Porn Sex Kahani पापी परिवार
10-03-2018, 04:02 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
पापी परिवार--50

निकुंज कार को बेहद स्पीड में पार्क की तरफ ले जा रहा है .... ज़ाहिर है इस वक़्त निक्की को मनाना ही उसकी अंतिम ख्वाहिश थी और इसके लिए आज वह अपनी मा को दिया जाने वाला गिफ्ट भी अपनी बहेन के हवाले करने जा रहा था.

" बेटा !!! रात में ठीक से नींद आई थी ना ? " ....... निकुंज ने बड़े प्यार से अपनी बहेन से पूछा लेकिन निक्की को लगा जैसे उसका भाई उसके जले जख़्मो पर नमक छिड़क रहा हो.

बीती रात उसे निकुंज के प्यार की सख़्त ज़रूरत थी और यदि उसका भाई उसे उत्तेजना के एग्ज़ाइट्मेंट में अकेला घिरा छोड़ कर उसके कमरे से बाहर नही जाता .... वह अवश्य ही उसे अपना जिस्म सौंप देती .... उसे तो वह आनंद दोबारा चाहिए था जो उसे अपने भाई की गोद में झाड़ते वक़्त आया था.

" हां भाई !!! मैं बहुत अच्छे से सोई थी रात को " ....... निक्की ने अपना मुरझाया चेहरा स्माइल में बदल कर जवाब दिया .... अभी उसे निकुंज से बहुत सी शिक़ायतें थी मगर वह उस पर अपनी मंशा ज़ाहिर नही होने देना चाहती थी.

" लेकिन मुझे तो रात भर नींद नही आई " ...... निकुंज ने उदास होते हुए कहा .... हुआ भी कुछ यही था, रात भर उसकी बंद आँखों में अपनी सग़ी छोटी बहेन निक्की के मोटे बूब्स और झान्टो भरी चूत घूमती रही थी .... सपनो में ही सही लेकिन बीती सारी रात वह निक्की के काल्पनिक नंगे जिस्म से खेलता रहा था .... जाने कितनी दफ़ा उसने अपनी प्यारी बहेन की कुँवारी चूत का रस पिया होगा और उसकी चूचियों को मसला होगा .... उसे खुद याद नही और शायद सुबह बेड छोड़ते वक़्त उसने जो फ़ैसला लिया ..... " निक्की चाहेगी तभी वह उसके साथ सेक्स करेगा .. वरना नही " ....... यह इसका सबूत था.

" ऐसा क्यों भाई !!! आप को नींद क्यों नही आई ? " ........ निक्की ने सिंप्ली सवाल पूछा.

" बस नही आई मतलब नही आई " ...... निकुंज ने जवाब तो दिया लेकिन उसके चेहरे पर छाई स्माइल ने निक्की को हैरान कर दिया .... उसकी क्यूरीयासिटी बढ़ गयी कि आख़िर उसके भाई को सारी रात नींद क्यों नही आई और बात कहते वक़्त वह मुस्कुरा क्यों रहा है.

" कोई ख़ास वजह तो होगी भाई .... क्यों कि अभी आप की आँखें लाल दिख रही हैं " ........ निक्की ने अपने क्वेस्चन मे हल्का सा चेंज लाते हुए कहा .... उसके चेहरे पर जिगयासा के भाव थे लेकिन कार ड्राइव करते हुए निकुंज की नज़र उसके चेहरे पर ठीक से ठहर नही पा रही थी.

" मेरी छोड़ निक्की !!! तू यह बता .. क्या अब भी नाराज़ है अपने भाई से ? " ........ निकुंज असली मुद्दे पर आते हुए बोला साथ ही उसने कार की स्पीड धीमी कर ली.

" मैं आप से नाराज़ कैसे हो सकती हूँ भाई .. नाराज़ तो कल रात आप थे मुझसे " ....... निक्की के इस दो टुक जवाब की आशा निकुंज को कतयि नही थी .... सुन कर वह थोड़ी निराशा मे आ गया .... हलाकी सुबह कमरे में भी उसकी बहेन उस पर नाराज़ थी लेकिन अब तक तो उसे नॉर्मल हो जाना था.

" वैसे भाई !!! ठीक ही किया जो आप कमरे से बाहर चले गये थे .. वरना मैं चैन से कैसे सो पाती " ........ निक्की ने उस पर व्यंग कसते हुए कहा .... एक इशारा भी उसके कथन में शामिल था, माना बीती रात वह पूरी तरह से मदहोश थी लेकिन कुछ देर के लिए उसके भाई ने भी अपना नियंत्रण खोया था और जब निकुंज ने अपनी मर्ज़ी से उसकी चूची मसली .... परिणामस्वरूप निक्की का मन हुआ, उसका भाई उसकी चूत में उठते दर्द का भी निवारण करे.

" निक्की तू सॉफ लफ़ज़ो में क्यों नही कहती .. आख़िर तुझे मुझसे दिक्कत क्या है ? " ........ काफ़ी कंट्रोल करने के बावजूद निकुंज ने झल्ला कर उससे पूछा .... कहाँ वह अपनी बहेन को मनाने आया था और बदले में निक्की उसका मज़ाक उड़ा रही थी.

" आप से दिक्कत नही है भाई .. मुझे दिक्कत अपने आप से है लेकिन आप परेशान मत हो " ........ अपने भाई का इस तरह गुस्से में बात करना निक्की को भी अच्छा नही लगा और वह अपना मूँह फेर कर चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगी .... बाद में निकुंज ने रिलाइज किया, उसे अपनी बहेन से इस कदर नाराज़गी में बात नही करनी चाहिए थी.

" निक्की !!! क्या इस तरह चुप हो जाना किसी दिक्कत का सल्यूशन है .... हमे बात करनी चाहिए " ......... निकुंज ने कार में ब्रेक लगाते हुए कहा और इसके बाद वह अपना चेहरा अपनी बहेन की तरफ मोड़ कर बैठ गया.

" मैने कहा ना भाई !!! आप परेशान मत हो .... मैं अपनी दिक्कत का सल्यूशन खुद ढूँढ लूँगी " ......... हलाकी निक्की ने यह बात भी बिल्कुल नॉर्मल वे में कही मगर निकुंज ने इसका कोई दूसरा ही अर्थ लगा लिया.

उसने सोचा कहीं उसकी बहेन अपनी जिस्म की प्यास बुझाने के लिए किसी बाहरी इंसान का साथ तो नही लेना चाहती और यह बात उसके दिल ओ दिमाग़ में काफ़ी अंदर तक चोट कर गयी .... अपने आप उसकी आँखों में बीती रात का सारा द्रश्य ज्यों का त्यों घूमने लगा जिसमें उसने निक्की को बेहद उत्तेजित अवस्था में देखा था .... निकुंज के मन में इस वक़्त अपनी बहेन के लिए पाप समाया हुआ था और तभी वह अपनी गिरी सोच में .... प्यार और लस्ट के दरमियाँ ज़रा भी अंतर नही कर पाया.
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