RE: Indian Sex Kahani प्यास बुझती ही नही
प्यास बुझती ही नही-13
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का तेरहवाँ पार्ट लेकर हाजिर हूँ अब आगे...................
तभी घर की बेल बजी…..राज अंदर आते ही बोला…..पता नही कहाँ चला गया…कई जगह गया…ऑफीस मे भी फोन किया…कई दोस्तो को भी फोन किया….पर वो कही है ही नही….मे देखता हू …और वो अपने कमरे मे चला गया……………..पीछे -2 कमला भी चली गयी……रश्मि स्मृति के रूम मे चली गयी…………
राज: पर ये कैसे संभव है….ये बात और है कि मे तुम्हारी सिस्टर को चाहता हू…..
रश्मि: अगर आप चाहते है तो फिर दिक्कत क्या है……
राज: पर तुम्हारी सिस्टर सेक्स के लिए कभी तैयार नही होगी…..
रश्मि: वो काम तुम मुझपर छोड़ दो….बस आप उसे जम कर एक बार रगड़ दो…बस….मे ये चाहती हू कि उसे पता चले कि मर्द की ताक़त क्या होती है…..चुदाई क्या होता है…..शादी का असली सुख होता है.. वरना वो निराशा की गहरी खाई मे गिर जाएगी……………………..और अपना फ्यूचर बर्बाद कर लेगी.
राज ने रेश्मि को बाँहो मे ले लिया ….फिर उसके बालो को सहलाते हुए कहा…..डार्लिंग…तुम्हारे लिए तो जान भी दे सकता हू ….ये स्मृति क्या चीज़ है…और फिर पेड़ा खाने मे बुराई भी क्या है….पर हां थोड़ा ज़बरदस्ती भी करनी होगी…क्योकि मुर्गी को हलाल करने के लिए थोड़ा सख्ती करनी पड़ती है….तुम्हे कोई प्राब्लम तो नही?
रश्मि: मुझे यकीन है कि आपको ज़बरदस्ती करने की ज़रूरत नही होगी……..
राज: इतना भरोसा है तुम्हे अपनी सिस्टर पर…(और फिर रश्मि के आख़िरी कपड़े को भी निकाल दिए), रश्मि बिल्कुल नंगी हो गयी….दर्पण मे अपना रूप देखकर वो बुरी तरह शर्मा गयी…..पर उसने अपने आपको नही च्छुपाया….बल्कि दो कदम आगे बढ़कर उसने राज के गले मे बाँहे डाल दी और उसके होंठो पर किस करने लगी……और बोली…
रश्मि: जेठ जी…………अब तो मे आपकी पार्मेनेंट दुल्हन हो गयी हू….चोदो जी भर के और हां मेरी सिस्टर को जब चोदोगे तो मेरे बारे और आपके रिस्ते के बारे मे ज़िक्र मत करना………..उन्हे अच्छा नही लगेगा.
राज ने अपना हाथ रश्मि की चूत पर रखा…चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी….और होगी क्यो नही…आज 3 दिन हो गये है चुदे हुए….जब से रमेश घर से गया है….सारा परिवार उसी को ढूँढते ढूँढते पागल हो गया है…….पर राजेश का कोई पता नही चला…………………………राज ने आगे बढ़ कर अपने लंड को रश्मि की चूत पे लगाया और एक ज़ोर का झटका मारा…लंड सीधा रश्मि की चूत मे चला गया…..लंड की मुटाई और लंबाई से रश्मि अवगत तो थी ही…वो अपनी आँखे मुन्दे हुए पलंग के मूठ को दोनो हाथो से पकड़े हुए राज के धक्को का साथ अपनी गांद उठा उठा कर दे रही थी…..जिससे राज का जोश चौगुना हो गया था…..लंड और चूत की चुदाई हो रही थी….ऐसा लग रहा था कि मानो पिस्टन चल रहा हो…..चूत के रस से राज का लंड और आंड-कोष बुरी तरह भीग चुके थे…..
अब राज ने रश्मि को पीठ के बल लिटा दिया और उसके उप्पर चढ़ गया….लंड को गहराई मे डालते हुए धक्के लगाने लगा……राज के मुँह से आहाआहहाा…..आहह की आवाज़े आने लगी……आवाज़ इतनी ज़ोर ज़ोर से हो रही थी कि बगल वाले कमरे मे स्मृति के कानो मे ये आवाज़े आ रही थी…
पर वो किसी दूसरी दुनिया मे खोई हुई थी..उसे एहसास हो रहा था जब पहली बार अपने पति से चुदी थी सुहागरात के दिन….और वो फ्लश-बॅक मे चली गयी……
इधर रश्मि और राज के बीच मधुर चुदाई हो रही थी……………क्या मस्त चुदाई चल रही थी….
राज: तुम काफ़ी एक्षपरट हो गयी हो चुदाई मे…
रश्मि: सब आपका आशीर्वाद है
राज: आहमम्म्म...क्या चूत है तुम्हारी....कब से चोद रहा हू पर झड्ने का नाम ही नही ले रही
रश्मि: जनाब आप भी तो कम नही है.....
राज: अच्छा इस बार मे तुम्हारे पिछे वाली की सवारी करना चाहूँगा....
रश्मि: मतलब?
राज: मतलब तुम्हे पता है....गांद
रश्मि: छ्हीई...मुझे गांद नही देनी...और उसमे ऐसा है क्या जो तुम मर्द पागल हुए होते हो.
राज: क्या राजेश भी................???
रश्मि: जी हां....वो भी हमेशा परेशान करते थे...पर मेने कभी दी नही
राज: अब मेरे बारे मे मेडम का क्या इरादा है...
रश्मि: फिलहाल चूत से ही काम चला लो....देखते है.....बहुत बड़ा है आपका लंड....फट जाएगी....मे बर्दस्त नही कर पाउन्गी...
राज: उसकी चिंता मत करो...मे जेल लगाकर करूँगा....
रश्मि: फिलहाल तो धक्के लगाओ...मे अब झरने वाली हू....
राज: चुदाई करने लगा........रश्मि एक झटके के साथ झार गयी
फिर थोड़ी देर बाद राज भी उसपर ढेर हो गया......दरवाजे के एक कोने से स्मृति सब कुच्छ देख रही थी...पर कुच्छ बोली नही....पर जब राज ने अपना लंड रश्मि की चूत से निकाला...तो वो चिहुनक गयी.....जिसे राज और रश्मि ने सुना और चौंक गये....स्मृति वन्हा से भाग गयी.....रश्मि और राज ठहाका मार कर हस्ने लगे
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स्मृति ने वन्हा से भाग कर अपने कमरे मे आ गयी और फिर थोड़ी देर बाद गुसलखाने मे चली गयी…अपनी नाइटी उप्पर कर मूतने लगी..क्योकि उसकी चूत मे पेसाब काफ़ी भर चुका था…वो निकली ही थी पेसाब करने…पर जब राज और रश्मि की आहे और उनकी गरम सांशो की आवाज़ बाहर से सुनी तो वो कान लगाकर सुनने लगी और अंत-तह एक सुराग से देखने लगी….कि तभी दवाजा खुल गया और वो अंदर आ कर एक किनारे मे खड़ी होकर सब कुच्छ देखने लगी….वो भूल गयी थी कि उसे क्या करना था…अपने पेशाब को काबू मे करके सब कुच्छ लाइव टेल्कास्ट देखने लगी थी…………………….
पेसाब करने के बाद स्मृति खड़ी हो गयी और जब टर्न की तो देखा कि राज उसे बहुत गौर से देख रहा है और मुस्कुरा रहा है….स्मृति छेन्प गयी….और अपनी नज़र नीचे किए हुए वन्हा से जाने लगी…तभी राज ने उसके एक हाथ को पकड़ा और उसे अपनी बाँहो मे लेना चाहा…पर स्मृति वन्हा से भाग गयी….राज भी उसके पिछे-पिछे भागा…… स्मृति रूम मे जैसे ही आई दरवाजा बंद करना चाहा पर वो बंद नही कर सकी….राज ने दरवाजे को एक ही धक्के मे खोल दिया और आते ही स्मृति को अपनी बाँहो मे ले लिया और उसके होंठो की किस करने लगा…..स्मृति इसके लिए बिल्कुल तैयार नही थी…उसने हल्का विरोध किया और फिर उसे धक्का दे कर दूर किया…
स्मृति: ये…मिस्टर…मुझे ये बिल्कुल पसंद नही है
राज : डार्लिंग…क्या हुआ…मे तो बस वही कर रहा था जो तुम चाह रही थी…
स्मृति: शट-अप……माइंड युवर लॅंग्वेज…..छोड़ो और आप यान्हा से चले जाओ….
राज ने आगे बढ़ कर एक बार और उसे बाँहो मे भरना चाहा…पर स्मृति ने एक ज़ोर का तमाचा उसके मुँह पर मार दिया….राज तिलमिला उठा…क्योकि तमाचा इतना ज़ोर का था कि वो काँप गया…..अब राज के चेहरे पर खून सवार हो गया…वो आगे बढ़ा और उसे अपनी बाँहो मे ले लिया एक हाथ से उसके होंठो को दबाया और दूसरे हाथ से उसकी चुचियो को…और फिर बेड पर पटक दिया….गाउन उप्पर आ चुका था…..राज नंगा था ही…………उसने अपने होंठ स्मृति के होंठों पर रख दिए ….स्मृति….आहमम्म्म करने लगी…छुड़ाने की बहुत कोसिस की….यान्हा तक कि वो अपनी जंघे भी पटाकने लगी…पर राज की गिरफ़्त से अपने आपको बचा नही सकी….उसके आँखो से आँसू आ गये…..पर राज उसे चूमे-चाते जा रहा था…उसके भावनाओ से बेपरवाह…………………..
राज ने अब देखा कि स्मृति काफ़ी हाफ़ रही है तो राज ने उसके होंठो को छोड़ दिया और उसे पीठ के बल लिटा दिया…और फिर अपना लंड स्मृति के आँखो के उप्पर लहराने लगा….स्मृति ने अपनी आँखे बंद कर ली…पर उसकी नाक मे लंड की स्मेल जा रही थी...जो कि काफ़ी अच्छी लग रही थी स्मृति को….इससे एक प्रतिक्रिया ज़रूर हुई कि अब स्मृति के मुँह से कोई आवाज़े नही निकल रही थी…वो सिर्फ़ अपनी आँखे बंद किए हुए थी….और दोनो हाथ पीछे…वो चाहती तो राज के सिर के बाल नोच सकती थी…पर उसने ऐसा नही किया…जिससे कि राज को हौसला बढ़ गया…वो आगे बढ़ गया….राज ने सोचा…अभी नही तो कभी नही…………………………….
राज: देख मेरी जान अगर तुम ज़्यादा नखरे करोगी तो मे तुम्हारी चूत को फाड़ के रख दूँगा…देख रही हो कितना बड़ा है…….और तुम मुझेकुच्छ भी नही कर सकती…और अगर तुम मान गयी तो तुम ऐश करेगी…………………….सोच लो
स्मृति: की आँखो से आंशु रुकने का नाम ही नही ले रहे थे…वो विनती भरी आवाज़ मे बोली….मुझे छोड़ दो….जाने दो…………मुझे बर्बाद मत करो………………
राज: फिर तुम नखरे कर रही. हो…तुम ऐसे नही मनोगी……….और राज ने उसके गाउन को उलट दिया …और चढ्ढि को भी अलग कर दिया……………..वाह….क्या चूत है…एक दम शेव्ड…ऐसा लगता है कि सुबह ही शेव्ड की थी…..स्मृति ने………..अरे मेरी जान जब तुम राजेश से चुद सकती हो तो मुझसे क्यो नही…और वैसे भी राजेश से चुदके क्या मिला???? वो तो तुम्हे टेलर दिखा कर भाग गया….पूरी फिल्म मे दिखाऊंगा…..अगर तुम मान जाओ तो……………और तुम ये भी जानती हो तुम्हारी छ्होटी बहन रश्मि भी मेरी बीबी बन चुकी है….अब बारी तुम्हारी है………..बोलो क्या कहती हो?
स्मरती अपनी नज़रे नीचे किए हुए सिसक रही थी….और राज के हाथ और होंठ उसके पूरे बदन को रगड़ रहे थे………………स्मृति के पूरे सरीर मे कंपन हो रही थी…………….राज ने देर करना उचित नही समझा.....वैसे उसे भी अच्छा नही लग रहा था...पर वो करता क्या ना करता.....आगे बढ़ते हुए अपने लंड को उसकी चूत पे लगाया और एक ज़ोर का झटका मार दिया...लंड सीधे उसकी चूत मे चली गयी....क्योकि रश्मि और राज की चुदाई काफ़ी देर से देख रही थी....सो वो काफ़ी हॉट हो गयी थी......लंड आधे से ज़्यादा चला गया था...राज को कोई मस्सककत नही करनी पड़ी...पर उसे मज़ा आ रहा था...उधेर स्मृति भी अब काफ़ी नॉर्मल हो गयी थी...वो सोच लिया कि अब अगर चुदना ही है तो क्यो ना मज़ा लिया जे...पर उसके होंठ काम नही कर रहे थे.....उसने खामोस रहना ही उचित समझा.....उसकी खामोसी को हां समझते हुए राज आगे का मॅच खेलने लगा.......
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