RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--32
गतान्क से आगे..............
मैने उसकी हालत पर तरस खाते हुए उसकी दोनो टाँगों के बीच आ गया और उसकी टाँगें खोल कर उसकी चूत को देखने लगा. चूत मरियम के चूसने से काफ़ी गीली हो चुकी थी और फूल कर कुप्पा हो गयी थी. मैने जेल की ट्यूब उठा कर जेल उसकी चूत और अपने लंड पर लगा दी और अपने लंड को उसकी चूत की लकीर पर रगड़ने लगा. लंड को मैने अपने हाथ में पकड़ा हुआ था और लंड के टोपे को उसकी चूत की दरार में दबा के रगड़ रहा था. नीचे से ऊपेर और ऊपेर से नीचे. जब मेरे लंड की दबाव वाली रगड़ उसस्के भज्नसे पर पड़ती तो वो अपनी चूत को ऊपेर उठा देती. फिर मैने अपने लंड का टोपा उसकी चूत के मुहाने पर रखा और दबाव डाला तो सुपरा उसकी चूत के छल्ले को फैला कर अंदर घुसा तो नाज़िया एक बार काँप गयी. मैने थोड़ा दबाव और डाला तो लंड एक इंच और अंदर चला गया. नाज़िया का जिस्म भरा हुआ होने केकारण उसकी चूत बहुत टाइट थी और मेरे लंड को उसने ज़ोर से पकड़ रखा था. मैने ऐसे ही 5-6 घस्से मारे अपने लंड को एक इंच अंदर बाहर करके तो नाज़िया को मज़ा आना शुरू हो गया और वो मस्ती में चिल्लाई हां हां ऐसे ही करो बहुत मज़ा आ रहा है. मैने कहा के नाज़िया अभी जब मैं अपना लंड तुम्हारी चूत में और अंदर डालूँगा तो तुम्हारी सील टूट जाएगी और सील टूटने पर दर्द भी होगा.
मरियम को मैने कहा के नाज़िया के मुँह पर बैठ जाए और अपनी चूत उसके मुँह पर लगा दे. नाज़िया को बोला के मरियम की चूत को अपनी जीभ से चाट कर और चोद्कर मरियम को गरम करदो ताकि तुम्हारे बाद मैं इसको भी चोद सकूँ. फिर मैने उसको कहा के मेरी पूरी कोशिश होगी के तुम्हें दर्द कम से कम हो जब मैं तुम्हारी चूत मैं अपना लंड पेलूँगा पर दर्द तो होगा ही और वो तुमको सहना पड़ेगा. क्या तुम उसके लिए तैयार हो? वो बोली के हां मैं तो 3 दिन से तैयार हूँ पर तुम हो की मेरा कोई ख़याल ही नही कर रहे हो. आज कुच्छ भी हो जाए मेरी चूत को अच्छी तरह से चोद कर मुझे लड़की से औरत बना दो राज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज मैं और नही रुक सकतिईईईईईईईईईईईई. उसके इस तरह के इसरार पर मैं अपने आप को रोक नही पाया और अपने लंड को बाहर खीच कर अपनी पूरी ताक़त से अंदर घुसाने के लिए एक भरपूर ज़ोरदार धक्का मारा और मेरा लंड उसकी सील को तोड़कर आधे से ज़्यादा उसकी चूत में घुस गया. नाज़िया के मुँह से निकली चीख मरियम की चूत में दबकर रह गयी.
नाज़िया की आँखों से आँसू बहने लगे और बेड पर गिरने लगे. मैं रुक गया और अपने हाथों से उसके जिस्म को सहलाने लगा. उसके दोनो मम्मो को भी सहालाया और दबा कर उनके निपल्स को भी अपनी उंगली और अंगूठे के बीच में लेकर मस्सला. फिर जब उसका दर्द कुच्छ कम हुआ और उसकी साँसें नॉर्मल चलने लगीं तो मैने अपने लंड को उसकी चूत में हल्के हल्के घिसना शुरू किया. मतलब यह कि मेरा लंड आगे पीछे तो हो रहा था पर अंदर बाहर नही हो रहा था. उसकी चूत के छल्ले ने मेरे लंड को जहाँ से पकड़ रखा था वहीं था बस हल्का सा आगे पीछे होने से छल्ला और उसकी गुलाबी पुट्तियाँ अंदर बाहर हो रही थीं और उतना ही मेरा लंड आगे पीछे हो रहा था. इस हल्के घिस्सों से नाज़िया को मज़ा मिलना शुरू हुआ और वो भी अपनी गांद को हिलाने लग गयी और मैने भी अपने लंड को थोड़ा और अंदर बाहर करने लगा. मैने थोड़ा और अंदर करने की कोशिश में दबाव बढ़ाया तो नाज़िया ज़ोर से उूुुुुुुुुुउउन्ह कर उठी. मैं रुक गया और दबाव कम कर दिया. ऐसे ही अंदर बाहर करने पर नाज़िया की चूत में नॅचुरल ल्यूब्रिकेशन से मेरा लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा.
फिर मैने मौका देखकर अपना लंड सुपारे तक बाहर खींचा और पूरी ताक़त से अंदर घुसेड दिया. लंड सीधा उसकी बच्चेदानी के मुँह से जा टकराया और नाज़िया एक बार फिर चीख नही सकी क्योंकि मुँह तो मरियम की चूत ने दबा रखा था. नाज़िया ने दोनो हाथों से ज़ोर लगा कर मरियम को हटा दिया और रोते हुए बोली के मार डालोगे क्या मुझे. चूत मारने की थी जान से मारने की थोडा ना कही थी. मेरी हँसी निकल गयी नाज़िया की बात सुनकर और मैने उसको बड़े प्यार से कहा कि जानू चूत ही मार रहा हूँ और घबराओ मत तुम्हें मरने भी नही दूँगा. अब लंड तुम्हारी चूत में पूरा घुस चुका है और जितना दर्द होना था हो गया. अब तुम्हें कभी भी लंड लेने में दर्द नही होगा. आराम से चुदवा सकती हो बिना किसी डर या दर्द के. थोड़ी देर में तुम्हारा दर्द ख़तम हो जाएगा और उसकी जगह तुमको मज़ा आना शुरू होगा और वो ऐसा मज़ा होगा जो तुम्हें पिछले दो दिनों में भी नही आया होगा. मैने उसके मम्मे अपने हाथों में लेकर सहलाने शुरू कर दिए और धीरे धीरे उसका दर्द कम होने लगा और दर्द की जगह उसके चेहरे पर एक हल्की सी कामुक मुस्कुराहट आ गयी.
जब मैने देखा कि उसका दर्द कम हो गया है और उसका जिस्म अब पहले से ढीला पड़ चुक्का है तो मैने अपने लंड को थोड़ा सा 2 इंच के करीब बाहर निकालकर अंदर डाला और ऐसे ही पेलने लगा. थोरी देर में ही नाज़िया भी नीचे से अपनी गांद हिलाने लगी. आहिस्ता आहिस्ता मैने अपनी रफ़्तार के साथ साथ ज़ोर भी बढ़ाना शुरू कर दिया. अपने लंड को अंदर बाहर करने की लंबाई भी बढ़ानी चालू कर दी. 15-20 धक्कों के बाद ही मेरा लंड सुपारे तक तेज़ी से बाहर आता और उतनी ही तेज़ी से और ज़ोर से अंदर घुस जाता. जब लंड अंदर घुसता तो नाज़िया भी अपनी गांद उठाकर उसका स्वागत करती. 10-15 मिनट की जोशीली चुदाई में नाज़िया चार बार झाड़ गयी. जब वो झड़ने लगती मैं अपनी रफ़्तार बहुत ही धीमी कर देता और जैसे ही उसका झड़ना बंद होता मेरी रफ़्तार वापिस तेज़ हो जाती. चौथी बार झड़ने के बाद उसने मुझे रोक दिया कि बस अब और नही. मैने भी पहली चुदाई होने के कारण रोक लिया और अपने लंड को बाहर निकाल लिया. मेरा लंड बाहर निकल कर उच्छलने लगा जैसे नाराज़ हो तो मैने कहा के रुक जाओ दोस्त अभी तुम्हें मरियम की प्यारी चूत को खोदने का मौका मिलेगा नाराज़ मत हो मेरे यार.
मैने मुड़कर देखा तो ज़ाकिया बाहर आ चुकी थी और मस्ती में हमे देख रही थी. मैने नाज़िया को सहारा देकर उठाया और बाथरूम में ले आया. तब तक मरियम टब में गरम पानी भर चुकी थी. आस्त्रगेन्त लोशन डाल कर मैने नाज़िया को उस में बिठा दिया और कहा के जब तक पानी ठंडा ना हो जाए अपनी चूत की सिकाई करती रहे. अब मरियम की बारी थी. मैने मरियम की ओर देखा तो वो बड़ी हसरत भरी निगाहों से मुझे देख रही थी और मुझसे नज़र मिलते ही उसने मुस्कुरा कर अपनी आँखें झुका लीं. मैने आगे बढ़कर उसको अपने साथ चिपका लिया और वो एक झुरजुरी लेकर मुझसे लिपट गयी. मैं उस फूल जैसे हल्के बदन को उठाकर बेडरूम में आ गया और बेड पर ले आया. उसने अपनी दोनो बाहें मेरे गले में डाल दी थीं और उसके छ्होटे छ्होटे मम्मे मेरी छाती पर मचल रहे थे और मरियम का चेहरा आवेश में तमतमा रहा था. ज़ाकिया ने आगे बढ़कर उसकी पीठ सहलाते हुए कहा के लाडो अब तू जी भर के चुदवा ले और मैं तेरी पूरी मदद करूँगी. जो तू कहेगी मैं वैसे ही करूँगी. मरियम को मैने बेड पर लिटा दिया और उसके साथ ही मैं भी लेट गया. ज़ाकिया उसके दूसरी तरफ आ गयी और उसके मम्मे को मुँह में भर कर चूसने लगी. मरियम सीत्कार कर उठी और च्चटपटाने लगी. उसने काटर दृष्टि से मुझे देखा और मैने देर करना उचित नही समझा और सीधा उसकी टाँगों के बीच में आ गया.
मैने अपना आकड़ा हुआ लंड अपने हाथ में लेकर उसकी चूत की दरार में फिराना शुरू कर दिया. वो सिसकारियाँ लेने लगी. मैने हल्के से अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख कर दबाया तो गकच करके सुपरा अंदर घुस गया और वो चिहुनक गयी. मैने हल्का सा दबाव डाला तो मेरा लंड उसकी चूत में अंदर घुस्सने लगा. उसकी आँखें मूंद गयीं और वो गहरी साँसें लेने लगी. 3-4 इंच लंड अंदर चला गया तो मैने उसे टोपे तक बाहर खींचा और एक हल्का सा धक्का मारा. लंड 6-7 इंच अंदर घुस गया और मरियम के मुँह से हुउऊँ की आवाज़ निकली. मैने पूछा के दर्द हो रहा है क्या? तो वो बोली के नही दर्द तो नही हो रहा पर भारी भारी लग रहा है. उसकी चूत की ग्रिप मेरे लंड पर बहुत टाइट थी तो मैने कहा के भरा हुआ तो लगेगा ही तुम्हारी चूत मेरा लंड खा रही है तो कुच्छ तो लगेगा ही ना. तो वो मुस्कुरा दी और बोली के अब जल्दी जल्दी चोद डालो मुझसे रुका नही जा रहा. मैने कहा के एक बार लंड पूरा तुम्हारी चूत में अड्जस्ट हो जाए फिर तुम्हे जन्नत के मज़े करवा दूँगा मेरी रानी.
मैने अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और आहिस्ता आहिस्ता हर धक्के पर थोड़ा और अंदर करते करते थोड़ी देर में ही पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया. जैसे ही मेरा लंड पूरा मरियम की चूत में घुसा मैने अपने हाथ उसकी मुलायम गांद के नीचे लगाकर उसकी गांद को कस के पकड़ लिया और धक्के लगाने लगा. मरियम आनंद विभोर होकर बोली के हाँ ऐसे ही मारो मेरी चूत में आग लग रही है इसकी आग बुझा दो. मैने कहा के अभी तुम्हारी चूत की आग को ठंडा करता हूँ मेरी रानी और मैने उसके चूतड़ उठाकर अपने लंड से लंबे लंबे शॉट लगाने शुरू कर दिए. धीरे धीरे मेरी रफ़्तार भी तेज़ होती गयी और फिर इतनी तेज़ हो गयी के पता ही नही लग रहा था कब लंड अंदर और कब लंड बाहर हो रहा है. ज़ाकिया उसके मम्मों को दबाती चूस्टी आँखें फाड़ कर चुदाई का नज़ारा ले रही थी जैसे डर रही हो कि इतने भयंकर धक्के और वो भी इतनी तेज़ी से उसकी छ्होटी बेहन कैसे सह पाएगी, कहीं उसकी चूत ही ना फॅट के दो टुकड़े हो जाए.
कुच्छ देर बाद मरियम हाआआआआआआआं हाआआआआआआआं करती हुई झड़ने लगी. उसका शरीर झटके खाने लगा और उसकी चूत की पकड़ मेरे लंड पर बढ़कर कम होने लगी. मेरा लंड उसकी चिकनी हो चुकी चूत में और आसानी से अंदर बाहर होने लगा और मुझे लगा के मैं ज़्यादा देर तक नही रुक सकूँगा तो मैने उसके झड़ने के दौरान अपनी रफ़्तार कम करदी. मरियम संयत हुई तो उसने अपनी आँखें खोल कर मेरी और देखा और मुस्कुरा दी. क्या मस्त और क़ातिल मुस्कुराहट थी. फिर वो बोली कि अभी और भी चोदोगे? मैने भी वैसे ही मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया कि अगर तुम नही चाहती तो रहने दो. वो एकदम बोली की नही नही मैं तो सिर्फ़ पूछ रही थी की कहीं तुम थक तो नही गये. मैने कहा के जब तुम तीनो बहनों जैसी खूबसूरत और कड़क जवान लड़कियाँ इतने प्यार और इसरार से चुदवा रही हों तो कोई चूतिया ही थकेगा. तो वो हंस पड़ी और बोली की चोदो आज मुझे जी भर के चोदो. कल से आग लग रही थी मेरी चूत में और दो बार उंगली करके भी खुजली ख़तम नही हुई थी. आज फाड़ दो इसको. मैने कहा के फाड़ दूँगा तो चोदुन्गा किसको? हां खुजली मिटा दूँगा ये मेरा वादा है.
उधर ज़ाकिया उसके मम्मों को लगातार दबाए और चूसे जा रही थी जिस कारण वो फिर मस्ताने लगी और उसकी आँखें फिर से कामुकता से लाल होकर चढ़ने लगीं. मैने ज़ाकिया से कहा के तुम ज़रा नाज़िया की खबर लो वो ठीक तो है और मैं तब तक इसकी चूत की गर्मी निकालता हूँ. ज़ाकिया उठकर बाथरूम में चली गयी और मैने मरियम की गांद को वापिस बेड पर टीका दिया और उसकी टाँगें उठाकर अपनी बाहों पर लटका दीं और अपने हाथ उसकी बगलों से लेजाकर नीचे से उसके कंधों पर ले आया और मज़बूती से उसके कंधे पकड़ लिए. इस तरह उसकापूरा जिस्म दोहरा हो गया और उसकी गांद अपने आप ही हवा में उठ गयी जिसे वो चाह कर भी नीचे नही कर सकती थी और हिला भी नही सकती थी. उसकी चूत अब पूरी खुल कर मेरे सामने थी और मेरे लंड के प्रचंड धक्के झेल रही थी. अब मैने अपने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी बढ़ा दी तो मरियम जो पूरी तरह से अब मेरे रहम-ओ-करम पर थी हाआआआआआं आईसीईईईईई हीईीईईईईईईईईईईईईईईई करूऊऊऊऊऊओ ज़ूऊऊऊऊओर ज़ूऊऊऊऊओर सीईईईईईई चूऊऊऊऊदूऊऊऊऊऊऊ. आआआआआआआ आआआआआआअँ माआआआआआईं फिररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर झड़नीईईईई वालिइीईईईईईईईईईईईईई हूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊं. उसका जिस्म एक बार फिर अकड़ गया और वो झड़ने लगी और उसकी चूत ने मेरे लंड पर फिर से अपना दबाव बढ़ाना और कम करना शुरू कर दिया जिसके चलते मैं भी झड़ने को हो गया. मैने उसके झड़ने की परवाह ना करते हुए 8-10 धक्के पूरे ज़ोर से मारे और झाड़ गया. मैने अपने लंड पूरा जड़ तक उसकी टाइट चूत में डाल दिया और अपने वीर्य की पिचकारियाँ उसकी बच्चेदानि के मुँह पर मारने लगा.
उसकी दोनो टाँगें मैने आज़ाद करदी तो वो बेजान सी मेरे दोनो तरफ गिर पड़ीं. मैने अपने हाथ उसके छ्होटे छ्होटे सख़्त अमरूदों पर रख दिए और उनके निपल्स को अपनी उंगलियों और अंगूठों में दबा कर मसल्ने लगा. फिर हम दोनो के जिस्म ढीले पड़ गये और मैं उसकी बगल में लुढ़क गया और उसको अपने ऊपेर खींच लिया. मरियम को अपनी बाहों में कस्स के मैने उससे डीप किस करना शुरू कर दिया. उसके मम्मे मेरी छाती को गुगुडाते रहे और वो आँखें बंद करके झड़ने के बाद की तृप्ति का आनंद लेने लगी. ज़ाकिया और नाज़िया ने हमारे दोनो तरफ से हमको अपनी बाहों में ले लिया और हमारे साथ चिपक गयीं. 5 मिनट के बाद हम सब अलग हुए तो मैने ज़ाकिया और नाज़िया से पूछा के हां अब बताओ कैसी रही तुम्हारी पहली चुदाई. दोनो ने मुस्कुराते हुए कहा के हमें नही पता था कि इतना मज़ा आता है चुदवाने में.
मैने ज़ाकिया को अपने पास बुलाया और उसको अपने साथ चिपका कर उसके मम्मों से खेलते हुए उससे कहा के अगले शनिवार को वो फिर जाए अपने होने वाले शौहर के पास जब वो अकेला होता है और उसको बताए के उसके पास से आकर तुमने अपनी आग बुझाने के लिए एक मोमबत्ती से अपनी सील तोड़ ली थी. साथ ही उसको कहना के तुम डरो नही कि जल्दी झाड़ जाओगे तो मैं क्या सोचूँगी. जल्दी झाड़ जाओगे तो मैं फिर से तुम्हारे लंड को सहला कर चूम कर खड़ा कर लूँगी और फिर तुम अच्छे से चुदाई कर सकोगे और इतनी जल्दी झदोगे भी नही. मेरी सहेली ने मुझे बताया है कि डरने की कोई बात नही है धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा. ज़ाकिया बड़ी खुश हुई और बोली के क्या वाकई सब ठीक हो जाएगा. तो मैने उसको कहा के हां इस उमर में जिस्मानी कमज़ोरी नही होती यह ज़हनी डर है जिसकी वजह से वो जल्दी झाड़ गया. अगर तुम उसको इस तरह तसल्ली दोगि तो उसका डर भी कम हो जाएगा और वो ठीक भी हो जाएगा. ज़ाकिया बहुत खुश हुई और उसने मुझे अपनी बाहों में कस के एक ज़ोरदार बोसा दिया मेरे होंठों पर. ज़ाकिया बोली के ठीक है मैं ऐसा ही करूँगी पर शादी से पहले एक बार तुमसे और चुदवाना चाहूँगी अगर तुम चाहो तो. मैने कहा के मेरी जान जब भी तुम्हारा दिल करे चुदवा लेना मैं हसीन लड़कियों को कभी मना नही करता. इस पर हम सब हंस पड़े और फिर हमने अपने अपने कपड़े पहने और वो चली गयीं.
मैं पूरी तरह से थका हुआ था और इसलिए आराम करने लगा. अगले दिन से फिर पुराना रुटीन शुरू हो गया. मैं हर दूसरे-तीसरे दिन तनवी को कुच्छ काम देकर अपने पीसी पर बिठा देता के छुट्टी के बाद या जब भी टाइम मिले वो उसको कर दे. उस दिन मैं पासवर्ड प्रोटेक्षन हटा देता. काम छ्होटा ही होता जिसमे दो घंटे से कम समय ही लगना होता. वो थोड़ा बहुत तो स्कूल टाइम में ही कर देती जब मैं राउंड पर होता और बाकी आधे-पौने घंटे का ये कहकर बचा देती कि बाकी छुट्टी के बाद करेगी. काम के साथ-साथ वो मेरे पीसी को अच्छी तरह से चेक करती पर कुच्छ ना मिलने पर खीज जाती. पर उसको मिलता कैसे, मैं अपने पीसी का ध्यान जो रखता था कि उसमे कुच्छ भी ऐसा ना हो जिसकेकारण कोई मुझे फँसा सके.
उधर मेरा दोस्त तनवी की इन्वेस्टिगेशन में लगा हुआ था और धीरे धीरे रिपोर्ट्स भी आनी शुरू हो गयी थीं. शुरू में तो तनवी के द्वारा बताई गयी सारी बातें सच निकलीं और उनमें कोई भी झूट नही पाया गया. मैं निराश हो गया था और इस तहकीकात को ख़तम ही करवाने वाला था कि एक छ्होटी सी बात ने मेरा ध्यान आकर्षित किया और वो था कि उसकी एक बेहन जो तनवी से 3 साल बड़ी है चंडीगढ़ में ब्याही हुई है और उसकी शादी उसके पापा की डेत से पहले ही हो चुकी थी. इसके बारे में उसने कभी कोई ज़िकार नही किया था और ना ही बताया था कि उसकी कोई बड़ी बेहन भी है जो कि थोड़ा अटपटा लग रहा था. मैने अपने दोस्त को उसके बारे में और अधिक जानकारी लेने के लिए कहा. वहाँ से आई रिपोर्ट्स में भी खास कुच्छ पता नही चला लेकिन सबसे अंत में आई चंडीगढ़ की फाइनल रिपोर्ट ने मुझे चौंका दिया. उसमे तनवी की बेहन का जो अड्रेस दिया हुआ था वो मेरी ससुराल के पड़ोस का था.
क्रमशः......
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