RE: Incest Porn Kahani उस प्यार की तलाश में
थोड़ी देर बाद मम्मी मेरे कमरे में आई.......मैं वही कमरे में अपने बिस्तेर पर बैठी हुई थी.......उनके हाथों में तेल की शीशी थी......उन्होने मुझसे कुछ नहीं पूछा और मेरे बाल खोल दिए और मेरे सिर पर तेल रखकर मेरा सिर दबाने लगी......मैं बस गुम्सुम सी बैठी हुई थी......मम्मी ने जब मेरे सिर दबा दिया तो वो फिर अपने कमरे में सोने के लिए चली गयी.......
स्वेता- अब तू आराम कर ले......फ्रीज़ में फल रखें है........अगर तेरी इच्छा हो तो वो मैं लाकर तुझे दूं......मैने उनकी ओर एक नज़र डाली......फिर मैने ना में अपनी गर्देन नीचे झुका दिया......मम्मी भी कुछ नहीं बोली और अपने कमरे में चली गयी......मैने फ़ौरन उठकर अपने रूम को अंदर से लॉक किया और अपने बिस्तेर पर आकर फिर से रोने लगी.......बहुत देर से मैं अपने आँखों के अंदर उस सैलाब को संभाले हुई थी और अभ वो किसी झरने की तरह तुरंत फुट पड़े थे........मेरी आँखों से आँसू बहते हुए अब बिस्तेर पर गिर रहें थे........मैं बहुत देर तक ऐसी ही रोती रही......और ना जाने कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता भी नहीं चला........
उधेर विशाल इस वक़्त बहुत बेचैन था......उसका दिल कहीं नहीं लग रहा था......बार बार उसके मन में अपनी बेहन के कहे हुए शब्द गूँज रहें थे........उसका दोस्त रोहित भी उसके साथ था.....वो बार बार उसे समझा रहा था मगर विशाल आज बहुत सीरीयस था.......वो जानता था कि जो कुछ हुआ वो ठीक नहीं हुआ.....मगर अब तो जो होना था वो तो हो चुका था.....
इधेर जब मेरी नींद खुली तो शाम के 4 बज रहें थे.......विशाल भी घर आ चुका था.......इस वक़्त उसके चेहरे पर घबराहट सॉफ दिखाई दे रही थी........जब वो घर आया था तो उसने सबसे पहले मम्मी से मेरे बारे में पूछा था......क्यों की उस हादसे के बाद मैं उसे कहीं दिखाई नहीं दी थी.....इस लिए वो बहुत परेशान हो गया था........मम्मी को भी शक था कि ज़रूर कुछ तो बात है मगर मम्मी ने ये बात हमे ज़ाहिर नहीं होने दी......मगर जब कहीं आग लगी हो तो धुआँ तो उठेगा ही.......
शाम को रवि की मा मेरे घर पर आई.......उस वक़्त वो बहुत गुस्से में थी......पापा भी घर आ चुके थे......आज कॉलेज में जो कुछ हुआ था वो सारी बातें उसने मेरे मम्मी और पापा से कह डाली.......मगर उसने असली वजह नहीं बताई कि ग़लती किसकी थी.....क्यों विशाल ने रवि पर हाथ उठाया......पापा मेरे बहुत गुस्से मिज़ाज़ के इंसान है.......वो गुस्से में मानो पागल हो जाते है.......जैसे ही रवि की मा गयी पापा ने विशाल को अपने पास बुलाया......वो चुप चाप अपनी गर्देन झुकाए पापा के सामने खड़ा था......वही थोड़ी दूर पर मेरी मा भी थी.......मैं अपने कमरे के अंदर से सारी बातें सुन रही थी........सच तो ये था कि मेरे अंदर भी हिम्मत नहीं थी कि मैं पापा का सामना कर सकूँ......
मोहन- क्या जो मैं सुन रहा हूँ वो सच है.......क्या तुमने रवि को बेरहमी से पीटा......क्या ये भी सच है कि तुमने उसका एक हाथ तोड़ दिया.......
विशाल पापा के सवालों को सुनकर एक शब्द कुछ ना बोला और चुप चाप अपनी गर्देन नीचे झुकाए खड़ा रहा......पापा उठकर दूसरे रूम में गये और एक छड़ी ले कर आयें.......पापा ने फिर से वही सवाल विशाल से दोहराया मगर विशाल इस बार भी चुप रहा.......अगले ही पल पापा के अंदर का गुस्सा पूरी तरह से फुट पड़ा......और उन्होने विशाल को वही उस छड़ी से मारना शुरू कर दिया.......मम्मी आगे कुछ कहती तो पापा ने उसे कसकर डांता तो वो भी डर से सहम गयी.......
विशाल वही बाहर मार खा रहा था मगर अपने मूह से एक भी शब्द कुछ नहीं कह रहा था......करीब 5 मिनिट तक मैं ये सब सुनती रही......मेरा दिल बहुत ज़ोरों से घबरा रहा था......मैं बहुत बेचैन सी हो गयी थी विशाल को ऐसे मार ख़ाता हुआ देखकर......मुझे बार बार ऐसा लग रहा था कि मार वो खा रहा है और दर्द मुझे हो रहा है......मैं अपने आप को संभाल ना सकी और फ़ौरन अपने कमरे से भागते हुए डाइनिंग रूम में गयी जहाँ पर विशाल खड़ा था.......जब मेरी नज़र उसपर पड़ी तो मेरे दिल छलनी छलनी हो गया......उसके हाथों पर छड़ी के दाग सॉफ दिखाई दे रहें थे......मगर वो चुप चाप मार खाए जा रहा था.......
मम्मी वही डर से सहमी हुई थी.....उनकी भी आँखों में आँसू थे.......कोई भी मा अपने बच्चू को मार ख़ाता हुआ नहीं देख सकती थी......मैं आगे बढ़कर विशाल के पास गयी और जाकर विशाल के सामने खड़ी हो गयी......पापा ने मुझे एक नज़र घूर कर देखा और फिर मुझे भी उस छड़ी से मारने लगे......जब उन्होने करीब 10 छड़ी मुझे मारी तब जाकर वो रुक गये......मेरे हाथों पर भी काले काले निशान सॉफ दिखाई दे रहें थे........मगर मुझे उस वक़्त अपने दर्द की परवाह नहीं थी.....मुझे तो बस विशाल की चिंता थी.......
अदिति- पापा आप रुक क्यों गये......मारिए मुझे भी......जितना आज विशाल दोषी है उतनी मैं भी हूँ.........आज मेरी वजह से विशाल ने रवि पर अपना हाथ उठाया था......विशाल मुझे चुप रहने को बोलता है.....वो नहीं चाहता था कि सच्चाई उसके मम्मी पापा को मालूम हो......शायद उसे मेरी इज़्ज़त ज़्यादा प्यारी थी इस लिए वो चुप चाप पापा के हाथों मार ख़ाता रहा.......
अदिति- पापा आप सच जानना चाहते है ना तो फिर सुनिए....आज कॉलेज में रवि ने सरे आम मेरा हाथ पकड़ा था......और उसने ना सिर्फ़ मेरा हाथ पकड़ा बल्कि मुझे सबके बीच ,सबके सामने प्रपोज़ भी किया......जब ये बात विशाल को पता लगी तो उसने इस वजह से उसपर अपना हाथ उठाया......और इस लिए भी क्यों कि वो इसका दोस्त था और दोस्ती की आड़ में उसकी नज़र मुझपर थी.......तो आप ही बताइए विशाल ने क्या ग़लत किया.....आगर उसने आज मेरी लाज बचाई तो क्या वो ग़लत था.....क्या कोई भाई चुप रहेगा अगर कोई उसकी बेहन के साथ ऐसी बढ़तमीज़ी करेगा तो.......अब आप ही बताइए कि इसमें किसका दोष है......विशाल का या ................फिर रवि का.
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