Porn Sex Kahani पापी परिवार
10-03-2018, 03:18 PM,
#90
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
पापी परिवार--30

कुछ अन्छुये एहसास जिनसे आज तक निक्की का पाला नही पड़ा था ..मर्द के नाम पर उसने सिर्फ़ अपने भाइयों और डॅड दीप को जाना ..जिसमे निकुंज तो उसके लिए सब से बढ़ कर है और इसी वजह से अब फीलिंग्स भी बदलने लगी थी

निक्की ने अपना चेहरा ऊपर उठा कर निकुंज के फेस को देखा ..भाई के हाथो की उंगलियों का प्यार भरा स्पर्श अपने रेशमी बालों पर महसूस कर वो खुश हो गयी ..लेकिन इन सब के बीच निकुंज बेहद शांत था ..बस उसकी आँखों की पुतलियाँ अपनी बहेन के मासूम चेहरे मे खोई थी ..वही चेहरा जो अभी कुछ देर पहले काम से भरा था

" भाई मुझे माफ़ कर दोगे ना ..छोड़ के तो नही जाओगे "

निक्की ने उसे नींद से जागते हुए पूछा

" निक्की ये तूने ठीक नही किया ..बेटा ये सिर्फ़ और सिर्फ़ पाप है "

निकुंज ने उसके सवाल से हट कर जवाब दिया ..वो बिल्कुल खुश नही था

" भाई मुझे नही पता कैसा पाप ..बस इतना जानती हूँ अगर आप ने माफी नही दी ..तो मैं खुद को मिटा लूँगी ..मुझे किसी और से कोई मतलब नही "

निक्की ने विद्रोह करने जैसी बात कही

" मैं तेरा प्यार नही ..भाई हूँ ..मत कर ऐसी बातें "

निकुंज ने उसे समझाया

" भाई हो तो क्या हुआ ..क्या आज से पहले आप ने कभी मुझसे प्यार नही किया ..बस वही प्यार तो मैं दोबारा पाना चाहती हूँ "

निक्की कतयि मानने को तैयार नही थी कि जो हो रहा है वो सगे भाई - बहेन के बीच नही होना चाहिए ..उसे तो बस इतना पता था कि पुरानी ज़िंदगी से अभी की ज़िंदगी ज़्यादा अच्छी है ..शायद ये कामदेव के काम बान का अचूक आघात था ..सेक्षुयल नीड्स ..तड़प ..सेडूशन को आज पहली बार जाना था उसने ..महसूस किया था कि बहेन होने से पहले वो एक लड़की है

" चल मोम आएँ उससे पहले हमे कमरे मे वापस चले जाना चाहिए ..मुझे ऑफीस के काम से थोड़ा बाहर भी जाना है "

निकुंज उसे पॉट से उठाते हुए बोला ..एक मेच्यूर मॅन होने के नाते वो जान गया अभी निक्की को समझाना उसके बस से बाहर होगा ..जल्दबाज़ी मे उठाया हर कदम ग़लत होता है ..वक़्त लगेगा ..खुमारी ख़तम होते ही निक्की भी होश मे आ जाएगी

" तो भाई मुझे माफ़ किया ना आप ने "

निक्की उसकी मजबूत बाज़ुओ को थाम कर खड़ी हो गयी

" मैं तुझसे नाराज़ हुआ ही कब था ..तू तो मुझे सब से प्यारी है "

निकुंज ने कहा और दोनो बाथ - रूम से बाहर रूम मे आ गये

" तू रिलॅक्स कर मैं ड्रेसिंग बॉक्स ले कर आता हूँ "

निक्की को बेड पर लिटा कर निकुंज हॉल से बॉक्स ले आया ..उसकी केर से निक्की और भी ज़्यादा इंप्रेस होने लगी

निकुंज ने पहले तो लोशन से पूरा वाउंड क्लीन किया ..फिर चोट को पट्टी से वॉर्प करने लगा ..हल्का दर्द महसूस होते ही निक्की ने अपनी दूसरी टाँग मोड़ ली

" ओह भाई !!!!! थोड़ा आराम से "

टाँग मुड़ते ही निक्की की आँखें बंद हो गयी ..हलाकी ऐसा उसने जान कर नही किया था बट फ्रोक लेंग्थ छोटी होने से उसकी चूत एक बार फिर से निकुंज की आँखों के सामने एक्सपोज़ हो गयी

तुरंत निकुंज ने उसका चेहरा देखा ..उसे शक़ हुआ कहीं ये उसकी बहें ने जान - बूझ कर तो नही किया ..लेकिन निक्की का फेस एक्सप्रेशन पेन से भरा देखते ही वो ग़लत साबित हो गया

" बस 2 मिनिट और "

निकुंज ने पट्टी की नाट कसने के बाद अपना हाथ उसकी फ्रोक की तरफ बढ़ाया ..चूत ढकने की गर्ज से जैसे ही उसकी उंगलियाँ फ्रोक को नीचे खीच पाती ..निक्की ने अपनी टाँगो को वापस चिपका लिया और इससे निकुंज का हाथ उसकी टाँगो की जड़ मे फसा रह गया

" हिचह !!!!! "

निक्की उच्छल पड़ी ..हिचकी आने से उसे ठसका लगा और ज़ोरो ख़ासने लगी ..अपनी आँखें खोल कर देखा तो दंग रह गयी ..उसके भाई का हाथ सीधा उसकी चूत से चिपका था

" अच्छा !!!!! स्टार्टिंग खुद करते हो और बाद मे दोष मुझे देते हो ..अब ग़लती किस की है ..बताना ज़रा ? "

निक्की के सवाल से घबरा कर निकुंज ने अपना हाथ चूत से हटाना चाहा लेकिन ठीक इसी पल निक्की ने उसकी कलाई थाम ली

" ये सबूत है ..अब मुझे ब्लेम मत करना ..ऐसा हो गया ..वैसा हो गया "

निक्की मुस्कुराने लगी ..उसके लिए तो जैसे ये सब एक ओपन गेम हो गया था ..जो अक्सर शरीफो के घर बंद कमरो मे खेला जाता है ..यहाँ उमर का कोई दोष नही ..ना ही वो कोई बच्ची थी ..बस जो एहसास उसने आज पाए थे वो दोबारा सिर्फ़ एक प्रेमी द्वारा ही मिल सकते हैं ..ना कि सगे भाई से और यही सोच कर उसने अपने दिमाग़ से रीलेशन को दूर कर दिया ..सेक्स नही उसे प्यार चाहिए, जो निकुंज ने पहले भी उसे भरपूर किया था लेकिन अब निक्की के नज़रिए से हालात बदल गये थे

" सॉरी !!!!! वो ..वो...... "

निकुंज ने ताक़ात लगा कर अपना हाथ पीछे खीचा और तुरंत बेड से नीचे उतर कर रूम से बाहर जाने लगा

" यू नॉटी ..आइ लव यू "

निक्की के शब्द सुन कर निकुंज एक आख़िरी बार उसकी तरफ पलटा ..अभी भी वो सर झुकाए बड़े प्यार से अपनी कुँवारी योनि को देख रही थी

" सब ग़लत हो रहा है "

धीमे स्वर मे निकुंज इतना ही कह पाया और तेज़ी से रूम के बाहर निकल गया

.

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.

अकॅडमी से निकल कर निम्मी घर लौटने लगी ..उसके दिमाग़ मे एक बहुत बड़ी बात चल रही थी ..शायद उस बात ने उसे बेहद परेशान भी कर रखा था

" आज काफ़ी इम्पोर्टेंट. डे था ..फाइनल प्रॅक्टिकल ..सब आए लेकिन शिवानी क्यों नही आई ? "

यही सोचते हुए वो अपने घर से आधी दूरी तक आ चुकी थी

" कॉल करती हूँ ..बात छोटी नही ..कोई अपने फ्यूचर से कैसे खेल सकता है ..वैसे शिवानी पढ़ने मे तो बहुत इंटेलिजेंट है ..फिर ऐसी बेवकूफी "

अक्टिवा रोक कर निम्मी ने शिवानी को कॉल किया .. 3 - 4 बार फुल रिंग जाने पर जब उसने कॉल पिक नही किया तो निम्मी ने अक्टिवा उसके हॉस्टिल की तरफ मोड़ ली

हॉस्टिल के काउंटर पर अपनी डीटेल्स देने के बाद वो सीधी शिवानी के रूम की तरफ बढ़ गयी ..हालाकी इस हॉस्टिल मे उसकी अकॅडमी की बहुत सी गर्ल्स रहती हैं पर निम्मी का आज पहली बार यहाँ आना हुआ था

रूम डोर नॉक कर वो उसके ओपन होने का इंतज़ार करने लगी ..काफ़ी टाइम बाद शिवानी ने गेट खोला

निम्मी ने देखा वो गहरी नींद से जस्ट उठ कर आई थी

" तू यहाँ ? "

शिवानी शॉक्ड हो कर बोली ..कैसे बिलीव करती आज उसकी सबसे बड़ी दुश्मन उसके रूम के बाहर खड़ी थी

" अंदर आ जाउ ? "

निम्मी ने स्माइल देते हुए कहा ..उसे भी बड़ा अचंभा हो रहा था ..जाने क्या सोच कर वो हॉस्टिल चली आई थी

" नही बुलाउन्गि तो नही आएगी क्या ? "

एक व्यंग छोड़ती हुए शिवानी पलट कर कमरे के अंदर चली गयी ..उसके पीछे निम्मी के कदम भी अंदर एंटर हो गये

" आ बैठ ..वैसे यहाँ ए/सी की ठंडक नही है ..माफ़ करना ग़रीब हूँ ना "

एक और टोन्ट कसते हुए शिवानी ने कहा

" छोड़ ठीक है ..मैं सिर्फ़ इतना जान ने आई थी ..तू आज इन्स्टिट्यूट क्यों नही आई ? "

निम्मी ने डाइरेक्ट अपने क्वेस्चन पर कॉन्सेंट्रेट किया ..यूँ झगड़ना तो दोनो की रोज़मर्रा की आदत थी

" तुझे इसमे भी दिक्कत है ..खेर मैं पढ़ाई आगे कंटिन्यू नही करना चाहती ..वापस घर चली जाउन्गि "

इतना कह कर शिवानी को बीती रात याद आने लगी ..जैसा बाप ..बेटी भी तो ठीक उसी के पद चिन्हो पर चल रही है ..मजबूर की मजबूरी का फ़ायदा उठाना

" ये कैसा मज़ाक है ..आइ मीन बाकी सब एक तरफ ..यार तेरा पूरा फ्यूचर स्पायिल हो जाएगा "

निम्मी को शिवानी के वापस जाने की वजह थोड़ी - थोड़ी पता चलने लगी थी ..लेकिन सारी बात वो उसके मूँह से सुनना चाहती थी ..जानती थी एक तरह से इसकी ज़िम्मेदार वो खुद भी है

" तूने बाकी कुछ छोड़ा है मेरे लिए ..यहाँ प्यार के हाथो हारी ..अब पता नही घरवालो को क्या जवाब दूँगी "

बोलते वक़्त शिवानी का गला भर आया ..लेकिन कल रात किए अपने फ़ैसले पर अडिग रही ..कुछ भी हो जाए पर आँसू नही निकलने देगी
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