RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--21
गतान्क से आगे..............
कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे. फिर मैने उसको उठाया और कहा के अब हमे चलना चाहिए. जैसे ही वो खड़ी हुई उसका शरीर लहरा गया. उसकी टाँगें जैसे उसका फूल सा बोझ भी सहने को तैयार नही थीं. मैने उसको सहारा दिया और फिर उठाकर बाथरूम में आ गया. फिर वही पुराना तरीका, हॉट वॉटर ट्रीटमेंट और उसके बाद कहीं वो बिना सहारे के खड़ी होने के काबिल हुई. अपने साथ लेके आई हुई दर्द की गोली उसको खिला दी और आंटी प्रेग्नेन्सी गोली भी उसको दी और कहा के कल नाश्ते के बाद खा लेना. उसके पूच्छने पर मैने उसको बताया की वो गोली क्या है और क्यों ज़रूरी है उसको लेना. वो बोली वाउ पूरी तैयारी के साथ आए थे. मैने कहा के मैं जानता था के वो समझदार लड़की है और इसलिए मान भी जाएगी. वो मुस्कुरा दी और फिर हम कपड़े पहन कर तैयार हो गये और मैने नीरू को फोन किया और बताया के आँचल बहुत समझदार लड़की है और मैने उसको सब समझा दिया है और वो समझ भी गयी है. फिर आँचल ने मेरे हाथ से फोन ले लिया और बोली हां मा तुम ठीक कहती थी के वो आंटी मुझे बहका रही है, अब देखना मैं उसका क्या करती हूँ. नीरू ने कहा के वहीं रूको मैं आ रही हूँ.
कुच्छ ही देर में नीरू वहाँ आ गयी और सबसे पहले उसने आँचल को गले लगाया और कहा के मैं जानती थी के मेरी बच्ची बहुत अच्छी है और राज शर्मा एक अच्छे टीचर हैं सो मेरी बेटी को समझा देंगे और उसकी ग़लतफहमी दूर कर देंगे. फिर उसने आँचल को पानी लाने के बहाने किचन की तरफ भेज दिया और उसके जाने के बाद मुझे बोली के राज तुम बहुत अच्छे दोस्त हो और आज तुमने मेरा वो काम किया है जिसके लिए मैं तुम्हें कभी भूल नही सकूँगी. मैने अर्थपूर्ण स्वर में उसको कहा के इसमे मेरा भी तो स्वार्थ था. वो समझ गयी और मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन हिला दी और बोली के काँटा निकालने के लिए सुई का इस्तेमाल तो करना ही पड़ता है और उसको तो यही खुशी है के सब ठीक हो गया है. आँचल पानी लेकर आ गयी, उसकी चाल में अभी भी थोड़ी लड़खड़ाहट थी जिसे देखकर नीरू मेरी ओर देखकर मुस्कुराई. फिर हम बाहर आ गये और आँचल नीरू की कार में बैठ गये और मैं अपनी कार में और वहाँ से निकल आए.
मैं घर आकर लेट गया और आराम करने लगा. लेटे हुए सोचने लगा जो कुच्छ अभी तक मेरे साथ हुआ था पिच्छले कुच्छ दिनों में. कितनी लड़कियाँ चोदि थीं मैने और सब की सब कुँवारियाँ. सबकी सील तोड़ी थी और उनको पहली चुदाई का मीठा अनुभव करवाया था. काफ़ी सोचने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुँचा के इस इंटरनेट और आधुनिकता के दौर में लड़कियाँ चुदना तो चाहती हैं पर सही मौका नही मिलता या भरोसे का लड़का नही मिलता इस लिए डरती हैं. और इसी चक्कर में कयि क्लब और डिस्को आदि में जाकर ग़लत हाथों में पड़ जाती हैं कभी धोके से नशा कराके तो कभी ग़लत आदमी पर विश्वास करके और कठपुतली बन जाती हैं ग़लत लोगों की. मैने फ़ैसला किया कि मैं अब बड़ी होशियारी से नज़र रखूँगा हर जवान लड़की पर जो मेरे संपर्क में है चाहे स्कूल में चाहे वैसे और हर तरह से उनको अपने जाल में फँसाने काप्रयत्न करूँगा और उनको चोद के चुदाई का मज़ा दूँगा भी और लूँगा भी. और ख़याल रखूँगा की वो वासना के जाल में ना फँसें और संयमित चुदाई ही करें जब तक उनकी शादी नही हो जाती. इस तरह जितनी भी लड़कियों का भला हो सकता है करूँगा और साथ ही साथ अपना भी. यह विचार पक्का करके मैं आगे का प्रोग्राम बनाने लगा.
स्कूल मैं मैने सारी ट्यूबलाइट्स हटवा के उनकी जगह फॅन्सी कफ्ल लाइट्स लगवाने का फ़ैसला किया और उनकी फिटिंग्स के साथ साथ लड़कियों के वॉश रूम्स में और जिम और स्विम्मिंग पूल के श्वर्स में सीक्ट्व मिनियेचर कॅमरास फिट करवा दिए. हरेक बड़ी लड़की के आचरण पर नज़र रखने लगा. साथ ही मैने पर्फॉर्मेन्स चार्ट बना लिया उन लड़कियों का और उनकी मंत्ली असाइनमेंट्स की डीटेल्स उसमे भरनी शुरू कर दीं. इस तरह कोई 15-20 लड़कियाँ मेरे निशाने पर आ गयीं जो पढ़ाई में नीचे जा रही थीं और उनके आचरण भी शंकित करने वाले थे. जैसे कुच्छ लड़कियाँ शवर स्टॉल्स में हर वक़्त यही कोशिश करती रहती के वो किसी को छू लें या कोई उनको छू ले चाहे किसी भी बहाने से और ऐसा करते वक़्त उनके चेहरे तमतमा जाते या उनकी आँखें बता देती के वो कुच्छ और ही महसूस करने की कोशिश में हैं. वो और कुच्छ, कुच्छ और नही स्पर्श सुख ही तो है, जिससे वो प्राप्त करने की कोशिश कर रही थीं. मैं यह सारी रिपोर्ट्स बना कर अपने पास रख रहा था और सही वक़्त का इंतेज़ार कर रहा था.
कुच्छ दिन पहले दो जूनियर टीचर्स की शादी हो जाने के कारण मैने नयी टीचर्स की भरती के लिए आवेदन मँगवाए. आवेदन तो बहुत आए पर मैने कोई 10 लड़कियों को इंटरव्यू के लिए चुना था. इंटरव्यू में 8 लड़कियाँ ही आई थीं और 2 नही आ पाईं. सबसे आख़िर में जो लड़की आई उसका नाम तनवी था. उसका आवेदन मैने देखा तो पता चला के वो अभी एनटीटी कर रही थी और इसी साल कंप्लीट होनी थी. मैने उसको स्पष्ट शब्दों में कह दिया के मुझे खेद है के आपको नही रख सकते. जब आप न्ट कंप्लीट कर लें तो दोबारा आवेदन करना फिर देखेंगे. वो ये सुनकर बहुत मायूस हो गयी और ऐसा लगा के अभी रो देगी. मैने ऐसे ही पूछा के क्या बात है वो ठीक तो है? वो कुच्छ बोली नही बस सर हिला दिया, पर उसकी बेचैनी सॉफ दिख रही थी. मैं उठकर उसके पास गया और उसकी पीठ थपथपा कर उसको कहा के घबराओ मत मैं ध्यान रखूँगा के जब अगली बार तुम इंटरव्यू के लिए आओगी न्ट कंप्लीट करके तो तुमको ज़रूर नौकरी मिलेगी. वो मुस्कुरा दी और बोली की अगली बार तो पता नही कब आएगी और तब तक कुच्छ हो ना जाए उसके साथ. मैने कहा के बताओ क्या बात है डरो मत और खुल कर बताओ.
उसने अपनी दुख भरी कहानी सुनाई की उसके पापा की डेत हो चुकी है 3 महीने पहले और वो घर में सबसे बड़ी है और उसके 3 छ्होटे भाई बेहन भी हैं और उसकी मा ज़्यादा पढ़ी लिखी ना होने के कारण कोई नौकरी नही कर सकती. उसे इस नौकरी की बहुत ज़रूरत थी और वो नौकरी पाने के लिए कुच्छ भी करने को तैयार थी, पर जो भगवान को मंज़ूर है. कहकर वो खड़ी हो गयी और नमस्ते कर के बाहर जाने लगी. मैने कुच्छ सोचा और उसको कहा की टीचर तो नही पर अगर वो ऑफीस स्टाफ में काम करना चाहे तो मैं सोच सकता हूँ. वो वापिस आकर बैठ गयी और बोली के उसे मंज़ूर है. मैने कहा के सोच लो शुरू में तो उसकी सॅलरी टीचर की सॅलरी से बहुत कम होगी और उसको केवल 5000 ही मिलेंगे पर 6 महीने बाद उससे 7,500 मिलेंगे और साथ ही सारी सुविधाएँ भी मिलेंगी. वो बोली के वो कुच्छ भी काम करने के लिए तैयार है. मैने कहा के कुच्छ भी नही तुमको मेरी निजी सहयिका का काम करना होगा. मेरे सारे काम काज का, मेरी अपायंट्मेंट्स का और मेरी स्कूल की ज़िम्मेदारियों का ध्यान रखना होगा. काम आसान है लेकिन बहुत ज़िम्मेवारी का है. वो काम के साथ साथ अपनी न्ट भी कर सकती है.वो मान गयी तो मैने कहा के बाहर इंतेज़ार करो मैं तुम्हारा अपायंटमेंट लेटर बनवा देता हूँ. 3 दिन के अंदर ही उसको जाय्न करना होगा. वो बोली के मैं कल से ही जाय्न कर लूँगी. मैने कहा के ठीक है और उठ कर अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और बोला के तनवी मेरे स्टाफ में तुम्हारा स्वागत है.
वो खड़ी हुई और घूम कर मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली आपका बहुत धन्यवाद आप बहुत अच्छे हैं. मैं हंस पड़ा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा के मैं कोई अच्छा वछा नही हूँ पता नही क्या सोचकर मैने तुम्हें यह नौकरी दे दी है. वो थोड़ा चौंक गयी, उसकी आँखें भीग गयीं और फिर आकर मेरे सीने से लग गयी और रोने लगी. मैने उसको दिलासा दिया और कहा के देखो यह दुनिया है और यहाँ दुख सुख तो लगे रहते हैं इनसे घबराना नही चाहिए बल्कि डटकर मुक़ाबला करना चाहिए. वो थोड़ी संयत हुई और बाहर चली गयी. मैने उसकाअपायंटमेंट लेटर टाइप करवाया और उसको अंदर बुलाया. वो आई और मैने उस्स्को अपायंटमेंट लेटर दिया और कहा के एक कॉपी वो रख ले और दूसरी पर अपनी सहमति के रूप में अपने साइन कर दे.
और कोई काम तो था नही सो मैने उसको पूछा के वो देल्ही में किसके पास रह रही है? क्योंकि उसने अपना पर्मनेंट अड्रेस मेरठ का दिया था. उसने कहा के कोई पहचान वाले हैं उनके पास ट्रांस यमुना की किसी कॉलोनी में रह रही है. मैने ऐसे ही कहा के फिर तो उसको आने जाने में बहुत मुश्किल होगी और उसको न्ट की तैयारी भी करनी है. वो बोली कि मॅनेज तो करना ही पड़ेगा. मैने कहा कि एक सुझाव है मेरा अगर उसे ठीक लगे तो मान ले नही तो कोई बात नही. वो बोली की बताइए. मैने कहा के देखो अगर मुझ पर तुम्हे विश्वास है तो तुम मेरे घर में 2न्ड फ्लोर पर वन रूम सेट है वित इनडिपेंडेंट एंट्री, वहाँ रह सकती हो. मैं अकेला रहता हूँ पूरे घर में. इसी बहाने तुम्हारा साथ भी हो जाएगा और तुम्हारा सारा आने जाने का टाइम बचेगा. वो बोली के मुझे पूरा भरोसा है और मैं सनडे को शिफ्ट करूँगी पर जाय्न मैं कल से ही कर लूँगी. मैने कहा के तुम्हें कोई तकलीफ़ नही होगी और हां मैं किराया भी लूँगा तुमसे पर वो कॅश नही लूँगा. उसने प्रश्नावाचक दृष्टि से मेरी ओर देखा तो मैने हंस कर कहा के डरो नही तुम बस मुझे कभी कभी अपने हाथ से बना खाना खिला देना क्योंकि नौकरों के हाथ का बना खाना खाते खाते दिल ऊब जाता है. वो बोली के वो तो मैं रोज़ खिला दूँगी कभी कभी क्यों. मैने हंसते हुए कहा के नही कभी कभी ही ठीक रहेगा रोज़ नही, मुझे अपनी आदत खराब नही करनी है. बड़ी मुश्किल से तो नौकरों के हाथ का खाना खाने की आदत डाली है. वो भी हंस दी और बोली के चलो ठीक है जब भी दिल करे आप मुझे बता देना मैं बना दूँगी. फिर वो अगले दिन मिलने का कह कर चली गयी.
सनडे भी आ गया और तनवी ने शिफ्ट भी कर लिया. अब मैं थोड़ा तनवी के बारे में भी बता दूं. तनवी की एज थी 22 साल और गाथा हुआ सुडौल शरीर जिसका माप होगा 34-23-35. रंग उसका गेहुआ था और बड़ी आँखें, सुतवान नाक और गुलाब की पंखुरी जैसे होंठ. कुल जमा एक औसत से काफ़ी ज़्यादा सुंदर लड़की थी. पिच्छले दिनों मे उसके साथ हुई बातचीत से पता चला था कि उसके बाद उसकी दो छ्होटी बहनें थीं और भाई सबसे छ्होटा और 11थ क्लास में पढ़ता था. एक बेहन 12थ में थी और एक 2न्ड एअर बी.कॉम (हॉन्स) कर रही थी और तीनों अपनी मा के साथ मेरठ में अपने मकान में रहते तहे. उसके पिता सरकारी नौकरी में थे और उनकी फॅमिली पेन्षन आती थी पर इस महनगाई के दौर में घर खर्चा चलाने के लिए काफ़ी नही थी. इसलिए तनवी को नौकरी करनी पड़ी थी. मैने उसको तसल्ली दी थी के वो फिकर ना करे सब ठीक हो जाएगा. उसने कहा के आप की मेहरबानी से नौकरी और रहने का हो गया है तो उम्मीद है के सब ठीक हो ही जाएगा. मैने उससे गुस्से से कहा के दोबारा कभी मेहरबानी, थॅंक यू, सॉरी जैसे शब्द प्रयोग किए तो मैं उसको नौकरी से निकाल दूँगा. हम दोस्त हैं और दोस्ती में कोई थॅंक्स या सॉरी नही चलता. तो वो बोली के ठीक है नही कहूँगी कभी नही कहूँगी.
मेरा काम अब स्कूल में बहुत बढ़ गया था सारी रेकॉर्डिंग्स चेक करनी होती थीं और डीटेल्स नोट करनी होती थीं. मैने नोट किया कि एक लड़की जिस्का नाम था मिनी बहुत ज़्यादा दिलचस्पी ले रही थी दूसरी लड़कियों में. कभी किसी को कहती के यार ज़रा मेरी पीठ पर साबुन लगा दो या ऑफर करती के मैं तुम्हारी पीठ पर साबुन लगा देती हूँ और तुम मेरी पीठ पर लगा देना और साबुन लगाते उसके हाथ भी बहुत बहकते थे. साथ ही उसकी असाइनमेंट्स के मार्क्स का ग्रॅफ लगातार नीचे गिर रहा था. 80% से अधिक लाने वाली लड़की अब 70% के पास पहुँच चुकी थी. मैने उसकी क्लास लगाने का फ़ैसला किया और उसको बुलवा भेजा. वैसे मिनी मेरे घर के साथ ही दो मकान छ्चोड़ कर रहती थी.
मिनी एक औसत कद काठी की लड़की थी. 5’-4” और 32-22-30 के साथ उसका कुच्छ भी मुझसे छुपा नही था, थॅंक्स टू सीक्ट्व जो मैने लगवा रखे थे. मिनी डरते हुए आई और मैने उसको बैठने के लिए कहा. वो बैठ गयी और मैने उसको पूछा के उसकी पढ़ाई कैसी चल रही है? ठीक चल रही है उसने कहा. मैने कहा के उसके नंबर तो यह नही कहते के ठीक चल रही है. वो चुप हो गयी और मैने पूछा के कितनी देर पढ़ाई करती हो? जी 4 घंटे. मैने कहा के आज से 3 महीने पहले तक वो क्लास के टॉप स्टूडेंट्स में से थी और उसके 80% से अधिक नंबर होते थे और अब उसके 70% नंबर रह गये हैं तो इसका क्या कारण है? वो चुप रही. मैने उसे अपने पास बुलाया और उसकी पीठ पर हाथ रख के कहा के देखो डरो नही और मुझे अपना दोस्त समझ कर बताओ के क्या प्राब्लम है. अगर बतओगि नही तो मैं कैसे उस प्राब्लम को सॉल्व करूँगा. वो फिर भी कुच्छ नही बोली. मैने कहा के कंप्यूटर पर इंटरनेट पर कितना टाइम लगाती हो चाटिंग और नेट सरफिंग में? जी 2 घंटे. मैने कहा के इन 2 घंटों में अडल्ट साइट्स पर कितना समय लगता है. जी मैं ऐसा कुच्छ नही करती हूँ. मैने कहा के और कोई कारण है तुम्हारा ध्यान पढ़ाई से हटने का तो बताओ? वो चुप रही तो मैने कहा के देखो अब तुम बड़ी हो गयी हो और तुम्हारी जिग्यासा भी बढ़ गयी है यह सब जानकारी लेने की तो इसमे कोई बुराई नही है. कम से कम मैं तो ऐसा नही समझता. तुम बिना किसी डर के मुझे अपना दोस्त समझ कर बताओ के यह सच है या नही? उसने अपना सर हां में हिला दिया.
मैने कहा के देखा मैने समझ ली ना तुम्हारी परेशानी? मैने उसका चेहरा ऊपेर करके उसकी आँखों में देखते हुए कहा के अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी कोई मदद करूँ? वो बोली के कैसे? मैने कहा के बताओ के तुम क्या जानकारी चाहती हो? वो बोली के सब कुच्छ. मैने पूछा के इंटरनेट पर तुम्हें कोई जानकारी नही मिली? उसने ना में सर हिलाया. क्यों, मैने पूछा? उसने कहा के घर में डर लगता है इसलिए च्छूप कर ही नेट सरफिंग करती हूँ पर फिर भी डरती हूँ के कहीं कंप्यूटर चेक कर लिया गया तो मैं पकड़ी जा सकती हूँ. मैने देखा के अब तक उसके निपल्स कड़क खड़े हो चुके थे और शर्ट के नीचे कुच्छ ना होने के कारण सॉफ दिख रहे थे. मैने अपना हाथ उसकी पीठ से ले जाकर उसकी साइड पर रख दिया और बोला के तुम्हारा ध्यान अब केवल इसी तरफ लगा हुआ है और यही कारण है के तुम अभी भी उत्तेजित होती दिख रही हो. नही ऐसी कोई बात नही है, उसने कहा. मैने हाथ और आगे सरकाके उसके मम्मे पर रख दिया और उसके निपल को उंगली और अंगूठे के बीच लेकर प्यार से मसल दिया और पूछा के अगर ऐसी बात नही है तो यह क्या है?
क्रमशः......
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