RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
फिर रात आ गयी और मेरे शौहर फिर मेरे कमरे मे दाखिल हुए. मैं अभी लेटी ही थी कि उनकी आवाज़ आई "सो गयी क्या तुम?"
और मैं घबरा कर उठ गयी और उनकी तरफ देखा. आज मुझे कोई और इंसान नज़र आया. ये तो मेरे शौहर ही थे लेकिन आज नशे मे नही लग रहे थे. नशा इंसान को क्या से क्या बना देता है.
ये इंसान औसत कद काठी का था. नाक बिल्कुल लंबी और सीधी, आँखें लाल और बड़ी बड़ी और चेहरे पे हल्की सी मुस्कुराहट. ऐसा लगता था कि वो मुझसे कह रहा हो कि कहाँ सो गयी थीं. उनकी मुस्कुराहट ने जैसे मेरे सारे घाव भर दिए.
एक औरत को अपने शौहर से चाहिए ही क्या होता है, बस रो जून की रोटी और थोड़ा सा प्यार. इसमे ही वो अपनी जन्नत ढूँढ लेती है और इसके सिवा उसे किसी और चीज़ की चाहत नही होती.
मेरे शौहर मेरे सामने खड़े मुस्कुरा रहे थे और मैं सर झुकाए बिस्तर पर खामोशी से दिल की धड़कन को रोकने मे लगी थी.
पता ही नही चला कि कब वो मेरे सामने आकर बैठ गये और मेरी ठोडी उठा कर मेरी गहरी डूबी हुई आँखो को फिर से उभारने लगे.
मैं खुश थी लेकिन थोड़ी घबराई हुई थी. एक एक पल जैसे पहाड़ मालूम पड़ रहा था,मैं कमरे मे सुई के गिरने की आवाज़ सुन सकती थी,
एक हसीन लम्हा धीरे धीरे मेरी पॅल्को के नीचे से गुज़र रहा था.इतने मे मुझे मेरे हसीन ख्वाब से मेरे शौहर ने जगा दिया.
उन्होने हल्के से लहजे मे कहा
"कितना बेवकूफ़ हूँ मैं जो शराब का नशा करता हूँ मुझे तो इन आँखो का नशा करना चाहिए"
"आरा हैं ना तुम्हारा नाम"
मैं: जी
शौकत: मुझे कल पी कर नही आना चाहिए था, दर असल मेरे दोस्तो ने मुझे ज़बरदस्ती पिला दी, कम्बख़्त कहीं के, तुम मुझसे नाराज़ तो नही हो?
मैं: नही तो
शौकत: "झूठी कहीं की, ऐसा भी कभी होता है कि,बीवी शौहर के पीने पर नाराज़ ना हो"
मैं:"मैं आपके शराब पीने पर नही बल्कि आपके मुझे गौर से देखे बिना ही सो जाने पर परेशान थी"
शौकत: "हां, होना भी चाहिए, आख़िर बीवी बन कर आई हो, लेकिन जानती हो मैं शराबी नही हूँ और किसी को मारना पीटना गाली गलोच करना मेरी फ़ितरत नही है"
मैं: जी
शौकत: बचपन से ही मैं लगातार हारता रहा हूँ, कई चीज़ें मैं जानबुझ कर हारा,कई चीज़ें ना चाहते हुए भी लेकिन मैं हारता ज़रूर रहा हूँ.
मैं: क्या मैं आपसे एक सवाल कर सकती हूँ
शौकत: क्यूँ नही, पूछो
मैं: क्या आप किसी और से मोहब्बत करते हैं?
शौकत: हां.
ये सुनकर मेरे पैरो तले ज़मीन खिसक गयी, अब यही इंसान जो मुझे प्यारा लगने लगा था, जो दो जुमलो से मुझे जन्नत दिखा रहा था, एक ही हां से मुझे और मेरे वजूद को हिला गया, मैं बेशख्ता ही अचानक सर उठा कर उन्हे देखने लगी,इसपर वो खिल खिला कर हंस पड़े और
शौकत: अर्रे भाई मैं अपने मा बाप, भाई बहेन, रिश्तेदार सब से मोहब्बत करता हूँ.
मैं: नहीं मैं कुछ और पूछ रही थी.
शौकत: जानता हूँ, मैने मोहब्बत की थी अपने स्कूल की एक लड़की से, लेकिन कभी ज़बान पर नयी आ पाई,वो बड़े घर की लड़की थी और दूसरे मज़हब की, बस दिल मे
था कि उससे बात करूँ, वो थी ही इतने खूबसूरत.
मैं: तो क्या मैं खूबसूरत नही हूँ
शौकत: तुम तो एक बला हो, मुझे तो यकीन ही नही होता कि एक इतनी खूबसूरत हसीन लड़की मेरी ज़िंदगी मे आई है, अब दिल चाहता है कि तुम्हारे दामन मे सर रख कर खूब रोया जाए और अपने दिल के सारे राज़ खोल दिए जायें, मैं तुममे अपनी ख़ुसी और ज़िंदगी तलाश करना चाहता हूँ, बोलो दोगि मेरा साथ
मैं: जी बिल्कुल
शौकत: मुझे इतनी जल्दी समझना आसान नही है, खैर अगर तुम्हे नींद आ रही है तो सो जाओ.
मैं खामोश रही.
शौकत: क्या तुम,,,,क्या मैं,,,
मैं: क्या कहना चाहते हैं?
शौकत: मुझसे नही कहा जाता,,उफ़फ्फ़
मैं: क्या नही कहा जाता
शौकत: मैं तुम्हे अपने सीने से लगा कर सोना चाहता हूँ.
मैं खामोश रही.
शौकत: शायद लड़की की खामोशी मे हां होती है.
ये बात उन्होने इतनी मासूमियत से कही कि मुझे हसी आ गयी.
शौकत: हँसी तो फँसी.
मैं अब खिल खिला का हंस पड़ी.
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