Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
10-12-2018, 01:11 PM,
#14
RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
मुझे अपनी बेवकूफी का एहसास हुआ तो मैं शर्मिंदा सी हो गयी.इनायत उठा और वापस आया तो उसने कॉंडम

पहना हुआ था लेकिन उसका प्लान तो कुछ और ही था. उसने अपने होंठ मेरी बुर पर सटा दिए. जैसे ही मुझे उसके

होंटो ने छुआ ही था कि मैने उसे रोक लिया. "इनायत ऐसा ना करो ये गंदी जगह है" इसके जवाब मे इनायत ने कहा

कि "प्यार मे सब चलता है" और ये कहकर वो फिर मेरी चूत को चाटने लगा. मैं मज़े की इंतेहा पर पहुँच

चुकी थी, किसी ने मेरे साथ पहली बार ये किया था. मैं अब इनायत के सर को अपने दोनो पैरो से जाकड़ चुकी थी और

इसमे डूबी जा रही थी. इनायत मेरी चूत के हर कोने को चाट रहा था. मुझे लगा कि मेरी चूत से कोई सैलाब

आने वाले है और मेरी जिस्म मे अजीब सी झूर झूरी सी हुई और मैं बेशखता ही आवाज़ें निकाले जा रही थी

उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफहह इनायत आआआआआआआहूऊऊऊः बस करो

सीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
फिर एक दम से मैने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया. मैं अब इनायत के सर को सहला रही थी. वो उठा और उसने

अपने होंठ फिर से मेरे होंठो पर रखने चाहे तो मैने कहा "चीईईई इनायत गंदे हो तुम" लेकिन वो माना

नही और ज़बरदस्ती उसने अपने होंठ मेरे उपर चिपका दिए और फिर वो चूसने लगा.
मुझे पहले तो बड़ी घिन आई लेकिन फिर मुझे अपनी चूत का स्वाद बड़ा अच्छा लगने लगा. ये नमकीन सा था.

अब इनायत फिर नीचे आया और मेरी टाँगो को उठाने लगा जिससे मेरी चूत उभर कर उसके सामने आई मैं

फिर हिचक रही थी लेकिन वो बोल उठा "घबराओ मत मेरी जान धीरे से करूँगा"
उसने जैसे ही अपने लंड की टोपी मेरी चूत मे दाखिल की मुझे शौकत की याद आ गयी. लेकिन फिर मैने अपना

ध्यान इनायत की तरफ दिया. वो धीरे धीरे आगे पीछे हो रहा था, मुझे अब मज़ा आने लगा था, मैं

उसकी पीठ को सहला रही थी. अब उसने एक झटके मे अपना पूरा का पूरा लॉडा मेरी चूत मे धकेल दिया मैं

चीख उठी लेकिन उसने पहले से ही मेरे मूह पर अपना हाथ रख दिया था. अब वो पूरी तेज़ी से मुझे चोद

रहा रहा था. मैं भी अपने चूतड़ उचका उचका कर उसका साथ से रही थी. आआआआआआःह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

उूुुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़, इनायत और ज़ोर से और ज़ोर से.
यकायक वो भी छूट गया और निढाल होकर मेरे उपर गिर गया. हम इसी तरहा लेटे रहे और सो गये जब आँख

खुली को रात ले 9 बज रहे थे. मैने खुद को इनायत से अलग किया और किचन मे खाना बनाने के लिए. आज बहुत

दिनो बाद ऐसा लग रहा था कि मैं ज़िंदा हूँ और खुश भी हो सकती हूँ. इनायत ने मुझे फिर से एक औरत

बना दिया था. मैने इनायत को जगाया लेकिन मैं उससे आँखें नही मिला पा रही थी. हम ने साथ खाना खाया

और फिर मैं बर्तन धोने के लिए किचिन मे आ गयी. कुछ देर बाद मैने पीछे मूड कर

देखा तो इनायत को अपने पीछे नंगा खड़ा देखा, शर्म से मेरा चेहरा लाल हो गया था. इनायत ने मेरी मॅक्सी

को मेरे चुतडो से उपर उठाया और मेरी कमर को थोड़ा पीछे खींचा जिससे मेरे चुतड फैल गये. मैं

कहने वाली थी कि अभी नही लेकिन इससे पहली कि मेरी आवाज़ मे हलक से बाहर आती, इनायत का लंबा तना हुआ

हथियार मेरी चूत मे घुस चुका था. ये थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन बड़ा अच्छा मालूम हो रहा था. मैने

भी अपनी आँखें बंद कर ली और मज़ा लेने लगी, अब वो लगातार झटके दिए जा रहा था और मैं अपने समंदर

मे डूबी जा रही थी. कुछ देर बाद उसने मुझे पलटा और मेरे होंटो को बेतहाशा चूमने लगा मैं भी

उसका साथ दिए जा रही थी. अब उसने मेरी मॅक्सी को थोड़ा और उपर किया और मुझे किचेन के काउंटर पर बिठा दिया

और मेरी टाँगो के बीच आकर उसने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख ली और फिर वो मेरी चूत मे दाखिल

हो गया. ये एक अजीब सी पोज़िशन थी मेरे लिए और मैं फिर भी नशे की हालत मे थी, इसलिए बस मुझे अपनी मस्ती

का ही ख़याल था.
इसी तरहा कुछ वक़्त बाद वो भी झाड़ गया. हम एक दूसरे को चूम कर अलग हुए और फिर सो गये. मेरी आँख

खुली तो देखा की सुबह के 10 बजे थे. मैं फ्रेश हुई और इनायत के लिए नाश्ता बनाया और उसे जगाया. इनायत

आज कहीं नही गया और फिर उसके प्यार करने का सिलसिला सुरू हो गया.
उसने मुझे घोड़ी बना कर, चेर पर बिठा कर नये नये तरीक़ो से प्यार किया. अब वो मेरे चुतड के सुराख

को भी चाटने लगा था. वो जो कुछ भी करता मुझे सब अच्छा लगता. अब वो बाहर से कुछ सीडीज़ लेकर आता और

मैं उसके साथ ना मानने के बावजूद वो सब देखने लगी. मुझे हैरानी हुई कि ऐसी भी फिल्म्स होती हैं. अब मेरे

कपड़े पहेनना का अंदाज़ भी बदल गया था, अब मैं जीन्स टी शर्ट्स पहनने लगी थी. इनायत ने मुझे भी अपनी

तरहा बना दिया था. अब मैं पहले की तरहा खोमोश नही बल्कि खुश मिजाज़ बन गयी थी. मुझमे सेक्स से मुतल्लिक

जो सबसे बड़ा बदलाव आया था वो ये था कि मैं अब इनायत के लंड को चूसने लगी थी. मुझे अब सेक्स के बारे

मे बात करना अच्छा लगता था. मैं इनायत से शौकत के सेक्स प्रिफरेन्सस को भी डिसकस करने लगी थी. मुझे

अब दोनो भाइयो को कंपेर करना अच्छा लगने लगा था. मैं अब खुल कर इनायत से अपनी फॅंटेसी डिसकस करती.

वो भी अपनी फॅंटेसी को मुझसे डिसकस करता. उसने मुझे ये भी बताया कि शादी से पहले वो कई लड़कियो को चख

चुका था. उसने मुझे बताया कि वो अपने से बड़ी औरतो की तरफ अट्रॅक्ट होता रहा है.
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