RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--34
गतान्क से आगे..............
उसी के शब्दों मे: एक दिन सुरेश भाय्या ने मुझे फोन किया और कहा कि उन्हे मुझसे बहुत ज़रूरी काम है. ये मेरे देल्ही मे आने के कुच्छ दिन बाद की बात है. मैने पूछा कि क्या काम है तो उन्होनें कहा की काम बहुत टेढ़ा है और मैं ही उसे कर सकती हूँ और इसके लिए वो किसी और को कह भी नही सकते. मैने फिर कहा की अगर मैं उसे कर सकती हूँ तो ज़रूर कर दूँगी आप कहें क्या काम है. उन्होनें कहा कि वो 1-2 दिन मे देल्ही आ कर मुझे बता देंगे. मैं इंतजार करने लगी. सुरेश भाय्या देल्ही आए और मुझे मिले. उन्होनें मुझे तुम्हाए बारे मे बताया और कहा कि उनको शक़ है कि उनकी बहन की मौत जिस आक्सिडेंट मे हुई है उसमे तुम्हारा कुच्छ ना कुच्छ हाथ ज़रूर है. और मुझे ये पता लगाना है कि सच क्या है. मैने पूछा की आप कैसे कह सकते हैं और इतने दिनों के बाद अब क्या और कैसे पता चलेगा. उन्होनें कहा कि उनकी पत्नी तो शुरू से ही कहती आ रही है इस बारे मे और हमे ये भी पता लगा था कि शादी के पहले तुम्हारे बहुत लड़कियों से संबंध थे. फिर अभी कुच्छ दिन पहले उनके साले ने तुम्हे अपनी कार मे 2 लड़कियों के साथ देखा जो चुपके से तुम्हारी कार मे बैठ कर चली गयीं और इत्तेफ़ाक़न उसने कुच्छ घंटों के बाद फिर तुम्हे देखा और वो लड़कियाँ तुम्हारी कार से उतर कर तेज़ी से एक तरफ बढ़ गयीं और एक ऑटो मे बैठ कर चली गयीं. उसने ये बात अपनी बहन को बताई और उसने सुरेश भाय्या को सब बताया और कहा कि हो ना हो राज अपनी पुरानी आदतों को नही छोड़ पाया और इसीलिए उसने दीदी को रास्ते से हटा दिया.
ये सब सुनकर मुझे बड़ा अजीब सा लगा पर मैं भाय्या को मना नही कर सकी और तुम्हारे पास नौकरी के लिए आ गयी. तुमने मुझे नौकरी भी दी और मेरे इशारे का कोई फयडा उठाने की कोशिश नही की तो मुझे तभी लगा कि सुरेश भाय्या को ग़लतफहमी हुई है पर मैं बिना किसी ठोस सबूत के उन्हे कुच्छ नही कह सकती थी. उन्हे लगता कि मैं अपनी जान छुड़ाने के लिए ऐसा कह रही हूँ. फिर मैं एक दिन मौका मिलने पर तुम्हारा ऑफीस का पीसी पूरा खंगाल दिया कि उसमे कोई कॉंटॅक्ट डीटेल या कोई और तुम्हारा नोट या कुच्छ भी ऐसा मिल जाए कि इस बात की पुष्टि हो सके की उस आक्सिडेंट मे तुम्हारा कोई हाथ था या नही. सुरेश भाय्या चाहे जो भी समझ रहे हों मैं तुम्हे बिना किसी सबूत के गुनहगार नही मान सकती थी चाहे वो छ्होटा सा ही कुच्छ क्यों ना हो. कुच्छ तो हो जो इस की कोई भी जानकारी दे सके. पर होता भी कैसे, बेबुनियाद बातो का कोई भी सबूत नही होता. फिर तुमने अपनी थियरी मुझे समझाई और मुझे भी वो समझ मे आ गयी और मैने उस पर तुम्हारा साथ भी देना शुरू कर दिया. और तुम्हारी आज की बातों ने तो मुझे पक्का विश्वास दिला दिया की सुरेश भाय्या सिर्फ़ अपनी पत्नी की बातों के बहकावे मे आ गये हैं और सारा शक़ सिरे से बेबुनियाद है.
इसके बाद मैं अपने आप को नही रोक पाई और मैने सब कुच्छ तुम्हे बता दिया है. तुम जो भी सज़ा मुझे देना चाहो दे सकते हो मैं बिल्कुल बुरा नही मानूँगी. और हो सके तो मुझे माफ़ कर देना.
अपनी बात ख़तम करके तनवी ने अपना मुँह नीचे कर लिया और उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे. मैने हाथ बढाकर तनवी को अपने निकट किया और उसके आँसू पोन्छ्ते हुए उसे कहा कि मैं बिल्कुल भी नाराज़ या गुस्सा नही हूँ, हां परेशान ज़रूर था पर वही बात की तुम्हारी तरह बिना सबूत और वजह जाने कुच्छ फ़ैसला नही कर सकता था. तनवी चौंक गयी और बोली क्या मतलब. मैने मुस्कुराते हुए उसे सब बताया कि कैसे पीसी से शुरू होकर मैने उसकी जासूसी करवाई थी और परेशान था की वो ऐसा क्यों कर रही है और किसके कहने पर कर रही है. फिर मैने उसे वो नंबर बताया और पूछा के ये सुरेश का नंबर ही है ना. वो चौंक कर बोली कि हां पर तुम्हे कैसे मालूम. मैने कहा की मैं अपनी खोजबीन मे इस नंबर तक पहुँच गया था और कल परसों तक ये भी जान लेता कि ये किसका नंबर है.
फिर मैने उसको वो सवाल किया जो ये सब जान लेने के बाद मुझे सबसे ज़्यादा परेशान कर रहा था. मैने उसको पूछा कि ये बताओ की तुम्हारा मुझसे शारीरिक संबंध बनाने का यही कारण तो नही था. उसकी आँखे एक बार फिर भर आईं और उसने नज़रें उठाकर मेरी तरफ देखा और बोली कि नही वो तो मेरा अपने हालात से एक समझौता था पर हां झूठ नही बोलूँगी, ये ख्याल भी आया था मेरे दिल मे की तुम्हारे और नज़दीक आ जाने से मुझे अपने उस काम मे भी आसानी होगी. उसका सच सुन कर मुझे उस पर बहुत प्यार आया और मैने उसे अपनी बाहों मे भर लिया और कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि एक सच का सामना दिलेरी से करने वाली लड़की मेरी दोस्त है और अब तुम्हे किसी भी प्रकार की चिंता करने की ज़रूरत नही है. मेरे दिल मे तुम्हारी इज़्ज़त और तुम्हारे लिए प्यार और भी बढ़ गया है.
फिर शुरू हुआ वही चिर परिचित चुदन चुदाई का एक नया दौर. इस बार के हमारे मिलन मे शारीरिक संपर्क के साथ साथ कुच्छ और भी था जिसे शब्दों मे नही बयान किया जा सकता. शायद इसी को आत्माओं का मिलना कहते हैं. तनवी का ऐसा समर्पण मैने पहले कभी भी महसूस नही किया था. और कब आँख लग गयी मुझे पता ही नही चला. सुबह जब मैं उठा तो तनवी बेख़बर नंगी लेटी हुई थी मेरी बगल मे और मैं भी पूरी तरह नंगा ही था. उसके चेहरे पर संतुष्टि के बहुत ही प्यारे भाव थे. मैने उसे अपनी बाहों मे भर कर उसका माथा चूम लिया. वो कसमासाई और उसने अपनी आँखे खोली और पूछा सुबह हो भी गयी. फिर उसने अपने कपड़े पहने और बोली कि अब आगे का क्या प्रोग्राम है. मैने मुस्कुरा कर कहा की जैसे चल रहा था वैसे ही चलेगा, कोई ऐतराज़. वो भी शोखी से बोली की ऐतराज़ कैसा और क्यों. मैने तो बस ऐसे ही पूछा था ताकि अब और शिद्दत से काम पे लगूँ और तुम्हे खुश कर दूं. मैं अभी भी गिल्ट फीलिंग से उबर नही पाई हूँ. मैने उसको एक बार फिर अपनी बाहों मे भर लिया और कहा कि भूल जाओ सब कुच्छ और आगे की सोचो.
तनवी एक लंबी साँस लेकर मुझसे अलग होते हुए बोली की एक बहुत बड़ा बोझ उतर गया उसके सर से और जिम के लिए तैयार होने चली गयी. मैं भी अपने नित्य-कर्म से निवरतता होने चला गया और थोड़ी ही देर मे मैं और तनवी लगभग इकट्ठे ही जिम पहुँचे. तनवी जिम मे चली गयी और मैं अभी गेट ही खोल रहा था कि नाज़िया और ज़ाकिया आ पहुँचीं. ज़ाकिया का चेहरा बहुत खिला हुआ था और मेरे कुच्छ पूच्छने से पहले ही उसने आगे बढ़कर मुझे अपनी बाहों मे कस लिया और बोली के राज तुम्हारा आइडिया काम कर गया और बहुत बढ़िया रहा. बहुत मज़ा आया मैं तुम्हारा एहसान कभी नही भूल सकती. मैने भी उसे अपने साथ भींच लिया और कहा कि दोस्ती मे ऐसी बातों की कोई जगह नही होती, दोस्त होते ही एक दूसरे की मदद के लिए हैं. फिर हम सब नीचे जिम मे आ गये और अपने अपने रुटीन मे लग गये.
जिम के बाद मैं ऊपेर आ रहा था तो तनवी भी मेरे साथ हो ली और बोली – “मैने सुरेश भाय्या को सब बता दिया है और समझा दिया है. वो बहुत शर्मिंदा हो रहे थे और कह रहे थे कि उनको तो पहले भी विश्वास नही था पर अपनी पत्नी के बार-बार कहने पर वो भी शंकित हो गये थे परंतु अब वो बहुत शर्मिंदा हैं और तुमसे माफी चाहते हैं.”
मैं: “कोई बात नही तनवी उनको कहना कि मुझे कोई गिला नही है उनकी जगह अगर मैं होता तो शायद मैं भी ऐसा ही सोचता. खैर जो हो गया सो हो गया, मिट्टी डालें उसपर.”
फिर मैने तनवी के सामने ही सुरेश का नंबर मिलाया और बात की. उनके फोन उठाने पर मैने कहा – “सुरेश भाई मैं राज बोल रहा हूँ. तनवी ने आपको सब बता ही दिया है. आपको इस बारे मे कुच्छ भी सोचने की ज़रूरत नही है. मैं बिल्कुल भी नाराज़ नही हूँ और अब आप जब भी मुझे मिलेंगे बिल्कुल ऐसे मिलेंगे जैसे कुच्छ हुआ ही नही है और इसका ज़िकार भी नही करेंगे. एक बात है कि इसके चलते एक बहुत अच्छी बात हुई है और वो ये की आपने अंजाने मे मुझे एक बहुत अच्छी असिस्टेंट दे दी है जो मेरा काम बहुत बढ़िया ढंग से कर रही है और उसने मेरा बोझ बहुत कम कर दिया है. मैं इसके लिए आपका शूकारगुज़ार हूँ.”
सुरेश रुँधे गले से इतना ही बोल पाया, “राज तुम बहुत अच्छे हो.”
मैं: “भाई इंसान कोई बुरा नही होता वक़्त और हालात उसे अच्छा या बुरा बना देते हैं. खैर कोई बात नही ऑल ईज़ वेल दट एंड्स वेल. मेरे लिए तो बहुत ही अच्छा हुआ है. तनवी मेरा काम बहुत अच्छे से कर रही है और मैं वाकाई मे बहुत खुशनसीब हूँ की मुझे एक विश्वस्नीय और ईमानदार असिस्टेंट मिल गयी है. ठीक है भाई अभी मुझे स्कूल के लिए तैयार होना है रखता हूँ.”
और मैने फोन काट दिया. तनवी ने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और बोली के राज इसमे कोई दो राई नही के तुम बहुत अच्छे इंसान हो. मैं हंस दिया और उसको अपनी बाहों मे भींच कर चूमा और उसकी गांद पर एक हल्की सी चपत लगा कर कहा के अच्छे की लगती जल्दी जाओ और स्कूल के लिए तैयार हो जाओ और मुझे भी तैयार होने दो और जल्दी से नीचे आओ नाश्ता इकट्ठे ही करेंगे. वो हँसती हुई ऊपेर भाग गयी.
इसी तरह कयि दिन गुज़र गये. एग्ज़ॅम्स सर पर होने के कारण सभी स्टूडेंट्स पढ़ाई मे लगे थे और इधर उधर से ध्यान हटाया हुआ था. मैने भी सब तरफ से ध्यान हटाकर इसी तरफ लगाया हुआ था. मेरी गतिविधियाँ भी कम हो गयी थीं और पूरा ध्यान इसी तरफ था कि स्कूल कारिज़ल्ट पहले से अच्छा रहे. इसके लिए एक्सट्रा क्लासस और स्पेशल कोचैंग का इंटेज़ाम किया था स्टूडेंट्स के लिए ताकि कोई भी स्टूडेंट पीछे ना रह जाए. यही थी हमारे स्कूल की स्पेशॅलिटी और पहचान की हर स्टूडेंट की स्पेशल केर की जाती थी इंडिविजुयली. फिर एग्ज़ॅम्स भी हो गये और रिज़ल्ट भी आ गया.
स्कूल का ओवरॉल रिज़ल्ट पहले से बेटर ही था और इसके लिए सारे टीचर्स बधाई के पात्र थे. नया सेशन शुरू होने जा रहा था और अडमियन्स के लिए लोग आ रहे थे. केयी सिफारिशें भी आ रही थीं. इन्ही मे एक सिफारिश मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त की भी थी. उसके भाय्या फॉरिज्न सर्विस मे थे और 3 साल उस मे रहने के बाद उनकी वापिस इंडिया पोस्टिंग हो गयी थी. उनकी लड़की का सीनियर.सेकेंडरी मे अडमिज़न करवाना था. मैने उसे कहा की मेरे पास भेज दो अडमिज़न हो जाएगा.
अडमिज़न के लिए भाय्या-भाभी साथ ही आए. मैने उठकर उनका स्वागत किया. अभी मैं उनसे हाथ ही मिला रहा था की एक लड़की अंदर आई और मैं उसे देखता ही रह गया. भाय्या-भाभी को बिठाकर मैने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्कुरा के बोली: “हाई, आइ आम प्राची और ये मेरे मम्मी-पापा हैं.”
मैने भी मुस्कुराते हुए उसे कहा: “प्राची बहुत अच्छा है कि तुम भी साथ ही आई हो, समझो कि तुम्हारा अडमिज़न तो हो ही गया है और तुम कल से क्लासस जाय्न कर सकती हो.”
फिर मैने भाय्या को फॉर्म निकाल कर दिया जो उन्होनें भर दिया और अपने बॅग मे से प्राची के सर्टिफिकेट्स और फोटोस साथ लगा दीं. मैने पेओन को बुलाकर फॉर अकाउंट्स मे भिजवा दिया और कहा कि बिल बनवाकर ले आए. वो बिल ले आया और भाय्या ने कॅश गिनकर दे दिया, जिसकी रसीद भी पेओन ले आया. मैने पेओन को कहा कि बुक्स और यूनिफॉर्म भी लाकर दे दे. पीयान रसीद लेकर गया और बुक्स और नोट-बुक्स का पॅकेट और यूनिफॉर्म का बॅग लेकर आ गया. वो भी भाय्या को दे दिया. फिर मैने प्राची को कहा: “प्राची इस स्कूल मे अडमिज़न मिलना अपने आप मे एक उपलब्धि है. यहाँ टीचिंग सिलबस बेस्ड ही नही होती स्टूडेंट बेस्ड भी होती है. तुम्हारी हर कमी का यहाँ पूरा ध्यान रखा जाएगा चाहे वो एक्सट्रा क्लासस के थ्रू हो या स्पेशल कोचैंग से. एक्सट्रा क्लासस के लिए कोई चार्ज नही है पर हां स्पेशल कोचैंग के लिए नॉमिनल चार्ज होता है. नो बंकिंग स्कूल अट ऑल. कोई स्टूडेंट विदाउट इन्फर्मेशन स्कूल नही आता तो क्लास टीचर को उसके मम्मी-पापा से फोन पर बात करके बताना होता है ताकि उन्हे पता रहे कि उनका बच्चा स्कूल नही आया. पूरा स्कूल टाइम मे एक डॉक्टर और एक लेडी डॉक्टर ड्यूटी पर होते हैं ताकि किसी भी स्टूडेंट को कोई भी परेशानी मे अटेंड कर सकें. अगर कोई एमर्जेन्सी हो और हमारे डॉक्टर्स से हॅंडल ना हो सकती हो तो स्टूडेंट्स के फॅमिली डॉक्टर की डीटेल फॉर्म मे ही भरवाई होती है जहाँ स्टूडेंट को ले जाया जाता है और पेरेंट्स को इनफॉर्म कर दिया जाता है. आइ पर्सनली लुक आफ्टर एवेरी स्टूडेंट. आइ आम शुवर तुम्हे यहाँ कोई भी परेशानी नही होगी और तुम एक अच्छी स्टूडेंट बनोगी और अपने साथ साथ स्कूल का नाम भी करोगी.”
भाय्या-भाभी मेरी बातें बड़े आनंद से सुन रहे थे और मुस्कुरा रहे थे. भाय्या ने कहा: “ठीक है राज हमे जाना है और अबसे प्राची तुम्हारे हवाले है. मुझे पूरा विश्वास है कि तुम उसकी बहुत अच्छी देखभाल करोगे.” उन्होने अपनी जेब से एक चेक़ निकाला और मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा: “मुझे तुम्हारे ट्रस्ट का नाम नही पता था तो मैने ब्लॅंक ही रख छोड़ा है और अमाउंट भी तुम खुद ही भर लेना.”
मैने चेक़ उठाया और उनके सामने ही फाड़ दिया और गुस्से से उन्हे कहा: “आप मेरे बड़े भाई हैं, मैं आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ इसलिए कुच्छ कह नही सकता पर आप मुझे शर्मिंदा तो ना करें.” भाय्या मुझे प्यार से देखते रहे और उठ गये. मैं भी खड़ा हो गया. वो मेरे पास आए और मुझे गले से लगा कर बोले: “नाराज़ मत हो भाई पर ऐसा दस्तूर है इसलिए हो गया. आइ आम सॉरी अगर तुम्हे बुरा लगा है तो.”
मैं मुस्कुरा दिया और प्राची से कहा कि कल से जाय्न करोगी ना. उसके हां मे सर हिलाने पर मैने कहा: “ठीक है कल असेंब्ली मे ना जाकर मेरे पास आना मैं तुम्हे ब्रीफ कर दूँगा स्कूल के बारे मे और तुम्हारी हॉबीस वग़ैरा भी नोट कर लूँगा. उसके बाद रेग्युलर क्लासस कर लेना.” फिर मैने भाय्या-भाभी को बाहर तक छोड़ा और उनको और प्राची को विदा करके अपने ऑफीस मे आकर बैठ गया.
दिल मे बहुत हलचल मची हुई थी. दिल-ओ-दिमाग़ पर प्राची ही च्छाई हुई थी. वो थी ही इतनी सुन्दर. मैं आपको प्राची के बारे मे बताना ही भूल गया. वो 18 साल की 5’-4” लंबी गोरी चित्ति दुबली पतली लड़की थी. केसर मिले दूध जैसी रंगत, 32-26-30 की फिगर जो उसके टाइट जीन्स और टॉप मे सॉफ झलक रही थी. बड़ी-बड़ी शरबती आँखे, उनपर कमान जैसे भोन्हे (आइब्राउस). सबसे आकर्षक बात थी उसके चेहरे की मासूमियत. कुल मिलाकर वो रति का अवतार लगती थी. मैं तो बस उसकी मोहिनी का शिकार हो गया था और अब मुझे बेसब्री से इंतजार था अगले दिन उस से मिलने का.
क्रमशः......
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