RE: Maa Sex Chudai माँ बेटा और नौकरानी
“घोटू भैया लौड़ा चुसाओ” कहकर मैंने मुंह खोल कर फिर उसका सुपाड़ा निगला और चूसने लगा | घोटू एक हाथ से मेरे सर को थाम और दुसरे हाथ से लंड का डंडा मुट्ठी में पकड़कर सडका लगाने लगा | उसकी सांसें अब तेज़ चल रही थी | मैं सांस रोके चूस रहा था और वीर्य के फवारे का इंतज़ार कर रहा था | डर लग रहा था कि जाने कैसा लगे? अगर अच्छा नहीं लगा और थूक दिया तो घोटू बुरा मान जाएगा | सुपाड़ा अचानक मेरे मुंह में ऐसे फूल गया जैसे गुब्बारा हो |
“देख मुन्ना, अब झाड़ता हूँ , मेरी बात याद रखना, आह ......” कहकर घोटू झड़ गया | गर्म गर्म चिपचिपे वीर्य की पिचकारी मेरे मुंह में छूट पड़ी | उसकी धार इतनी तेज़ थी कि कुछ बूँदें तो सीधे फवारे जैसे मेरे गले में चली गईं |
उस चिप चिपे द्रव्य की मुझे पहले थोड़ी उबकायी आई पर मन कड़ा कर मैंने घोटू का वीर्य निगलना शुरू किया | जब स्वाद लिया तो मज़ा आ गया | खरे कसैले मलाई जैसा स्वाद था | खुशबू तेज़ और सर घुमा देने वाली थी | मेरा लंड खड़ा हो गया | मैंने आँखें बंद की और चूस चूस कर घोटू का वीर्य पीने लगा | बहुत अच्छा लग रहा था | अब मैं समझा कि उन गन्दी कहानियों में औरतें कैसे लंड चूसने को बेताब रहती थीं | मैंने अब उसका लंड ऐसे चूसा जैसे रबड़ी हो | एक भी बूँद मैं छोड़ना नहीं चाहता था |
जब उसका लंड ठंडा हो गया तो उसने मेरे मुंह से उसे निकाला | लंड बिलकुल साफ़ था | एक भी बूँद वीर्य की नहीं बची थी | घोटू खुश हो गया |
“शाबाश मुन्ना, सही चूसा तूने, मज़ा आया? स्वाद मिला?”
मैंने सर हिलाया तो मेरी आँखों में झलकती तृप्ति देखकर वो मस्त हो गया |
“मेरा वीर्य मस्त है..... मैं जानता हूँ.... अरे घर की वो दोनों चुदैलें तो हमेशा इसके पीछे रहती हैं... अब देख तेरे साथ क्या मज़ा करता हूँ... चल कपडे पहन ले और स्कूल चल”
मेरा लंड खड़ा था| मज़ा आ रहा था | मैंने मचल कर कहा, “घोटू, तू भी फिर एक बार चूस ले ना मेरा लंड”
उसने अपनी धोती ठीक की और मुझे पेंट पहनाते हुए बोला, “अब नहीं मेरे मुन्ना राजा, अब ज़रा सब्र कर... अब शाम को स्कूल छूटने के बाद मज़ा करेंगे... मेरी माँ के लिए भी कुछ माल रख और देख स्कूल में मूठ नहीं मारना”
मुझे स्कूल छोड़कर घोटू चला गया | मैं बहुत खुश था | मुंह में अब भी घोटू के वीर्य का स्वाद था | उसके लंड को याद कर करके मेरा और खड़ा हो रहा था | एक दो बार लगा कि बाथरूम जाकर मूठ मार आऊँ पर घोटू को दिए वादे को याद करके मैं चुप रहा |
आखिर स्कूल छूटा और मैं बस्ता उठाकर भागा | घोटू मुझे लेने आया था | मैं साइकिल पर बैठा और हम चल दिए | बीच में अकेले में साइकिल रोककर घोटू ने मुझे चूम लिया | साफ़ था कि उसे मेरा चुम्बन लेने में बहुत मज़ा आता था | अपने मुंह में मेरे होंठ लेकर वो मन लगाकर चूस रहा था | उसका लंड खड़ा हो कर मेरी पीठ पर धक्के दे रहा था |
“घोटू, लंड चूसने दे ना”, चुम्बन ख़त्म होने पर मैंने ज़िद की | एक गहरी सांस लेकर वो फिर साइकिल चलाते हुए बोला, “अब घर जाकर आगे की सोचेंगे, माँ इंतज़ार कर रही होगी” |
हम घर आए तो माँ अपने कमरे में सर पर पट्टी बाँध कर लेटी थी | झुमरी उसका सर दबा रही थी |
क्या हुआ माँ , मैंने पूछा |
“अरे कुछ नहीं बेटा, तेरी माँ की माहवारी शुरू हो गई है... उसे बड़ी तकलीफ़ होती है इन दिनों में.... तू बता, मेरे बेटे ने ठीक से स्कूल छोड़ा या नहीं तुझे?” झुमरी बाई बोली | उसकी आँखों में शैतानी की चमक थी | माँ ने भी उत्सुकता से पूछा, “हाँ कुणाल बेटे, अच्छा लगा तुझे? तेरा ख़याल रखा ना घोटू ने?”
मैं क्या कहता, शर्मा गया | चुपचाप घोटू की ओर देखने लगा | मेरे चेहरे की खुशी और लज्जा से दोनों औरतें समझ गयीं और हंसने लगीं | घोटू भी बोला, “मालकिन, मुन्ना को मस्त मलाई खिलाई मैने, मैने भी खाई.... बड़ा मज़ा आया.... बहुत प्यारा बच्चा है माँ.... एकदम सही!” कहकर उसने उंगली और अंगूठा मिलाकर मेरी दाद दी |
“चलो, अच्छा हुआ.... अब मैं तो बीमार हूँ... ऐसा करो झुमरी बाई, तुम और घोटू दो तीन दिन यहीं मुन्ना के कमरे में सो जाओ.... उसका मन बहलाओ.... कुणाल बेटे, जा अपने कमरे में.... झुमरी बाई को अभी भेजती हूँ.... और देख.... उनकी सब बातें सुनना.... जो कहें वो करना..... कुछ गडबड की तो हाथ पैर बाँध कर चाबुक से माँरूँगी”, माँ ने मुझे धमकी दी |
“नहीं माँ, घोटू भैया मुझे बहुत प्यार करता है...मैं कुछ नहीं करूँगा”, मैने खुशी खुशी कहा और वहाँ से भाग लिया |
झुमरी बाई ने रसोई में नाश्ता बना कर रखा था | मैने खाया और कमरे में आकर अपने पलंग पर लेट गया | मन में खुशी की लहर दौड रही थी | लौड़ा कस कर खड़ा था | लग रहा था कि मूठ मार लूँ पर अपने आप पर नियंत्रण करके पड़ा रहा | थोड़ी देर में झुमरी बाई कमरे के अंदर आई | दरवाजा लगाकर मेरे पास आकर बैठ गयी |
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