Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
09-21-2018, 01:58 PM,
#54
RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
अपनी बेटी की गरम सिस्कारियों को सुनकर जयसिंह अच्छी तरह से जानता था कि वो एकदम गरम हो चुकी है ,
वो इन गरम सिसकारीयों से वाकिफ था, वो अच्छी तरह से जानता था कि ऐसी सिस्कारियों के बाद चुदवाने की इच्छा प्रबल हो जाती है, जयसिंह ये समझ गया था कि उसकी बेटी भी अब उसके लंड को अपनी चुत में डलवाने के लिए तड़प रही है, लेकिन जयसिंह अभी अपने लंड को अपनी बेटी की चुत में डालकर चोदने वाला नहीं था, 


वो तो इस रात को और ज्यादा मदहोश बनाने की सोच रहा था, वो आज रात अपनी बेटी को पूरी तरह से सन्तुष्ट करना चाहता था, उसे जी भर कर प्यार करना चाहता था ,इसलिए उसने दोनों हाथों से चूचियों को दबाते हुए झट से एक चूची को दोबारा अपने मुंह में घुस लिया और उसकी कड़क निप्पल को मुंह में भरकर पके हुए आम की तरह चूसना शुरू कर दिया, 

अपने पापा को इस तरह से अपनी चूची पीते हुए देखकर मनिका मस्त हो गई और उसके मुंह से गर्म सिसकारियां निकलना शुरू हो गई, जयसिंह तो जैसे पागल सा हो गया था ,वो कभी इस चूची को पीता तो कभी दूसरी चुची को मुंह में लगाता ,जितना हो सकता था उतना मुंह में भर भर कर चूची को पीने का मजा लूट रहा था , बादलों की गड़गड़ाहट के साथ साथ उन दोनों के मुंह से भी गर्म सिस्कारियों की आवाज लगातार आ रही थी, 


मनिका पूरी तरह से कामातुर हो चुकी थी, वो ये नहीं जानती थी कि उसके पापा इस तरह से उसकी चूचियों को पिएगा दबाएगा मसलेगा, ठंडे मौसम में भी उसके बदन से पसीना निकल रहा था, मनिका अपने दोनों हाथो को जयसिंह के सिर पर रख कर अपनी ऊंगलीयों को उसके बालों में उलझा रही थी, जयसिंह अपनी बेटी की उम्मीदों पर खरा उतर रहा था, मनिका की चुत अब लंड के लिए और ज्यादा तड़पने लगी थी, 

इसीलिए मनिका ने एक हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर अपने पापा के लंड को पकड़ लिए और उसे अपनी चुत पर रगड़ते हुए उन्हें स्तनपान का मजा देने लगी, 

अपनी बेटी के द्वारा लंड को इस तरह से अपनी चुत पर रगड़ना जयसिंह से भी बर्दाश्त नहीं हो रहे था, जयसिंह के बदन में और ज्यादा आग तब लग गई, जब उसकी बेटी ने लंड के सुपाड़े को अपनी चुत की दरार के बीचोबीच रख दिया,

जयसिंह के बदन में एकदम से झनझनाहट सी फैल गई, कामोत्तेजना की आग में दोनों पल पल जल रहे थे, दोनों के बदन पसीने में तर बतर हो चुके थे, मनिका अपनी कामुक बदन की कामुक हरकतों से जयसिंह को परेशान कर रही थी, और जयसिंह अपनी परेशानी का इलाज अपनी बेटी की चुचियों में ढूंढ रहा था ,वो लगातार अपनी बेटी की चुचीयो को मुंह में भर कर चूस रहा था,


जयसिंह के इस तरह के स्तन मर्दन करने से मनिका की चुचियाँ एकदम लाल लाल होकर उत्तेजित अवस्था में तन गई थी, दोनों को असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी ,बाहर बारिश जोरों पर अपना काम कर रही थी, मनिका का बदन रह-रहकर झटके खा रहे था और हर झटके के साथ उसकी चुत मदन रस फेंक रही थी,
"स्स्सहहहहहहहह.....पापा बहुत मजा आ रहा है, आहहहहहहहह......एेसे ही.......,हां........ बस चूसते रहो मेरी चूचियों को, निचोड़ डालो इसका सारा रस ओहहहहहह..पापाआआआ"



मनिका की आंखों पर वासना की पट्टी चढ़ चुकी थी, वो अपने पापा को ही उकसा रही थी अपने बदन से खेलने के लिए, और जयसिंह का क्या था वो तो पहले से ही तड़प रहा था अपनी बेटी के रसीले बदन का लुफ्त उठाने के लिए, मनिका से अपनी कामुकता बर्दाश्त नहीं हो रही थी ,वो बार-बार अपने पापा के लंड को अपनी चुत पर रगड़कर और ज्यादा गरम होती जा रही थी,
बिस्तर पर दोनों बाप बेटी संपूर्ण नग्नावस्था में एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए मजा लूट रहे थे, जयसिंह काफी देर से अपनी बेटी की चुचियों से खेल रहे था और मनिका थी कि अपने पापा के लंड को अपनी चुत पर रगड़ रगड़ कर जयसिंह को और ज्यादा गर्म कर रहीे थी ,

जयसिंह का लंड इतना ज्यादा सख्त और कड़क हो चुका था कि मनिका को अपने पापा का लंड अपनी जांघों के बीच चुभता सा महसूस हो रहा था, लंड की चुभन से ही मनिका को अंदाजा लग गया था कि उसकी चुत की आज जमकर कुटाई होने वाली है, 

अब जयसिंह धीरे-धीरे चूचियों को दबाता हुआ नीचे की तरफ सरक रहा था, अपनी बेटी के बदन पर नीचे की तरफ सरकते हुए जयसिंह हर जगह चुम्मा-चाटी करते हुए धीरे-धीरे पेट तक पहुंच गया, जैसे-जैसे जयसिंह के होठ मनिका के बदन पर होते हुए नीचे की तरफ जा रहे था वैसे वैसे उसका बदन झनझना रहा था, 

तभी जयसिंह के होठ मनिका की नाभि पर आकर अटक गए , जयसिंह के होठ मनिका की गहरी नाभि पर टिके हुए थे,
अपने पापा के होंठ का स्पर्श अपनी नाभि पर पाकर उत्तेजना के मारे मनिका की सांसे और तेज हो चुकी थी, जयसिंह को अपनी बेटी की नाभि में से आती मादक खुशबू और ज्यादा चुदवासा कर रही थी, जयसिंह अपने नथुनो से नाभी से आती मादक खुशबू को खींच कर अपने सीने के अंदर उतारने की कोशिश कर रहा था,

अचानक उसने अपनी जीभ को उस गहरी नाभि में उतार दिया, अपने पापा की इस हरकत पर मनिका तो एकदम से गनगना गई, जयसिंह जैसे जैसे अपनी जीभ को नाभि के अंदर गोल-गोल घुमाता वैसे-वैसे मनिका सिसकारी लेते हुए कसमसाने लगती, मनिका के बदन में इतना ज्यादा उत्तेजना का संचार हो चुका था कि उसकी गरम चुत फूल पिचक रही थी, मनिका के बदन में उत्तेजना के कारण जिस तरह से कंपन हो रहा था उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे आज उसकी सुहागरात है


जयसिंह तो अपनी बेटी की नाभि को ही चुत समझ कर उसे चाटने का लुत्फ उठा रहा था और मनिका भी मदमस्त हुए जा रही थी, तभी जयसिंह ने नाभि के अंदर अपनी जीभ को गोल-गोल घुमाते हुए एक हाथ से जैसे ही अपनी बेटी की चुत को मसला वैसे ही मनिका के मुंह से सिसकारी छूट गई,

"स्स्स्स्हहहहहहहहहह......आहहहहहहहहहहह.....पापाआआआ
ओहहहहहहहह......पापाआआ"


जयसिंह का हाथ अपनी चुत पर महसूस करते ही मनिका एकदम से चुदवासी हो गई और उत्तेजना के मारे अपना सिर दाएं बाएं पटकने लगी उससे अपनी उत्तेजना को दबाया नहीं जा रहे था इसलिए वो खुद ही अपनी चूचियों को अपने हाथ से ही दबाने लगी,


ये देखकर जयसिंह का जोश बढ़ गया,
अब वो धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा , जैसे जैसे वो नीचे बढ़ रहा था, मनिका के बदन में कंपकपी सी फैली जा रही थी, जयसिंह धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ जा रहा था ,


अब वो द्वार जिसमे हर इंसान को बेतहाशा मजा मिलता है बस दो चार अंगुल ही दूर रह गया था, उस द्वार के करीब पहुंचते-पहुंचते जयसिंह की दिल की धड़कन तेज हो गई ,उसकी सांसे चल नहीं बल्कि दौड़ रही थी और मनिका का भी यही हाल था ,

जैसे जैसे जयसिंह उसर्क चुत के नजदीक आता जा रहा था, वैसे-वैसे मनिका के बदन में उत्तेजना की लहर बढ़ती जा रही थी, कुछ ही पल में वो घड़ी भी आ गई जब जयसिंह कि नजरे ठीक उसकी बेटी की चुत के सामने थी, जयसिंह फटी आंखों से अपनी बेटी की चुत की तरफ देख रहा था,

वो तो चुत की खूबसूरती में खो सा गया था, उसका गला शुष्क होने लगा था ,लंड का तनाव एका एक दुगना हो गया था, इस तरफ से प्यासी नजरों से देखता हुआ पाकर मनिका शरमा गई, और शर्म के मारे दूसरी तरफ अपनी नजरों को फेर ली, दोनों की सांसे तेज चल रही थी , जयसिंह तो बस लार टपकाए चुत को देखे जा रहा था, 
अब जयसिंह ने अपने कांपते हाथों की उंगलियों को अपनी बेटी की चुत पर रख दिया, जैसे ही मनिका को अपनी चुत पर अपने पापा की उंगली का स्पर्श महसूस हुआ वो अंदर तक सिहर उठी, जयसिंह अपनी उंगलियों को हल्के हल्के चुत की दरार के ईद गिर्द फिराने लगा ,अपने पापा की इस हरकत की वजह से मनिका का बदन कसमसाने लगा, तभी अचानक जयसिंह ने मनिका की चुत पर अपने होंठ रख दिए, 

जयसिंह ने अपनी बेटी की चुत पर होठ रखने के साथ ही अपनी जीभ को भी उसकी दरार में प्रवेश करा दिया, और उसकी चुत के नमकीन रस को जीभ से चाटने लगा, मनिका कभी यकीन भी नहीं कर सकती थी थी कोई इस तरह से भी प्यार करता है , जयसिंह अपनी बेटी की चुत को लगातार जीभ से चाटे जा रहा था, और मनिका मदहोश हुए जा रही थी

अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए वो अपने होंठ को अपने दांत से ही काट रही थी, वो अपने पापा के सिर पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे जोर-जोर से अपनी चुत पर दबाने लगी, 

"आहहहहहहहहहह......पापा.......ऊम्म्म्म्म्म्म्......स्स्स्हहहहहहहहहहहह......ओहहहहहहहहह.....पापा..... अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है...... मेरी चुत में आग लगी हुई है पापा ...... बुझा दो इस प्यास को पापाआआआ.
ठंडी कर दो मेरी चुत को अपना लंड डाल कर...... चोद डालो मुझे पापाआआआ ..... चोद डालो अपनी बेटी को ......बुझा दो मेरी प्यास को पापाआआआ...."


मनिका एकदम से चुदवासी हो चुकी थी,वो इतनी गरम हो चुकी थी कि उसे अब आपनी चुत मे लंड की जरूरत महसूस होने लगी थी, उसकी चुत में खुजली मच रही थी ,वो अपने पापा से मिन्नते कर रही थी चुदवाने के लिए, अपनी बेटी की गरम सिस्कारियों को सुनकर जयसिंह भी समझ गया था कि अब उसकी चुत में लंड डाल देना चाहिए, 

*******************

जयसिंह अपनी बेटी की जांघों के बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने लिए जगह बनाने लगा, अपने पापा को इस तरह से जगह बनाते हुए देख मनिका की कामोत्तेजना बढ़ गई,

जयसिंह अपने टनटनाए हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसके सुपाड़े को अपनी बेटी की चुत पर रगड़ने लगा, उत्तेजना के मारे मनिका का गला सूख रहा था, चुत पहले से ही एकदम गीली थी जिसकी वजह से उस पर सुपाड़ा रगड़ने से सुपाड़ा भी पूरी तरह से गीला हो गया,

"जल्दी करो पापाआआआ......
उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह....उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ.....
मुझे चुत में खुजली हो रही पापाआआआ" मनिका जयसिंह से चोदने की मिन्नतें करने लगी


" रुको मैं अभी तुम्हारी खुजली मिटा देता हूँ बेटी" जयसिंह ने कहा और फिर वो अपनी बेटी की फूली हुई चुत के छोटे से सुराख पर अपने अपना लोहे की रोड की तरह सख़्त लंड के सुपाडे को धीरे धीरे रगड़ने लगा

जयसिंह के लंड का सुपाड़ा मनिका की चुत के पानी से पूरा तर बतर हो चुका था

" उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह ..उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ" 
मनिका अपने पापा की मोटे सुपाडे को अपनी गरम फुद्दि पर रगड़ते हुए पा कर सिसक उठी

मनिका को अब अपने पापा के लंड की गर्माहट बेचैन कर रही थी, इतने दिनो से अपने पापा के जिस मोटे और बड़े लंड के सपने वो देख रखी थी, आज उस के पापा का वो ही सख़्त और कड़क लंड बड़े मज़े से उस की गरम फुद्दि के होंठो के ऊपर नीचे हो रहा था

अपने पापा के लंड की तपिश को अपनी चुत के होठों पर महसूस करते ही मनिका भी अपनी गान्ड को हिला हिला कर अपनी चूत लंड के सुपाडे से रगड़ने लगी, जिसकी वजह से मनिका की गुदाज और खूबसूरत छातियाँ उस जवान सीने पर आगे पीछे हिलने लगीं

मनिका की छाती पर उसकी हिलती हुई चुंचियों का ये नज़ारा जयसिंह के लिए बहुत ही दिलकश था

अब जयसिंह ने बुर के छेद पर लंड के सुपाड़े को टीकाकर धीरे से कमर को आगे की तरफ धक्का दिया, बुर की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा हल्का सा बुर में प्रवेश करने लगा, सुपाड़े के प्रवेश होते ही दर्द के मारे मनिका छटपटाने लगी और साथ ही उसकी सिसकारी भी छूटने लगी

जयसिंह ने अपने लंड को अपनी बेटी की चुत में और आगे बढ़ाने के लिए थोड़ा सा ज़ोर लगाया, मगर उस के लंड का सुपाड़ा मनिका की चूत के तंग सुराख में फँस कर रह गया

मनिका को तो इस लम्हे का पिछले कई महीनों से इंतज़ार था, आज उसके दिल की मुराद पूरी हो रही थी, क्योंकि उसके पापा का सख़्त और तना हुआ लंड किसी शेषनाग की तरह अपने फन को उठाए उस की चूत के बिल में घुसे से जा रहा था

पर वो जानती थी कि उस परम आनन्द को प्राप्त करने के लिए उसे दर्द की परीक्षा से गुजरना होगा, इसलिए उसने अपना जी कड़ा कर लिया, और अपने पापा की आंखों में झांककर बोली
"पापाआआआ….अब और मत तड़पाइये मुझे, बस अब एक ही बार मे पूरा डाल दीजिए, मेरे दर्द की परवाह मत करना पापाआआआ"

जयसिंह को भी लगा कि अब किला फतह करने का टाइम आ गया है, उसने अपनी सारी ताकत अपनी कमर में समेटी और एक जोरदार धक्के के साथ अपना तीन चौथाई लंड मनिका की चुत में घुसा दिया
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RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी - by sexstories - 09-21-2018, 01:58 PM

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