RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--29
गतान्क से आगे..............
चलते ही तनवी ने मुझसे पूछा के जानते हो ये कौन हैं? मैं क्या कहता, मैने कहा के नही. तो तनवी ने बताया के यह मरियम की बहनें हैं क्योंकि यह वही घर है जहाँ मैने मरियम को छ्चोड़ा था. मैने कहा के तुमने तो कहा था के उसकी बहनें ही घर में थीं तो तुमने देखा नही था उनको. वो बोली के नही शकल नही देख पाई थी क्योंकि दुपट्टा लपेटा हुआ था. मैं हंस पड़ा. फिर तनवी ने एक धमाका किया कि तुम कहाँ तक पहुँचे नाज़िया के साथ? मैं चौंक कर बोला क्या मतलब? वो बोली के मैं नाज़िया को देखते ही समझ गयी थी के तुमने कुच्छ ना कुच्छ किया है उसके साथ और फिर उसकी चोट तो ठीक हो चुकी थी नीचे ही. तेल की मालिश का तो बहाना था तुम्हारे हाथ लगवाने का. मैने तनवी की ओर देखा तो वो शरारत से मुस्कुरा रही थी. मैने कहा के उसको ज़िंदगी का पहला मज़ा मिला है मेरे हाथों से और ज़्यादा कुच्छ करने का तो टाइम ही नही था.
तनवी बोली के फिकर ना करो अभी वो कल और परसों भी तो मालिश करवाने वाली है जो मेरे हिसाब से काफ़ी होंगे तुम्हारे लिए उसको शीशे में उतारने के लिए. तुम्हारी मदद मेरा तेल कर ही रहा है, उसका कमाल तो तुम देख ही चुके हो. मैने कहा के यह सब तुम्हारे तेल ने किया था, मैं तो समझ रहा था के मेरा स्पर्श उसको उत्तेजित कर रहा है. तनवी मुस्कुराइ और बोली के दोनो का मिलाजुला रिक्षन था. हम घर पहुँचे और अपने अपने कमरे में चले गये तैयार होकर स्कूल जाने के लिए. ऑफीस में पहुँचकर मैने अपना पीसी ऑन किया और उसे क्लियर करने की सोची. मैं हर 15-16 दिन में अपने पीसी की सफाई करता था. मतलब के टेंप फोल्डर, टेंप इंटरनेट फाइल्स, रीसेंट डॉक्युमेंट्स के फोल्डर्स को खाली कर देता था ताकि पीसी की स्पीड अच्छी रहे. सबसे पहले मैने टेंप इंटरनेट फाइल्स, फिर टेंप फोल्डर्स खाली कर दिए.
सबसे आख़िर में मैने माइ रीसेंट डॉक्युमेंट्स का फोल्डर खाली करने के लिए खोला. फोल्डर में फाइल्स कुच्छ ज़्यादा ही थीं. जो कंप्यूटर्स की जानकारी रखते हैं उनको तो समझ आ ही जाएगा पर होता यह है के जब भी कोई फाइल या फोल्डर खोला जाता है कंप्यूटर में तो उसका एक शॉर्टकट रीसेंट डॉक्युमेंट्स फोल्डर में आ जाता है और उसकी प्रॉपर्टीस में जायें राइट क्लिक करके तो पता चल जाता है कि लास्ट आक्सेस कब हुई थी उस फाइल या फोल्डर की. मुझे शक़ हुआ तो मैने सारी फाइल्स देखनी शुरू कर दीं. बहुत सारी फाइल्स ऐसी थीं जिनको मैने पिच्छले 15-20 दिन तो क्या कयि महीनों से आक्सेस नही किया था. इसका एक ही मतलब था के मेरी जानकारी के बिना किसी ने मेरे कंप्यूटर के साथ छेड़-छाड़ की थी. मैने कुच्छ फाइल्स को राइट क्लिक करके उनकी प्रॉपर्टीस चेक की तो पता चला के सब 2 दिन पहले ही असीस्स की गयी थीं 11 और 12 बजे के बीच में. मैने सोचा तो ध्यान आया कि 2 दिन पहले मैं कोई 10-45 पर ऑफीस से निकला था और एक मीटिंग करके मैं 12-30 पर वापिस आ गया था. मैने अपने रूम की सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग चेक की तो पता चला के तनवी मेरे पीसी पर 11-12 बजे तक बैठी थी और अच्छी तरह से मेरे पीसी को चेक करके गयी थी. मुझे बहुत हैरानी हुई पर मैने उस वक़्त तनवी से कुच्छ भी कहना उचित नही समझा और छुट्टी होने पर घर आ गया. पर चलने से पहले मैने अपने कंप्यूटर का पासवर्ड बदल डाला और उसमे 5 मिनटका स्क्रीनसावेर लॉक लगा दिया ताकि 5 मिनट इनॅक्टिव रहने पर पीसी लॉक हो जाए और फिर पासवर्ड डालने पर ही खुले. घर आकर मैं सोचता रहा कि मुझे तनवी से बात करनी चाहिए या नही. यह तो अच्छा था के सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग के लिए अलग कंप्यूटर था और उसके साथ कोई छेड़-छाड़ नही हुई थी जो मैने चेक कर लिया था. फिर मैने फ़ैसला किया कि अभी तनवी से कोई बात नही करूँगा पर अब उसकी हर हरकत पर नज़र रखूँगा. मैने नीचे जिम में सीक्ट्व कॅमरास फिट करवा दिए थे और अब मैने ऊपेर तनवी के रूम में भी कॅमरास फिट करवाने का इंटेज़ाम कर दिया. अगले दिन ही हमारे स्कूल जाने के बाद कॅमरास फिट हो जाने थे.
मैने उस दिन की रेकॉर्डिंग चेक की जो की नॉर्मल ही लग रही थी. 11 बजे तनवी मेरे ऑफीस में दाखिल हुई और मेरे पीसी पर बैठ गयी और उसके आक्षन्स से लग रहा था कि वो फाइल्स खोल कर चेक करती रही थी कि लगभग 11-50 पर तनवी के मोबाइल की घंटी बजी. तनवी ने अपना फोन उठाकर चेक किया और मैन डोर की तरफ देखा और मैन डोर लॉक देखकर उसने फोन उठा लिया और बोली कि हां बोलो क्या बात है. मैं चौंक गया कि तनवी किसके साथ बात कर रही है? फिर तनवी की आवाज़ आई के मैं चेक कर चुकी हूँ पूरा एक घंटा पर मुझे ऐसा कुच्छ नही मिला जो तुम्हारे काम का हो. इसका मतलब था के तनवी मेरा पीसी किसी के कहने पर उसके लिए चेक कर रही थी. तनिवि बोल रही थी के मैने बताया ना मैं उसको शीशे में उतार चुकी हूँ और उसका विश्वास भी जीत चुकी हूँ. कोई फिकर वाली बात नही है मेरी फिकर तो बिल्कुल मत करो. मैं अपने फ़ैसले पर कायम रहा के मैं तनवी से कुच्छ भी नही पूच्हूंगा और उसे बिल्कुल भी नही लगने दूँगा की मुझे कुच्छ पता चल गया है और मैं उस पर नज़र रख रहा हूँ. बल्कि अब मैं अपने पीसी में कोई ऐसी फाइल नही रहने दूँगा जिसके कारण किसी को मेरी गतिविधियों के बारे में पता चल सके. पूरे सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग्स का कनेक्षन मैने अपने घर पर करवा दिया और पीसी को घर पर शिफ्ट कर दिया, और उसको बहुत अच्छी तरह से पासवर्ड प्रोटेक्षन और आक्सेस प्रोटेक्षन दे दिया. अब बिना मेरी मर्ज़ी के कोई उस पीसी को खोलकर चेक नही कर सकता था. मैने सोच लिया के कभी-कभी तनवी को मौका दूँगा कि वो मेरे पीसी पर बैठ कर मेरा कुच्छ काम करे ताकि वो आराम से मेरे पीसी को चेक कर सके. इसके दो लाभ होंगे एक तो वो यह समझेगी के मुझे उस पर अधिक विश्वास हो गया है और दूसरा वो बेफिकर होकर मेरे ऑफीस में बैठेगी और हो सकता है के कुच्छ ऐसा कर बैठे कि उसकी असलियत मेरे सामने आ जाए.
क्रमशः.............
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