Sex Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
09-23-2018, 01:38 PM,
RE: Sex Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
उसके बाद उसका चाचा उसे झूठा सा दिलासा देकर चला गया…..वो चन्डीमल से उसकी दुकान पर जाकर मिला….बहुत समझाया बहुत मिन्नते की पर चन्डीमल की सेहत पर कोई असर नही पड़ा…उधर जैल में रवि के कारनामो से अंजान सोनू की दोस्ती उससे गहरी होती जा रही थी….रवि हट्टा कट्टा लड़का था… यहाँ तक के जैल का जेलर भी उससे डरता था….उसकी हाइट 6, 4 इंच थी…..चौड़ा सीना…..जब कभी ललकारता तो ऐसे लगता जैसे कोई शेर दहाड़ रहा हो….

रवि की सज़ा ख़तम होने के कगार पर थी……और जब से उसे पता चला था कि, सोनू उस शहर के सबसे अमीर आदमी यानी कि चन्डीमल के घर पर नौकर था….तब से वो बातों बातों में उसे चन्डीमल के बारे में जानने की कॉसिश करता था…..कि चन्डीमल कब घर जाता है….कब दुकान पर आता है….उसके साथ कॉन कोन होता है…घर पर कोन होता है….धीरे-2 ये सारी बातें उसने जैल में बैठे-2 ही सोनू से धोखे से पता कर ली थी…..फिर उसकी रिहाई का दिन भी आ गया….रवि जानता था कि, चन्डीमल अंग्रेज़ो की खुशामद करके इतना अमीर बना है…..भले ही वो बागी नही था….पर अंग्रेज़ो से उसको बहुत नफ़रत थी….

और उन आदमियों से ख़ासतोर पर जो अंग्रेज़ो का साथ देते थे….रवि ये भी जानता था कि, कैसे चन्डीमल ने सोनू को झूठे इल्ज़ाम में फँसाया है……जैसे ही वो जैल से बाहर आया…उसने चन्डीमल के ऊपेर नज़र रखनी शुरू कर दी……दूसरी तरफ चन्डीमल ने इस दौरान अपनी दुकान के पास वाली खाली दुकान को बहुत ही महँगे दामो पर बेचा था….रवि का प्लान सॉफ था….लूट करो और फरार हो जाओ…..क्योंकि इस बार वो बड़ा हाथ मारना चाहता था और इस सहर से बहुत दूर जाकर नई जिंदगी शुरू करना चाहता था. इसलिए उसने सोच रखा था…कि अपने आगे आने वाली हर रुकावट को वो जड से उखाड़ देगा…..

रवि अपना प्लान बना चुका था….उसको ये भी मालूम था कि, चन्डीमल के साथ हमेशा दो पहलवान रात को उसको उसके घर छोड़ने जाते थे….रात को रास्ता बहुत सुनसान हो जाता था….जिस दिन चन्डीमल को बेची हुई दुकान के पैसे मिले उसी दिन चन्डीमल ने दुकान की कमाई में से भी बहुत से पैसे निकाल लिए थे….और वो घर की तरफ चल पढ़ा…..जैसे दोनो तांगे सुनसान रास्ते पर आए…..उन तान्गो में से एक घोड़ा बिदक गया….जिस पर पहलवान बैठे हुए थे….वो रास्ते में ही खड़ा हो गया…..

टाँगे वाले ने उस पर बहुत चाबुक बरसाई पर घोड़ा टस से मस नही हुआ….चन्डीमल का तांगा भी रुक गया था…..चन्डीमल ने तांगे पर बैठे बैठे आवाज़ दी….”अर्रे ओह भीमा क्या हुआ रे….” भीमा तांगे से उतर कर चन्डीमल के पास आया….और बोला…”पता नही सेठ जी घोड़े को क्या हो गया है…चल ही नही रहा…..”

चन्डीमल: जाओ जल्दी देखो उसे क्या हुआ है….ये मुसबीत भी आज ही आनी थी……

भीमा फिर से पीछे वाला तांगा एक तरफ चल पड़ा….दोनो तान्गो में 20-22 फुट का फाँसला था…दूसरा पहलवान कालू भी नीचे उतर आया था..और तांगे वाला भी….अभी भीमा उस तरफ जा ही रहा था कि, उस तांगे के पीछे अंधेरे में घोड़े की टापो की आवाज़ आनी शुरू हो गई….कोई घोड़े पर सवार तेज रफ़्तार से उनकी तरफ बढ़ता चला आ रहा था….अंधेरा बहुत था….इसलिए कुछ भी ठीक से दिखाई नही दे रहा था…..तभी कुछ दूरी पर अंधेरे में से एक साया प्रकट हुआ….कोई घोड़े पर सवार बहुत तेज़ी से उनकी तरफ बढ़ रहा था….

भीमा और कालू दोनो ही उस इलाक़े के नामी पहलवानो में से एक थे…..इसलिए कभी किसी का खोफ़ नही खाते थे…..और इस बात से अंज़ान कि उनकी तरफ उनकी मौत दौड़ती हुई आ रही है,….दोनो बिना हीले वही खड़े उसे देखने लगे….जैसे ही वो घोड़ा उनसे 10 फुट की दूरी पर पहुचा…तो उस घुड़सवार ने अपने पीछे से एक मोटा सा लट्ठ निकाल लिया और लहराते हुए उन दोनो की तरफ बढ़ा. इससे पहले कि दोनो सम्भल पाते, उस घुड़सवार ने अपना मोटा लट्ठ गुजरते हुए भीमा की कॅनपॅटी पर दे मारा…..भीमा उसी पल ढेर हो गया…..वो घुड़सवार फिर आगे से पलटा…और इस बार उसके निशाने पर कालू था….पर तब तक कालू सम्भल चुका था….

उसने तांगे से अपनी लाठी निकाल ली…..अब दो पहलवान आपस मे भिड़ने के लिए तैयार थे….अपनी जान बचाने के लिए…वो घुड़सवार फिर से उसकी तरफ आया….और जैसे ही वो कालू के पास पहुचा उसने चलते हुए घोड़े से कालू के ऊपेर छलाँग लगा दी…..कालू को इस बात का अंदाज़ा नही था कि, वो शख्स घोड़े से उसपर छलाँग लगा देगा…..कालू एक दम से हड़बड़ा गया….और अगले ही पल दोनो नीचे ज़मीन पर घुथम घुथा हो चुके थे….उधर चन्डीमल की गान्ड से ये सब देखते हुए फॅट कर हाथ में आ चुकी थी…..” अर्रे तुम चलो…” उसने तांगे वाले को लात मारते हुए कहा….” तांगे वाले की तो चन्डीमल से ज़्यादा फॅट रही थी……

इसलिए उसने अपने तांगे को पूरी रफ़्तार से दौड़ा दिया…..उधर रवि कालू के ऊपेर सवार उस पर घूँसो और लातों की बरसात कर रहा था….और रवि जैसे ख़ूँख़ार और तगड़ाए इंसान के सामने कालू जैसे पहलवान की भी एक ना चल रही थी……मुक्के बरसाते हुए, रवि के हाथ में तीन चार किलो का एक पत्थर आ गया…और उसने उसकी कॅनपॅटी पर दे मारा….कालू भी वही ढेर हो गया…. कालू और भीमा दोनो बेहोश हुए थी…..मरे नही थे....

रवि अपने घोड़े की तरफ भागा और और घोड़े पर सवार होकर चन्डीमल का पीछे करने लगा…..और एक मील आगे जाते ही उसने चन्डीमल को रास्ते में घेर लिया….और अगले ही पल चन्डीमल उसके घुटने के नीचे था….चन्डीमल ने उससे मुकाबला करने के कॉसिश की….पर रवि के सामने वो कहाँ टिक पाता. रवि ने उसको मार मार कर अध मरा कर दिया….और उसके सारे पैसे लेकर फरार हो गया….

चन्डीमल बेसूध कच्ची सड़क पर पड़ा हुआ था….पर होनी को शायद कुछ और ही मंज़ूर था…. दूसरी तरफ से अंग्रोजो के केंट में रसद देने जा रहे ट्रक आ रहे थे…..रास्ते में उनकी हेड लाइट खराब हो गई थी….और इसलिए अंधेरे में उन्हे कुछ दिखाई नही दे रहा था…वो धीरे-2 ट्रक चलता हुआ हॉर्न बजाते हुए आगे बढ़ रहा था….पर बेहोश हो चुके लोगो को हॉर्न के आवाज़ कहाँ सुनाई देती है….चन्डीमल के दोनो पैरो के ऊपेर से ट्रक गुजर गया…..चन्डीमल बेहोशी की हालत में ही तड़प उठा….उधर आगे कालू और भीमा दोनो उस ट्रक के नीचे आकर शिकार हो गए….ड्राइवर दारू भी पिए हुआ था…

सुबह अपने काम पर जा रहे आदमी ने चन्डीमल को अधमरी हालत में देखा तो उसने शोर मचाया.. सड़क पर आ जाते लोगो को इकट्ठा किया….चन्डीमल को उस एरिया के सभी लोग जानते थे……इसलिए वो उसे जल्द ही केंट के हॉस्पिटल में लाया गया…कालू और भीमा रात को ही दम तोड़ चुके थे…..उधर रजनी दीपा और बेला को भी ये बात पता चल गई तो वो भी हॉस्पिटल में पहुचि….ये खबर जब सीमा को पता चली तो वो भी अपनी ससुराल से अपने माँ बाप के साथ वापिस आ गई…..अगले दो महीने तक चन्डीमल हॉस्पिटल में रहा….चन्डीमल के पैर ट्रक के नीचे आने से बुरी तरह पिस गए थे. इसलिए उन्हे काटना पड़ा…..रवि की मार ने उसके बाजू की हड्डी तोड़ दी थी…..चन्डीमल की अब उमर हो गई थी…इसलिए उस हड्डी के जुड़ने का भी कोई चान्स नही था…

2 महीनो बाद चन्डीमल हॉस्पिटल से डिसचार्ज होकर घर आया….पीछे से उसके कुछ वफ़ादार नौकरो ने दुकान की ज़िम्मेदारी अच्छे से निभाई थी…..सीमा जो अभी एक दम जवान थी…अब उसे चन्डीमल के साथ अपना जीवन बिताना बेमानी लग रहा था….इसलिए उसके भाई ने चन्डीमल से उसके डाइवोर्स की बात कर ली…..चन्डीमल ने मन पर बोझ रख कर सीमा को डाइवोर्स दे दिया…..

अब चन्डीमल की दुनियाँ उसके कमरे तक सिमट कर रह गई थी…..वो ना कही आता और ना कही जाता. बस अपने कमरे में पड़ा रहता…..रजनी शाम तक दुकान पर बैठने लगी थी…..चन्डीमल ने अपनी सारी जायदाद सीमा और दीपा के नाम कर दी थी…..
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