RE: Indian Sex Kahani प्यास बुझती ही नही
रश्मि: तुम यान्हा वन्हा मुँह मारते रहते हो.....इसी का नतीजा है कि तुम बेड पर पड़े हो...ये तो भगवान की कृपा है कि बच गये...वरना कातिल तुम्हे ही मार डालते.
राज: ऐसा तो हमे भी लगता है...पर क्या करू ...ये जो लंड है ना...कभी दिल ही नही भरता...हमेशा कुच्छ नया चाहता है.....चूत नयी नयी चाहता है.
रश्मि: तो क्या मन भर गया मेरे से..?
राज: नही डार्लिंग....ऐसा नही है...तुम्हारी चूत का तो दीवाना हू..मे...देखी कैसे लपला रहा है.....और वो ज़ोर से मूतने लगा.....एक तो लंड की मुटाई...और उसपर रश्मि के हाथ का जादू.....लंड यूरिन पॉट से बाहर आ गया और सीधे रश्मि के चेहरे पर गिरने लगा...पेशाब से वो नहा गयी.....कुच्छ बूंदे उसके मुँह मे भी चली गयी.....रश्मि को एक अनोखा आनंद मिल रहा था....तभी उसे ख़याल आया....कि अगर बिस्तेर पेशाब से गीला हो गया तो कोई भी शक कर सकता है...तभी उसने झुक कर राज को गले लगा लिया और बोली...डार्लिंग...ये पिचकारी अब बंद करो...वरना गोली चल जाएगी...और दोनो हस्ने लगे.
दोनो अब एक दूसरे के आगोस मे खो गये...तभी बाहर किसी की दस्तक हुई...दोनो अलग हो गये....रश्मि ने अपने आपको ठीक किया और फिर राज ने भी.....रश्मि ने दरवाजा खोला...सामने कमला थी.....वो बिना कोई सवाल किए अंदर आ गयी...और रश्मि को देखते हुए बोली....तुम्हारी बहन आई है (स्मृति).....जो घर पर है...मे नाश्ता करवा कर आई हू.....रश्मि जी कह कर चल दी............................
आज काफ़ी दिन बाद दोनो बहने मिल रही थी.....रश्मि चहकते हुए उनसे गले लग गयी....और स्मृति ने भी अपनी बाँहे फैला दी.......
स्मृति: कैसी हो??? सॉरी मे नही आ पाई...तुम पे तो पहाड़ टूट पड़ा होगा ना....
रश्मि: कोई बात नही....जो होना था हो गया.....अब रोकर के भी क्या कर सकते है.
पहले सिर्फ़ तुम थी....विडो...अब मे भी हो गयी...पर मुझे विडो होने का गम नही है...अच्छा हुआ मर गया....वरना मे एक दिन मार डालती.
स्मृति: छि.....अपने पति के लिए ऐसा नही बोलते.
रश्मि: पति??? कैसा पति..और किसका पति? वो तो सुरू से करप्ट था.
स्मृति: चाहे जो भी हो...हम औरत है..और हमे अपना मर्यादा नही भूलना चाहिए
रश्मि: छोड़ो इन बातो को...बताओ कैसी हो?
स्मृति: ठीक हू.....मेरी शादी तय कर दी गयी है.
रश्मि: वाउ.....ग्रेट....किससे....???
स्मरती: है एक टीचर.....देहरादून का ही है...उसी ने प्रपोज़ किया था...शादी के लिए...मा पापा का भी पसंद है.......में तुमसे फोन पर राई माँगना चाहती थी...पर तुम्हारा फोन आउट-ऑफ-रिचेबल था...
रश्मि: कोंग्रथस.......ये तो बहुत अच्छा हुआ......तुम्हारा घर बस जाए...यही तो मे भी चाहती थी..........
स्मृति: पर तुम्हरा घर उजड़ गया....ये सोच कर मे दुखी हू......अब तुम्हे भी शादी के लिए सोचना चाहिए.
रश्मि: हां शादी तो करूँगी...अपने जेठ से...पर अभी नही......अभी कुच्छ पोलीस का चक्कर है.....
स्मृति: अरे हां...पोलीस का क्या माजरा है...???मेने काफ़ी सुना है कि वो परेशान कर रही है.
रश्मि: पोलीस कहती है...इट्स ए मर्डर केस.
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स्मृति: क्या अपडेशन है अब तक का
रश्मि: मिस्टर. कुलकर्णी आए है...कोई प्राइवेट डेक्टटिवे है
वही केस को देख रहे है....अच्छा ये बताओ...जब तुम्हे छोड़ कर राजेश निकला था...तो क्या बात हुई थी उस दिन....क्योकि मे तो अपने जेठ जी की बाँहो मे थी..
स्मृति: कोई खास नही....वो जल्द ही बह गये थे....मे भी भिन्ना गयी थी और गुस्से मे उसे "हिजड़ा कहीं का" बोल दी थी.....बाद मे मुझे लगा कि मुझे ऐसा नही कहना चाहिए था...मे माफी भी माँगना चाहती थी..तब तक देर हो चुकी थी...वो घर छोड़ कर जा चुके थे..........और यही वजह थी कि मे तुमसे या तुम्हारे परिवार से नही मिल सकी....कही ना कही मे भी अपने आपको कसुरबार मानती थी......................
रश्मि:ह्म्म्म्म तो तुम्हे पहले क्यो नही बताया....मुझे बता देती...शायद मे कुच्छ कर सकती थी.....अब तो ये भी नही पता कि वो जीवित है या मर गया....
पर सबूत ये बताते है कि वो जीवित है......
स्मरीत:अगर ऐसा है तो वो तुमसे मिलने ज़रूर आएगा.
रश्मि: अभी तक तो मुझसे मिला नही......मे तो उससे मिलने को इक्चुक हू...कई सवाल पुच्छने है उससे. बेचारी अनिता का मर्डर हो गया....ये किसने किया कुच्छ पता नही चल पा रहा है......राज भी काफ़ी अपसॅट है...........
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