया ना कहा करो. मैने कहा के आँचल लड़की कितनी भी बड़ी हो जाए मा के लिए वो गुड़िया ही रहती है. वो बोली के हां यह तो है और हम सब हंस पड़े. 

फिर हम बड़े हाल में आ गये जहाँ पार्टी का इंटेज़ाम था. पार्टी ख़तम होने पर मैं घर आ गया और अपनी नयी ज़िम्मेदारी के बारे में सोचने लगा. मैं अपने आप से बोला के राज तू बहुत हरम्खोर टाइप का आदमी है. पहले मा को चोदा अब बेटी को चोदने जा रहा है, कुछ तो ख़याल कर. फिर आप ही जवाब भी आया के वो मा बेटी हैं तो क्या हुआ, मेरा उनसे कोई खून का रिश्ता नही है, ना मा से ना बेटी से. मा भी मेरे से चुदी थी अपनी मर्ज़ी से और बेटी भी चुदेगि तो अपनी मर्ज़ी से और उसकी मा की भी रज़ामंदी शामिल होगी इसमे. और यह तो उस लड़की को एक ग़लत राह पर जाने से रोकने के लिए है. काँटा निकालने के लिए सुई का इस्तेमाल तो करना ही पड़ता है. इस पर भी अगर वो ना मानी तो फिर वो भी उसकी ही मर्ज़ी होगी. 

अगले दिन सनडे था और नीरू का लंच के बाद फोन आया के उसने आँचल से बात कर ली हा और क्या मैं कल आ सकता हूँ. मैने कहा के ठीक है स्कूल के बाद मैं फ्री हूँ. उसने कहा के 3 बजे मेरे दूसरे बंग्लो पर मिलो और मुझे अड्रेस दे दिया. मैने कहा ठीक है मैं सही टाइम पर पहुँच जाऊँगा. 

अगला दिन मंडे था तो मैने स्कूल में ही आँचल से बात करने की सोची क्योंकि मैं कोई भी काम अपनी सेफ साइड करके ही करना चाहता था. मैने रिसेस में आँचल को अपने ऑफीस में बुलाया. वो आई तो मैने देखा के वो कुच्छ सीरीयस थी. मैने उसको पूछा के क्या वो जानती है के मैने उसको क्यो बुलाया है. वो बोली के हां आज दोपहर को हमे मिलना है इसलिए. मैने कहा के वाह तुम तो बहुत समझदार हो. वो बोली के मैं अब बड़ी हो गयी हूँ और बच्ची नही रह गयी. मैने कहा के यही कहने के लिए मैने तुम्हें बुलाया है. तुम अब बच्ची नही हो बड़ी हो गयी हो और हम अब दोस्त बन चुके हैं. मैं नही चाहता की उसकी मर्ज़ी के खिलाफ कोई भी बात हो. अगर वो नही चाहती तो मैं नही आऊंगा और कोई भी बहाना कर दूँगा नीरू को. उसने कहा के नही ऐसी कोई बात नही है मुझे आप पर पूरा भरोसा है. मैने कहा के गुड. भरोसा है तो जैसे मैं कहूँगा उसे मेरा साथ देना होगा पर अपनी मर्ज़ी से ही बिना किसी दबाव के. वो जब भी चाहेगी हम आगे कोई बात नही करेंगे. सब कुच्छ उसकी मर्ज़ी से होगा और कोई भी ज़बरदस्ती उसके साथ नही होगी और अगर ज़रूरत होगी तो मैं नीरू को भी समझा दूँगा. वो बहुत खुश हुई इस बात पर तो मैने उसको कहा के चलो इसी बात पर हाथ मिलाओ. वो मेरे पास आई तो मैने उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी आँखों में देख के बोला की आँचल तुम बहुत सुन्दर हो और समझदार भी हो और मैं जानता हूँ के तुम मेरी बात समझोगी. 

मैं तुम्हारे साथ हूँ मैने कहा और तुम्हारे साथ कोई भी ज़बरदस्ती नही होने दूँगा. तुम्हे बिल्कुल भी मजबूर नही किया जाएगा किसी भी बात के लिए, यह मेरा वादा है तुमसे. वो बोली के मुझे यही उम्मीद थी. मैने उसका हाथ छ्चोड़ दिया और अपने दोनो हाथ फैला कर उसको कहा के तुम्हारी यह उम्मीद मैं टूटने नही दूँगा. वो सर को हिला कर मेरे सीने से लग गयी और बोली के अब मुझे कोई भी डर नही है. मैने कहा के ठीक है फिर मिलते हैं दोपहर को. उसने हां कहा और चली गयी. 

स्कूल से मैं घर गया और फिर तैयार होकर आँचल से मिलने चल पड़ा. वहाँ पर नीरू भी थी और मेरे पहुँचते ही उसने कहा के आप दोनो बात करो और मैं चलती हूँ. मैं नीरू को छोड़ने दरवाज़े तक आया तो उसने कहा के शाम को घर में गेट टुगेदर के बहाने सारे नौकर वहाँ भेज दिए हैं और यहाँ तुम दोनो अकेले हो, तुम्हे कोई डिस्टर्ब नही करेगा. मैने कहा के ठीक है. और नीरू चली गयी. मैं वापिस आया और आँचल के पास सोफे पर बैठ गया और उसको पूछा के हां आँचल अब बताओ कहाँ से शुरू करें. आँचल ने कहा के मैं क्या जानूँ आप जो भी बात करना चाहते हैं वहीं से शुरू कर दें. मैने कहा के ठीक है मैं जो भी पूछून्गा उसका वो सच सच जवाब दे बिना किसी जीझक के. यह सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे बीच में रहेगा और मैं किसी को भी इसके बारे में नही बताऊँगा, नीरू को भी नही, यह मेरा प्रॉमिस है. उसने कहा की उसे पूरा भरोसा है के मैं अपना प्रॉमिस नही तोड़ूँगा और वो सब कुच्छ मुझे सच सच ही बताएगी और कुच्छ भी नहीं च्छुपाएगी. 

मैने उसको कहा के मैं थका हुआ हूँ और थोड़ा आराम करना चाहता हूँ, साथ साथ बातें भी कर लेंगे. वो बोली के ठीक है अंदर बेडरूम में चलते हैं. हम बेडरूम में आ गये और मैने अपनी शर्ट उतार के एक ओर रख दी और बेड पर लेट गया. फिर मैने आँचल को कहा के वो भी बैठ जाए. वो भी बेड पर बैठ गयी. मैने उसको पूछा के नीरू कह रही थी के शायद तुमको लड़के पसंद नहीं हैं. क्या बात है? वो तुरंत बोली आइ हेट बाय्स. मैने कहा के ऐसी क्या बात हो गयी है जो तुम बाय्स को हेट करने लगी हो? वो बोली के सब एक ही बात के पीछे पागल होते हैं और वो है सेक्स. मैं मुस्कुराए बिना ना रह सका पर कहीं वो बुरा ना माने इसीलिए सहमति में सर भी हिलाने लगा. मैने कहा के हो सकता है के तुम्हारे साथ ऐसा ही हुआ हो और कुच्छ नासमझ लड़कों से तुम्हारा वास्ता पड़ा हो, पर सच यह है के सारे लड़के ऐसे नही होते. हां यह ज़रूर है के कुच्छ ऐसे ही होते हैं. तुम जानती हो इस दुनिया में सब तरह के लोग होते हैं. वो बोली के हां होते तो हैं पर मुझे तो जो भी मिले ऐसे ही मिले. मेरे एक्सपीरियेन्स तो खराब ही रहे. मैने कहा के क्या तुम एक एक्सपेरिमेंट और करने को तैयार हो मेरे कहने पर? वो चौंक गयी और बोली के कैसा एक्सपेरिमेंट. मैने कहा के जो भी मैं कहूँ अगर तुम्हें मुझपर विश्वास है तो. 

विश्वास तो पूरा है. इतनी देर से हम अकेले बैठे हैं और तुमने अभी तक कुच्छ भी ग़लत नही किया. मैने कहा देखो आँचल ग़लत और सही बहुत बड़े शब्द है और इनकी कोई सीमा नही होती. हो सकता है जो तुम्हारे लिए ग़लत हो वो तुम्हारे जैसी किसी और लड़की के लिए बहुत सही हो और इसका उल्टा भी हो सकता है. वो बोली के हां मैं समझती हूँ यह तो बिल्कुल हो सकता है. मैने कहा के फिर क्या तुम मेरे कहने पर एक एक्सपेरिमेंट करने के लिए तैयार हो. किसके साथ उसने पूच्छा? मैने मुस्कुराते हुए जवाब दिया के तीसरा तो कोई हैं नही यहाँ पर तो ज़ाहिर है के मेरे साथ. उसने पूछा के क्या करोगे? तो मैने कहा के सब कुच्छ करूँगा लेकिन तभी जब तुम्हारी मर्ज़ी होगी अगर तुम्हें ठीक ना लगे तो मुझे रोक देना मैं उसके आगे कुच्छ नही करूँगा. सब कुच्छ, उसने पूछा? मैने कहा के हां सब कुच्छ करेंगे तभी तो तुम्हें पता चलेगा के क्या होता है, कैसे होता है और कितना मज़ा आता है और कितना दर्द होता है पहली बार करने पर. वो बोली यह तो मैं जानती हूँ के पहली बार करने पर दर्द भी होता है पर कितना होता है मैं नही जानती. 

मैने कहा के दर्द वर्द तो बहुत बाद की बात है, क्या पता तुम वहाँ तक पहुँचने से पहले ही मुझे रोक दो, इसलिए दर्द के बारे में अभी नही सोचो जब उसका वक़्त आएगा तो देखेंगे. पहले तो तुम यह हां करो के एक्सपेरिमेंट करने के लिए तैयार हो. अगर नही तो कोई बात नही और अगर हां तो कब? अगर सोचना चाहती हो तो सोच लो. कोई जल्दी नही है. आज नही तो फिर कभी मिल लेंगे पर मैं चाहूँगा के अगर मुझ पर भरोसा है तो एक बार एक्सपेरिमेंट कर लेते हैं और फिर देखते हैं क्या नतीजा निकलता है. वो कुच्छ देर सोच के बोली के बात तो तुम्हारी ठीक है एक्सपेरिमेंट करने में कोई नुकसान नही है जब तुम यह प्रॉमिस कर रहे हो के कोई ज़बरदस्ती नही करोगे और अगर मैं कहूँगी तो एक्सपेरिमेंट वहीं पर ख़तम कर देंगे. चलो ठीक है मैं तैयार हूँ और जब करना ही तो बाद में क्यों आज ही कर लेते हैं जो करना है. बोलो क्या और कैसे करना है. मैने कहा के देखो तुम्हे मुझ पर पूरा भरोसा करना होगा और जैसे मैं काहू वैसे ही करना होगा और अगर तुम्हें बुरा लगे तो मुझे रोक देना हम वहीं पर एक्सपेरिमेंट ख़तम कर देंगे. वो बोली के भरोसा तो है तभी तो कह रही हूँ के बताओ क्या करना है. 

मैं उठकर खड़ा हो गया और उसको भी खड़े होने को कहा. फिर उसको कहा के अपने सारे कपड़े उतार दो. और मैने अपने सारे कपड़े उतारने शुरू कर दिए. कुच्छ सेकेंड रुक कर उसने भी मेरा अनुसरण किया और अपने कपड़े उतारने लगी. थोड़ी देर में हम दोनो जन्मजात अवस्था में नंगे खड़े थे और मैं उसका जिस्म देखकर सन्न रह गया था. मेरी आँखें खुली की खुली रह गयीं और उनमें एक अनोखी चमक आ गयी. उसका जिस्म इतना सुंदर था के जैसे साँचे में ढली कोई मूर्ति हो. अत्यंत सुन्दर, सुडौल, कसे हुए मम्मे जो उसकी छाती पर आम लड़कियों से कुच्छ ऊपेर स्थित थे. गोरे रंग पर उसके हल्के भूरे रंग के रुपी साइज़ के चूचक और उनके बीच में संकुचित निपल जो चूचक से थोड़ा गहरे रंग के थे और अंदर को धाँसे हुए थे. नीचे सपाट पेट और सुंदर नाभि के नीचे हल्के हल्के रोँये थे जो उसकी चूत पर भी थे और बहुत ध्यान से और नज़दीक से देखने पर ही मालूम पड़ते थे. बहुत अच्छे अनुपात में सुगठित टाँगें जो पिंदलियों से लेकर घुटनों तक बहुत अच्छे अनुपात में आईं और फिर सुडौल जंघें कुल मिलाकर केले के तने जैसी चिकनी और चमकीली थीं. फिर उसकी गांद ऐसी जैसे की दो ग्लोब्स इकट्ठे लगा दिए हों. भगवान ने उसे बहुत फ़ुर्सत में बैठ के बनाया था. मैं उसको खामोशी से देखता ही रह गया. कुच्छ देर बाद उसने खामोशी तोड़ते हुए पूछा के ऐसे क्या देख रहे हो? मैने कहा कि द्रिश्य सुख ले रहा हूँ. 

मैने उसको समझाया के संपूर्ण लव मेकिंग के लिए पहला स्टेप होता है द्रिश्य सुख. किसी भी सुन्दर वास्तु को देखकर जैसे उसको छूने की इच्छा होती है वैसे ही तुम्हारे जैसे सुन्दर शरीर को देखकर आँखों की प्यास बढ़ जाती है और एक-एक अंग की सुंदरता को देखकर अपने दिल में बसा लेने को जी चाहता है. और उसके बाद स्पर्श सुख प्राप्त करने की इच्छा होती है ऐसे. यह कहते हुए मैने उसको अपने निकट किया और फिर उसकी जांघों पर पीछे से हाथ फिरा कर उसकी पुष्ट गांद की गोलैईयों पर अपने हाथ प्यार से रख दिए. वो सिहर उठी. मैने उसको पूछा के अच्छा लगा ना? उसने हां में सर हिलाया. यह है स्पर्श सुख और स्पर्श सुख से उत्तेजना बढ़ती है और सेक्स की इच्छा जागृत होती है. एक बात मैं तुम्हें यहाँ और बता दूं के श्रवण सुख भी इसमे बहुत योगदान करता है. वो बहुत हैरान हुई और बोली के श्रवण सुख से मतलब? मैने कहा के सेक्स संबंधी शब्द, जिनको हम आम बोलचाल में प्रयोग करना ठीक नही समझते वो जब ऐसे मौके पर जब एक आदमी और एक औरत अकेले में सेक्स के लिए तैयार हो रहे होते हैं तो अच्छे लगते हैं जैसे की लंड, चूत, चोदना, चुदाई, चूत चाटना, लंड चूसना, मम्मे दबाना आदि जब कानों में पड़ते हैं तो इनसे भी उत्तेजना मे वृद्धि होती है. आँचल मेरी सारी बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी. 

दोस्तो आगे की कहानी अगले पार्ट मे तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा 

क्रमशः...... 
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RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार - by sexstories - 08-25-2018, 04:23 PM

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