RE: Kamukta Kahani अनौखा इंतकाम
रमीज़ ने रूबीना को थोड़ा सा उठाया और उस ने अपने हाथ रूबीना की कमर पर ले जा कर अपनी बहन के ब्रा की हुक खोल दी.
बहन के ब्रा की हुक खोलते ही एक बेसबरे बच्चे की तरह रमीज़ ने ब्रा को खींच कर निकाला और अपनी बहन के बदन से दूर फेंक दिया. अब रूबीना अपने भाई के सामने कमर से उपर पूरी नंगी थी.
हालाँकि कमरे में बहुत अंधेरा था लेकिन रूबीना अपने भाई की नज़रें अपने जिस्म पर महसूस कर रही थी.
रमीज़ ने अपना मुँह नीचे झुकाया और अपनी बहन के राइट मम्मे को जीभ से चाटने लगा.
भाई का मुँह अपने मम्मे पर लगते ही रूबीना तो जैसे सिहर उठी. उस ने अपने भाई का सिर पकड़ कर अपने मम्मे पर दबाया तो रमीज़ ने मुँह खोला और अपनी बहन के तने हुए निपल को मुँह लगा कर चूसने लग गया
"रमीज़े... रमीज़े ए तू की कर दित्ता है..शीयी”रूबीना फरहत-ए-जज़्बात में पंजाबी ज़ुबान में चिल्ला उठी.
मगर रमीज़ ने अपनी बहन की बात का कोई जवाब नही दिया और ज़ोर ज़ोर से रूबीना के निपल को काटते हुए उसे चूस्ता रहा, बीच बीच में उसे बदल कर दूसरे मम्मे को चूसने लग जाता. रमीज़ एक मम्मा चूस्ता तो दूसरा मसलता.रूबीना अपने भाई का वलिहाना प्यार महसूस कर के मज़े के मारे पागल हो रही थी..
पंद्रह मिनिट मम्मे चूस्ते हो गयी थे और रूबीना अब बेसूध होती जा रही थी.तभी रूबीना ने अपने भाई का हाथ अपनी सलवार के नाडे पर महसूस किया. रमीज़ ने रूबीना का मम्मा मुँह से निकाला और फिर अपनी बहन की शलवार का नाडा पकड़ कर एक ही झटके में खोल दिया.
चुदाई की हवस में डूबी हुई रूबीना ने भी बिना सोचे समझे अपनी कमर उठा कर अपने आप को पूरा नगा करने में अपने ही भाई की मदद की.
अगले ही पल रूबीना ने अपने भाई की उंगलियाँ अपनी पैंटी के एलस्टिक में महसूस की और फिर दूसरे झटके में रूबीना की पैंटी भी उस के बदन से अलहदा हो गयी .
अब रूबीना पूरी से नंगी थी. आज से पहले वो ये कभी सोच भी नही सकती थी कि उस का अपना भाई उसे कभी इस तरह ना सिर्फ़ नंगी करे गा बल्कि वो खुद उस के हाथों नंगी होने में उस की मदद करे गी.
लेकिन वो सब कुछ जो सोचा नही था हो रहा था और तेज़ी से हो रहा था.
अपनी बहन को मुकम्मल नंगा करने के बाद रमीज़ ने भी अपनी शलवार उतार कर नीचे फैंक दी.रूबीना बिस्तर पर अपनी टांगे फैलाए पड़ी थी.
खुद को नंगा करते ही एक भी लम्हा ज़ाया किए बैगर रमीज़ फॉरन अपनी बहन रूबीना की खुली टाँगों के बीच आया और अपना लंड अपनी बहन की चूत के मुँह पर टिका दिया.
अपने भाई के मोटे ताज़े और जवान लंड का अपनी गरम प्यासी चूत के साथ टकराव महसूस करते ही रूबीना की चूत जो पहले ही बूरी तरह से गीली थी, वो कांप सी गयी.
रूबीना ने बे इकतियार अपनी बाँहे अपने भाई की कमर के गिर्द लपेट दीं.रूबीना से अब इंतज़ार नही हो रहा था.वो चाहती थी कि अब उस का भाई अपना लंड उस की चूत के अंदर डाल कर उसे बस चोद ही डाले.
रमीज़ अपना लंड अपनी बहन की फुद्दी में डालने की बजाय फुद्दी के होंठो पर के उपर ही अपना लंड रगड़ने लगा. शायद वो अपनी बहन की फुद्दी की प्यास और बढ़ाने के लिए जान बुझ कर एसा कर रहा था.
रूबीना के लिए वाकई ही ये बात अब नकाबिले बर्दास्त होने लगी थी और वो हवस के तूफान में अंधी हो कर अपने भाई पर बरस पड़ी.
“ये क्या कर रहा है. अंदर डाल...अंदर डाल जल्दी से...ही...अब बर्दाश्त नही होता! जल्दी कर!”
रमीज़ ने जब अपनी बहन के मुँह से ये इल्फ़ाज़ सुने तो एक पल के लिए वो अंधेरे में ही रूबीना का मुँह तकने लगा. शायद उसे यकीन नही हो पा रहा था कि उसकी बहन जिसे वो बचपन से जानता है एसा भी बोल सकती है.
लेकिन रूबीना अपने होशो हवास गँवा चुकी थी. और अब बिस्तर पर रमीज़ के सामने एक बहन नही बल्कि एक प्यासी औरत पड़ी थी.जिस के बदन की आग आज बहुत उँचाई पर पहुँच चुकी थी. और ये आग अब उस वक़्त सिर्फ़ रमीज़ के लंड से ही बुझ सकती थी.
“भाईईईईईईई क्या सोच रहे हो..इसे जल्दी से अंदर डाल...वरना में पागल हो जाऊंगी” रूबीना लगभग चिल्ला उठी थी.
अपनी बहन के चिल्लाने पर रमीज़ जैसे नींद से जाग उठा. उस ने जल्दी से लंड अपनी बहन की फुद्दि के मुँह पर टिकाया और रूबीना की पतली कमर को अपने हाथों से मज़बूती से थाम लिया.
रूबीना ने मदहोशी में अपनी आँखे बंद कर ली, और उस लम्हे के लिए खुद को तैयार कर लिया जिस का उसे अब बेसबरी से इंतज़ार था.
रमीज़ ने दबाव बढ़ाया और उस का मोटा लंड उस की बहन फुद्दी के लिप्स को फैलाता हुआ फुद्दी के अंदर जाने लगा.
पिछले तकरीबन एक साल से रूबीना अपनी शोहर से खूब चुदि थी मगर अपने भाई के मोटे लंड का एहसास ही कुछ और था.
शादी शुदा होने के बावजूद रूबीना की फुद्दि काफ़ी टाइट थी और रमीज़ के लंड की मोटाई ज़्यादा होने की वजह से रमीज़ को अपना लंड बहन की चूत में डालते वक़्त खूब ज़ोर लगाना पड़ रहा था.
रूबीना को अपने भाई के मोटे लंड को अपनी चूत के अंदर लेते वक़्त हल्की हल्की तकलीफ़ तो हो रही थी. लेकिन जोश में होने की वजह से उसे अब किसी भी तकलीफ़ की परवाह नही थी. बल्कि उसे तो इस तकलीफ़ में भी एक मज़ा आ रहा था.
रूबीना ने अपने भाई के कंधे थाम लिए और अपनी कमर पूरे ज़ोर से उपर उठाते हुए भाई की मदद करने लगी.
लंड की टोपी अंदर घुसा कर रमीज़ रुका फिर उसने रूबीना की कमर पर अपने हाथ कस लिए और एक करारा धक्का मारा.
“हाए...हाए.... रमीज़े....मार दित्ता तू मेनू...उफ़फ्फ़...बहुत मोटा है तेरा”रूबीना ने फिर मज़े से कराहते हुए कहा.
रमीज़ के उस एक धक्के में उस का आधा लंड उस की बहन की फुद्दी में पहुँच चुका था.
रमीज़ ने लंड बाहर निकाला और फिर एक ज़ोरदार धक्का मारा. इस बार लंड और अंदर तक चला गया,
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