RE: Hindi Chudai Kahani घरेलू चुदाई समारोह
इस बार कोमल की हँसी छूट गयी- “तुम कितनी औपचारिकता से बोलते हो कर्नल। कभी तुम्हारा मन नहीं करता कुछ खुलकर बोलने का। कुछ अशिष्ट बोलने का… जैसे… ’चुदाई’… मैं दावे से कह सकती हूँ कि तुमने कभी इन्हें ‘चूचियां’ नहीं बोला होगा…” कोमल ने कर्नल का हाथ अपने कोट के ऊपर से अपने मम्मों पर दबा दिया।
“कोमल जी… मैं…” कर्नल हकलाया। वो इस दबंग और बेशरम औरत का सामना नहीं कर पा रहा था।
कोमल ने उसका बड़ा सा हाथ अपने हाथ में लिया- “मैं तुम्हारे ऊपर तुम्हारे जीवन का सबसे बड़ा एहसान करने जा रही हूँ, कर्नल… मैं वो करने जा रही हूँ जो शायद किसी औरत को बरसों पहले कर देना चाहिए था। क्या तुम्हारी बीवी है… कर्नल…”
“नहीं… फौज की नौकरी में मुझे कभी शादी करने का समय नहीं मिला…” कर्नल ने बेचैनी से उत्तर दिया। वो कोमल के हाथ में अपने हाथ को देखने लगा।
“तो मेरा विचार है कि तुम्हें चुदाई का भी ज्यादा मौका नहीं मिला होगा और मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि इस बारे में कुछ किया जाये, कर्नल…” कोमल ने कहा और उस आदमी का हाथ अपनी एक बड़ी चूची पर दबा दिया और कहा- “अपनी अँगुलियों को मेरी चूचियों पर दबाओ और महसूस करो कि तुमने आज तक क्या खोया है…”
कर्नल मान का हाथ कोमल की गर्म चूची पर काँपा पर वो अपनी अँगुलियों को कोमल की भारी चूची पर कस नहीं पाया।
कोमल ने अपने हाउस-कोट का लूप खोल दिया और कर्नल का हाथ अपनी नंगी चूची पर रख दिया।- “अब तुम देख सकते हो कि मेरे पास क्या है… कर्नल, मुझे पता है तुमने कई बार अनुमान लगाया होगा कि मेरी चूचियां कैसी दिखती हैं… तो, अब ये तुम्हारे सामने हैं। कैसी लगीं…”
जब उसने कोई जवाब नहीं दिया तो कोमल ने कर्नल का दूसरा हाथ अपनी दूसरी चूची पर रख दिया। फिर जब कोमल ने अपने हाथ नीचे किये तो वो यह जानकर मुश्कुराई कि कर्नल ने अपने हाथ चूचियों से हटाये नहीं थे। “ये तुम्हारे लिये ही हैं कर्नल… तुम्हारे हाथ मेरी चूचियों पर हैं। मैं खुद को तुम्हें सौंप रही हूँ। कुछ घंटों के लिये सब नियम भूल जाओ। मेरे पति और सजल बहुत समय तक वापिस आने वाले नहीं हैं। हम दोनों घर में अकेले हैं। थोड़ी ज़िंदगी जियो कर्नल… मज़ा करो…”
“ये हुई न बात…” कोमल धीरे से कराही जब आखिर में कर्नल की मज़बूत अँगुलियों ने उसकी चूचियों को भींचा। कोमल उस आदमी को रिझाने में इतनी मशगूल हो गयी थी कि उसे अपनी गर्मी का पूरा एहसास ही नहीं था। कर्नल के स्पर्श से उसकी चूचियां कठोर हो गयी थीं और उसकी चूत से भी रस चूने लगा था।
“मुझे इसमें से आज़ाद होना है…” कोमल फुसफुसायी और फटाफट अपना हाउस-कोट उतार फेंका। सिर्फ काले रंग के ऊँची एंड़ी के सैंडल पहने कोमल अब बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
“क्यों कर्नल…” कोमल मुश्कुरायी जब कर्नल उसकी नंगी चिकनी चूत को आँखें फाड़े देखने लगा। फिर बोली- “ठीक से देख लो कर्नल कि तुम्हें क्या मिल रहा है… ज़रा सोचो कैसा लगेगा जब मेरी गीली चूत तुम्हारे विशाल लौड़े को निचोड़ेगी… तुम्हारा लौड़ा बड़ा है।… है ना कर्नल…”
“मैं नहीं जानता कि आपके विचार में बड़ा क्या है… कोमल जी…” कर्नल ने अपना थूक निगलते हुए कहा। उसके हाथ कोमल के मम्मों पर और भी जकड़ गये और उसकी आँखें अभी भी कोमल की चिकनी चूत पर टिकी थीं।
“देखने दो मुझे… फिर बताती हूँ कि मेरे विचार में बड़ा क्या है…” कोमल मुश्कुराती हुई बोली। कर्नल के हाथ कोमल की गर्म चूचियों को भींच रहे थे और कोमल को अपने ऊपर काबू रखना कठिन हो रहा था। हाय रे… कोमल ने लंबी आह भरी जब उसके हाथों ने कर्नल के विशाल लण्ड को नंगा किया। वो उसके लण्ड को पूरा बाहर नहीं निकाल पायी थी क्योंकी उसके लिये कोमल को कर्नल की पैंट नीचे खिसकानी पड़ती, लेकिन जितना भी उसे दिख रहा था उससे कोमल को विश्वास हो गया था कि कर्नल का लण्ड किसी घोड़े के लण्ड से कम नहीं था।
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