Adult kahani पाप पुण्य
01-10-2020, 03:36 PM, (This post was last modified: 01-13-2020, 05:00 PM by Ranu.)
RE: Adult kahani पाप पुण्य
(01-07-2020, 05:56 PM)Ranu Wrote:
(09-10-2018, 01:34 PM)sexstories Wrote: बस उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ. बस हम दोनों के बीच ज्यादा बात नहीं हुई और धीरे धीरे एक हफ्ता बीत गया. मैं रिशू के साथ एक दो बार साइबर कैफ़े भी हो आया और रिशू के साथ अब मैं खुल कर सेक्स के बारे में बात करने लगा. उसकी सेक्स की नॉलेज सिर्फ बुक और फिल्म तक ही नहीं थी बल्कि उसकी बातो से लगता था की उसने कई बार प्रक्टिकल भी किया था पर किसके साथ ये उसने मुझे नहीं बताया.

कुछ दिनों बाद पापा दीदी के लिए घर में ही कंप्यूटर ले आये थे और मैं अक्सर उसपर गेम खेलता रहता था. मेरे पेपर हो गए थे और हम रिजल्ट का वेट कर रहे थे. गर्मी की छुट्टिया शुरू हो गयी थी. उस दिन भी मैं गेम खेल रहा था. फ्राइडे का दिन था. दीदी मेरे पास आकर बोली चलो कंप्यूटर बंद करो और मेरे साथ बैंक चलो.

क्यों दीदी क्या हुआ.

अरे मुझे एक फॉर्म के साथ ड्राफ्ट भी लगाना है जल्दी से तैयार हो जा.

जब मैं तैयार हो कर नीचे पहुंचा तो दीदी ने भी ड्रेस चेंज करके एक ग्रीन कलर का कुरता और ब्लैक चूडीदार पहन लिया था और अपने रेशमी बालों की एक लम्बी पोनी बनी हुई थी.
जल्दी कर मोनू बैंक बंद होने वाला होगा. आज मेरे को ड्राफ्ट बनवाना ही है. कल फॉर्म भरने की लास्ट डेट है बोलते बोलते दीदी सैंडल पहनने के लिए झुकी तो उनके कुरते के अन्दर कैद वो गोरे गोरे उभार मुझे नज़र आ गए. मेरा दिल फिर से डोल गया और हम बैंक की तरफ चल पड़े.

मैंने मेह्सूस किया की लगभग हर उम्र का आदमी दीदी को हवस भरी नज़रो से घूर रहा था. पर दीदी उनपर ध्यान न देते हुए चलती जा रही थी. मुझे अपने ऊपर बड़ा फक्र हुआ की मैं इतनी खूबसूरत लड़की के साथ चल रहा था भले ही वो मेरी बहन ही.हम १५ मिनट में बैंक पहुँच गए पर उस दिन बैंक में बहुत भीड़ थी. ड्राफ्ट वाली लाइन एक दम कोने में थी और उसके आस पास कोई और लाइन नहीं थी. शुक्र था की वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी.

मोनू तू यहाँ बैठ जा और ये पेपर पकड़ ले मैं लाइन में लगती हूँ दीदी बैग से कुछ पेपर निकलते हुए बोली.

मैं वही साइड पर रखी बेंच पर बैठ गया और दीदी कोने में जाकर लाइन में लग गयी. मैं बैठा देख रहा था की बैंक की ईमारत की हालत खस्ता थी. एक बड़ा हाल जिसमे हम लोग बैठे थे. और बाकि तीन तरफ कुछ कमरे बने थे. कुछ खुले थे कुछ में ताला लगा था. जिस जगह मैं बैठा था उसके पीछे के कमरे में तो सिर्फ टूटा फर्निचर ही भरा था.

खैर ये तो उस समय के हर सरकारी बैंक का हाल था. जहाँ दीदी खड़ी थी उस जगह तो tubelight भी नहीं जल रही थी, अँधेरा सा था. दीदी मेरी तरफ देख रहीं थी और मुझसे नज़र मिलने पर उन्होंने एक हलकी सी तिरछी स्माइल दी जैसे कह रही हो ये कहा फंस गए हम.

तभी दीदी के पीछे एक आदमी और लाइन में लग गया जिसकी उम्र करीब ३५ साल होगी. वो गुटका खा रहा था. उसने एक दम पुराने घिसे हुए से कपडे पहने थे. एक दम काले तवे जैसा उसका रंग था. गर्मी भी काफी हो रही थी.

कितनी भीड़ है बहेंनचोद... उसने गुटका थूकते हुए कहा.

तभी उसका फ़ोन बजा मैं तो अचम्भे में पड़ गया की ऐसे आदमी के पास मोबाइल फ़ोन कैसे आ गया. उस वक़्त मोबाइल रखना एक बहुत बड़ी बात थी वो भी हमारे छोटे से शहर में.
फ़ोन उठाते ही वो सामने वाले को गलिया देने लगा. बहन के लौड़े तेरी माँ चोद दूंगा वगेरह. दीदी भी ये सब सुन रही थी पर क्या कर सकती थी. उस आदमी को भी कोई शर्म नहीं थी की सामने लड़की है वो और भी गलिया दिए जा रहा था. मुझे गुस्सा आ रहा था पर तभी उसने फ़ोन काट दिया.

५ मिनट के बाद मैंने देखा तो मुझे लगा की जैसे वो आदमी दीदी से चिपक के खड़ा है. उसका और दीदी का कद बराबर था और उसने अपनी पेंट का उभरा हुआ हिस्सा ठीक दीदी के चूतरों पर लगा रखा था. मेरी तो दिल की धड़कन ही रुकने लगी. वो आदमी दीदी की शकल को घूर रहा था और दीदी के कुरते से उनकी पीठ कुछ ज्यादा ही नज़र आ रही थी. मुझे लगा वो अपनी सांसे दीदी की खुली पीठ पर छोड़ रहा था.

दीदी ने मेरी तरफ देखा तो मैं दूसरी तरफ देखने लगा जिससे दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा और दीदी थोडा आगे हुई तो मैंने देखा उस आदमी के पेंट में टेंट बना हुआ था उसने अपने हाथ से अपना लंड एडजस्ट किया, इधर उधर देखा और फिर से आगे बढकर दीदी से चिपक गया. अब उसकी पेंट का विशाल उभार उनके उभरे हुए चूतड़ो के बीच में कहीं खो गया. दीदी का चेहरा लाल हो गया था जिससे पता चल रहा था की दीदी के साथ जो वो आदमी कर रहा था उसको वो अच्छे से महसूस कर रही थी. एक बार को मेरा मन हुआ की जाकर उस आदमी को चांटा मार दूं पर पता नहीं क्यों मैं वही बैठा रहा और चुपचाप देखता रहा.

दीदी की तरफ से कोई विरोध न होते देख कर उस आदमी का हौसला बढ़ रहा था और वो दीदी से और ज्यादा चिपक गया और उनके बालों में अपनी नाक लगा कर सूंघने लगा. अब दीदी काफी परेशान सी दिख रही थी. दीदी की चोटी उस आदमी के बदन से रगड़ खा रही थी. मेरी बेहद खूबसूरत बहन के साथ उस गंदे आदमी को चिपके हुए देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. तभी उस आदमी ने अपना निचला हिस्सा हिलाना शुरू कर दिया और उसका लंड पेंट के अन्दर से दीदी के उभरे हुए चूतरों पर रगड़ खाने लगा. ये हरकतें करते हुए वो आदमी दीदी के चेहरे के बदलते हुए हाव भाव देखने लगा.

उस जगह अँधेरा होने का वो आदमी अब पूरा फायदा उठा रहा था वैसे भी इतनी सुन्दर जवानी से भरपूर लड़की उसकी किस्मत में कहाँ थी. दीदी न जाने क्यों उसे रोक नहीं रही थी और बीच बीच में मुझे भी देख रही थी की कहीं मैं तो नहीं देख रहा हूँ. मैंने एक अख़बार उठा लिया था और उसको पढने के बहाने कनखियों से दीदी को देख रहा था. जब दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा तो वो थोड़ी रिलैक्स लगने लगी.

वो आदमी लगभग १० मिनट से दीदी के कपड़ो के ऊपर से ही खड़े खड़े अपना लंड अन्दर बहार कर रहा था. तभी मुझे लगा उस आदमी ने दीदी के कान में कुछ बोला जिसका दीदी ने कुछ जवाब नहीं दिया. फिर उस आदमी ने अपना दीवार की तरफ वाला हाथ उठा कर शायद दीदी की चूंची को साइड दबा दिया और दीदी की ऑंखें ५ सेकंड के लिए बंद हो गयी और उनके दान्त उनके रसीले होंठो को काटने लगे.

मुझे ठीक से समझ नहीं आया पर शायद वो आदमी हवस के नशे में दीदी की चूंची को ज्यादा ही जोर से दबा गया था.
मुझे भी मज़ा आ जाता है जब बस मे दीदी के पीछे कोई लंड सता देता है। कल मेरे घर एक बढई मिस्तरीआया था जो घर के बगल।मे ही रहता है दीदी को घुरता भी है मुझे तो लगा दीदी को चोदने ही आया है मैभी ध्यान दे रहा था कुछ देखने मील जाए पर दीदी लगता है समझ गयी सीर्फ चुची दबावाई रुम से बाहर नीकलने पर चेहरा लाल हो गया था दीदी का।
अब आज जो बढई मिस्तिरी ने दीदी के दरवाजे को ठीक कर दीदी की चुची दबाई थी वह दीदी को चोदने के चक्कर मे लगा थाउसका नाम डब्बु है उसने मुझे अपने दुकान बुलाया और पुछा दरवाजा सही काम कर रहा है तो मैने कहाँ नही तो उसने कहा चलो देख लू फिर मे सीधा दीदी के रूम के पास ले आया और दीदी को आवाज लगायि तो दीदी बाहर आयि और पुछा क्या है तो मैने कहा डब्बु जी दरवाजा चेक करने आए है तो दीदी ने कहा दरवाजा तो ठीक है इसपर डब्बु ने मेरी ओर देखा और बोला उस दिन गेट मे पेच जल्दी मे सही से कस नही पाया था और दीदी की चुचीयों को घुरने लगा दीदी भी शायद चुदना चाहती थी। और मुझे दीदी को चोदने मे शायद डब्बु मदद करे। डब्बु जो शायद समझ गया की मे दीदी कि सेटीगं मे उसकी मदद कर रहाँ हुं।मुझे खुसी से आंख मारते हुऐ कहा भाई जरा मेरे दुकान से औजार ले आओ तो मे तुम्हारी दीदी के दरवाजे सही कर देता हुं। उसकी दुअर्थी बाते सुन दीदी और मे दोनो खुस हो गये। मैने कहा कंहा रखा है तो उसने फिर आंख मारी और कहा दुकान मे मिल जायेगा। फिर मे जल्दी से घर से नीकला। अब डब्बु दीदी के सा थ अकेले था मे भी थोरी देर बाद घर मे गया और दीदी के रूम के पास जो छेद मैने कीया है जीससे मैने दीदी को मामा और उनके दोस्तो का लंड अपने बुर मे लेते देखता था। उंहा से देखने लगा अंदर दीदी सिर्फ पैंट उतार कर चुदा रही थी। सुबह सुबह दीदी की चुदाई देख मुड़ बन गया। मुठ मारने लगा जब माल झरा तब होस आया।फिर जल्दी से अपना माल पोछ के दीदी का गेट खटखटाया तो डब्बु अपना पैट ठीक करते बाहर नीकला और कहाँ आज तुमहारी दीदी की गेट टाईट कर दी है मैने तब दीदी पीछे से आयि  मैने देखा उनका पैट मे बुर के पास गीला हुआ है 
और बोली हां डब्बु जी ने बहुत मेहनत कीया दरवाजा बनाने मे। फिर डब्बु ने कहा रानु मेरे दुकान पर औजार नही मिला क्या आंख मारकर मैने कहा कोई लेक गये थे मैने वेट कीया फिर वे नही आये तो मे चला आया।पर आप तो दीदी के गेट को टाईट अच्छे से कर दीये बीना औजार के तो उसने कहा तुमहारी दीदी के पास बहुत टाईट औजार है अब तो मै तुमहारी दीदी से ही ले लुंगा।और दीदी की ओर देखक मुस्कराया ईसपर दीदी भी हसी और कहा रानु डब्बु जी बहुत अच्छे गेट टाईट कर दीये।मे अब डब्बु जी से ही काम करवाउंगी। इसपे डब्बु ने कहा मेरे दोस्त भी तुमहारी गेट के बारे मे बारे मे बोलते है कि इसका गेट बहुत टाइट होगा तुमने तो सुना होगा ही ( डब्बु और इसके दोस्त सब दीदी की गाड़ पर बहुत कामेंट करते है दीदी ने भी सुना है) इसप र दीदी ने आपने तो टाईट कीया है सबको बता दीजीये की गेट टाईट है।ईधर दीदी की बाते सुन कर मेरा लं ड टाईट हो रहा था। फि मैने कहा अब जब गेट ठीक हो गया है तो चला जाये इसपर डब्बू जी ने कहा पर गेट जादा टाईट रहेगा तो पेंच उखर सकता है तो दीदी ने कहाँ तो ढीला कर दीजीऐ(दोनो भी चुदाई करना चाह रहे थे) तब मैने कहाँ बारबार खुलेगा तो ढीला हो जायेगा। तो फिर डब्बु ने कहा ठीक है पर मेरे दोस्त सब मिलकर एकदीन मे गेट ढीला कर सकते है तो दीदी ने जो कहाँ चौका देने वाली बात थी।उसने कहा की हां मैने देखा है आपके दोस्तो को उन सब के साथ गेट ढीला करवादे सब साथ करे तो ठीक है मे दीदी की बाते सुन हैरान हो गया क्युकी दीदी तो सब सेअपना बुर चोदना चाह रही है और डब्बु के एक दोस्त राजु को मैने देखा है वह दीदी की चुची गाड़ को देख कर बहु गंदी बाते करता है खुद छह फीट का है और दीदी पर चढ़ेगा तो दीदी कुतिया की तरह कीकीया जाऐगी फीर भी दीदी कैसे यह कह रही है समझ मे नहीँ  रहा था।तभी डब्बु बोला कहो तो राजु को ढी करने बोलु मे तो दीदी ने कहा हां वो भी ठीक रहेगा।अब मेरा दीमाग खराब होनेलगा कंहाँ डब्बू से दीदी की सेटीं ग कराके डब्बू स दोस्ती करके मे दीदी को खाता या जैसे मामा अपने दोस्तो के सा थ दीदी को खाते है वैसा ही हमलोग भी करते।पर यंहा तो डब्बु जी अपने दोस्त के साथ दीदी को खाना चाह रहे है।
तभी मे डब्बू जी को आंख मारा और कहा अब चला जाये। तो डब्बु ने कहा हाँ अब चलते है और दीदी से मोबाईल नं मांगा मैने कहा मे देदेता हुं आप चलीऐ।वह कंहा हां चलो फिर हम जैसे ही उघर से बाहर नीकले डब्बु ने धीरे से कहा बहुत गर्म बुर था और मुझे पकङ कर थैकंस कहा मैने कहा ये कंयु तो उसने कहा भाई तुझे सब पता है आज की रात मेरे तरफ से पार्टी जीसमें बस मे और तू रंहेगे। बहु मज़ा आ भाई तेरी दीदी  की लेके बहुत गर्म है तेरी दीदीदी। मै झुठ का चौकते हुऐ क्या मैं समझा नही तब उसने कहा की जब मै तेरे घर गया तो गेट तो सही काम कर रहाँ था और तेरी दीदी ने भी वही कहाँ पर तु मेरे आंख मारने पर दुकान गया और लेट से आया जबकी दुकान बंद थी। तब मे समझ गया की तू अपनी दीदी को चोदवाना चाहता था पर अब ये बताओ की तेरी दीदी की ये चक्कर था या तेरा।
तब मैने हकलाते हुए कहा नही दीदी को कुछ पता नहीँ था ईसके बारे में वो मै ही दीदी को देखना चाहता था । उस दिन जब आप दरवाजा ठीक कर दीदी की चुची दबा रहे थे तो मैने देखलीया था। पर मेरे होने के वजह से आप कुछ कर ही नहीँ रहे थे। और जब आज आपने बुलाया तो मेरे घर मे कोई था भी नहीँ और मैने सोचा दीदी क्या करती है ये भी पता चल जायगा फीर मै सही नीकला दीदी ने आपसे भी चुदा लीया।
पर आप ये बात प्लीज कीसी को मत कहीयेगा प्लीज। डब्बू ने कहा हां यार मै कंयो कंहुगा पर तेरी दीदी तो बहुत गर्म है मेरे दोस्तो से खुद पेलवानाचाहती है और ये बात दीदी आपसे भी चुद गयी क्या मतलब तूने भी चोदा है अपनी दीदी को? मैने कहा कंहाऐसी मेरी किस्मत मै दीदी के बुर में अपना लंड डाल सकु। मै तो आपको ईसलीए लेक गया था की आप जब चोद लेंगे तब आप से दोस्ती बढा कर मे अपनी बात करता।
डब्बु ने हँस कर कहा ये कैसे होगा तु कैसे अपनी दीदी की बुर लेगा तुझे शर्म नही आती ऐसी बाते करते 
तब मैने कहाँ जब दीदी के साथ जब मे ईधर से गुजरता तब आप लोग जब दीदी की गांड चुची को देख कर दीदी को कहते थे ये तो पुरा लंड खा जायगी लगता है भाई के साथ सोती है भाई ही चोदता होगा बहुत गर्म जवानी है तब तो कुछ नहीँ दीदी कहती थी।अब आपसे दोस्ती कर लेता हुं और दीदी ने तो कहा भी है आपके दोस्तो के साथ गेट ढीला करवाने को कंयो सही कहा ना ।हाहाहा
चोद के कैसा लगा दीदी का बुर ये बताईऐ मजेदार था? मैने ही आपका काम बनाया।
डब्बु ने कहा मान गया भाई तुझे तू सच मे अपनी बहन को खा लेगा पर ये बता तेरी दीदी पहले किस से चुदा रही थी 
अब सब बात रात की पार्टी में।अब दीदी की चुची नाप लू बढा या नही। बाय 
घर मे घुसा तो दीदी दफा 302 नाम की किताब जीसमे उतेजक कहानी रहटी है वह पढ रही थी बीस्तर पर लेट कर।मुझे देख कर कहा था अबतक तब मैने कहाँ डब्बु जी के साथ था
दीदी ने कहा कोई काम था क्या तो मैने कहा नहीँ वह तुमहारी बहुत तारीफ कर रहे थे बोले की तुमहारीदीदी का दील बहुत बरा है बहुत अच्छे से औजार रखी हैएकदाम साफ चिकना है
मेरा मन खुस हो गया तुमहारी दीदी के गेट टाईट करके इतने अच्छे से मेरा औजार पकरे थी की क्या कहु। मेरे दोस्त सब भी तुमहारी दीदी का गेट ढीला करेंगे अब।
दीदी भी ख़ुश होते हुए कहने लगी हां भाई ठंड मे मेरे दरवाजे से बहु हवा आती थी आज डब्बु जी ने ज्यादा ही टाईट कर दीया है अब अपने दोस्तो को साथ मेरा गेट ढीला करदे बस।
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RE: Adult kahani पाप पुण्य - by Ranu - 01-10-2020, 03:36 PM

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