RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
दो हफ्ते ना जाने कैसे बीत गये. ऐसा लगता था जैसे हम किसी लंबे टूर पर आए हैं जहाँ हर दिन पिकनिक है, इसी दौरान मैं शौकत से टच मे भी रही, वो लगभग रोज़ ही मुझे कॉल करता.
मुझे भी अब एक दोस्त के नाते उससे बातें करना खूब अच्छा लगता. एक दिन उसने बताया कि उसने मेरी सास को उसकी शादी के लिए कह दिया है और उसकी फॅमिली बहुत खुश है. मैने भी उसे मुबारक
बाद दी और मैं भी काफ़ी खुश थी. इनायत मेरी उससे बातों के सिलसिले को जानता था. वो भी खुश था. मैं अपने घर पर भी लगातार बात चीत करती रहती. मेरे भाई आरिफ़ की भी शादी होने वाली थी, लड़की को अब तक
फाइनल नही किया गया था. हां लड़कियाँ काफ़ी देख ली गयी थीं. मैने जैसे ही अपने घर वालो को ये खबर दी कि शौकत किसी और से शादी करने चाहता है तो सबने ठंडी साँस ली कि शूकर है बला टली.
फिर वो दिन भी आ गया जब शौकत की शादी थी, शायद काफ़ी मुद्दतो बाद दोनो भाई आपस मे मिलने वाले थे. ये बरसात का महीना था. हम लोग भी अपने ससुराल पहुँच चुके थे. मेरी सास और ननद अब भी हम से थोड़ा खफा थी लेकिन शायद उनका लहज़ा थोड़ा नर्म सा लगता था.ये मुझे उनके दिल डौल और बर्ताव से मालूम पड़ा. मेरे ससुर वैसे ही थे. शादी के दिन जैसे क़ि रिवाज़ है कि लड़के के नज़दीकी रिश्तेदार और चन्द औरतें ही जाती हैं तो मुझे भी जाना पड़ा. आज मैने एक ब्लाउस और लहगा पहना था, टॉप की गहराई ज़्यादा था और इसमे मेरा क्लीवेज काफ़ी नज़र आता था. लेकिन दुपट्टे से ढकने पर ये छुप जाता था. मैने फ़ैसला किया कि मैं शौकत से अब भी नॉर्मल तरीके से बात करूँगी. जब वो तैयार हो चुका तो मैं इनायत के साथ उसके कमरे मे गयी. वहाँ पहले से ही मेरी ननद साना और मेरी सास मौजूद थे. मैने शौकत को सलाम किया, दोनो भाई भी आपस मे गले मिल गये जैसे कोई गिला शिकवा था ही नही. दोनो काफ़ी देर तक इसी तरहा रहे,
मैने देखा कि मेरी सास मूह फेर कर अपने आँसू पोंछ रही थी और मेरी ननद साना उनको तसल्ली दे रही थी. काफ़ी दीनो बाद इस घर मे फिर से ख़ुसी की हल्की सी झलक नज़र आती थी.
हम सब तैयार हुए, रवाना हुए और फिर नयी दुल्हन के साथ वापस आ गये. इस लड़की का नाम तबस्सुम था. मूह दिखावे की रसम के दौरान जब मैं उसको देखने गयी तो मालूम हुआ कि ये बला की खूबसूरत है और इसके सामने मैं कहीं नही टिकती. ये थोड़ी दुबली पतली सी थी लेकिन कातिलाना नयन नक्श लेकर आई थी. काफ़ी रात हो चुकी थी और शौकत अपने कमरे की तरफ जा रहा था,
इस वक़्त उसके कमरे के बाहर सिर्फ़ मैं ही थी,मुझे ना जाने क्या मस्ती सूझी कि मैने शौकत को छेड़ने का फ़ैसला किया.
मैं:"शौकत क्या बला लेकर आए हो, ये तो कोई हूर है, किसी तरहा से ये ज़मीन की नयी लगती"
शौकत:"क्या सच में? मैने तो बस फोटो मे देखा था"
मैं:"असल मे जाकर देखो, वो भी क्या चीज़ है, सुबह बताना क्या चीज़ थी, हाहाहााआ"
मेरी इस बात पर शौकत सिर्फ़ मुस्कुरा कर रह गया और अंदर चला गया. ये शादी का घर था, इसीलिए सब समान इधर उधर बिखरा हुआ था, मैं भी अपनी खाला ज़ाद बहेन रीना के साथ इनायत के कमरे मे सो गयी. बहुत थकान थी इसलिए तुरंत नींद आ गयी. सुबह आँख खुली तो 6 बज रहे थे,मुझे अब भी नींद आ रही थी लेकिन लोगो की चहल कदमी ने मेरी आँख खोल दी थी, आज वलीमा था और लड़की के रिश्तेदारो की दावत थी. दिन भर मसरूफ़ रही और देर रात को ही कमर सीधी करने को मिली. फिर सो गयी जाकर. अगली सुबह दुल्हन वापस अपने घर जा चुकी थी.
कुछ हफ्ते यूँ ही मेहमानो का आना जाना लगा रहा लेकिन इस दौरान मेरी अपनी सास से और ननद से कम ही बात हुई थी. आज शादी को करीब महीना होने को आया था. इनायत अपने काम पर चले गये थे. ससुर वहीं घर के बाहर
कुछ बुज़ुर्गो से वही अपनी पुरानी बातें कर रहे थे. मैं और मेरी सास और ननद ही घर पर थे.
आज हम अकेले थे, साना मेरे लिए नाश्ता ले कर आई, हम ने नाश्ता किया और हमारे बीच बात चीत शुरू हो गयी.
साना:"भाभी कैसी लगी आपको तबस्सुम भाभी"
मैं:"अच्छी हैं"
मुझ से थोड़ी ही दूर पर मेरी सास बैठी थी, जो शायद कुछ पढ़ रही थी. मेरे इस जवाब पर वो तुनक कर बोल पड़ी
सास:"अच्छी है या बहुत अच्छी है?"
मैं:"बहोत अच्छी हैं"
सास:"तुमको क्या लगा था कि वो तुम्हारे चक्कर मे अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर लेगा,देखो उसे तुमसे कहीं ज़्यादा अच्छी बीवी मिली"
मैं:"मैं जानती थी, शौकत को बहोत सारी लड़किया मिल सकती हैं, मैने ही उनसे इसके लिए इसरार किया था"
सास:"तुम तो करोगी ही इसरार क्यूंकी तुम्हे अपनी जान जो छुड़ानी थी, एक शराबी से"
मैं:"आप एक बार मेरी जगह खुद को रख कर तो देखिए, मैने कभी इस घर का बुरा नही चाहा, मैं थोड़ा परेशान ज़रूर थी"
सास:"खबरदार लड़की, अपने आप को हम से ना जोड़ो, तुम्हारे साथ जो हुआ उसका हम को बड़ा अफ़सोस है लेकिन तुमने अपना वादा तोड़ दिया था, और तुम्हारे इस घर मे वापस आने पर क्या शौकत को तकलीफ़ ना होगी, क्या सोच कर मूह उठा कर चली आई?, हम तुमसे बहोत खफा हैं, वो तो शादी की वजह से हम थोड़ा चुप थे लेकिन ये मत समझना कि हम ने तुम्हे माफ़ कर दिया है" ना जाने शौकत कब वापस आ गये थे और अपनी मा की बातें सुन रहे थे. वो अपनी मा पर ही बरस पड़े.
शौकत:"अम्मी ये सब क्या है"
सास:"बेटा, तुम कब आए, सब ख़ैरियत तो है"
शौकत:"अम्मी मैने आपको बताया था ना सब कुछ, फिर भी आप बाज़ नही आई, मैने बुलाया था इनायत और आरा को यहाँ, आरा ने ऐसा क्या किया है जिसे आप माफ़ नही कर सकती, आरा ने इनायत के साथ घर बसाया है, इनायत भी आप ही की औलाद है और उसकी शराफ़त ने आरा को बहुत मुतसिर किया, मैने आरा को क्या दिया था जो वो मुझ जैसे के पास दोबारा लौट कर आती, आरा ने ही मुझे हिम्मत दी और मुझे नयी ज़िंदगी की शुरआत करने की नसीहत दी, वो चाहे अब मेरी बीवी ना हो लेकिन वो मेरी अच्छी दोस्त है. मुझे इनायत पर फक्र है कि वो हमारा ही खून है, आप भी आरा को क़ुबूल कीजिए, वो हम सब से मोहब्बत रखती है"
मेरी सास अब खामोश हो गयी थी लेकिन अब साना बोल पड़ी.
साना:"अम्मी भाई बिल्कुल सही कह रहे हैं, इसमे भाभी का क्या क़ुसूर है, हमेशा औरतें ही क्यूँ क़ुसूरवार होती हैं हमारे मुआश्रे में, अब भाई और भाभी सब खुश हैं तो आपको क्या परेशानी है"
सास:"उस नयी लड़की को जब मालूम पड़ेगा कि ये सब तो वो क्या सोचेगी, क्या उसके बारे मे तुम लोगों ने कुछ सोचा है कभी"
शौकत:"क्यूँ, उसको हम ये बता देंगे कि, मैने आरा को एक ग़लती की वजह से छोड़ा और उसका हम सबको पछतावा है लेकिन अब वो फिर इस घर का हिस्सा है और इनायत की बीवी है,इसमे क्या बुरा लगेगा उसको"
सास:"पर क्या वो तुम्हारा और आरा का एक साथ हँसना बर्दास्त कर पाएगी"
शौकत:"अगर उसकी तर्बियत खराब होगी तो शुरुआत मे वो थोड़ा बुरा मान सकती है लेकिन क्या हमारे इस माहौल मे उसको साँस लेने की और सब से बात चीत करने का खुला पन नही मिलेगा"
सास:"शौकत तुम मासूम हो इसलिए सबको मासूम समझते हो, लोग तुम्हारी तरहा नही सोचते हैं"
शौकत:"मैं वो सब नही जानता अम्मी लेकिन आइन्दा आप आरा को बेइज़्ज़त नही करेंगी, आपको उसको माफ़ करना होगा और उसको अभी अपने गले से लगाना होगा"
सास:"शौकत, थोड़ा लिहाज़ करो अपनी मा का"
शौकत:"ठीक है,अगर आपको आरा से अभी बात करने मे तकलीफ़ है तो आप बाद मे कर सकती हैं लेकिन मेरी बात पर गौर काजिएगा"
इतना कहकर शौकत वापस चला गया. मेरी सास ने मेरी तरफ घूर कर देखा और फिर अपने कमरे मे चली गयी. लेकिन फिर मैने उनके बर्ताव मे फ़र्क देखा और धीरे धीरे वो वापस नॉर्मल सी हो गयी.उन्होने मुझे वापस अपने साथ रहने को कहा. मैने ये बात इनायत को बताई तो वो बहुत खुश हुआ. हम ने एक दिन अपना समान वापस लाने का प्लान बनाया और फिर हम अपने घर वापस आ गये. शौकत की बीवी वापस आ गयी थी. शौकत कुछ दिन के लिए कहीं घूमने जाना चाहता था और वो इनायत और मुझको भी साथ ले जाना चाहता था. इनायत भी राज़ी हो गया. हम लोग घूमने के लिए निकल पड़े.
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