Porn Sex Kahani पापी परिवार
10-03-2018, 03:22 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
कुछ देर बाद उसके दरवाज़े पर दस्तक हुई ..जिसे सुन कर कम्मो ने अपनी बंद आँखें खोली, लेकिन अब उनमे डर नाम की कोई चीज़ शेष नही थी

" मोम आज खाना नही मिलेगा क्या ? "

दरवाज़े को पीट-ते हुए निम्मी ने चिल्लाया

" क्यों नही मिलेगा ..तू नीचे जा मैं अभी आई "

कम्मो ने जवाब मे कहा और बेड से उतर कर सीधे ड्रेसिंग-टेबल के सामने आ कर खड़ी हो गयी

" धात्ट !!!! "

मिरर मे अपना अक्स निहारते ही उसके गालो पर लाली छाने लगी ..आज इस एक दिन मे कितने रंग देखे थे उसने

दिन मे पति से साथ संसर्ग, पूरे 15 साल बाद ..फिर सास बनने की खुशी ..बेटे रघु के घर वापस लौटने का इंतज़ार ..अट लास्ट, लाड़ले निकुंज को मनाने की खातिर हद से गुज़रने की लालसा

कम्मो का रोम-रोम पुलकित था, लगा जैसे अभी जा कर अपने बेटे को, अपने सीने से चिपका ले ..कह दे ' तू मुझे सबसे प्यारा था, है और हमेशा रहेगा ' ..कह दे .. ' तेरी मा तुझे वापस पाने के खातिर मचल रही है, उसे मत तडपा और अपना ले '

कम्मो के सीने मे दर्द होने लगा, लगा जैसे ममता वश उसके स्तनो मे दूध भरने लगा हो, जिसे अगर हॉल मे नही निचोड़ा गया ..तो उसकी छाती फट पड़ेगी ..और पूरा दूध व्यर्थ मे बह जाएगा

" बच्चे अब बड़े हो गये हैं ..फिर कॉन मदद करेगा इन्हे खाली करने मे ? "

एक सवाल से उसका परिचय हुआ और आँखों के सामने वही द्रश्य घूम गया ..जब बचपन मे वो घंटो अपने छोटे बेटे को अपनी छाती से चिपकाए रहती थी, शायद तभी उसे निकुंज से सबसे ज़्यादा लगाव था

" एक मा के लिए उसका बेटा कभी बड़ा नही होता ..हां कभी - कभी हालात ज़रूर बदल जाते हैं ..पर ममता का अंत कभी नही होता "

उसके हाथ स्वतः ही अपने स्तनो को मसलने के लिए ऊपर उठने लगे ..लेकिन उन्हे छुते ही कम्मो और भी ज़्यादा अधीर हो उठी

" हक़ नही छीनुन्गि ..जिसका है उसे ज़रूर मिलेगा "

बस इसके आगे ना तो उससे कुछ बोला गया ना ही शीशे के सामने खड़ी रह पाई ..एक आनंदमयी स्फूर्ति और ताक़त से उसका परिचय हुआ ..और वो दौड़ती हुई दरवाज़ा खोल कर नीचे हॉल मे आ गयी

शैतान निम्मी अपनी बड़ी बहेन के नज़दीक बैठी उससे बातें कर रही थी ..तभी कम्मो ने उस कमरे मे परवेश किया

" उठ गयी बेटा ..बस आधे घंटे मे खाना तैयार हो जाएगा "

इतना कह कर वो किचन मे पहुचि ..जिस थकान का जिकर आज उसने अपनी पति से किया था, वो उसमे झूठी साबित होने लगी ..और कुछ ही अंतराल के पस्चात चहु-ओर सुगंधित खुसबू का फैलना शुरू हो गया ..भोजन स्वादिस्त तभी बनता है, जब तंन की मेहनत के साथ उसे बनाने वाले शॅक्स के मन की प्रसन्नता का जुड़ाव भी उसमे शामिल हो ..100 की सीधी एक बात ..कम्मो बदल रही थी, अपनी जवानी को महसूस कर रही थी

आज रात का खाना निक्की के कमरे मे लगाया गया ..निकुंज भी वहाँ आया, बात का बतंगड़ ना बने इसके चलते उसने जल्दी - जल्दी 2 - 3 रोटियाँ अपनी गले से नीचे उतारी और अपने कमरे मे उठ कर जाने लगा ..ना तो एक नज़र उसने अपनी बहेन निक्की को देखा था ना मा कम्मो को

" भाई आपने तो कुछ खाया ही नही "

ये आवाज़ निकली निक्की के गले से ..जो सिर्फ़ निकुंज की जल्दबाज़ी पर गौर फर्मा रही थी ..और इसकी वजह से वो बेख़बर भी तो नही थी

" हां बेटा थोड़ा और खा ले "

कम्मो भी बीच मे बोल पड़ी ..जानती थी इस तरह निकुंज की नाराज़गी कम होने के बजाए, और बढ़ती ..लेकिन बेटे से बात करने का इससे अच्छा टॉपिक उसे नही सूझा

" मैने खा लिया है, ऑफीस के पेपर्स रेडी करूँगा "

निकुंज कमरे से बाहर जा पाता इससे पहले कम्मो फिर से बोल पड़ी

" कल शाम तुझे मेरे साथ पुणे निकलना है, रघु को वापस लाने "

कम्मो ने नॉर्मली कहा ..लेकिन उसकी इस बात से कुछ पल के लिए कमरे मे सन्नाटा पसर गया ..यहाँ तक निम्मी को खाते - खाते थस्का लगा और खाँसते हुए वो पानी का ग्लास उठाने लगी

" हे हे हे हे ..देखा मोम, देखा भाई ..बड़े भैया का नाम सुनते ही इसकी वाट लग गयी "

निक्की ने निम्मी की हालत पर हँसते हुए कहा ..उसे बीता वो थप्पड़ याद आ गया जो निम्मी की नादान हरक़त पर रघु ने उसे मारा था ..जब वो उसकी पिस्टल लेकर अपने स्कूल चली गयी थी ..वो तो अच्छा हुआ स्कूल स्टाफ मे रघु का ख़ौफ़ था, वरना पक्का पोलीस केस बनता और निम्मी को स्कूल से बाहर निकाल दिया जाता

" म ..म ..मैं क्यों डरने लगी ..भैया से ..अब मैने कोई ग़लती नही की "

निम्मी को इस तरह हक़लाता हुआ देखा कर ..निकुंज तक अपनी हसी नही रोक पाया और एक आख़िरी नज़र अपनी बेशरम मा पर डालने के बाद कमरे से बाहर चला गया ..वहीं कम्मो उसके हंसते चेहरे मे खो गयी, लगा जैसे उसके बेटे के दिल से भादास का लेवेल थोड़ी देर के लिए ही सही, मगर कम तो हुआ

खाना निपटने के बाद निम्मी भी कमरे से बाहर चली गयी ..अब बचे निक्की और कम्मो, तो उनकी साधारण बातचीत का नतीजा रहा जो कम्मो ने उसके कमरे ही सोने का निर्णए लिया ..और कुछ देर पश्चात मा - बेटी दोनो नींद के आगोश मे चले गये

दूसरे दोनो कमरो मे नींद आँखों से कोसो दूर थी ..जहाँ निकुंज को अपनी मा के चरित्र पर आश्चर्य होने लगा था, वहीं निम्मी अपने बड़े भैया के घर लौट आने के डर से सारी रात सो नही पाई ....
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