Porn Sex Kahani पापी परिवार
10-03-2018, 03:24 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
कम्मो हताश हो कर रह गयी, बेटे के कष्ट को उसने उसकी लड़खड़ाती चाल मे महसूस कर लिया

" अंजाने मे मुझसे ये क्या हो गया ...मैने जान कर नही किया "

खुद को कोसने के लिए उसके स्वर बाहर निकल आए, आँसू भी आ सकते थे ..परंतु इस पल उसने धैर्य से काम लेना उचित समझा ..जानती थी निकुंज उसके आँसूओ मे पिघल जाएगा, और अपनी ही ग़लती मान कर उससे और दूर जाने की कोशिश भी कर सकता है

वहीं झाड़ियों मे निकुंज ने एक बार पीछे मूड कर देखा ..कहीं उसकी मा घबराहट मे उसके साथ ही कार से बाहर नही उतर गयी हो ..रात का अंधकार कयि गुना ज़्यादा फैल चुका था और बीच सुनसान हाइवे पर किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना घट सकती थी

जाने क्यों उसका मन अब पेशाब करने को नही हुआ, ' भयवश ' की उसकी मा कार मे अकेली है ..पेशाब बाहर आता भी तो कैसे, उसने पेन की परवाह ना करते हुए खुद की हालत को सही बनाने की कोशिश की और इस बार लौट-ते वक़्त बिना कोई दर्द भरा एक्सप्रेशन दिए ड्राइविंग सीट पर बैठ गया

" उफफफफ्फ़ !!!! बहुत तेज़ लगी थी "

एक छोटी सी झूठी स्माइल पास कर उसने कार स्टार्ट कर ली और सफ़ारी वापस रोड पर दौड़ने लगी ..खुद की हालत सही बनी रहे इसके लिए निकुंज ने अपना ध्यान सिर्फ़ सड़क को देखने मे व्यस्त कर लिया, परंतु जो चोट उसके लंड पर लगी थी शायद फ्यूचर मे उसे सिर्फ़ हानि ही पहुचाती ..उसे लगने लगा जैसे लंड नाम की कोई चीज़ उसकी बॉडी से जुड़ी ही ना हो .. सब कुछ इतना अचनाक हो गया था कि एक नज़र लंड की सही हालत देखने के लिए भी उसके पास वक़्त नही रहा

" टाय्लेट कर लिया ना निकुंज ? "

एक प्रश्नवाचक भाव देते हुए कम्मो ने पूछा, बेटे का इतनी जल्दी वापस लौट आना और अब दर्द का नामो-निशान तक मिट जाना, उसके मन को शंकित करने लगा

" ह ..हां मोम ..कर लिया "

निकुंज ने जवाब दिया पर उसकी आवाज़ मे ज़रा भी दम नही था, कम्मो रिलॅक्स होने के बजाए और ज़्यादा सकते मे आ गयी

" ये मुझसे झूट बोल रहा है ..पर क्या जानता नही, मैं इसकी मा हूँ "

कम्मो शांत हो गयी ..चाहती तो थी अभी सारी बात पूच्छ ले ..अपनी शंका कर निवारण कर ले ..परंतु इस वक़्त वो सफ़र मे हैं, शायद निकुंज को उसके सवाल-जवाब से हिचकिचाहट हो ..पुणे आने मे अभी वक़्त था ..हो सकता है वो ठीक से कार ड्राइव भी नही कर पाए

कम्मो शांत बैठ गयी ..बस अपना दिमाग़ शांत नही कर पाई, बेटे को चोट लगी वो भी ऐसी जगह जिससे उसका फ्यूचर जुड़ा हुआ है ..कल को अगर ज़्यादा दिक्कत हुई, वो तनवी को क्या मूँह दिखाएगी ..क्यों हुई उसके बेटे की ऐसी हालत ..कौन ज़िम्मेदार है इसका

निकुंज लगातार ड्राइव करता रहा ..एक पल को भी उसने अपनी मा को या नीचे जीन्स की तरफ नही देखा ..ऐसा शो करने लगा जैसे थोड़ी देर पहले कुछ हुआ ही नही हो ..और इन्ही सोचो के साथ वो पुणे सिटी मे एंटर हो गये

पिच्छले 2-4 घंटो मे उनके बीच नाम मात्र का वार्तालाप नही हुआ था ..कम्मो आँख मून्दे ज़रूर बैठी रही परंतु हक़ीक़त मे उसका मन ज़ोरों से रो रहा था, चीख रहा था, चिल्ला रहा था ..बेटे की इस हालत की ज़िम्मेदार मा खुद को कोसने मे इतनी मगन थी कि उसे पता ही नही चला कब निकुंज ने सफ़ारी को एक बढ़िया से होटेल की पार्किंग मे खड़ा कर दिया

" मोम हम पुणे पहुच गये हैं "

निकुंज ने कहा और साथ ही ड्राइविंग सीट का गेट ओपन करने लगा ..अचानक से वो पलटा और कम्मो की तरफ नज़र डाली, वो सो रही है ऐसा सोच कर उसने अपना हाथ, उसके कंधे को छुने के लिए आगे बढ़ाया

" मोम को आज बहुत दुखी कर दिया मैने ..मैं कभी उनसे नज़रें नही मिला पाउन्गा, लेकिन खुद से दूर भी तो नही होने दे सकता "

उसने कम्मो के कंधे को स्पर्श किया

" मोम !!!! "

दो रस भरे बोल उसके होंठो से फुट पड़े और बेटे के मूँह से संबोधन पाकर कम्मो ने अपनी आँखें खोल दी ..वो सोई नही थी ..ज़िंदा लाश बनी लेटी थी

" होटेल मे सो जाना, चलें "

बड़े प्यार से उसने कम्मो की आँखों मे झाँका, जो प्रेम वो पिच्छले 2 दिनो मे भूल चुका था, नफ़रत मे परिवर्तित कर चुका था ..इस वक़्त कम्मो की आँखों मे देख कर जताने लगा .. ' मुझे माफ़ कर दो ..अब से आप का दिल कभी नही दुखाउन्गा "

" मैं समान उतारता हूँ "

इसके आगे या तो कम्मो रो देती या वो खुद ..फॉरन उसने कार से बाहर जाने का निर्णए लिया ..कार की बॅक सीट से लगेज उतारते ही होटेल का करम्चारि सफ़ारी के पास दौड़ा चला आया

" वेलकम सर ..आप चलिए लगेज मैं ले आउन्गा "

देरी से आने की माफी माँगते हुए बंदे ने निकुंज के हाथ से बेग ले लिया ..कम्मो भी अपना हॅंडबग लिए कार से बाहर आ गयी

काउंटर पर पहुच कर निकुंज ने डबल बेड रूम की डिमॅंड की

" बेटा सिंगल - सिंगल ले ले, तुझे प्राब्लम होगी "

कम्मो नही चाहती थी निकुंज को उसके साथ कमरा शेअर करना पड़े ..वजह थी बेटे की चोट ..कम्मो के साथ एक रूम मे वो खुद को अनकंफर्टबल महसूस नही करता और शायद उसकी परेशानियाँ घटने की बजाए और ज़्यादा बढ़ जाती

" मुझे क्या प्राब्लम होगी मोम ..यदि आप को हो तो बताओ ..सिंगल ले लेंगे "

निकुंज ने रास्ते मे ही फ़ैसला कर लिया था, कम्मो को अकेले नही छोड़ेगा ..कम से कम आज की रात तो बिल्कुल नही ..क्या पता उसकी मा खुद को कोई नुकसान पहुचा ले ..कम्मो के सॉफ दिल को वो बचपन से देखता आया था, खुद की ग़लती आज तक उसकी मा ने किसी और पर नही थोपी थी

" जैसी तेरी मर्ज़ी "

बस इतना कह कर कम्मो ने डबल रूम बुक करने की स्वीकृति दे दी ..जल्द ही दोनो रूम मे पहुच गये और कुछ देर बाद डिन्नर भी अपनी मा की पसंद का मंगवा कर, निकुंज सोफे पर लेटने के लिए चल पड़ा ( डिन्नर के वक़्त उनके दरमियाँ सिर्फ़ हल्की फुल्की आइ कॉनटॅकटिंग हुई थी, जिसे आप सब खुद इमॅजिन कर सकते हैं )

" बेवकूफ़ समझता है ..अभी इतना भी बड़ा नही हुआ कि मा के साथ सो ना सके ..चल आ इधर "

कम्मो ने उसे डाट लगाते हुए कहा ..उसे गिल्ट फील हुआ कि आज उसके बेटे को अपनी मा के साथ सोने मे शरम आ रही है, अगर ये हादसे पैदा नही हुए होते तो क्या तब भी निकुंज उससे अलग सोता .. ' कभी नही '

" मोम आप सो जाओ मैं ठीक हूँ "

निकुंज नही माना और सोफे पर लेट गया

" अब तू थप्पड़ खाने वाला है ..चल आ इधर "

कम्मो ने ज़ोर जबर दस्ती करते हुए आख़िर-कार उसे मना ही लिया ..लेकिन बेड पर आने के बाद भी उनके बीच की दूरी, दोनो मे से कोई कम नही कर सका

" सुबह पास के किसी स्टोर से शॉपिंग कर लेना ..गुड नाइट मोम "

इतना कह कर निकुंज ने उसे विश किया और लॅंप ऑफ कर के, करवट ले कर सो गया ..कम्मो की आँखें तब तक रोती रही, जब तक वो नींद मे नही जा पाई और जब नींद आई ..बाहर हल्का - हल्का उजाला निकल आया था

.

.

.

सुबह के 5:30 बजे कम्मो को अपने बदन मे ठंडक का एहसास हुआ और उसकी नींद खुल गयी ..इस हिसाब से वो सिर्फ़ 30 मिनट ही सो पाई थी

आँखें खुलने के बाद उसने निकुंज की तरफ करवट लिया जो बेड पर मौजूद नही था ..घबराहट मे ही सही उसे डर लगा और वो बेड पर उठ कर बैठ गयी

" कहाँ जा सकता है ? "

तभी उसके कानो मे बाथरूम के अंदर चलते शवर की आवाज़ सुनाई पड़ी

" ये इतनी सुबह कैसे नहाने लग गया ? "

आश्चर्य से उसने बाथ-रूम के बंद गेट को देखा और उसके बाहर आने का इंतज़ार करने लगी ..खुद उसे भी अब पेशाब करने की तीव्र इक्षा होने लगी थी
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