RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
इनायत जब अंदर आया तो मैं उसकी मुस्कुराहट की वजह जानने के लिए उससे पूछने लगी
मैं:"क्यूँ मुस्कुरा रहे हो, जले पर नमक छिड़क रहे हो क्या?"
इनायत:"नही मैं अपनी किस्मत पर मुस्कुरा रहा हूँ"
मैं:"अब ये सोचो कि अब करना क्या है, ये साहब तो चुदाई के खेल देख कर थॅंक्स बोल कर निकल पड़े"
इनायत:"एक ऐसी शर्त रखो जिसको वो मान ना सके यार फिर उसको कुछ ऐसा बताओ जो वो क़ुबूल ना कर सके"
मैं:"तुम्हे लगता है वो इंसान जो अपनी होने वाली बीवी का लाइव शो देखने के लिए राज़ी हो जाए वो किसी भी उल्टी सीधी बात को मानने के लिए तैयार होगा, मुझे तो लगता है कि शौकत पागल सा हो गया है
, मुझे कभी कभी ये सब करते हुए अच्छा नही लगता, ऐसा लगता है जैसे मैं उसको बेवजह तंग कर रही हूँ, ये खेल अब खेल नही रहा, कहीं ऐसा ना हो कि वो ख़ुदकुशी कर बैठे या हम को कोई नुकसान पहुँचाए"
इनायत:"मैं भी कभी कभी ये सोचता हूँ, मुझे लगता है तुम्हे उससे अब प्यार से बात करनी चाहिए और उसको एक दोस्त की तरहा धीरे धीरे समझाना चाहिए, उसने अपनी कुव्वत से बाहर आकर ये सब किया है, मुझे नही लगता कि कोई परवरटेड आदमी की तरह है, हो सकता है वो अब भी तुमसे प्यार करता हो"
मुझे इनायत की बात बिल्कुल अच्छी नही लगी और मैने उसकी नकल बनाते हुए उसकी बात दोहराई
मैं:"हो सकता है वो अब भी तुमसे प्यार करता हो, तो ठीक है मैं वापस उसके पास चली जाती हूँ और तुम अपना लौडा हिलाते रह जाना"
इनायत:"हहाहाा बुरा मान गयी क्या?"
मैं:"मैं तुमसे हाल पूछ रही हूँ और तुम आशिक़ी भघार रहे हो"
इनायत:"तो ठीक है, तुम उसको प्यार से समझाओ और उसको कहो कि वो कोई और लड़की तलाश करे"
मैं:"उसको प्यार से समझाते समझाते कहीं मैं पागल ना हो जाउ"
इनायत:"एक बार कोशिश तो करो"
मैं:"तुम्हे मालूम है, मैने उसको अपनी पैंटी दी अपना पानी पोंछ कर, ये कह कर कि वो इसे मेरे याद समझ कर अपने पास रखे"
इनायत:"हाआहाहा क्या कह रही हो ,तुम तो बिल्कुल पागल हो"
मैं:"और क्या करती वो बेचारा हमारा शो देख कर थोड़ा एग्ज़ाइटेड था, उसका कॉन्सोलेशन प्राइज़ तो बनता था ना."
इनायत:"अच्छा हुआ तुमने उससे चूत नही मरवाई, वरना ये गोल्ड मेडल हो जाता हाहाहाआआआआ:"
मैं:"तो मरवा ही लेती, मैने ग़लती की, तुम कहो तो उसको समझाते हुए अपनी फुद्दि मरवा लूँ उससे"
ये बात मैने इनायत को चिडाने के लिए कही थी.
इनायत इस बात पर एकदम सीरीयस हो गया, मुझे लगा शायद मैने ज़्यादा बोल दिया है इसलिए मुझे थोड़ा अफ़सोस हुआ.
मैं:"सॉरी, यार तुम भी तो ज़्यादा बोल रहे थे"
इनायत:"आइडिया अच्छा है,शायद वो इससे तुम्हारी मजबूरी समझ जाए"
मैं:"तुम पागलो वाले आइडियास अपने पास रखो, मैं क्या कोई रंडी हूँ जो गली गली चुदवाती रहूं"
इनायत:"सॉरी जान,मेरा ये मतलब नही था कि तुम उसके साथ सेक्स करो, मेरा मतलब था कि तुम उसको थोड़ा पुचकारो, किसी बच्चे की तरहा और थोड़ा प्यार दिखाओ ताकि वो सम्भल सके.
मैं:"ये ठीक है, ऐसा कर सकती हूँ. चलो ये ट्राइ करती हूँ"
कुछ दिन के बाद शौकत का फोन आया, मैने उसको फिर से मिलने के लिए बुलाया. इस बार भी मैने साना और आरिफ़ से ज़रिए उसकी हर हरकत पर नज़र रखी थी. इस बार इनायत पिछली बार की तरह टेरेस पर छुपा था. मैने इस बार इंटरकम मे म्डोफिकेशन करवाया था और उसका एक स्पीकर टेरेस पर रखवाया था. ये इसलिए ताकि मेरी हर बात पर इनायत की नज़र रहे और कुछ गड़बड़ होने पर वो सीधा बेडरूम मे आ जाए. मैने अपने लिए थोड़ी प्रेपरेशन कर रखी थी ताकि अपना प्रोटेक्षन कर सकूँ.
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